Moral Stories in Hindi
समधन जी हमें माफ़ कर दीजिए। हम रमा को समझाएँगे। आगे से आपसे वह इस तरह का व्यवहार नहीं करेगी। अरे! आप क्यों माफ़ी माँग रही है?आपने तो कुछ कहा नहीं है और रमा की गलती के लिए आप क्यों माफ़ी मांगेंगे?आप सही कह रही है समधन जी पर अब बिटिया हमारी है तो उसकी गलती की जिम्मेदार तो हम ही ना लेंगे,माफ़ी भी हम ही मांगेंगे। मैंने तो अपने से बहुत कोशिश किया
कि बेटी को अच्छे संस्कार दूँ पर लगता है कि मै अपनी कोशिश में नाकाम रही। ऐसी कोई बात नही है। आप अपनी जगह ठीक है।आप चिंता नहीं करे सब ठीक हो जाएगा।दरवाज़े पर ही सारी बाते करेंगे?पहले आपलोग अंदर आइए। बैठकर बात करते है।यह कहकर रमा की सास अनिमा जी
उसके माँ और पापा को बुलाकर अंदर लाई।रमा और अनय ऑफिस गए है आप लोग बैठिये मै आप के लिए चाय पानी का इंतजाम करके अभी आती हूँ कहकर अनिमा जी अपने समधियों को ड्राइंग हॉल में बैठाकर अंदर चली गई। अंदर जाकर उन्होंने झटपट से चाय बनानें के लिए गैस पर चढ़ाया साथ ही रमा को कॉल लगाकर बताया कि तुम्हारे माँ पापा आए है इसलिए तुम छुट्टी लेकर जल्द घर
आने की कोशिश करो। फिर चाय और बिस्किट के साथ ड्राइंग रूम में आई। चाय पीने के बाद रमा के पिता जी नहा धोकर फ्रेश होने वाशरूम चले गए।तब फिर रमा की माँ मनोरमा जी नें माफ़ी वाली बात शुरू कर दी। अनिमा जी नें कहा बात आपकी सही है मनोरमा जी माफ़ी तो आपको मांगनी
चाहिए, पर आप जिस बात के लिए माँग रही है उसके लिए नहीं कुछ और बातो के लिए।आपने रमा को बहुत ही अच्छे संस्कार दिए है। पर आपने उसके मन में सास ससुर या ससुराल की एक छवि बना दिया है जो कि ज्यादातर माँए करती भी है।तो क्या यह गलत किया है मैंने? मनोरमा जी नें आपत्ति दर्ज की। नहीं, बिल्कुल नहीं। हमारे यहाँ का रिवाज़ है कि बेटियां विवाह करके ससुराल जाती है। वह उस
घर को अच्छे से अपना सके इसलिए उसे मानसिक रूप से तैयार करना भी चाहिए।आपने उसे इसके लिए अच्छे से तैयार भी किया लेकिन एक सीमा के बाद उसे खुद सोचने समझने के लिए छोड़ देना चाहिए, यह आप भूल गईं। आपने हमेशा कोशिस किया कि मुझे रमा से कोई शिकायत का मौका नहीं मिले। इसके लिए आपने हर वक़्त सिखाया कि सास की सेवा करनी चाहिए, उनकी बात माननी
चाहिए, कभी उची आवाज में बात नहीं करनी चाहिए। यह सब सही है पर इसे जब वह आपके यहाँ पचीस वर्ष तक रही तब तक ही सीखा देनी चाहिए थी। जब वह मेरे यहाँ आ गईं तो उसकी जिम्मेदारी आपको मेरे उपर छोड़ देनी चाहिए थी जो कि आपने नहीं किया।कल का रमा का गुस्सा इसी बात का संकेत है।अच्छा आप बताइये आपकी सास कैसी थी? अनिमा जी नें बात बदलते हुए पूछा।बहुत ही कड़क स्वभाव की थी एक भी गलती बर्दास्त नहीं करती थी।बहूओ की कौन कहे बेटे भी उनसे डरते
थे,मनोरमा जी नें अनिमा जी को अपनी सास के बारे में बताया। तब तो जब उनकी मृत्यु हुई होंगी तो आप लोग बहुत ख़ुश हुए होंगे अनिमा जी नें फिर से अगला सवाल किया। यह आप क्या कह रही है बहन जी भला कोई बेटा बहू माँ के मरने पर खुश होंगे? मनोरमा जी नें आश्चर्य से पूछा।क्यों वे तो बहुत अत्याचार करती थी ना आप सब पर अनिमा जी नें बात को जारी रखा।अत्याचार नहीं बोलते उसे बड़ी थी तो गलती पर डाँटेंगी ही,नहीं डाँटती तो हमें सही गलत का पता कैसे चलता,मनोरमा जी नें फिर
कहा। मेरी सास भी आप ही की सास के जैसी थी। शायद हमारे जमाने की सभी सासे वैसी ही थी। फिर भी हम अपनी सास को प्यार करते है सही कह रही हूँ कि नहीं मनोरमा जी अनिमा जी नें पूछा।एकदम सही कह रही है बहन जी मनोरमा जी नें जबाब दिया। आपको पता है हम अपनी सास के कड़क स्वभाव के बाद भी उनसे क्यों प्यार करते है? अनिमा जी नें अपनी बात जारी रखी। हाँ वो
हमारी माँ थी मनोरमा जी नें जबाब दिया। नहीं, यह बात नहीं है।सही बात यह है कि हम करीब करीब अपने जीवन के पचीस तीस वर्ष उनके साथ गुजारते है इतने समय में हमें सिर्फ उनकी बुराई ही नहीं अच्छाई भी देखने को मिलती है। सासु माँ नें उतने दिनों में डाँटा होता है तो प्यार भी किया होता है,हमें वह भी याद आता है फिर एक उम्र बाद हमें यह भी समझ आ जाता है कि माँ हमारी भलाई के लिए
ही हमें डाँटती है।अनिमा जी को बीच में ही टोकते हुए मनोरमा जी नें पूछा आप इस मुद्दे पर क्यों बात कर रही है।आप को यह बताने के लिए कि हम जब किसी के साथ समय गुजारते है तो उसकी अच्छाई बुराई सभी को जान लेते है। किसी भी रिश्ते को समझने के लिए ज्ञान से ज्यादा जरूरी उसके साथ गुजारें गए समय की आवश्यता है। अनिमा जी नें कहा।अनिमा जी की बातो को सुनने के बाद मनोरमा जी नें कहा बहन जी मैं आपकी बात समझ नहीं पा रही।आप जो कहना चाहती है वह
खुलकर कहिए।मैआपको बताना चाहती हूँ कि किसी भी रिश्ते में अच्छी समझ केलिए एक दूसरे के साथ समय गुजारना जरूरी होता है इसमें ना समझ आने वाली क्या बात है? अनिमा जी नें फिर वही बात कही। वह मै समझ रही हूँ, पर इसका रमा का आप पर गुस्सा होने से क्या संबंध है? मनोरमा जी नें आश्चर्य से पूछा। मेरे और रमा के बीच समय का आभाव है और इसके लिए आप जिम्मेदार है यही
बताना चाहती हूँ मै आपको। रमा के पास मेरे लिए समय नहीं है।वह पूरी कोशिश करती है कि घर के सारे कामों में मेरी मदद करे और जहाँ तक हो सके मुझे काम करने ही नहीं दे। वह सुबह उठती है और रसोई में आकर काम करने लगती है। झटपट नास्ता बनाती है टिफिन पैक करती है। पर उतनी देर तक आप फोन से उसे सिखाती रहती है कि हाँ सारे काम निबटा कर ऑफिस जाना,सासु माँ के
लिए कुछ काम नहीं छोड़ना, शाम के वक़्त भी आपका वही रवइया है बेटा घर आ गईं? बचे हुए काम निबटा दो, तुम्हारी सास को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि नौकरी करने वाली बहू आई है तो सारे काम उन्हें ही करने पड़ रहे है। ससुराल में हमारी नाक ना कटवा देना। मानती हूँ कि आप उसे अच्छी बात ही समझाती है पर इन सब में उसे मुझसे बात करने का मौका ही नहीं मिलता। अनिमा जी नें अपना
दुख व्यक्त किया।मनोरमा जी नें अनिमा जी को आश्चर्य से देखा। हाँ मै सही कह रही हूँ. यदि मुझे काम की जरूरत होगी तो कामवाली बाई नहीं रख लुंगी। मुझे तो बहू की जरूरत है जो ऑफिस से आए तो अपने ऑफिस की बाते मुझे बताए, मुझसे मेरे दिनभर की बाते पूछे। मेरे सुख दुख को समझे। मेरी आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि आप अपनी बेटी को इस घर को समझने दीजिए। उसे इस घर
में रचने बसने दीजिए। आप जरूरत से ज्यादा हमारे घर में दखलअंदाजी नहीं करेंगी तो वैसे ही हम सास बहू को एक दूसरे से कभी कोई तकलीफ नहीं होंगी, क्योंकि सही मायने में आपने अपनी बेटी को अच्छे संस्कार दिए है, पर जरूरत से ज्यादा दबाव देने से वह कल एकदम से फट पड़ी।तब मुझे समझ आया कि उसकी नजर में सास का अर्थ है जो उसके हर काम में मिनमेख निकाले। सास की
यह छवि आपने उसके मन में भरी है। इस सोच को लेकर तो वह कभी भी ससुराल में सही से बस ही नहीं पाएगी।इसलिए मै चाहती हूँ कि आप हमारे रिश्तो को हमें अपने से समझने दे। अब आपको समझ आई कि आपकी गलती कहा है?अनिमा जी नें अपनी बात को समाप्त कर दिया। मनोरमा जी नें हाथ जोड़कर कहा बहन जी आपने मेरी गलती को बहुत ही अच्छे से समझा भी दिया और इस बात
का भी बखूबी ध्यान रखा कि मुझे आपकी बात बुरी भी ना लगे। मै आगे से इस बात का ध्यान रखूंगी और जरूरत अनुसार ही रमा को फोन करूंगी। अभी इनकी बात पूरी हुई ही थी कि रमा भी ऑफिस से आ गईं। अपनी माँ को प्रणाम करने के बाद उसने अपनी सासु माँ से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगते हुए कहा माँ मुझे माफ़ कर दीजिए आगे से ऐसी गलती नहीं होंगी। अनिमा जी नें बहू से पूछा बेटा इसलिए माफ़ी माँग रही हो कि तुम्हारी माँ का सर हमारे सामने नीचा ना हो जाए तो बेटा इस माफ़ी का कोई
मतलब नहीं है। जिस दिन तुम्हे लगे कि तुमने मेरा मन दुखाया है उस दिन माफ़ी माँग लेना। मुझे तब बहुत अच्छा लगेगा। वैसे बेटे बेटियों से माँ बाप माफ़ी नहीं प्यार और सम्मान की अपेक्षा रखते है। तुम तो मेरी बेटी हो तुम क्यों माफ़ी मांगोगी। यह कहकर अनिमा जी नें रमा को गले लगा लिया और कहा जाओ बेटा घर में मेहमान आए है उनके स्वागत में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। तुम्हारे ससुराल की इज्जत तुम्हारे ही हाथो में है।
लतिका पल्लवी
वाक्य —- बिटिया का घर बसने दो