मां जी मैं आपकी बेटी जैसी हूं – विनीता सिंह

सुबह के पांच बज रहे हैं। बिस्तर पर बैठी, आशा जी आवाज़ देती है। महारानी कहा चली गई, अभी तक चाय लेकर नहीं आई।तभी हाथ में चाय की ट्रे लेकर अनामिका कमरे में आई और बोली माजी चाय लिजिए।

आशा बोली क्या बहरी हो गई है कितनी देर से आवाज दे रही हो अब तू चाय लेकर आई जल्दी सो कर नहीं उठ सकती थी क्या यह तेरे बाप का घर नहीं है जो 24 घंटे अपने हिसाब से काम करती है यह मेरा घर है मेरे हिसाब से काम होगा

 अनामिका कुछ नहीं बोली कमरे में से चली गई। तभी आशा जी ने अपने पति अशोक से कहा पता नहीं कहां से गंवार उठा ले हो मेरे बेटे की तुमने जिंदगी खराब कर दी।।

अशोक जी ने कहा तुम बेकार में गुस्सा करती हो ।आशा जी उसमें क्या बुराई है लड़की पढ़ी लिखी है हमारी सेवा करती है।

आशा जी चाय पीती जा रही और अशोक जी से बोली हां तुम तो उसके नाम की माला जाप करो।

तभी थोड़ी देर बाद आशा जी की बेटी का फोन आ गया और उसे पर अपनी बेटी से घंटे बातें कर रही थी और बड़े हंस के बात करती थी ।और अनामिका को हमेशा भला बुरा कहती अनामिका पढ़ी लिखी थी लेकिन उसके पिताजी ने दहेज में अपनी हैसियत के

हिसाब से बहुत कुछ दिया लेकिन आशा जी को वह कमी लगता था। इसलिए वह अनामिका से नफरत सी करती थी लेकिन अनामिका भी कुछ नहीं कहती चुपचाप अपने सास ससुर की सेवा अपने घर परिवार के काम में लगी रहती थी। जब भी वह अपने पति अजय से कुछ भी कहती तो पति कहता कोई बात नहीं मेरे मां-बाप हैं उनकी बात का क्या बुरा मानना तुमहे उनकी सेवा करनी चाहिए।

अनामिका का सब कुछ और सहन कर रही थी कभी कुछ नहीं कहती। चुप रहती थी एक दिन की बात है आशा जी सीडीओ से नीचे उतर रही थी उनका पैर फिसल गया आवाज लगने लगी कोई उनके पास नहीं था अनामिका भाग कर आई उसने तुरंत अपने ससुर जी के ऑफिस फोन किया

डॉक्टर बुलाया डॉक्टर साहब ने कहा उनके तो पैरों में फैक्चर हुआ है। अब इन्हें एक दो महीने बेड रेस्ट की आवश्यकता होगी अनामिका ने कहा कोई बात नहीं मैं मां जी की सेवा करूंगी लेकिन आशा जी को अपने से ज्यादा अपनी बेटी पर भरोसा था जब उन्हें थोड़ी ठीक हुई तो उन्होंने सबसे पहले अपनी बेटी से फोन किया का बेटी थोड़े दिन के लिए तू मेरे पास रहने आजा मेरे पैर में फैक्चर हो गया है

मेरा तेरे बिना मन नहीं करता तुझे देखने को जी कर रहा है। बेटी ने कहा मां कैसी बातें करती हो मेरे बच्चे पढ़ लिख रहे हैं उनको छोड़कर मैं तुम्हारे पास कैसे रह सकती हूं जब इतनी बात कहने के बाद आशा जी ने फोन रख दिया अब आशा जी का मन बहुत दुखी हो गया। अनामिका ने उनकी सारी बातें सुन ली अनामिका ने कहा मां जी आप चिंता मत कीजिए आपकी सेवा में कोई कमी नहीं होगी ।

अनामिका सुबह-सुबह उठती आशा जी की सेवा करती समय पर दूध चाय देती के कपड़े धोना उनके कपड़े बदलती सारे काम सुबह से लेकर शाम तक करती। यह देखकर आशा जी का मन बदल गया। एक दिन आशा जी ने अनामिका से कहा अनामिका मैं तेरे साथ इतना गलत किया तेरे मन में नहीं आता कि तू उसका मुझे बदला ले मेरी सेवा ना करें। अनामिका ने कहा मां आप कैसी बातें कह रही हैं आप बड़े हैं आपने जो

कुछ कहा होगा मेरे भले के लिए कहा होगा और आप मेरी मां जैसी है मेरा फर्ज है मैं आपकी सेवा करूं यह बात सुनकर आशा जी की आंखों में आंसू आ गए ।उनके समझ में आ चुका था की जो आपकी मुसीबत या दुख के समय साथ देता है वही सच्चा साथी होता हैं। एक दिन अनामिका अपनी सास आशा जी के बालों में तेल डालकर बाल बाध रही थी आशा जी ने कहा कि अनामिका बेटा सच्चे मायने में तू मेरी बेटी है तब

अनामिका ने कहा मां मैं आपकी बेटी जैसी हूं फिर अनामिका ने आशा जी को मोबाइल के बारे में नई-नई बात बताएं कैसे युटुब चलाते हैं कैसे इंस्टाग्राम चलाते हैं नई टेक्नोलॉजी के बारे में नया आशा जी अपनी बहू अनामिका को बेटी से भी अधिक प्यार करने लगी। 

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए जो बहू होती है वह भी किसी की बेटी होती है और हम अपने घर से ले आते हैं तो वह हमारी बेटी बन जाती है हमें बेटी के सामानों से प्यार करना चाहिए एक वक्त में बेटी हमारे साथ नहीं आ पाएगी ।लेकिन बहू हमारी साथ हमेशा रहती है और हमारी सेवा करती है तो इसीलिए तो अनामिका कहती है मां मैं आपकी बेटी जैसी हूं

विनीता सिंह

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