58 वर्षीय विधुर भाई प्रकाश की बातें सुनकर सभी हैरान और गुस्से में थे। उसका अपनी दूसरी शादी के बारे में सोचना सभी को नागवार गुजरा। बड़े भाई नवीन ने कहा-” यह भी कोई उम्र है विवाह की, चार-पांच साल बाद बेटे का विवाह करके बहू ले आना, दो बेटियों का विवाह कर चुके हो, उनकी ससुराल वाले क्या सोचेंगे,क्या कहेंगे, नाना बनने वाले हो कुछ तो शर्म करो। ”
प्रकाश-” लेकिन भाई साहब मेरी बात तो सुनिए, दुकान से घर आने के बाद, मुझे घर खाने को दौड़ता है, बेटा अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहता है, मैं किस से बात करूं, किसको अपना हाल बताऊं और किसका हाल पूछूं। कभी दोनों बेटियां और दामाद आ जाएं तो नौकरानी से खाना बनवाना पड़ता है या फिर बाहर से मंगवाना पड़ता है। रहने दीजिए, आप नहीं समझेंगे, मेरा अकेलापन, अपने अकेलेपन के कारण मैं पागल हो जाऊंगा। ”
प्रकाश वहां से उठकर अपने घर चला गया। फिर उसने इस बारे में बहुत लंबे समय तक सोच और मन ही मन कुछ तय कर लिया।
फिर उसने अपने दोस्तों से राय मांगी। दोस्तों ने कहा-” यह तो बिल्कुल सच बात है कि साथी की जरूरत बुढ़ापे में सबसे ज्यादा होती है, अकेले रहना बहुत मुश्किल होता है। दिल की बात करने के लिए एक साथी तो चाहिए और लोगों का क्या है वह कुछ दिन बातें बनाएंगे और फिर सब कुछ भूल जाएंगे। बाद में सब ठीक हो जाएगा। प्रकाश, जो तुझे तेरे दिल को ठीक लगे, वही कर। सुनो सबकी और करो अपनी। और फिर एक विधवा से विवाह करने के बाद उसे भी तो एक घर मिल जाएगा,उसका जीवन सुखी हो जाएगा। ”
जब यह समाचार बेटियों के ससुराल वालों ने सुन तो वह भी अपनी बहू को ताने मारने लगे। बेटी की सास ने कहा-” तुम्हारे पापा को शर्म लिहाज है या नहीं, यह उनकी उम्र है शादी करने की, या फिर बेटे का विवाह करके बहू लाने की ”
बेटी ने कहा-” लेकिन पापा बहुत अकेले पड़ गए हैं, कभी बीमार पड़ जाते हैं तो कोई देखभाल करने वाला भी नहीं होता। अभी थोड़े दिन पहले डॉक्टर ने उन्हें गरम-गरम खिचड़ी या फिर दलिया खाने को कहा था। नौकरानी बार-बार थोड़ी ना खाना बनाने आएगी। और जब मैं आपसे कहा कि मुझे जाने दो,तो आपने भी मना कर दिया। ”
साास-” हां हां हम सब समझते हैं। ”
अब उसने सब कुछ तय कर लिया था और वह अपने भाई के घर गया। उसने कहा-” भाभी जी और भाई साहब, मुझे किसी ने एक विधवा स्त्री के बारे में बताया है, उसका रिश्ता आया है मेरे पास, मैं उससे मिलकर आया हूं, मुझे सब कुछ ठीक लग रहा है, परसों मै मंदिर में उसके साथ फेरे ले रहा हूं, आप लोग जरूर आइएगा। ”
उसके बाद प्रकाश ने अपने चार-पांच दोस्तों को भी फोन किया। मंदिर में दोस्त पहुंच गए थे लेकिन भाई भाभी और कोई रिश्तेदार नहीं आया था। सभी नाराज थे।
फेरे हो जाने के बाद वर वधू और प्रकाश के दोस्त एक रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद अपने-अपने घर चले गए।
प्रकाश की नई पत्नी राधिका बहुत सुलझी हुई और सभ्य औरत थी। प्रकाश जी उसको बता रहे थे-” जब मेरी पत्नी गुजर गई थी, तब लोग बातें बना रहे थे, कैसे अकेला रहेगा, बच्चों की, खासकर लड़कियों की शादी कैसे करेगा, बड़ी मुश्किल होगी, इसे दूसरी शादी कर लेनी चाहिए। लेकिन तब बेटियों ने मुझे और घर को संभाल लिया था। मुझे कभी अकेलापन महसूस नहीं हुआ था। उन दोनों की शादी हो जाने के बाद घर बिल्कुल सूना हो गया। अब तो मेरा मन ही नहीं लग रहा था और अकेलापन मुझे निगलता जा रहा था और अब वही लोग मेरी शादी से नाराज हो गए हैं। देखो भाई भाभी भी शादी में नहीं आए, ऐसी भी क्या नाराजगी, कोई पाप थोड़ी ना किया है मैंने। ”
राधिका-” आप उदास मत होइए, मैं भी अकेलापन देखा है मैं आपकी स्थिति समझ सकती हूं, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा और वैसे भी लोगों का काम है कहना,उन्हें कहने दीजिए, कुछ ना कुछ तो लोग कहेंगे ही। आप ऐसा कीजिए, अगले हफ्ते बेटियों और उनके ससुराल वालों को खाने पर बुलाइये, और फिर बाद में भाई भाभी को भी बुलाएंगे, सबको अच्छा लगेगा। मैं सारी तैयारी कर लूंगी। ”
अगले हफ्ते बेटियों और उनके ससुराल वालों को खाने पर बुलाया गया। राधिका के प्यार और सम्मान भरे व्यवहार से सभी खुश थे। उनसे मिलकर बेटियों की अपने पापा के प्रति चिंता भी समाप्त हो गई थी। मम्मी ने उन्हें, मां की तरह प्यार और उपहार देकर विदा किया।
फिर उसके बाद भाई भाभी को बुलाया गया। उन्होंने आने में थोड़े नखरे किये, पर राधिका ने जब बहुत सम्मान और आग्रह से कहा तो वह लोग मान गए। सभी लोग प्रसन्न थे। धीरे-धीरे सभी राधिका की प्रशंसा करने लगे और कहने वालों की अच्छा हुआ प्रकाश ने शादी कर ली। अब यह सुखी रहेगा और कुछ समय बाद हंसी खुशी बेटे का विवाह करवा कर बहू भी ले आएगा।
प्रकाश सब की बातें सुनकर मुस्कुराता रहता था और सोचता था कि वाह री दुनिया! कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है——-। ”
साप्ताहिक प्रतियोगिता विषय #कुछ तो लोग कहेंगे
अप्रकाशित स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली