हांजी भैया जी आपकी एक किलो चीनी हो गयी और दूध का पैकेट भी डाल दिया। बोलो तो ये कपड़े धोने का साबुन दे दूं नया आया है बहुत बढ़िया क्वालिटी है आपका काम आसान हो जाएगा।
मेरा काम आसान हो जाएगा मतलब??
अरे भैया जी अब इसमें छुपाने की क्या बात है पूरा मोहल्ला जानता है कि अक्सर झाड़ू पोछा कपड़े धोने का काम आप खुद ही करते हैं और ये तो अछि बात है
न कम से कम सेहत तन्दरुस्त रहती है। एक कुटिल सी मुस्कुराहट बंसी काका के चेहरे पे आ गयी तो बहीं रजनीश शर्मिंदा होने के साथ साथ गुस्से से लाल हो गया था मगर सच्चाई तो यही थी जो बंसी काका ने बोली थी इसलिए रजनीश ने चुपके से अपना सामान लिए और बापिस घर आ गया।
दरअसल रजनीश की शादी को अभी चार महीने ही हुए थे। रजनीश के माँ बाप बड़े बेटे के साथ पुराने मकान में रहते थे और रजनीश अपनी बीबी के साथ नए मकान के। पिंकी( रजनीश की पत्नी) को आज फिर पेट दर्द था और वो चारपाई पे लेटी हुई थी।
रजनीश ने आकर चाय बनाई और कप में डालकर पिंकी को देने आंगन में गया ही था कि उधर से चमन (उसका पड़ोसी) खांसी का नाटक करके उसे देखकर मुस्कुराने लगा।
रजनीश ने एक बार तो सोचा कि चाय लेकर बापिस रसोई चला जाए मगर अब चमन तो देख ही चुका था तो रजनीश ने उसे अनदेखा करके चाय पिंकी की चारपाई के नीचे रख दी और खुद की चाय लेकर चारपाई के पास कुर्सी पे बैठ गया।
चाय पीने के बाद बर्तन उठाकर रसोई के पीछे धोने ही लगा था कि पुराने मकान से उसकी माँ आती दिखी रजनीश फटाफट उठकर अंदर की तरफ भाग हालांकि उसकी मां ने उसे देख लिया था वो उसके ही पास आ रही थी
आकर पूछने लगी बहु की तबियत आज फिर खराब है क्या एक बार किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा क्यों नही लेते। फिर धीरे से रसोई के पीछे जाकर बर्तन धोने बैठ गई। रजनीश ने अनमने से मन से कहा कि कोई नही मैं धो लूंगा हालांकि अंदर से वो सोच रहा था की मां ही धो दे तो अच्छा है कहीं कोई और गांव वाला देखेगा तो बेइज्जती होगी।
कुछ देर बाद एक और पड़ोसी जो घास लेने जा रहा था मगर रजनीश की बैठा देखकर उसके पास आता है और आते ही कई बातें सुन देता है जैसे कि भाई तुम तो घर से बाहर ही निकलते जब से शादी हुई है क्या बात है भाभी का इतना डर है क्या।
या कोई खास चीज कमरे में बीज रखी है जिसे छोड़कर बाहर ही नही निकलते। शादी तो हमारी भी हुई मगर ऐसा डर कभी नही लगा। क्या हुआ भाभी डराती तो नही है। अब उसके चेहरे की कमीनी सी मुस्कुराहट भी उसके दिल का हाल बता रही थी जिसमे साफ दिख रहा था कि वो सिर्फ मजे ले रहा था।
रजनीश का घर से निकलना मुश्किल हो गया था जो भी मिलता वो सिर्फ मजेले लेकर बात करता तो कोई उसे बीबी का गुलाम बनने के फायदे गिना देता। तो कोई कहता कि औरत को सिर पे चढ़ाओगे तो वो कभी तुम्हारे कहने में नही रहेगी ये औरतें बीमार होने का ड्रामा करती हैं
ताकि पति से सारा काम करवा सकें। और धीरे धीरे उन्हें गुलाम बना सकें। अरे मेरी बीबी मुझे बोलकर दिखाए कोई काम करने को उसका मुहँ न तोड़ दुं।
भाई मर्द बन मर्द पूरा मोहल्ला तेरी बातें कर रहा है बाकी तेरी मर्जी एक दोस्त होने के नाते मैंने जो सुना बता दिया मगर बीबी के नीचे इतना भी नही लग्न चाहिए कि कोई इज्जत ही न बचे।
आब रजनीश को भी लगने लगा कि शायद उसकी बीबी जानबूझकर हर तीसरे दिन सिरदर्द का ड्रामा करती है भला ऐसा भी कोई होता है कि हर तीसरे दिन सिर दर्द। गुस्से में भरा रजनीश घर जाता है और पिंकी को बोलता है
कि खाना बनाओ उठकर पिंकी उसे कहती है कि मेरा सिर दर्द से फट रहा है। रजनीश थोड़ा गुस्सा करता है तो पिंकी दुपट्टा सिर पे बांधकर जैसे कैसे उठती है और कहती है कि आप आटा गूंथ दे मैं रोटी बना दूंगी।
अब रजनीश का पारा चढ जाता है और बात हाथापाई तक पहुँच गई रजनीश ने पिंकी को थप्पड़ मार दिया वो बेचारी रोने के अलावा कुछ न कर सकी। उधर गुस्से में तमतमाए रजनीश ने उसके मायके फ़ोन करके कह दिया कि इसे ले जाओ। अगले ही दिन पिंकी का पिता उसे अपने साथ ले गया।
डॉक्टर से जांच करवाई तो पता चला उसके पेट मे एक गांठ बन रही थी जो आगे चलकर जानलेवा हो सकती थी। उसका इलाज शुरू हुआ जब रजनीश को पता चला तो वो अपनी पत्नी को लेने ससुराल गया मगर पिंकी के घरवालों ने ये कहकर उसे भेजने से मना कर दिया कि जबतक वो पूरी तरह ठीक नही हो जाती वो उसका यहीं इलाज करवाएंगे।
ऐसा न हो कि फिर उसे आराम करने के लिए ताने सुनने पड़ें। रजनीश बापिस घर आ गया पिछले एक महीने से वो खुद ही खाना बना रहा था बर्तन धो रहा था कपड़े धो रहा था झाड़ू पोछा भी कर रहा था मगर अब कोई गांव वाला न असक मजाक उड़ाता था न मदद करने के लिए आता था।
इससे रजनीश को एक बात तो समझ आ गई थी कि गांव वालों को उसके काम से नही बल्कि उसकी बीबी के साथ अच्छे रिश्ते से दिक्कत थी वो नही चाहते थे कि दोनों खुश रहें नही तो भला उन्हें क्या तखलिफ़ थी जब काम रजनीश कर रहा था उसे कोई प्रॉब्लम नही थी।
कुछ ही दिन बीते थे कि रजनीश को न्यूमोनिया हो गया जैसेही ये खवर पिंकी तक पहुंची उसने बिना सोचे बिचारे अपना बैग उठाया और घर पहुंच गई
अब उसकी पेट की गांठ लगभग ठीक हो चुकी थी । पिंकी ने आते ही पति का सिर दवाना हो टांगे दबानी हो या पैरों की मालिश बड़े दिल से करनी शुरू की। बिस्तर पर ही चाय खाना पानी अपने हाथों से खिलाती। और हर समय उसके आसपास साय की तरह रहती।
कुछ दिन दाल दलिया काढ़ा का परहेज पूरी तरह करवाया तो रजनीश भी ठीक हो गया। अब रजनीश को एक बात समझ आ चुकी थी कि लोग कुछ भी कहें मगर हमे वो ही करना चाहिए जो हमारे घर के लिए सही हो।
लोगो के पीछे लगकर अपना घर बर्बाद करने के बाद कोई पूछने नही आता। कोई ताने देता है तो देने दो कुछ दिन बाद खुद ही बोलकर चुप हो जाएंगे। मगर अगर जरूरत के समय हम अपने साथी की सेवा करते हैं या घर का काम करते हैं उससे हमारी इज्जत कम नही होती बल्कि बढ़ जाती है
अब पूरी दुनिया को तो आप खुश नही कर सकते वो तो कोई न कमी निकाल ही देगी इसलिए बेहतर है हम उसे खुश रखने की कोशिश करें जिसकी खुशी से अपने जीवन मे बहार आए।
अब रजनीश छुपकर नही खुलकर कभी कभी यूट्यूब देखकर कोई खास पकवान बनांकर अपनी बीबी को खिला देता कभी वो आटा गूंथ रही होती तो सब्जी काट देता कभी वो झाड़ू लगा रही होती तो पानी भर देता कभी वो रोटी बना रही होती तो रजनीश पास में खड़ा होकर रोटी सेंक देता।
अब उन दोनों में प्यार का एक नया अध्याय शुरू हो चुका था जो पहले कभी नही था इसकी बजह थी कि उसने लोग क्या कहेंगे इस बात को सोचना बंद कर दिया था उसे पता था कि लोग है कुछ तो कहेंगे।
के आर अमित
अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश