किस्मत वाली – के आर अमित

क़िस्मत के खेल की ऐसी कहानी जिसपर भरोसा करना  तो मुश्किल है मगर ये बिल्कुल हुआ एक छोटे से गांव में। कहते हैं न कि समय और किस्मत कब बदल जाए किसी को नही पता इसलिए किस्मत को आजमाते रहना चाहिए।

हिमाचल की पहाड़ियों के बीच बसा है छोटा सा गांव धारकोट। चारों ओर देवदार के पेड़, ठंडी हवा और मिट्टी की सोंधी खुशबू। इसी गांव के किनारे, ढलान पर बना था मोहन लाल का छोटा-सा घर पत्थरों की दीवारें, टीन की छत और सामने एक बूढ़ा अखरोट का पेड़।

मोहन लाल पेशे से पेंटर था। कभी स्कूल की दीवार रंगता, कभी मंदिर, तो कभी किसी अमीर के घर की छत। मेहनत खूब करता था, पर किस्मत हमेशा आधा रास्ता छोड़ देती। पत्नी राधा देवी घर संभालती, गाय-भैंस देखती और खेतों में हाथ बंटाती।

मोहन लाल की पहले से दो बेटियाँ थीं बड़ी बेटी कुसुम, दस साल की, समझदार और चुपचाप सब सह लेने वाली। दूसरी बेटी पायल, सात साल की, नटखट, बातूनी और जिद्दी।

गांव में लोग अक्सर ताने मारते अरे मोहन तेरी किस्मत में न जाने भगवान ने क्या लिखा है। दो-दो बेटियाँ हो गईं अब तो भगवान से दुआ कर ले। मोहन हंस देता, मगर राधा का दिल हर बार थोड़ा टूट जाता। बरसाती रात, जब बादल पहाड़ों से टकराकर गरज रहे थे, राधा ने तीसरी बेटी को जन्म दिया।

घर में खुशी की जगह मायूसी छा गई। मोहन ने बच्ची को देखा फिर जमीन की ओर ताकते हुए बस इतना बोला जैसी भगवान की मर्जी। राधा ने कांपती आवाज़ में कहा बेटी है तो क्या हुआ जान तो है हमारी। मोहन चुप रहा। गांव में किसी ने मिठाई नहीं बांटी। किसी ने बधाई नहीं दी।बच्ची का नाम रखा गया नंदिनी।नंदिनी अभी पंद्रह दिन की ही थी कि उसका पेट असामान्य रूप से फूलने लगा। रोती रहती, दूध नहीं पीती।

गांव के वैद्य से लेकर कस्बे के डॉक्टर तक दिखाया, अंत में डॉक्टर ने कहा बच्ची को गंभीर बीमारी है। इलाज सिर्फ पीजीआई चंडीगढ़ में होगा।राधा की गोद से बच्ची फिसलते-फिसलते बची। मोहन के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई।डॉक्टर साहब खर्चा?डॉक्टर ने बिना नजर मिलाए कहा बहुत हैलाखों में जाएगा।

राधा फूट-फूट कर रो पड़ी हे भगवान ये भी मेरी बेटी ही है

मोहन पूरी रात सो नहीं पाया। सुबह होते ही उसने फैसला कर लिया।उसके पास बुजुर्गों की जमीन के कुल चार छोटे खेत थे उसने दो खेत बेचने का निर्णय ले लिया ।गांव वालों ने कहा

पागल हो गया है क्या? बेटी के लिए जमीन बेच देगा कल को क्या खाएगा?मोहन ने बस इतना कहा अगर आज इसे नहीं बचाया, तो कल रोटी भी गले से नहीं उतरेगी।

दोनों खेत बेच दिए। पीजीआई में इलाज शुरू हुआ।राधा अस्पताल के गलियारे में बैठकर रोज मंदिर की घंटी सुनती और बुदबुदाती मेरी बेटी को बचा लेना प्रभु बदले में मुझे जो सजा देनी हो दे देना।दीवाली पास आ रही थी। गांव में घर सज रहे थे, बच्चे पटाखे चला रहे थे।पीजीआई से डॉक्टर ने कहा अभी खतरा टला है, बच्ची को घर ले जाइए।मोहन की आंखों में उम्मीद जगी।वे बस से लौट रहे थे। किस्मत से हिमाचल की सीधी बस की बजाए नंगल तक बस मिली।मोहन बोला राधा, बच्ची को संभाल, मैं दूध लेकर आता हूं।”

पायल बाप का हाथ पकड़कर साथ चल पड़ी।नंदिनी राधा की गोद में थी। रास्ते में दीवाली बंपर लॉटरी का स्टाल लगा था।

पायल अचानक रुक गई।उसकी नजर एक टिकट पर पड़ी।

बोली पापा मुझे ये टिकट ले दो ना मोहन झल्लाया पागल है क्या? पैसे पेड़ पर लगते हैं? पायल ने मासूमियत से कहा

पापा, नंदिनी ठीक हो जाएगी देखना।मोहन को खुद नहीं पता क्यों, दिमाग जैसे सुन्न हो गया।उसने जेब से 500 रुपए निकाले और टिकट खरीद ली।राधा ने डांटा अक्ल है या नहीं? इलाज के पैसे नहीं और आप ये टिकट खरीद लाए मोहन बस बोला पता नहीं राधा दिल ने कहा ले लो।

एक महीना बीत गया। नंदिनी की हालत सुधर रही थी।

एक दिन अचानक मोहन के फोन की घंटी बजी। क्या मैं मोहन लाल से बात कर रहा हूं?

हां। आपकी दीवाली बंपर लॉटरी में पहला इनाम ढाई करोड़ रुपए निकला है।मोहन हंस पड़ा मजाक मत करो भाई

फोन वाले ने अखबार का नाम बताया, टिकट नंबर पढ़ा।

अगले दिन अखबार आया। राधा ने जैसे ही नंबर देखा, उसके हाथ कांपने लगे। मोहन ये ये सच है तीनों बेटियाँ पास खड़ी थीं। मोहन की आंखों से आंसुओं की बरसात बह निकली।

राधा हमारी बेटियाँ बदकिस्मत नहीं ये तो किस्मत की देवी हैं

गांव वालो की आंखें खुलीं की खुली रह गईं धारकोट गांव में जो लोग उसकी बेटियों को बोझ समझते थे, वही आज मिठाई लेकर आए। मोहन ने सबसे पहले पीजीआई जाकर पूरा इलाज कराया। नंदिनी पूरी तरह स्वस्थ हो गई। मोहन ने गांव में स्कूल, अस्पताल में मदद और बेटियों की पढ़ाई का संकल्प लिया।

एक दिन उसने गांव वालों से कहा जिस दिन बेटी को बोझ समझना छोड़ दोगे, उसी दिन किस्मत तुम्हारे दरवाजे खुद आएगी। तीन बेटियाँ मुस्कुरा रही थीं। नंदिनी राधा की गोद में खिलखिला रही थी।उस दिन धारकोट गांव ने समझ लिया

बेटियाँ किस्मत नहीं बदलतीं,किस्मत लिखती हैं। 

उसके बाद मोहन ने अपना काम शुरू किया बड़े शो रूम में कई लोगों को रोजगार दिया। आज जब भी उसे किसी बाप की मजबूरी का पता चलता है कि किसी गरीब का बच्चा बीमार है और इलाज के लिए पैसे नही हैं तो मोहन कभी पीछे नही हटता वो कुछ न कुछ यथासंभव मदद करता है। 

हर कोई मोहन की दरियादिली का कायल है। उसका मानना है कि जब तक लोगो की दुआएं मिलती रहेगी उसके किस्मत की रोटी उसे मिलती रहेगी उसका मानना है कि उसके पास था ही क्या जो कुछ भी है भगवान का दिया है तो उसका क्या जा रहा है उसका कुछभी नुकसान हो ही नही सकता क्योंकि उसके पास कुछ था ही नही तो नुकसान कैसा।

            के आर अमित

    अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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