नेहा ओ नेहा मां कितना खांस रही है आज दवा नहीं खाई है क्या, अब क्या करूं मैं सुमित सबकी नींद खराब होती है गोलू भी नहीं सो पा रहा होगा ।देखो जरा सुमित बोला नेहा से ,नेहा उठकर कमरे में गई और गुस्से को दबाते हुए दबी जवान में बोली क्या है मां आप न खुद सोती हो ना हम लोगों को सोने देती हो। आप दरवाजा नहीं बन कर सकती हो क्या, और जोर से नेहा ने दरवाजा बंद कर दिया कल्याणी जी के कमरे का।
कल समय निकालकर मां को डॉक्टर के पास ले जाता हूं सुमित बोला,अरे आप कहां ले जा पाएंगे आपको समय कहां है मैं देख लूंगी नेहा बोली। दूसरे दिन नेहा मां को डॉक्टर के पास ले गई कुछ टेस्ट कराए गए तो उसमें लंस कैंसर डायग्नोज हुआ। घर जाकर नेहा ने मांजी की रिपोर्ट को अलमारी में पीछे छुपा दिया। जब सुमित ने पूछा तो रिपोर्ट के बारे में तो नेहा ने कहा कि मां को
फेफड़ों में थोड़ा इंफेक्शन है दवा दे दी है ठीक हो जाएगा। तभी सुमित ने देखा मां जी रसोई में चाय नाश्ता बना रही है। सुमित ने टोका की मां जी आपकी तबीयत ठीक नहीं है आप क्यों रसोई में लगी है वही तो मैं मना करती हूं सुमित मां को कि आप अपने कमरे में बैठो पर मानती नहीं है ,कह रही थी मैं नाश्ता बना देती हूं ।कल्याणी जी सुन रही थी बोली मैंने कब कहा नाश्ता बनाने को ,तुम ही तो कह
रही थी कि दिन भर कमरे में बैठी रहती हो यह नहीं की थोड़ा सा नाश्ता बना दे। सुमित के सामने नेहा साफ मना कर दी सुमित मां को भूलने की बीमारी हो गई है करके वही बात भूल जाती है। अब देखो ना आज गोलू के ट्यूशन टीचर को इतनी हिदायत दी हमारे सामने हमारे समय में ऐसा होता था ,हमारे समय में ऐसा होता था अब गोलू की ट्यूशन टीचर कहने लगी कि गोलू को पढ़ने आती हूं मां
जी की लेक्चर सुनने नहीं आती। मैंने गोलू की टीचर से कोई बात नहीं की बेटा। देखो अब मां जी सब कुछ करके भूल जाती है कुछ याद ही नहीं रहता। और आज झाड़ू पोछा बर्तन वाली को नहीं डांट रही थी तौबा तौबा बहू मैं तो कुछ भी नहीं कहा कल्याणी जी बोली। अब सुमित सुमित को गुस्सा आ गया क्या मम्मी आपको क्या करना है घर में के काम में टांग अडाने की क्या जरूरत है आप अपने कमरे में रहा करो घर में जो कुछ काम है वह नेहा देख लेगी अब क्यों परेशान होती है।
आज अपने ऊपर गलत गलत इल्जाम सुनकर कल्याणी की हतप्रभ थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि नेहा ऐसा क्यों करती है। आज कल्याणी जी कमरे में ही बैठी थी बाहर नहीं निकली लेकिन दिनभर अकेली बैठी बैठी बोर हो गई थी । जब बहुत देर हो गई कमरे में बैठे-बैठे तो वह उठी थोड़ा
बाहर निकल लूं ।नेहा अपने सहेली से फोन पर बात कर रही थी की क्या बताऊं यार इस बुढ़िया से तो पीछा छुड़ाना मुश्किल हो गया है। बस इसी जुगाड़ में रहती हूं कि कब इसे इससे पीछा कैसे पीछा छुड़ाएं ।तो ओल्ड एज होम क्यों नहीं भेज देती, ऐसे कैसे भेज दूं यार सुमित मां पर जान छिड़कता है ।वह तो मैं उनको मिलने नहीं देती मां जी से। और कुछ ऐसी गलत गलत बातें सुमित को बता कर
गलतफहमी भी डालते हैं उनके मन में ।और मां जी को कमरे तक की ही सीमित कर दिया है ।ना सुमित को मां जी से मिलने देती हूं और ना ही मां सुमित से । बस ऐसे ही जुगाड़ करती रहती हूं। कुछ सोच नेहा हां देखती हूं कोई ना कोई रास्ता निकलती हूं उनसे पीछा छुड़ाने का। कल्याणी जी ने यह सब पीछे से सुन लिया और आंखों में आंसू भरकर कमरे में चली गई। सोचने लगी सुमित के सामने
नेहा कितना अच्छे बनने का नाटक करती है, सब दिखावा करती है ।क्या करूं सुमित को सब बता दूं क्या करूं यह सोचकर पड़े पड़े कब उनको नींद आ गई पता ही ना चला।
कल्याणी जी जब सुबह उठी तो बाथरूम जाते समय सुमित से मुलाकात हो गई और सुमित ने पूछ लिया कैसी हो मां आप ,आपसे तो मिलना ही नहीं हो पाता।मिलने की कोशिश करता हूं तो आप सोती रहती हैं क्या बात है तबीयत ठीक नहीं है क्या। आप खाना खाने भी बाहर नहीं आती कल्याणी की भरी आंखों को छुपाते हुए बोल पड़ी हां बेटा ठीक हूं बस कमरे में ही रहती हूं ।क्यों
कमरे में अकेली बैठे-बैठे ऊब नहीं जाती हां ऊब जाती हूं लेकिन क्या करूं। बाहर निकलना भी तो बेकार है बेकार में बहू कुछ इल्जाम लगा देती है ।बेटा मैं गोलू की टीचर से या झाड़ू वाले से कुछ नहीं कहा था अच्छा ठीक है चलो नाश्ता करो ।मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हूं आप यहां नेहा के साथ
नाश्ता करो इतना करके सुमित चला गया ।कल्याणी जी कुछ सोच कर बाहर नाश्ता करने आ गई । नेहा जो सुमित और मांजी की बातें सुन रही थी बोल पड़ी आप फिर बाहर आ गई नाश्ता करने कमरे में जाइए वही मिल जाएगा नाश्ता और खबरदार जो सुमित को कुछ भी कहने की कोशिश की कल्याणी जी कमरे में चली गई।
कल्याणी जी सोच रही थी मैं तो बिल्कुल स्वस्थ हूं तब भी बहू सुमित को मेरी गलत गलत बातें बताती रहती है ।जैसे मैं पागल हूं ऐसा जताने की कोशिश करती है ।क्या करूं सुमित से ज्यादा कुछ कहती नहीं हूं घर में झगड़ा होगा ।सोचते उसकी आंखों से आंसू बह गए क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।बस थोड़ी सी खांसी आती है और तो मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं।
आज सुमित के कुछ दोस्त फैमिली सहित 4 दिन के लिए घूमने फिरने जा रहे हैं। नीरज ने सुमित से भी कहा तू भी चल यार सुमित, सुमित बोला नहीं यार मैं कैसे जा सकता हूं मां जी को अकेला छोड़कर अकेला नहीं छोड़ सकता । अरे यार ऐसे तो तू कभी हम लोगों के साथ जा ही नहीं कर पाएगा ,हां यार क्या करूं मां है, मेरी मेरी वजह से मेरी मां की आंख में आंसू आए मैं बर्दाश्त नहीं
कर सकता। चल ठीक है इधर नीरज ने जब घर पर आकर अपनी पत्नी सौम्या को घूमने का प्लान बताया ,और यह भी बताया कि कौन-कौन जा रहा है। और नेहा और सुमित ,सौम्या ने पूछा नहीं वह नहीं जा रहे हैं मां जी को कौन देखेगा ।बस फिर क्या था सौम्या ने नेहा को फोन करके सारी बातचीत बता दी। अब नेहा तू ही कुछ कर जिसे हम सब साथ में घूमने जा सके कहकर सौम्या ने फोन रख दिया।
अब जब आफिस से सुमित आया तो आते के साथ ही मां जी के बारे में नेहा से पूछने लगा । क्या तुम्हारे साथ सिर्फ मां ही नहीं रहती मैं भी और गोलू भी रहते हैं। पता है आज गोलू कितनी जिद कर रहा था बाहर घूमने की। और हम लोग शादी को भी 5 साल हो गए हम लोग कभी वीकेंड पर कहीं बाहर नहीं जाते ।मेरा भी मन करता है घूमने का मेरे प्रति भी तुम्हारी कोई जिम्मेदारी है कि
नहीं ।वह तो सब समझता हूं, पर मां जी को का क्या करूं। सुमित सुमित में एक सलाह दे रही हूं उसे मानो तो मैं कहूं , क्यों नहीं मां को वृद्धाश्रम भेज दे ।सुमित चीख पड़ा क्या कह रही हो तुम , मां है मेरी ,सुमित तुम मेरी बात सुनो यहां पर घर पर रहकर मां बहुत अकेलापन महसूस करती है ।उनको भूलने की बीमारी होती जा रही है ।कुछ याद नहीं रहता। वृद्ध आश्रम में अपने हम उम्र लोगों के साथ
मिलेंगे तो ठीक भी हो जाएगी ।और कौन हम उन्हें हमेशा के लिए भेज रहे हैं ठीक हो जाएंगे तो हम उनको वापस घर ले आएंगे ।इस बीच हम लोग थोड़ा घूम फिर लेंगे। मां जी के ठीक होने का बेहतर तरीका है। सुमित अच्छा पहले मैं मां की राय लूंगा इस बारे में । सुमित मां के कमरे में गया तो नेहा मां
जी के सामने खड़ी हो गई ।सुमित ने कहा मां आप वृद्ध आश्रम जाना चाहती हैं वहां आपके हम उम्र लोग मिलेंगे जिससे आपका मन लगा रहेगा और आपकी तबीयत भी ठीक हो जाएगी।
कल्याणी जी नेहा की सब बात पहले ही सुन चुकी थी और वह सामने खड़ी हुई उन्हें घूर भी रही थी, सो कल्याणी जी ने मंजूरी दे दी। और सुमित मां को वृद्ध आश्रम में छोड़ आया। अब नेहा बहुत खुश हो गई घूमने जाने की तैयारी होने लगी। चार दिन बाद जाना था सब तैयारी हो रही थी जाने की। अभी 2 दिन बाकी थे सुमित अपना आधार कार्ड ढूंढ रहा था। वो उसे इधर-उधर कहीं रखकर भूल
गया था। तभी सुमित ने नेहा के दराज खोला तो उसकी मां की मेडिकल रिपोर्ट रखी मिल गई। सुमित उत्सुकता वश मां का वह रिपोर्ट देखने लगा ,तो क्या देखा है की रिपोर्ट में लंस का कैंसर है मां जी को। वह एकदम से घबरा गया और नेहा नेहा करता फाइल लेकर बाहर आया। नेहा क्या हो गया। सुमित यह मां की रिपोर्ट है इसमें तो लंस कैंसर लिखा है । तुमने तो कहा था की मां को फेफड़ों में
इन्फेक्शन है बस। तुमने सच्चाई मुझसे छुपाई और घूमने जाने के चक्कर में । नेहा कुछ बोल नहीं रही थी बस चुपचाप सुन रही थी। बोलो नेहा और एक जोरदार थप्पड़ सुमित ने नेहा के मुंह पर मार दिया ।निकल जाओ मेरे घर से इतना बड़ा धोखा ,अब नेहा चिल्लाने लगी हां मैं तो तुम्हारे लिए कोई
अहमियत नहीं रखती ।मेरे लिए पहले मां है मैं उनकी आंख में आंसू नहीं देख सकता सुमित बोला ।मां तो इसी घर में रहेगी तुम रहो चाहे न रहो कहकर सुमित गाड़ी उठाकर वृद्ध आश्रम चला गया। और वहां से मां की छुट्टी कर कर मां को घर ले आया और मां की पैरों को पड़कर रोने लगा ।मां मुझे माफ
कर दो मां मुझे माफ कर दो नेहा देखकर बोला सुमित तू अभी तक गई नहीं इस घर से। ऐसा ना करो सुमित गलती हो गई मुझे माफ कर दो मैं कौन होता हूं माफ करने वाली मां यदि माफ कर दे तो मैं भी
माफ किया माफ कर दे मां मुझसे गलती हो गई नेहा ने कल्याणी के पांव पकड़ लिए । सुमित मुझे घर से निकल रहा है नहीं-नहीं तुम कहीं नहीं जाओगी नेहा मैं तुम्हें माफ किया।माफ़ कर दे बेटा बच्चों से गलती हो जाती है ।ये तेरी पत्नी और तेरे बच्चे की मां है ।
लेकिन अब से ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए मां के साथ जो अबतक तुम करती आ रही हो ।बड़ों के आशीर्वाद से ही तो बच्चों का संसार फलता फूलता है । मां ने नेहा और सुमित को गले लगा लिया ।और आज सब एक साथ बैठकर खाना खा रहे हैं ।सब खुश हैं ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
18 जुलाई