Moral Stories in Hindi : विवाहवेदी पर आलोक के साथ फेरे लेती सुगंधा कितनी खुश थी । अपने भावी जीवन के अनेको सपने देखे थे उसने और अब उन सपनो के पूरे होने का वक्त आया था । सुगंधा की सहेलियाँ उसकी किस्मत पर रश्क कर रही थी कितना अमीर परिवार मिला है उसे साथ ही राजकुमार जैसे सजीला दूल्हा जबकि सुगंधा साधारण नयन नक्ष की मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की ।
अंतिम फेरा होते होते अचानक आलोक लड़खड़ा गया किसी तरह फेरा पूरा हुआ और आलोक बैठ कर हांफने लगा। जनवासे मे खलबली सी मच गई। आलोक को पसीना पसीना हुआ देख सुगंधा के परिवार वाले चिंतित हो गये । इधर आलोक के घर वाले घबरा गये और फटाफट अलोक को बारात के लिए बने कमरों मे से एक मे लेकर चले गये। सुगंधा जो अभी थोड़ी देर पहले अपनी किस्मत पर इतरा रही थी अब परेशान हो उठी।
” बेटा सौरभ तुम डॉक्टर को फोन करो !” सुगंधा के पिता अपने बेटे से बोले।
” नही नही समधीजी डॉक्टर की जरूरत नही हमारे जमाई बहुत अच्छे डॉक्टर है वो देख लेंगे सब !” तभी आलोक के चाचा बोले।
” चिंता की कोई बात नही बस आलोक को गर्मी की वजह से थोड़ा चक्कर आ गया । थोड़ा आराम करेगा तो ठीक हो जायेगा आप लोग इतने विदाई की तैयारी कीजिये !” थोड़ी देर बाद आलोक के मामा ने आकर जब ये कहा तो सबने राहत की सांस ली।
सुबह पांच बजे सुगंधा की विदाई हो गई तब तक अलोक की हालत भी काफी हद तक ठीक हो गई थी। ससुराल मे सुगंधा का स्वागत काफी अच्छे से हुआ । एक कमरे मे बैठी सुगंधा का ख्याल सभी बहुत अच्छे से रख रहे थे। सुगंधा को सभी नज़र आ रहे थे पर आलोक नही ।
” हो सकता है काम मे व्यस्त हो या फिर आराम कर रहे हो !” सुगंधा खुद से बोली।
विवाह के बाद की कोई रस्म सुगंधा के साथ नही की गई ये बात सुगंधा को अजीब लग रही थी पर एक तो नया घर ऊपर से इतना अमीर ससुराल उसे कुछ बोलने के लिए भी सोचना पड़ रहा था। सुबह से दोपहर , दोपहर से रात हो गई सुगंधा को अभी तक अलोक के दीदार नही हुए थे । रात मे भी उसकी ननद उसके साथ सोने आ गई ये बोल की कोई पूजा बाकी है जब तक वो नही होगी उसे भाई से अलग सोना होगा।
ऐसे ही दो दिन बीत गये सुगंधा को बहुत अजीब लग रहा था कि अलोक उसे एक बार भी दिखाई नही दिया। अनजान घर अनजान से लोग उसे समझ नही आ रहा था अपने मन की बात किसे कहे । मायके मे सब बोल वो किसी को परेशान नही करना चाहती थी इसलिए चुप रही।
आज सुगंधा का अपने ससुराल मे तीसरा दिन है । दोपहर बाद उसे उसकी ननद ने काफी अच्छे से सजाया और रात होते होते उसे एक दूसरे कमरे मे ले गई और उसे बिस्तर पर बैठा चली गई वहाँ से ।
थोड़ी देर बाद कमरे का दरवाजा खुला उसने निगाह उठाकर देखा तो सामने आलोक खड़ा था ।सुगंधा की निगाह लज्जा वश झुक गई । थोड़ी बातचीत के बाद आखिर वो मधुर मिलन की बेला भी आ गई जिसका सुगंधा को तीन दिन से इंतज़ार था ।
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किस्मत या धोखा (भाग 2 )
किस्मत या धोखा (भाग 2 )- संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi
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