काव्या , मैं इस बार भी तेरी डिलीवरी मायके में ही करवाऊंगी , मैंने तेरी सास से भी बात कर ली है उन्हें भी कोई एतराज नहीं हैं , मैं तो तुझे सातवे महीने में ही घर ले आती मगर तूने मना कर दिया खैर अब नौंवा महिना लग गया हैं दो दिन बाद ही तेरे भाई शेखर को तुझे लेने भेज दूंगी शिवानी जी उत्सुकता पूर्वक बोली !!
काव्या बोली मां तुम जिद मत किया करो , भाई को लेने मत भेजो मैं खुद से आ जाउंगी !!
कैसी बात कर रही हो काव्या ??
नौंवा महिना लग चुका हैं ऐसे में बेटा अकेले आना ठीक नही होगा शिवानी जी चिंता व्यक्त करते हुए बोलीं !!
माँ मैं जरा राकेश से बात करके तुम्हे बताती हूं, भैया को अभी मत भेजो काव्या बोली !!
शिवानी जी को काव्या का यूं बेरूखी से बात करना बहुत बुरा लगा !!
काव्या की डिलीवरी के लिए शिवानी जी बहुत उत्सुक थी , शिवानी जी तो सातवे महिने में ही काव्या को मायके बुला लेना चाहती थी मगर काव्या ने सातवे महिने में भी आने से इंकार कर दिया था !!
वहां दूसरी ओर काव्या भी मां से बेरुखी से बात करके मन मसोस कर रह गई !!
फोन रखकर काव्या को अपनी पहली डिलीवरी के दिन याद आ गए , सातवें महिने में ही मां ने मायके बुलवा लिया था और नौंवा महीना लगते ही चार दिन ऊपर चढे थे और काव्या की डिलीवरी हो गई थी !!
काव्या को बेटा हुआ था जो बहुत कमजोर था , दो दिन बच्चे को अस्पताल वालों ने कांच में ही रखा था , बच्चे को यूं कांच में देख काव्या की आत्मा जल उठती और वह रो पड़ती !! एक मां का बच्चे के प्रति प्यार क्या होता हैं , यह काव्या आज समझ पाई थी !!
दो दिन बाद बच्चे को कांच में से निकाल कर काव्या के हाथ में दे दिया गया और शिवानी जी दोनों को घर ले आई !!
काव्या की माँ शिवानी जी पूरे दिन काव्या और उसके बच्चे की देखभाल करती थीं !!
काव्या का यह पहला बच्चा था जिस वजह से उसे बिल्कुल बच्चा संभालने का अनुभव नहीं था ऐसे में शिवानी जी ही बच्चे की पूरी तरह से देखभाल करती थी !!
काव्या को बच्चे को दूध पिलाने में भी तकलीफ महसूस होती थी , डिलीवरी के समय आए हुए टांकों की वजह से उसे ठीक से बैठने में भी तकलीफ होती थी , तब शिवानी जी ही बच्चे को दूध पिलवाने में काव्या की मदद किया करती थी !!
शिवानी जी ने महिनों पहले ही मलाई से देशी घी निकालकर जमा कर रखा था , जिससे उन्होने देशी घी और गोंद के लड्डू बनाए थे , बीजों से बना मुकवास भी तैयार कर रखा था !!
शिवानी जी कहती थी उसे खाने से दूध अच्छा बनता है!!
रोज पौष्टिक खाना बनाती , खाने में ड्रायफुटस डालती जिससे काव्या और बच्चा स्वस्थ रहे !!
काव्या के डिलीवरी के वह चालीस दिन बड़ी मुश्किल से बीते !!
खुन का भी भारी बहाव रहा , टांकों का दुखना और शरीर की कमजोरी अलग !!
शिवानी जी ने बेटी और उसके बच्चे के लिए मालिश वाली भी लगा दी थी जिससे काव्या को बहुत राहत मिली !!
बेबी भी मालिश होने के बाद तीन घंटे अच्छी नींद लेता !!
बेबी जब भी ज्यादा रोता शिवानी जी उसे ले – लेकर घूमती , लोरियाँ सुनाती और काव्या को आराम करने देती !!
मां के होने से काव्या को डिलीवरी में बहुत आराम मिला !!
काव्या मां से बोली सच मां आज समझ में आया हैं कि एक मां अपने बच्चे को कैसे दिन – रात एक करके पालती हैं , तुमने मुझे तो बड़ा किया ही हैं आज मेरे बच्चे को भी बड़ा करने में तुम मेरी मदद कर रही हो !!
अगर मैं ससुराल में होती तो ना जाने कैसे अकेले बच्चा संभालती ??
मुझे तो अभी तक ठीक से बच्चा पकड़ने तक नहीं आता !!
शिवानी जी भी बड़े प्यार से बोली बेटा , हम बड़े- बुजुर्ग होते ही इसलिए हैं ताकि वक्त आने पर तुम बच्चों के काम आ सकें और तुम्हें सब कुछ सिखा सकें !!
शिवानी जी ने धीरे – धीरे काव्या को बच्चा संभालना पुरी तरह से सीखा दिया !!
चालीस दिन बाद जब एक रोज काव्या अपनी मां के कमरे के बाहर से गुजर रही थी उसे उसकी भाभी अर्पणा की आवाज आई मां , आप काव्या को वापस कब भेज रही हैं ?? काव्या और उसके बच्चे की देखरेख में शायद आप भूल गई हैं कि आपको रहना मेरे साथ हैं और मेरे भी दो बच्चे हैं जिन्हें आपको संभालने में मदद करनी हैं !!
काव्या की डिलीवरी भी हमारे पैसो से ही हुई हैं और इतना महंगा- महंगा खाना खिला रहे हैं सौ अलग !!
रीति – रिवाज के नाम पर लूट मचा रखी है आपने , अब बहुत हुआ हमे अपना भी घर चलाना हैं !!
शिवानी जी की आँखें आँसूओं से भीगी हुई थीं, वे बोली – बहू मैंने तुम्हारे बच्चे संभालने में भी कभी कोई कमी नहीं रखी फिर तुम मुझसे ऐसे क्यों बात कर रही हो ??
अर्पणा बोली – क्योंकि बहुत हुआ मां का बेटी पर प्यार लुटाना अब आपको उसे विदा कर देना चाहिए !! भाभी का यह रूप देखकर काव्या अपने कमरे में जाकर रो पड़ी !!
काव्या को पहले दिन से ही लग रहा था कि भाभी कुछ उखड़ी हुई हैं मगर आज पता चला कि उनके मन में क्या चल रहा हैं ??
काव्या ने पति राकेश को फोन किया और उसे अगले दिन लेने आने कहा !!
राकेश बोला काव्या मैं तो तुम्हे जाने भी नही दे रहा था मगर तुम्हारी मां ने इतनी जिद की इसलिए कुछ बोल ना पाया !!
काव्या बोली मां कभी अपने बच्चों में भेद नही करती राकेश !!
मां ने मेरी डिलीवरी के इन चालीस दिनों में मुझे बहुत आराम दिया मगर मां की यह हालत देखकर मैं बहुत दुःखी हुं !!मैं नहीं जानती थी कि मेरी वजह से मेरी मां का इतना निरादर होगा !!
मां ने हमेशा भाभी और उनके बच्चों को भी इतना ही मान दिया है मगर शायद भाभी हमें कभी अपना नही समझ पाई !!
राकेश दूसरे दिन आकर काव्या को ले गया और काव्या ने यह बात गुप्त ही रखी कि उसने भाभी की बातें सुन ली थीं !!
अब इतने सालो बाद काव्या को दूसरा बच्चा होनेवाला है और आज मां का फिर से फोन आया है मगर काव्या ने इस बार सोच लिया है कि वह यहीं ससुराल में अपनी डिलीवरी करवाएगी !!
अपनी वजह से मां को तानों का शिकार नही होने देगी !!
काव्या की सास गोदावरी जी बोली काव्या तुम्हारी मां का फोन आया था तुम्हें डिलीवरी पर बुलाने के लिए !!
काव्या बोली मैं डिलीवरी पर मायके नही जाउंगी मां इस बार यही डिलीवरी करवा लुंगी !!
लक्ष्य भी तो स्कूल जाने लगा हैं ऐसे में मां के यहां कैसे जा सकती हुं ??
सांसु मां बोली बेटा जैसी तेरी इच्छा !!
काव्या ने शिवानी जी को फोन किया और लक्ष्य की स्कूल का बहाना बना दिया !!
शिवानी जी भी शायद जान चुकी थी कि बेटी क्यूं नही आना चाहती ??
आखिर वह एक मां जो ठहरी !!
क्या आपको भी काव्या का फैसला सही लगा ??
आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में ……..
दोस्तों , एक बेटी जो मायके में पली- बढ़ी वही पैदा हुई , उसकी शादी के बाद उसी के मायके में उसके उपर किए गए खर्चे एक भाभी को क्यूं बुरे लगने लगते हैं ??
क्या शादी के बाद वह इस घर की बेटी नही रहती या भाभियां उन्हें पराया कर देती हैं !!
हमारी कहानी में सांची चाहकर भी मायके आना नहीं चाहती क्यूंकि वह अपनी मां पर बोझ नहीं बनना चाहती , अपनी भाभी के ताने नहीं सुनना चाहती !!
एक भाभी को अपनी ननद को कभी पराया नहीं समझना चाहिए , वह तो शादी करके बाद में आई हैं पहले तो वह बेटी का मायका हैं !!
दोस्तों आपको यह रचना कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें तथा मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!
आपकी सखी
स्वाती जैंन