मां की बातों का क्या बुरा मानना – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

तन्मय ने अपनी पसंद से शादी तो कर ली।लेकिन सरिता जी को अपनी बहू तनिषा रत्ती भर भी पसंद नही थी।उन्हें तनिषा का ऑफिस जाना… तन्मय को नाम लेकर बुलाना बहुत अखरता था। तनीषा का चुलबुलापन जहां सबको लुभाता वहीं सरिता जी जल भुन जाती।

वह तनीषा को सुनाने से चूकती नही थी, मगर तनीषा उनकी बातों को सीरियस न लेकर हंसी में ले लेती। सरिता जी को तो चाहिए था कि तनीषा सुबह शाम रसोई में लगी रहे।

उन्हें तो तन्मय के लिए अपनी पड़ोसन मीरा की बहू  जैसी बहू चाहिए थी..

जब भी वह मीरा की बहू को साड़ी पहने घर का काम करती देखती और मीरा को बहू के भरोसे घर छोड़ कर इधर उधर घूमते देखती तो मन ही मन आह भर कर रह जाती और वह वीरेंद्र जी कहती हाय राम मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू घर आई।

  उन्हें लगता कि तनीषा भी घर को संभाले तो वह भी निश्चिंत हो इधर उधर जा सकती थी। जबकि वीरेंद्र जी उन्हें समझाते कि तनीषा बहुत समझदार है तुम ही उसे कम आंकती हो।जब वीरेंद्र जी उनकी नही सुनते तो  वह बेटी तन्वी को कहती।तन्वी भी मां को समझा बुझा देती ,तन्वी खुद एक मल्टी नेशनल कम्पनी में थी तो उसे तनीषा के काम करने में या तनीषा के व्यवहार में कोई कमी नही लगी..

एक शाम सरिता जी और वीरेंद्र जी ड्राइंग रूम में बैठे थे कि तन्मय ऑफिस से आया..

वीरेंद्र जी ने पूछा..आज जल्दी कैसे?

सब ठीक है? तनीषा नही आई?

हां पापा सब ठीक है। तनीषा थोड़ी देर में आएगी ।

    मां ,पापा मैं चार पांच दिन के लिए ऑफिस के काम से मुंबई जा रहा हूं।

मां प्लीज आप मेरे पीछे से तनीषा को कुछ भी गलत न कहना हालांकि वो कभी आपकी बात का बुरा नही मानती मगर फिर भी मां उसे वह अभी इस घर में नई है इस घर को और आपको वो जल्दी समझ जाएगी।

वीरेंद्र जी की ओर देखते हुए तन्मय ने आंखों से विनय करते हुए कहा,”पापा ।

वीरेंद्र जी ने कहा,” अरे चिंता मत करो।तुम्हारी मां को मैं संभाल लूंगा..

कह वह हंस पड़े और बोले,” देखो सरिता बेटे की इतनी बात तो मानो,उसके पीछे से बहू को कुछ मत कहना और इसके आने के बाद तुम आजाद हो,जो मर्जी कहना.. क्यों तन्मय?

जी जी पापा,तन्मय ने भी पापा की बात में हां मिला दी।

हां तो अब मैं निश्चिंत जाऊंगा।

तभी थोड़ी देर में तनीषा भी आ गई । तीनों को साथ बैठे देख बोली,अरे वाह आज तीनों ..मेरा इंतजार कर रहे हो,उसने हंसते हुए कहा।

आप बैठिए ..मैं अभी चाय बनाकर लाती हूं,तनीषा ने कहा।

जैसे ही तनीषा गई, वीरेंद्र जी बोले..देखो सरिता तुम तनीषा में गलतियां ढूंढती रहती हो वो अभी आई और उसने कितने आराम से चाय के लिए कह दिया।

सरिता जी कुछ नहीं बोली।

अगली सुबह, तन्मय ऑफिस के काम से मुंबई चला गया। दो दिन ही बीते थे तीसरे दिन सुबह सुबह सरिता जी तनीषा को जोर जोर से आवाज लगा रही..

तनीषा जल्दी से बिस्तर छोड़  भागी आई..

क्या हुआ मां?

देखो तुम्हारे पापा..ये बोल नहीं रहे। रोते हुए सरिता जी बोली।

तनीषा ने देखा,ओह पापा बेहोश है।आप हिम्मत रखिए मां । हमें पापा को हॉस्पिटल ले जाना होगा।

आप पापा को उठाने में मेरी मदद करिए। दोनो सास बहू ने मिल वीरेंद्र जी को गाड़ी में डाला। बैठिए मां ,कह तनीषा ने गाड़ी सरपट दौड़ा दी और साथ ही उसने हॉस्पिटल फोन कर वीरेंद्र जी की स्थिति बता सारी तैयारी करवा दी।

अगले दस मिनट में गाड़ी हॉस्पिटल के कंपाउंड में थी और मेल नर्स स्ट्रेचर पर वीरेंद्र जी को लिटा आईसीयू में ले गए।

सरिता जी जहां बहुत घबराई हुई थी वही तनीषा ने धैर्य से सरिता जी को संभाल रखा वही वह पल पल वीरेंद्र जी का अपडेट ले रही। कभी वह भागती हुई दवाई लेने जा रही तो कभी अपनी सास को संभाल रही।  घंटे  भर बाद डॉ.ने तनीषा से कहा,” बहुत समझदारी दिखाई आपने जो आप इन्हें समय से यहां ले आईं वरना आज …कह डॉ चुप हो गया। खैर अब ये खतरे से बाहर है।

थोड़ी देर में आप उनसे मिल सकते हैं। तनीषा ने सासू मां को बैठाते हुए कहा,” देखा मां,आप चिंता मत कीजिए अब पापा ठीक है।तभी नर्स ने आ एक कागज देकर तनीषा को कहा,” ये दवाइयां यहां हॉस्पिटल में नही है आपको बाहर से लानी होगी और ये उनके होश में आते ही देनी है तो आप इन्हें जल्दी ले आइए।

तनीषा ने सरिता जी को कहा, मां अगर आप अपना ध्यान रखें तो मैं ये पापा जी की दवाइयां ले आऊं। प्लीज मां ,आप परेशान मत होना।मैं जल्दी ही ले आऊंगी।

सरिता जी ने हां मैं सिर हिला दिया।

तनीषा जल्दी से जाकर वह दवाईयां ले आई।थोड़ी देर में नर्स ने कहा, पेशंट को होश आ गया..आप मिल सकते है किंतु उनसे ज्यादा बात मत करिए।

सरिता जी और तनीषा जी को देख वीरेंद्र जी चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई।

कैसे है आप? सरिता जी ने पूछा।

वीरेंद्र जी कहा,ठीक हूं।

शाम को वीरेंद्र जी को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई।

घर आकर सरिता जी ने बेटी तन्वी को फोन कर वीरेंद्र जी के बारे में बताया और तन्मय को भी।

अगले दिन सुबह  तन्वी और उसके पति  तरुण दोनों ही आ गए।

सुबह से लेकर रात तक तनीषा ने जहां ससुर को संभाला,सास को संभाला वही घर और हॉस्पिटल की भाग दौड़।

तन्वी और तरुण को बिठा तनीषा चाय नाश्ते का इंतजाम करने लगी।

अब वीरेंद्र जी काफी ठीक थे,थोड़ी देर में तन्मय भी आ गया। पापा की हालत देख वो चिंतित हो गया तो वीरेंद्र जी बोले, पगले।

क्यों मायूस होता है मैं ठीक हूं।

तब तक तनीषा ने सबके लिए चाय नाश्ता तैयार कर दिया।उसने जब सबको चाय दी तो सरिता जी ने उसके हाथ थाम लिए।

क्या हुआ मां..तनीषा ने कहा। अगर आज तेरी समझदारी और हिम्मत न होती तो शायद..कह सरिता जी रो पड़ी।

सरिता जी को संभालते हुए तनीषा बोली,मां  संभालिए आप।देखिए पापा एक दम ठीक है।

तीन दिनों में वीरेंद्र जी काफी हद तक ठीक हो गए, मगर इन तीन दिनों में तनीषा ने घर को सास,ससुर को जिस तरह संभाला ,ननद और ननदोई के खाने पीने को संभाला शायद ही कोई नव विवाहिता इतने अच्छी तरह संभाल पाती।

उसी शाम जब तनीषा सबके लिए चाय लेकर आई तो सरिता जी ने उसे बैठाते हुए कहा, तुम बैठो ,तुम बहुत थक गई होगी बेटा ?

जैसे ही उन्होंने बेटा कहा, तन्मय और तन्वी दोनों एक साथ हैरानी से बोले , बेटा?

मां आप तनीषा को बेटा कह रही हो तन्मय ने हंसते हुए कहा।

वीरेंद्र जी ने भी चुटकी लेते हुए कहा, तन्मय एक बार अपनी मां को चेक तो करो,ये ठीक है क्या?

तभी सरिता जी तनीषा को गले लगाते हुए बोली, मैं बहुत गलत थी।जिस तरह से इन दिनों में तनीषा ने सब संभाला है,वैसा शायद ही कोई संभाल पाता।

सच में तनीषा हर तरह से एक परफेक्ट बहू है।

तब तन्वी हंसते हुए बोली, मम्मी ,नही नही तनीषा नही आपको मीरा आंटी की बहू जैसी बहू चाहिए।

अरे बाबा मैने कहा न, कि मैं तनीषा को लेकर गलत थी मीरां की बहू क्या गाड़ी चला सकती अरे क्या वो डॉ से बात कर सकती है? अरे मेरी तनीषा सबसे बेस्ट है, सरिता जी बोली।

तभी तनीषा बोली,अच्छा मां अब तो नही कहोगी.. उसका इतना कहना था कि तन्मय,तन्वी और वीरेंद्र जी एक साथ बोल उठे… हाय राम मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू घर आई ।।

कह वह सब हंस पड़े और सरिता जी ने तनीषा से माफी मांगते हुए कहा, बेटा ये जानते हुए कि मैं तुम्हारे बारें में कैसा बोलती हूं फिर भी तुमने कभी बुरा नही माना।

तनीषा ने कहा, मां की बातों का कैसा बुरा।

सरिता जी ने तनीषा की बलैया लेते हुए गले लगा लिया।

सभी सास बहू की जोड़ी को देख मुस्कुरा दिए। 

पूनम भारद्वाज 

#हाय राम। मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू घर आई

Leave a Comment

error: Content is protected !!