मैं भी तो आपकी बेटी हूं ना –

विदा के समय जब मेरी सासू मां सविता जी ने मेरी मम्मी को दिलासा देते हुए कहा की बहन जी आप बिल्कुल चिंता ना करें मैं नेहा को अपनी बेटी की तरह रखूंगी । मेरी बेटी तो 2 साल पहले शादी करके ससुराल चली गई तब से मैं बहुत अकेली हो गई थी अब मैं अपनी बहू को बेटी बना कर रखूंगी ।

सासू मां की बात सुनकर नेहा के मन से भी एक बड़ा बोझ उतर गया सास बहू के रिश्ते के विषय में जो नकारात्मक बातें उसने सुन रखी थी उसे लगा वह सब सच नहीं होती उसका मन अपनी सास के प्रति श्रद्धा से भर उठा उसने भी मन ही मन यह निश्चय कर लिया कि वह भी अपनी सास को मां जैसा प्यार और सम्मान देगी ।

मायके से ससुराल का रास्ता जल्द ही तय हो गया । सविता जी उनसे पहले ही घर पहुंच कर बहू के स्वागत के लिए आरती का थाल सजा कर खड़ी थी ।नेहा महावीर रंगे पैरों से घर में प्रवेश किया । जैसे ही रस्में पूरी हुई सविता जी ने नेहा को उसके कमरे में भेज दिया।

जाओ बेटी कुछ देर आराम कर लो फिर मुंह दिखाई की रस्म के लिए बैठना होगा ।नेहा खुशी-खुशी अपने कमरे में गई और कपड़े बदलकर लेट गई थकी हुई थी सो लेटते ही उसे नींद आ गई 2 घंटे बाद सविता जी ने आकर प्यार से उसे जगाया और तैयार होकर हाल में आने को कहा नेहा की थकान उतरी नहीं थी

पर वह तैयार होकर आ गई। उसी समय आज पड़ोस की औरतें मुंह दिखाई के लिए आने लगी ।नेहा का साधारण रंग रूप देखकर कइयों ने मुंह बिचकाया और एक दो ने तो कह दिया बहु हमारे अजय के सामने हल्की पड़ती है औरतों की कानाफूसी सुनकर नेहा को बुरा

लगना स्वाभाविक था तभी सविता जी ने कहा मेरी बहू लाखों में एक है इसके माता-पिता ने इसे बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं हम इन्हें बरसों से जानते हैं इतनी पढ़ी-लिखी होने पर भी यह बहुत सादगी से रहती है अब देखना कुछ ही दिनों में इसका रूप कैसा निखर आएगा। और सच में एक महीने में उसके चेहरे की चमक दोगुनी हो गई थी। सास उसे

खूब सजा संवार कर रखती। नेहा का पति अजय भी उसे सर आंखों पर रखता। घर में नौकर चाकर थे फिर भी नेहा अक्सर अपने हाथ से चाय नाश्ता बनाती ।

छुट्टी के दिन कुछ स्पेशल खाना बना कर सबको खिलाती सास भी उसका पूरा ध्यान रखती थी । अचानक एक दिन नेहा के ससुर जी को बुखार आ गया डॉक्टर को दिखाया एंटीबायोटिक का 5 दिन का कोर्स पूरा करने पर भी बुखार नहीं उतरा ना ही कम हुआ तब ब्लड टेस्ट करने पर पता चला कि उन्हें डेंगू हो गया है

और उनके प्लेटलेट्स काफी कम हो गए हैं अतः उन्हें शीघ्र ही अस्पताल में दाखिल करना पड़ेगा सविता जी यह सुनकर बहुत घबरा गई वह खुद भी ब्लड प्रेशर की मरीज थी। पति की हालत देखकर उनका बीपी बहुत हाई हो गया और उन्हें भी अस्पताल में दाखिल करने की नौबत आ गई।

नेहा जी जान से उनकी देखभाल कर रही थी माता-पिता की बीमारी की खबर पाकर नेहा की ननद प्रिया भी पहुंच गई प्रिया के आने से 

नेहा की सास कुछ निश्चिंत हुई क्योंकि वह देख रही थी कि नेहा पर काम का बोझ बहुत बढ़ गया है ।धीरे-धीरे ससुर जी की तबीयत में सुधार हो रहा था सविता जी अस्पताल से घर आ चुकी थी। एक दिन उन्होंने नेहा से कहा बेटी तुम कुछ दिन के लिए मायके हो आओ तुम्हें थोड़ा आराम मिल जाएगा ।

नेहा परेशान होकर बोली मां जी आप यह कैसी बातें कर रही हैं पापा जी बीमार है आपकी तबीयत भी पूरी तरह ठीक नहीं हुई है ऐसे में मैं आप लोगों को छोड़कर अपने आराम के लिए मायके जाने की सोच भी नहीं सकती। सविता जी ने कहा हमारे पास प्रिया है ना वह हमारा ध्यान रखेगी।

नेहा ने दुखी होकर पूछा मां मेरी सेवा में कुछ कमी रह गई है तो मुझे बताइए मगर इस समय मुझे अपने से दूर जाने को ना कहो । मैं भी तो आपकी बेटी हूं ना । हम दोनों बेटियां मिलकर आपकी सेवा करेंगी। सास में गदगद होकर नेहा को गले से लगा लिया।

नीलम गुप्ता 

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