” हैलो भाभी कैसी हैं आप ?” नंदिता अपनी भाभी राखी को फोन करके बोली।
” मैं ठीक हूं दीदी आप बताइए !” राखी आज नंदिता के खुद से फोन करने से हैरान हो बोली।
” बस भाभी सब ठीक है और बताओ आराध्या ( राखी की बेटी) कैसी है ?” नंदिता ने फिर पूछा।
” वो भी ठीक है दीदी कॉलेज गई है अभी !” राखी ने जवाब दिया।
” अरे भाभी उसकी शादी वादी की नहीं सोची आपने कुछ ? तेईस साल की हो गई।” नंदिता बोली।
” अभी कहां दीदी अभी तो पढ़ाई कर रही है फिर नौकरी पर लगेगी तब सोचेंगे शादी की अभी क्या जल्दी है !” राखी ने जवाब दिया।
” भाभी पढ़ाई तो आजकल शादी के बाद भी हो जाती है मेरी नजर में एक रिश्ता है बिल्कुल आराध्या के लिए परफेक्ट मैच !” नंदिता उत्साहित हो बोली।
” नही दीदी अभी हमे करनी ही नही शादी अभी उम्र ही क्या उसकी पढ़ लिखकर जब काबिल बन जायेगी खुद ब खुद परफेक्ट मैच मिल जायेगा !” राखी ने कहा।
” मैं तो आपके भले के लिए बोल रही थी कि एक काम निपटेगा आपका अब आपको नही मंजूर तो मर्जी आपकी …मुझे काम है बाद में बात करती हूं !” नंदिता ने ये बोल फोन काट दिया।
राखी फोन रख सोच में पड़ गई वैसे तो दीदी ने इतने साल से खुद से फोन तक नही किया हमेशा खुद राखी ही मिलाती थी तब भी नंदिता ज्यादा बात नही करती थी आज भी आराध्या के रिश्ते की बात को किया जबकि पहले भी बातों बातों में कितनी बार बोल चुकी है राखी कि अभी शादी का कोई इरादा नही। खैर राखी उठकर काम में लग गई।
” हैलो राखी बेटी की शादी वादी का कब इरादा है भई ?” कुछ दिनों बाद उसकी एक सहेली नीता का फोन आया।
” अभी तो कोई इरादा नही नीता अभी उम्र ही क्या है वैसे भी पढ़ाई कर रही है अभी तो !” राखी ने उत्तर दिया।
” उम्र तो है ही शादी लायक अब हमारी निम्मी ( नीता की बेटी) की शादी तो बाइस की उम्र में हो गई थी …वो मेरी ताई सास का पोता है बहुत अच्छा काम है तू कहे तो बात चलाऊं आज नही तो कल शादी तो करनी ही है!” नीता एक सांस में बोल गई।
” अरे नही नही हमे अभी नही करनी दो तीन साल शादी तो बात चलाने का फायदा ही क्या !” राखी बोली।
” अरे मैं तो तेरे भले की बात कर रही थी लड़कियां जितनी जल्दी ब्याही जाए उतना अच्छा !” नीता बोली।
” नही नीता समय बदल गया अब… अब लड़कियां पहले पढ़ती है अपने पैरों पर खड़ी होती है तब शादी करती है !” राखी बोली।
” अरे तो क्या मेरी निम्मी आज के जमाने की नही खैर तेरी मर्जी मैं तो तेरे भले की बात कर रही थी !” ये बोल नीता ने फोन काट दिया।
“क्या हो गया है सबको जिसे देखो वो आराध्या के रिश्ते बता रहा है अरे बेटी हमारी हम सोचेंगे उसकी शादी कब करनी कब नही दुनिया को जाने क्या पड़ी है निम्मी तो पढ़ना नहीं चाहती थी इसलिए उसकी शादी जल्दी हुई पर आराध्या तो पढ़ लिखकर पैरों पर खड़ा होना चाहती है !” राखी खुद से बोल पड़ी।
” क्या बात है खुद से ही बातें कर रही हो तबियत तो ठीक है ?” तभी वहां राखी के पति अरुण आ बोले।
” वो …!” राखी ने नंदिता और नीता दोनो की कही बात बताई साथ ही ये भी कहा कि जब हमे अभी शादी नहीं करनी तो लोगों को क्या दिक्कत है।
” देखो राखी लोग तो कहेंगे जो उन्हें कहना है हम कुछ नही कर सकते क्योंकि मारते की लाठी पकड़ी जा सकती है बोलते की जबान नही तुम उनकी बातों से परेशान होगी तो आराध्या पर भी इसका असर होगा तुम अपने मस्त रहो !” अरुण ने राखी को समझाया।
” हां सही कहा आपने !” राखी मुस्कुराते हुए बोली। उसने निश्चय कर लिया था अब वो लोगो के कहे पर ध्यान ही नही देगी।
तभी दूर से उसे गाने की आवाज़ सुनाई दी …
कुछ तो लोग कहेंगे ..लोगो का काम है कहना ।
अरुण और राखी दोनो जोर से हंस दिये ।
दोस्तों ऐसा अक्सर होता है हमारे बच्चे हमारी नजर में बड़े हों ना हों दुनिया की नजर में बड़ी जल्दी हो जाते और वो उनके रिश्ते बताने लगते है पर ये हमारे ऊपर है कि लोगों की बाते एक कान से सुन दूसरे से निकाल दें या उसे दिल तक ले जा परेशान होते रहे।
आपमे से कितने लोग इस समस्या से जूझ रहे होंगे वो क्या मेरी बात से इत्तेफाक रखते हैं?
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
#कुछ तो लोग कहेंगे