कुछ गलती की माफ़ी नहीं होती – लतिका पल्लवी

रामायण जी के घर पर सत्यनारायण की पूजा हो रही थी। करीब करीब पूरा गाँव इकट्ठा था।आज रामायण जी के पोते का पहला जन्मदिन था।वे इस ख़ुशी मे नारायण पूजा करवा रहे थे उसके बाद भोज का भी इंतजाम था।पूजा हो ही रही थी कि तभी उनके पड़ोस का लड़का संजय दो लड़को के साथ आया।संजय की बहन बीमार थी। जिसका इलाज करवाने के लिए कुछ दिनों से वे लोग शहर गए थे।

इसलिए उसे अपने यहाँ देखकर रामायण जी को लगा कि विभा बेटी ठीक हो गईं है। उन्होंने  खुश होते हुए कहा बहुत अच्छे समय पर आए हो चलो अंदर चलो तुम्हारे दोस्त विनय के बेटे का जन्मदिन है, इसलिए सत्यनारायण की कथा हो रही है।तुम अकेले आए हो या घरवाले भी आए है?

विभा बेटी अब कैसी है?उन्होंने दूसरे लड़को की तरफ देखकर पूछा ये लोग कौन है?ये हमारे गाँव के तो नहीं है,क्या तुम्हारेरिश्तेदार है?तभी रामायण जी को धकेलते हुए दोनों लड़को नें बहुत बदतमीज़ी से कहा चल हट बूढ़े तुम्हे हमारा परिचय जानने की कोई जरूरत नहीं है।

हम जो करने आए है उसे करने दे और संजय की तरफ देखकर बोले अरे इस बूढ़े के साथ अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हो?बेकार मे देर हो रहा है जो काम करने आए है उसे करो और चलो।घर मे पूजा होने के कारण पूरा गाँव इकट्ठा था इसलिए संजय को समझ नहीं आ रहा था

कि वह अपने काम को कैसे अंजाम दे।रामायण जी भी समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें क्या काम करना है। संजय नें दोनों लड़को से धीरे से कहा हम जिसे लेने आए है वह इसी बूढ़े की माँ है पर अभी पूरा गाँव इकट्ठा है हम उसे नहीं ले जा सकेंगे। मेरी माँ को लेने आए है सुनकर रामायण जी आश्चय से उनकी तरफ देखने लगे। इनलोगो की बहस सुनकर कुछ लोग यह देखने के लिए की बाहर क्या हो रहा है पूजा से उठकर बाहर आ गए थे।

उनलोगो नें पूछा क्या हुआ संजय तुम चाची को किसलिए लेने आए हो और ये लडके कौन है जो रामायण के साथ इतनी बदतमीजी से बात कर रहे है? संजय के बोलने से पहले ही उनदोनो लड़को नें कहा ओझा जी नें कहा है कि इस बूढ़े की माँ डायन है और उसी नें जादू टोना किया है जिसके कारण संजय की बहन विभा का बुखार ठीक नहीं हो रहा है। हम उस बुढ़िया को ओझा जी के पास ले जाने के लिए आए है।

ओझा जी बुढ़िया को अपने मंत्र से साधेगें और विभा के सर से इसका जादू टोना खत्म करेंगे. फिर विभा का बुखार उतर जाएगा और वह फिर पहले के जैसे ठीक हो  जाएगी। यह कहकर लोगो को जबतक कुछ समझ मे आता वे तीनो घर के अंदर घुस गए और रामायण जी की माँ के बालो को पकड़कर उन्हें भद्दी भद्दी गालियाँ देते हुए बाहर की तरफ खींचने लगे। गाँव के लोगो नें उन्हें मार पीटकर माता जी को उनसे छुड़ाया।

वे लोग यह कहते हुए भाग गए कि अभी तो तुम सब हमें भगा रहे हो पर जब तुम्हारे बच्चो पर यह बुढ़ियाँ जादू टोना करेगी तब तुम्हे समझ आएगा कि हम सही कह रहे थे। पूरा गाँव हतप्रभ था कि आजतक हमारे गाँव मे इस तरह की कुरीतियों को कभी किसी नें बढ़ावा नहीं दिया

तो फिर यह हमारे गाँव के होकर संजय के परिवार नें इस बात को कैसे स्वीकार कर लिया और गाँव की एक प्रतिष्ठित परिवार की एक बुजुर्ग पर ऐसा इल्जाम लगा दिया। मुखिया नें गाँव मे पंचायत बुलाई और सभी पंचो के एकमत राय से यह फैसला हुआ कि ऐसी घटिया सोच रखने वाले लोगो के लिए इस गाँव मे कोई स्थान नहीं है।

यदि इस बीमारी का इलाज अभी नहीं किया गया तो यह धीरे धीरे गाँव के और लोगो मे भी फैल जाएगी अतः इससे बचने के लिए उनलोगो को गाँव से निकालना जरूरी है।जब तक वे अपनी गाँव की सम्पति बेच नहीं लेते तब तक उन्हें  गाँव मे आने की अनुमति दी गईं पर पुरे गाँव को यह ताकिद कर दिया गया कि संजय के परिवार से कोई संबंध नहीं रखेगा। उन्हें अपनी सम्पति बेचने के लिए छह महीने का समय दिया गया और बता दिया गया

कि उसके बाद उनका इस गाँव से कोई संबंध नहीं रहेगा। गाँव के मुखिया नें अपनी तरफ से अपने गाँव को कुरीतियों से बचाने के लिए सही न्याय किया. पर अभी ईश्वर का न्याय बाकी था।संजय के परिवार नें एक तांत्रिक के बहकावे मे आकर अपने ही पड़ोस की एक बृद्ध महिला का पुरे गाँव के सामने अपमान किया था। गाँव वालो नें भले ही इसे सच नहीं माना था पर रामायण जी की माँ पर इस दुर्घटना का बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा।

वे इस सदमे से उबर नहीं पायी उन्होंने इस घटना के बाद से घर से बाहर निकलना बंद कर दिया और करीब एक महीना के बाद उनकी मृत्यु हो गईं। उन्होंने अपने मुँह से तो संजय को कोई बद्दुआ नहीं दी पर उनका रोम रोम उन्हें बद्दुआ दे रहा था।

घटना के दश दिन बाद ही सही इलाज नहीं होने के कारण विभा की मृत्यु हो गईं।संजय का एक्सीडेंट मे एक पैर इतना ज्यादा फ्रेक्चर हो गया कि उसे डॉक्टर को काटना पड़ा।

एक अंधविश्वास के कारण संजय का पूरा परिवार तबाह हो गया। उसके माता पिता को बेटी को खोकर और बेटे को अपाहिज होते हुए देखकर अपनी गलती का एहसास हुआ पर अब वे कुछ नहीं कर सकते थे।सब खोकर समझ आने का कोई मतलब नहीं होता है।

विषय —- बद्दुआ 

लतिका पल्लवी 

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