राही आज बहुत खुश थी , आखिरकार वह पल आ ही गया था जिसका उसे कब से इंतजार था , वह तो कब से चाहती थी कि उसकी सगी बहन राशि ही उसकी सगी देवरानी भी बन जाए मगर ससुराल में सास ससुर के सामने अपने मन की बात लाने में उसे समय लग गया था , जब से देवर अनुराग बॉम्बे में आई आई टी की पढ़ाई कर रहा था तब से ही उसने ठान लिया था कि इतने होनहार देवर को अपनी बहन के अलावा किसी का नहीं होने दूंगी !!
अनुराग बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार था और जब से जॉब पर लगा था उसका स्टार्टिंग पैकेज सुनकर ही लोगो के होश उड़ जाते थे और सभी उसकी तारीफ करते फुले नहीं समाते थे क्योंकि अनुराग की अभी उम्र भी मात्र पच्चीस साल थी !!
अनुराग के घरवाले अनुराग के लिए उसी की तरह पढ़ी लिखी लड़की की तलाश कर रहे थे क्योंकि अनुराग भी यही चाहता था कि उसकी पत्नी भी उसी की तरह नौकरी करें , आजकल के पढ़े लिखे युवान अपनी तरह ही पढ़ी लिखी कमाऊ लड़की चाहते हैं ताकि दोनों मिलकर एक दूसरे को समझ पाए !!
अनुराग की मां ललिता जी के बडे अरमान थे अनुराग की शादी को लेकर इसलिए आज राही ने यही सब सोच मौके पर चौका मार दिया और जैसे तैसे आज उसने अपनी सास ललिता जी के कान में यह बात डाल दी थी कि उसकी छोटी बहन राशि भी जॉब पर लग चुकी हैं और उसकी शादी के लिए भी लड़का तलाश कर रहे है !! मम्मीजी आप बुरा ना माने तो अनुराग भैया को राशि से मिलवा देते हैं !!
यदि उनको राशि पसंद आ गई तो शादी की बात बढ़ाते हैं !!
राही ललिता जी की बड़ी बहू थी और जब से शादी करके आई थी उसने रसोई को अच्छे से संभाला था , रसोई में उसी का राज चलता हालांकि वे राही की हरकतों को भलीभांति रूप से जानती थी मगर उनका मानना था कि जरूरी नहीं की दोनों बहनें एक जैसी हो , हो सकता हैं राही की छोटी बहन राशि उससे ज्यादा समझदार हो यही सोचकर उन्होंने भी अनुराग और राशि को मिलवाने के आईडिया पर हामी भर दी थी !!
आज जब अनुराग ऑफिस से घर आया तो ललिता जी ने अनुराग से उसकी भाभी राही की छोटी बहन राशि से मिलने की बात अनुराग से कह डाली मगर जैसे ही अनुराग ने यह बात सुनी अनुराग बोला मम्मी अब तक आप लोग मेरे लिए रिश्ते तलाश कर रहे थे मैं जानता था मगर अब आप लोग मेरी शादी को लेकर शायद बहुत सीरियस हो गए हैं , मैं किसी के दिल को चोट नहीं पहुंचाना चाहता इसलिए शायद अब सबय आ गया हैं कि मुझे सच्चाई बतानी पड़ेगी !!
मम्मी मैं मेरे ही ऑफिस में साथ काम करने वाली रूपाली से बहुत प्यार करता हु और उसी से शादी भी करना चाहता हुं !!
ललिता जी खुश होते हुए बोली अरे पगले , इतने समय से यह बात छुपाई क्यों ??
अनुराग बोला – मम्मी , रूपाली के माता पिता बहुत मध्यम वर्गीय लोग हैं , रूपाली के पैसो से ही उसका घर चलता हैं , रूपाली बहुत सीधी और संस्कारी लड़की हैं बस यही बात मेरे दिल को भा गई थी !!
ललिता जी ने तो इस रिश्ते के लिए अपनी स्वीकृति दे दी मगर राही उसे तो यह बात हजम ही नहीं हो रही थी , वह नाक – भौं सिकोड़कर ललिता जी से बोली – मम्मीजी अनुराग भैया ने तो आपके सारे अरमानों पर पानी फेर दिया !!
ललिता जी बोली – मेरी खुशी अनुराग की खुशी में हैं , वह जिससे शादी करना चाहता हैं उसमें जरूर कुछ बात होगी क्योंकि अनुराग हमेशा समझदारी से अपने निर्णय लेता हैं !!
राही के सारे किए कराए पर पानी फिर गया था , अब तो उसे मन ही मन इंतजार था रूपाली से मिलने का जिसने उसकी बहन राशि की जगह छिन ली थी !!
एक हफ्ते बाद अनुराग ने रूपाली के घरवालों से अपने घर वालों को मिलवा दिया !!
बहुत सिंपल और दिखावे से परे थे रूपाली के घर वाले और वैसी ही थी रूपाली !! सादगी उसके बोलने , चलने , हंसने में झलकती थी !!
राही उसे देखकर मन ही मन कुढ़ते हुए बोली – हाय इससे तो लाख गुना अच्छी थी मेरी बहन राशि , जो कि मॉर्डन , सुंदर और आज के जमाने वाली दिखती हैं , यह रूपाली तो कुछ भी नहीं मेरी बहन के आगे !! देवरजी की तो मत मारी गई हैं !!
थोड़े दिनों बाद अनुराग और रूपाली की सगाई हो गई !! राही ने अब तक हिम्मत नहीं हारी थी , वह अब भी चाहती थी कि यह सगाई किसी तरह टूट जाए !!
शादी की तैयारियां शुरू हो चुकी थी , अनुराग के घरवाले रूपाली को शादी की शापिंग कराने अपने साथ ले गए थे वहां मौका पाकर अकेले में राही रूपाली से बोली – रूपाली , सब महंगी चीजें ही पसंद करना , वैसे भी यह ससुराल वाले अभी अपनी शान दिखाने के लिए कुछ भी मना नहीं करेंगे , तु जो मांगेंगी दिलवा देंगे !!
राही जानती थी उसकी सास ललिता जी को ऐसे मांग करने वाली बहू पर गुस्सा आएगा और वे अनुराग से रूपाली से शादी करने के लिए मना कर देंगी और फिर वह चतुराई से अपनी बहन की बात वापस घर में रख देगी जिससे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी !!
ललिता जी जिस भी शो रूम पर रूपाली को लेकर गई , रूपाली ने कहीं भी महंगी चीजो की मांग नहीं की और जो ललिता जी ने दिलवाया ले लिया क्योंकि रूपाली एक बहुत तमझदार लड़की थी , उसे तो रुपए , पैसों ,चीजों का कुछ लालच था ही नहीं !!
यह सब देख राही को बहुत गुस्सा आया और सारी शापिंग के बाद वह ताना मारकर बोली – रूपाली , बुरा मत मानना मगर तुम जैसे गरीब घर की हो तुमने वैसी ही चीजे पसंद की अब क्या हैं कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद ?? कभी महंगी चीजे पहनी ही नहीं तो तुम क्या समझोगी कि क्वालिटी क्या होती हैं ??
रूपाली को उसकी जेठानी का रवैया बड़ा अजीब लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह उसके साथ ऐसे क्यों बर्ताव कर रही हैं खैर रूपाली कुछ ना बोली मगर ललिता जी जान चुकी थी कि राही ऐसा बर्ताव क्यों कर रही हैं ??
अनुराग और रूपाली की शादी धूमधाम से हो चुकी थी , रूपाली के घरवालों से जो भी बनता था वह खर्चा किया था उन लोगों ने और रूपाली के ससुराल वालों को उपहार भी दिए थे !!
आज रूपाली की पहली रसोई थी , वह रसोई में पहुंची तो जेठानी राही ने उसे उसके मायके से आई हुई साड़ी वापस रूपाली को पकड़ाते हुए कहा – रूपाली यह साड़ी या तो तुम पहन लेना या कामवाली को दे देना , मैं इतनी लॉ स्टैंटर्ड साडियां नहीं पहनती !!
रूपाली को तो रोना ही आ गया , रूपाली के मायके वालो ने बहुत प्यार से रूपाली के ससुराल वालो को गिफ्ट दिए थे , रूपाली फिर से छोटा सा मुंह लेकर रह गई !!
नई नई बहू थी तो घर में कुछ हंगामा करना नहीं चाहती थी मगर ललिता जी जो यह सब देख रही थी सोचने लगी यदि राही रूपाली का हमेशा इसी तरह तिरस्कार करती रही तो वह दिन दूर नहीं जब यह संयुक्त परिवार बिखर जाएगा !!
ललिता जी राही के मुंह नहीं लगना चाहती थी क्योंकि वे जानती थी राही एक अमीर मायके की गुस्से वाली और बदतमीज बेटी हैं भले यहां उसकी उसके पति राघव के सामने नहीं चलती थी मगर वह ललिता जी के साथ पहले भी घर में हंगामा कर चुकी थी !!
रूपाली को शादी किए अब महिना भर हो चुका था और ऑफिस ज्वाइन करने के दिन आ गए थे !!
सुबह रूपाली अपना टीफिन , नाश्ता सब खुद तैयार करके ऑफिस जाने लगी क्योंकि राही तो जल्दी उठती नहीं थी !!
शाम को जब रूपाली ऑफिस से आती तो भी उसे रसोई में काम लदा हुआ मिलता !!
राही बात बात में रूपाली को कुछ ना कुछ सुना ही देती !!
जब ललिता जी ने राही को समझाने का प्रयास किया तो राही बोली – मम्मी जी , रूपाली पैसे कमाकर क्या मुझे देने वाली हैं जो आप मुझे घर में उसकी मदद करने कह रही हैं !!
रूपाली का राही दवारा बार बार तिरस्कार रूपाली के स्वाभिमान को तोड़ रहा था !!
आज रविवार था , सभी लोग घर पर ही थे और दोपहर का खाना खाकर आराम करने जाने वाले थे उतने में रूपाली के पिताजी का फोन आया कि वे रूपाली के शहर आए हुए हैं , रूपाली ने उन्हें अपने घर आने की जिद की और खाना यहीं खाने कहा !!
वे बोले ठीक हैं वे अपना काम निपटाकर एक घंटे में उससे मिलने आएंगे !!
रुपाली रसोई में जाकर दाल भिगोने ही वाली थी कि राही बोली अरे , तुम्हारे पापा ही तो आ रहे हैं खिचड़ी खिला दो उन्हें , अब सभी का खाना खाकर हो चुका हैं , अब फिर से खाना नहीं बनेगा रसोई में समझी !!
रूपाली बोली – भाभी , पापा पहली बार मेरे घर आ रहे हैं , ऐसे में मैं उन्हें खिचड़ी खिलाऊंगी क्या यह शोभा देता हैं ??
राही बोली – गरीब घर की लड़की की जबान तो देखो कैसे पटर पटर चलती हैं ??
खुद मायके में भले खिचड़ी ही खाते होंगे यह लोग मगर यहां ससुराल में इसको इसके पापा की खातिरदारी करनी हैं !!
ललिता जी रसोई के गेट पर खडी सब सुन चुकी थी और वे बोली बहू के पापा का अभी फोन आया था मुझ पर वे घर आ रहे हैं !!
रूपाली कोई बात नहीं खिचड़ी ही बना देते हैं , राही के पापा को भी तो पता चलें कि उनकी बेटी के ससुराल में उसके मायके वालों की ऐसे ही खातिरदारी होती हैं !!
राही के मुंह में जबान अटक गई क्या प- प पापा आ रहे हैं ??
ललिता जी बोली हां !!
राही बोली हां फिर तो खिचड़ी थोड़ी बनेगी !! खीर , पुरी , छोले , दाल – चावल बना देते हैं !!
ललिता जी बोली – बहू मेरे लिए तुम्हारे पापा और रूपाली के पापा में कोई फर्क नहीं हैं , जैसे तुम दोनों में भी कोई र्क नहीं हैं समझी अब तो घर में खिचड़ी ही बनके रहेगी !!
राही अब पछता रही थी और बोली – मेरे पापा क्या सोचेंगे मम्मी जी !!
आप तो जानती हैं मेरे मायके वालो का रुतबा !!
ललिता जी बोली – बहू रूतबा पैसों का नहीं व्यवहार का होता हैं !!
जब से रूपाली शादी करके आई हैं तुम हर पल इसे नीचा दिखा रही हो क्योंकि मेरे बेटे ने तुम्हारी बहन के बजाय इससे शादी कर ली !! माना हमारी रूपाली बहू बहुत अमीर परिवार से नहीं हैं मगर इसके संस्कार तुमसे कई गुना बड़े हैं !!
राही नीचे सर झुकाकर खड़ी थी और बोली मुझे माफ कर दीजिए मम्मी जी !!
ललिता जी बोली – तुम्हें सबक मिलना जरूरी था राही , कोई पैसो से बड़ा नही होता , संस्कारो से इंसान बड़ा होता है समझी !!
राही ने अपनी गलती मानी और रूपाली से बोली – दरसल मैं अपनी बहन राशि की शादी अनुराग भैया से करवाना चाहती थी मगर उन्होंने तुम्हें पसंद कर लिया शायद मुझे यही बात की टीस रह गई और मैं तुम्हें नीचा दिखाने लगी , मुझे माफ कर दो रूपाली !!
रूपाली जो कि राही के तिरस्कार करने पर भी कुछ नहीं बोलती थी आज उसके माफी मांगने पर भी कुछ ना बोली !!
राही और रूपाली ने मिलकर खीर – पुरी और सारे पकवान तैयार किए , दोनों के पिताजी मिलकर बैठे और सभी लोगो ने सुब बातचीत की !! दोनों के पिताजी यों ने खाने की भी तारीफ की !!
ललिता जी मन ही मन सोच रही थी बड़ी बहू को सबक देना जरूरी था वर्ना यह जाने क्या कर देती , घर तो टुटवा देती उपर से सभी में फूट डाल देती वह अलग !!
दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया जरूर बताइएगा तथा ऐसे ही अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य कीजियेगा !!
आपकी सहेली
स्वाती जैन
#तिरस्कार अब नहीं