ख्वाहिश – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

शादी के  बाद अंकिता जब खाना बनाने के लिए रसोई की तरफ जा रही थी कि तभी उसकी सास अहिल्या बोली “बहु कोई जरूरत नहीं है तुम्हें रसोई में जाने की खाना मैं बना दूंगी तुम अपने कमरे में चलो मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।” कहीं मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई यह सोचकर अंकिता ड़रते हुए अपने कमरे में चली गई थी उसके ससुर अनिकेत भी वहीं पर थे।

  अपनी पत्नी अहिल्या की बात सुनकर वे आश्चर्य से बोले” बहु से कोई गलती हो गई है जो तुम उससे खाना बनाने से मना कर रही हो।”

 यह सुनकर अहिल्या मुस्कुराते हुए बोलो” बहु से कोई गलती नहीं हुई है जो गलती उसके मम्मी पापा ने उसके साथ की थी बस मैं उसे सुधारना चाहती हूं आपको याद है ना जब हमने अपने बेटे अंकित का विवाह धूमधाम से अंकिता से करने के बाद अंकिता से मुंह दिखाई करने के बारे में उसकी ख्वाहिश पूछी तो उसने क्या कहा था? 

   तब अनिकेत मुस्कुराते हुए बोले” मुझे याद है उसने हमसे कहा था उसकी एक ही ख्वाहिश थी अध्यापिका बनकर बच्चों को पढ़ाने की परंतु, उसके अध्यापिका बनने से पहले उसके शादी के लिए लाख मना करने के बाद भी उसके माता-पिता ने 12वी करने के बाद जबरदस्ती उसकी शादी कर दी

तब उसने अपनी ख्वाहिश की बलि दे दी थी उसके बाद उसकी कोई ख्वाहिश नहीं रही थी वह अपनी शादी की रात को अपने जीवन की सबसे काली रात समझ रही थी जिसके कारण उसके सारे सपने चकनाचूर हो गए थे अपनी शादी के बाद वह इतनी दुखी थी कि उसने हमसे मुंह दिखाई में कुछ भी लेने से इनकार कर दिया था।”

   पति की बात सुनकर अहिल्या बोली ” यदि हम बहु से घर में काम करवाने की बजाए  उसका कॉलेज में एडमिशन दिला कर उसकी ख्वाहिश पूरी कर दे तो कितना अच्छा रहेगा मैंने अंकित से अंकिता को कॉलेज में एडमिशन दिलाने के बारे में बात भी कर ली है यही सोच कर मैंने उसे खाना

बनाने से मना कर दिया आप बताओ मेरा फैसला सही है या गलत” पत्नी की बातें सुनकर अनिकेत के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी अहिल्या की तरफ देख कर खुशी से बोले “मुझे तुम्हारे निर्णय पर गर्व

है मैंने तो आज तक सास को बहू पर हुकुम चलाते ही देखा था परंतु, पहली बार ऐसी सास देखी है जो अपनी बहू को काम करने से मना करने के स्थान पर उसे पढ़ाई कराने के बारे में सोच रही है तुम्हारा फैसला बिल्कुल सही है।”

 पति का फैसला सुनकर जब अहिल्या ने कमरे में जाकर अंकिता को उसकी ख्वाहिश पूरी करने के बारे में बताया तो उसके मन में सास के प्रति बेहद प्यार और सम्मान उमड आया था शादी की जिस रात को वह काली रात समझ रही थी वह रात उसके जीवन की सबसे यादगार रात बन गई थी क्योंकि

उसी रात शादी होने के कारण उसे इतनी सुलझी और नेकदिल सास मिली थी जो उसे उसके माता-पिता से भी ज्यादा प्यार करती थी उसके माता-पिता के लिए तो वह सिर्फ एक फर्ज थी जिसे पूरा

करना उनका कर्तव्य था उनकी नजरों में उसकी खुशी और ख्वाहिश से कोई सरोकार नहीं था शादी के बाद जब वह अपनी ससुराल आई तो उसका मन बिल्कुल भी खुश नहीं था वह बेमन से ही रसोई में काम करने के लिए आई थी परंतु, सास की बात सुनकर उसका मन बेहद खुशी से उछलने लगा था ऐसे प्यार करने वाली सास उसने अपने जीवन में पहली बार देखी थी जो उसकी ख्वाहिश पूरी करने के लिए उसे घर की जिम्मेदारियां से मुक्त कर रही थी।

     अपनी सास की ऐसी भावना देखकर उसके मन में उनके लिए बेहद सम्मान उमड आया था और नेत्र आंसुओं से सजल हो गए थे  अपनी सास के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए जैसे ही वह उनके पैर छूने चली अहिल्या ने पैर छूने से पहले ही “तू मेरी बेटी है और बेटियां पैरों को हाथ नहीं लगाती “यह कहकर दोनों हाथ पकड़ कर उसे गले से लगा लिया था फिर बेटे से कहकर उसका अच्छे कॉलेज में एडमिशन करा दिया था ताकि वह अपना सपना पूरा कर सके।

#काली रात

लेखिका : बीना शर्मा 

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