मैं आपकी बेटी जैसी हूं, मां जी । – आराधना श्रीवास्तव

अरे! सिया बहू भिंडी की सब्जी कैसी बनाई थोड़ा भी कुरकुरी नहीं  बनी पता नहीं क्या सीख कर अपने मायके से आई हो।

 सिया जल्दी-जल्दी रसोई समेट रही थी बिजली की तरह दौड़-दौड़ कर कार्य कर रही थी सुबह 5:00 के अलार्म के साथ दिनचर्या शुरू हो जाती है सासू मां शोभा जी को शुगर है अतः वेङ पर ग्रीन टी सुबह 5:00 बजे चाहिए ।

बेटा अंकित जो पांचवी कक्षा में है उसे टिफिन।

 पति आशुतोष का नाश्ता- टिफिन सुबह 10:00 तक तो घर में भूचाल सा मचा रहता है।

 आज पता नहीं नमक पहले पड़ जाने के कारण भिंडी कुरकुरी नहीं बनी सासू मां ने पूरे घर को सिर पर उठा रखा था।

 हुआ यू की बेटे अंकित की स्कूल वैन पहले आ गई उसे टिफिन देना था इसलिए सिया ने भिंडी कुरकुरी होने से पहले नमक डाल दिया ताकि अंकित को टिफिन दे सके। 

सच ! तो यह है कि यह सब उथल-पुथल सुबह 20 मिनट देर से उठने के कारण हुआ क्योंकि सुबह उठते ही सिया का सिर भारी था अतः वह दर्द निवारक गोली लेकर थोड़ी देर आराम करने के बाद उठी,। 

पता नहीं क्यों आज सिया आंतरिक रूप से दुःख महसूस कर रही थी बार-बार उसकी आंखें छलछला जा रही थी कुछ बीती बातें याद आने पर आंखें भर जा रही थी।

 उसे अच्छी तरह याद है….

.जब आशुतोष का रिश्ता लेकर सासू मां आई थी तो बस यही गुणगान कि”आपकी बेटी हमारे घर आकर राज करेगी’, घर में झाड़ू- पोछा, बर्तन के लिए बाई लगी है खाना बनाने वाली लगी है। बस आपकी बेटी सजें- सवरें पिकनिक, किटी- पार्टी आदि में भाग ले ताकि खुशी उसके चेहरे पर हमेशा बनी रहे ।

किंतु विवाह होने के एक सप्ताह बाद ही सासू मां ने नौकर,एवं कामवाली बाई को हटा दिया यह कहकर की 

..”बहु दिन भर बोर हो जाएगी और छोटे-मोटे घर के काम तो बहुओं को ही शोभा देता है”।

 जब तक वह बहू बनकर इस घर में नहीं आई थी और उसकी नंद अनन्या का विवाह नहीं हुआ था तब तक बाई, नौकर लगे थे क्योंकि अनन्या को कॉलेज जाना था उसके प्रोजेक्ट वर्क के साथ-साथ वह दोस्तों के साथ सप्ताहांत में हिल स्टेशन घूमने की योजना बना लेती,  साथ ही घर में भी आए दिन छोटी-मोटी किट्टी पार्टी का आयोजन करती। 

दोस्तों के साथ घूमने जाती।

 उसके पास इतना समय नहीं था कि वह रसोई में मदद कर सके और सासू मां ने भी अनन्या को इतने लाड-प्यार  से पाला था कि वह खुद भी नहीं चाहती थी कि वह चूल्हे चौके में पड़े उनका कहना था …”कम से कम बेटी मायके में तो राज कर ले’ ससुराल तो अपने बस में नहीं है ना “

 आज यही सब सोच कर सिया को रुलायी आ रही थी अपने आंचल से वह आंखों के कोंरो से लुढ़कते आंसुओं को रोकने की कोशिश कर रही थी।

 यह पहली बार नहीं है नहीं था सासू मां अक्सर छोटी-छोटी बातों का बतंगण बना देती बोलने एवं ताना मारने का कोई ना कोई बहाना ढूंढ ही लेती।

 आज तो हद हो गई  भिंडी की सब्जी कुरकुरी नहीं बनी उस बात को लेकर अपना बीपी और एवं शुगर स्तर बढ़ाये जा रही थी ।

यद्यपि की सिया बार-बार उन्हें समझाने की कोशिश कर रही थी किंतु उनको तो मौका मिलना था ।

तभी पैर पटकते हुए वह वॉशरूम में घुसी अचानक धम्म से आवाज हुई सिया दौड़कर वॉशरूम में पहुंची , सासू मां चारों खाने चित्त पड़ी बेहोश हो चुकी थी। 

 सिया ने जल्दी से एंबुलेंस बुलाया जल्द से जल्द चिकित्सा शुरू हो गई होश आने पर सिया को डॉक्टर ने बताया कि उनके दाहिने पैर में चोट की वजह से फ्रैक्चर हो गया है कम से कम छः महीने तक बेङरेस्ट चाहिए क्योंकि हड्डी जुड़ने में लंबा  समय लगेगा.।

 डॉक्टर की बातें सुनकर सासू मां की आंखों से आंसू बहने लगे उनके मुंह से निकला…” कौन करेगा अब मेरी देखभाल”l

 उन्होंने तुरंत फोन अपनी बेटी अनन्या को लगाया किंतु अनन्या ने साफ-साफ मना करते हुए कहा….” मम्मी मैं तो ससुराल में व्यस्त हूं, मैं इतने दिनों के लिए अपना सब कुछ छोड़कर नहीं आ सकती और अब तो सिया भाभी ही आपकी बेटी जैसी है आपकी सुख -दुःख की साथी “।

सासू मां कतर दृष्टि से अपनी बहु सिया को देख रही थी जैसे अपने सारे गुनाहों की माफी मांग रही हो।

 सिया ने भी प्यार से अपनी सासू मां के कंधे पर हाथ फेरते हुए कहा …”मैं आपकी बेटी जैसी हूं, मां जी मैं आपकी देखभाल करूंगी”।

 शोभा जी कोअपराध बोध हो रहा था वह सिया को कसकर गले लगाए सिसकियां भर रही थी और सिया की आंखों में भी आत्म संतोष झलक रहा था ।

 स्वरचित  

आराधना श्रीवास्तव

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