मां के आंसुओं का हिसाब – निमिषा गोस्वामी

शादी के दस बाद हिना को बेटा हुआ । दुनिया भर के ताने सुनने के बाद आज उसे इतनी खुशी मिली कि वह सारी बातें भूल गई बस अपलक अपने बेटे को निहारती रही ।देखा मैंने कहा था न कि एक दिन हमारे आंगन में भी खुशियों के फूल खिलेंगे

हिना अपने पति हेमंत का हाथ अपने हाथों में लेकर बोली हेमंत ने भी ख़ुशी से हां में सिर हिलाया । हेमंत साईकिल की दुकान पर काम करता था और हिना भी घर में रहकर कपड़े सिलकर हेमंत का गृहस्थी चलाने में उसकी मदद करती थी।

दोनों ने मिलकर अपने बेटे का नाम करन रखा।समय बीतता गया हिना व हेमन्त ने कठिन परिश्रम किया। लेकिन बेटे की परवरिश करने में कोई कसर न छोड़ी। करन अब बड़ा हो गया था। पढ़ाई पूरी होने के बाद अब वह नौकरी की तलाश में रहने लगा।

लेकिन जहां भी जाता निराशा ही हाथ लगती।वह परेशान रहने लगा ।एक शाम वह मोहल्ले के पास वाले बगीचे में पड़ी बैंच पर उदास मन से बैठा था।तभी पडौस में रहने वाले मोहन ने उसके पास बैठते हुए पूछा। करन भाई क्या हुआ?कुछ दिनों से मैं देखता हूं।

तुम कुछ उदास नज़र आते हो। घर में सब ठीक तो है ना। रमन ने उससे दूर खिसकते हुए ना में सिर हिलाते हुए कहा कुछ नहीं। और उठकर वहां से चला गया। मोहन एक आवारा किस्म का लड़का था।सारे दिन गली के नुक्कड़ पर बैठा-बैठा सिगरेट फूंकता

और आती-जाती लड़कियों को तांकता रहता। वैसे रमन का उससे कोई वास्ता नहीं था। फिर भी अब मोहन रमन से बातचीत करने की कोशिश करता। धीरे-धीरे रमन भी उससे थोड़ी बहुत बातें करने लगा एक दिन बातों-बातों में रमन के मुंह से निकल गया

कि वह नौकरी ना मिलने के कारण परेशान रहता है।घर के हालात भी अच्छे नहीं हैं।बस इतनी सी बात मैं दिलाता हूं तुम्हें काम।तुम रमन ने आश्चर्य भरी निगाहों से मोहन की तरफ देखा। हां मैं मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा।रमन जो कि नौकरी तलाश करते-करते थक चुका था।

शायद इसीलिए मोहन को समझ नहीं सका।मोहन ने कहा जरा ठहरो मैं अभी आया।और वह तेजी से अपने घर की ओर चला गया।वापिस आया तो उसके हाथ में एक पैकेट था।

उसने रमन के हाथ में  उस पैकेट को देते हुए कहा।ये लो तुम्हारा काम बस इतना है।जिस कॉलेज में तुम पढ़ते थे। उसके बाहर एक आदमी खड़ा होगा तुम्हें यह पैकट उस आदमी को देना होगा।बदले में वह तुम्हें दस हजार रुपए देगा वह भी पैकट में।रमन की तो जैसे आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी।

उसने मोहन से एक बार भी नहीं पूछा कि पैकेट में क्या है।आज वह बहुत खुश था।घर आते ही मां से बोला मां मुझे काम मिल गया। मां को आश्चर्य हुआ उसने रमन को देखा उसकी आंखें जैसे कुछ सवाल कर रहीं हो। फिर हिना ने रमन के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा।

बेटा हमने तुझे पालने में संस्कार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।अब ये तेरी जिम्मेदारी है कि तूं हमारे सिर को झुकने ना देना।रमन  मां के गले लगकर कहने लगा।मुझ पर विश्वास रखो मां। और लिफाफा मां के हाथ में थमा कर अपने कमरे में चला गया।

हिना लिफाफा हाथ में लिए सोचने लगी।बेटे की पहली कमाई है पर मुझे खुशी क्यों नहीं हो रही है।ऐसा क्या काम करने लगा है रमन? इधर रमन और मोहन की दोस्ती गहरी होती जा रही थी।अब तक मोहन ने रमन को सिगरेट के जरिए नशीली दवा का आदि बना दिया।

अब रमन तो खुश रहने लगा किन्तु हिना व हेमन्त की रातों की नींद जैसे गायब हो गई थी।एक दिन हेमंत ने रमन को मोहन के साथ सिगरेट के कश लगाते हुए देख लिया। हेमंत को समझते देर नहीं लगी कि रमन क्या काम करता है।

क्योंकि मोहन के बारे में पूरा मोहल्ला जानता जा। हेमंत ने यह बात हिना को बताई तो उसका रो-रो कर बुरा हाल हो गया दोनों ने अपने बेटे को समझाया किंतु अब वह नशे का आदि हो गया था। वह उल्टा मां-बाप से झगड़ा करने लगा।

उन्होंने मोहन से भी बहुत मिन्नतें की कि मेरे बेटे से दूर रहें।पर वह नहीं माना हिना ने रोते-रोते मोहन से कहा एक दिन तुझे मां के आंसुओं का हिसाब देना होगा। हिना व हेमन्त ने तुरंत ही एक फैसला लिया।कि अगले दिन हम दोनों पुलिस में जाकर अपने को उनके हवाले कर देंगे और मोहन के खिलाफ भी एफआईआर कर देंगे।

अगले दिन दोनो रमन को नशे की हालत में ही पुलिस स्टेशन गए व मोहन और रमन के बारे में बताया। और आफीसर से रमन को बचाने की गुहार लगाई। आफीसर ने उन्हें विश्वास दिलाया और रमन को नशामुक्ति केन्द्र भेज दिया साथ ही साथ मोहन को गिरफ्तार करके ड्रग्स सप्लाई करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया। कुछ महीने बाद रमन नशामुक्त होकर वापस आ गया

लेकिन मोहन को उम्रकैद की सजा मिली क्योंकि उसके ऊपर हत्या जैसे कई संगीन केस साबित हुए थे।आज फिर से हिना और रमन खुश थे। लेकिन रमन के मन में एक सवाल था मां ने मेरी वजह से दिन रात आंसू बहाए है

अब मुझे उनके आंसुओं का हिसाब देना होगा अब मुझे उनका खोया हुआ मान-सम्मान वापस दिलाना है।रमन ने रात-दिन पढ़ाई की और पुलिस आफीसर बना।आज रमन ने समाज में अपने माता-पिता को सम्मान दिलाया एक बार फिर हिना का घर आंगन खुशियों से महक उठा।

निमिषा गोस्वामी 

कालपी जिला जालौन उत्तर प्रदेश

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