किस्मत – मीनाक्षी शर्मा : Moral Stories in Hindi

हे भगवान …मेरी तो मत ही मारी गई थी ,जो इस घर में शादी की…. इतनी खराब किस्मत पाई है मैंने… सुबह से लग जाओ घर के काम में बस… हो गया दिन शुरू… हमारी भी क्या जिंदगी …कभी बर्तन धो लो …कभी कपड़े धो लो …कभी घर की सफाई कर लो …

अपनी तो शक्ल भी संवारने का समय नहीं मिलता…. जब से इस घर में आई हूं, मेरे सारे शौक मर गए…. घर के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती… पता नहीं यह मैंने शादी की है या कामवाली बाई की नौकरी पकड़ ली….

भाभी रोज सुबह ऐसे ही चिल्लाते – चिल्लाते घर का सारा काम करती रहती ….हम में से कोई भी उनकी बात का गुस्सा नहीं करता था …क्योंकि हमें पता था ,वह दिल की बुरी नहीं है… बस काम करते-करते थक जाती है… तो कुछ भी बोलने लग जाती है…

वास्तव में हमें तो यह अलार्म लगता है, हमें उठाने के लिए ….भैया भी रोज ऐसी चिल्लम चिल्ली को सुनकर उठ जाते हैं ….फिर दोनों की खूब मस्ती चलती है …इस बहस बाजी में मैं मस्त अपने दफ्तर जाने के लिए तैयार होता रहता हूं ….वैसे भैया भी कम नहीं है…..

भाभी की हर बात का जवाब देते रहते हैं …यह नहीं कि उन्हें शांत ही करवा दे …उल्टा उन्हें और ज्यादा गुस्सा दिलाते रहते हैं… रोज सुबह बोलेंगे कि मेरी भी जब से शादी हुई है, तब से नींद उड़ गई है …बहुत समय हो गया, सुकून की नींद सोए हुए….

कितनी शांति हुआ करती थी इस घर में ….इंसान दो पल सुकून से आराम तो कर सकता था …यहां तो सुबह-सुबह ही शोर शुरू हो जाता है ….बस फिर क्या होता है, फिर भाभी जवाब देती है …हां तो मेरे मियां जी आप सुकून से आराम ही किया कीजिए ….दफ्तर आपकी जगह मैं चली जाया करूंगी… वैसे भी रोज आपको दफ्तर पहुंचने में देरी हो जाती है और रोज आपके बड़े साहब पैसे काटने में लगे रहते हैं….

हां यह बात तो सच है… भाभी बिल्कुल सही कहती है ….भैया को रोज दफ्तर जाने में देरी हो जाती है ….भैया तो मजबूरी में नौकरी कर रहे थे ….वास्तव में वह तो अपना काम ही करना चाहते थे …परंतु परिस्थितियों कुछ ऐसी थी कि उन्हें नौकरी करनी पड़ी…

. मैं और भैया मिलकर घर का खर्च चलाते थे…. मां और पिताजी तो बहुत पहले ही हमें छोड़ कर जा चुके थे…. वास्तव  में भाभी भी उसी दफ्तर में नौकरी किया करती थी ….तभी तो यह दोनों आज एक साथ है पति-पत्नी के रूप में ….जी हां आप सही समझ रहे हैं …मेरे भैया ने अपने पसंद से शादी की थी

और आप इस चिल्लम चिल्ली को सुनकर किसी गलतफहमी में मत आ जाना …मेरे भैया और भाभी में बहुत प्रेम है…. यह दोनों आपस में एक दूसरे को बातें सुनाते रहते हैं ….परंतु वास्तव में एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं…. इसीलिए तो मैं इनकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता…. बस अपना तैयार होता हूं…. नाश्ता करता हूं और काम पर चला जाता हूं ….

लीजिए दूध वाला भी आ गया…. अरे मेमसाहब दूध वाला आया है …दरवाजा खोलिए …दूध ले लीजिए और आज मेरा हिसाब भी कर देना ….एक महीने से ऊपर हो चुका है ….कुछ पैसा दे दो…. हां – हां तुमको बहुत जल्दी पड़ी है पैसा लेने की… दूध में आधे से ज्यादा तो पानी होता है और मलाई भी बिल्कुल नहीं आती….

अरे मेंम साहब साहब क्यों गरीब मार कर रही हो??? कुछ पैसे दे दो, हमें जरूरत है ….हां – हां ला रही हूं ….तुमने कह दिया तो ,पैसे तो देने ही है …हम कौन सा मुफ्त में दूध डलवाते हैं तुमसे …

अरे रचना… तुम्हें वह पंडित जी याद है???? जिन्होंने हमारी कुंडली मिलाई थी ….कभी – कभी मन करता है, उन्हें घर बुलवाकर उनकी खूब सेवा की जाए …खूब अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर खिलाएं जाएं …कितने आत्मविश्वास से बोला था उन्होंने और बधाई दी थी कि, 36 के 36 गुण मिल गए हैं ….हम दोनों के…. मुझे तो एक भी नहीं नजर आ रहा… ऐसे कुंडली मिलाते हैं पंडित जी???

अरे आप कुंडली की बात करते हो… मैं तो सीधा शिवजी से बात करने वाली हूं ….पता है शादी से पहले 16 सोमवार के व्रत रखे थे …शिव जी ने मेरे व्रत का यह वरदान दिया मुझे???? मैं तो उनसे जरूर पूछूंगी …मेरे व्रत में कौन सी कमी रह गई थी??? हां – हां पूछ लेना ….

अब मेरा नाश्ता दे दो और टिफिन भी दे दो… दफ्तर जाने को देरी हो गई है ….वह तो पहले ही तैयार बैठे रहते हैं कि मैं थोड़ी सी देरी करूं और वह मेरे आधे दिन के पैसे काट ले….

बस फिर क्या भाभी नाश्ता लाती है ….भैया भाभी को अपनी बाहों में लेकर मुस्कुरा देते हैं …नाश्ता करते हैं ….टिफिन लेते हैं और चले जाते हैं दफ्तर… यह रोज का नाटक देखकर मैं खुश हो जाता हूं कि आए दिन घरों में झगड़े होते हैं और आपस में प्रेम खत्म हो चुका है ….

लेकिन हमारे घर में ऐसी रौनक लगी रहती है ….भाभी वैसे बहुत समझदार है… पूरा घर संभालती है… बेचारी थक जाती है …इसलिए थोड़ा चिल्ला कर बात करती है… परंतु हम सब साथ साथ बहुत खुश रहते हैं….

मीनाक्षी शर्मा

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