“खुशी मिली इतनी की मन में ना समाये – सुनीता मौर्या “सुप्रिया” :

Moral Stories in Hindi

“मम्मी…मम्मी…मम्मी जीईईई…कहां हो आप?” दस साल का पल्लव खुशी से अपनी मां को पुकारता हुआ घर मे दाखिल हुआ। 

 हाथ में सूखे कपड़ों का ढेर लिये  सीढियों से उतरती मैथली झुंझलाते हुए पूछती है,”क्या हुआ जो इतना बेसब्रा हुआ जा रहा है, छत पर गई थी सूखे कपड़े उठाने?”

पल्लव हाथ में एक बेला का फूल माँ को दिखाते हुए चहककर कहा,”मम्मी जी देखिये अपने बेला के पौधे में ये फूल खिलना शुरू हो गये!”

मैथली ने गुस्से से पल्लव के हाथ से फूल लेकर एक ओर फेंक दिया और उसको  डांटते हुये बोली,” ये कौन-सी खुश होने की बात है बेला खिलने का मौसम आया है तो खिलेंगे ही!”

मैथली हमेशा चिड़चिड़ी सी और बात-बात गुस्सा होने वाली महिला थी! उसे कभी किसी ने हंसते मुस्कुराते नही देखा था! उसके दो बेटे थे, बड़ा बेटा प्रवाल जो सोलह साल का था और छोटा बेटा पल्लव दस साल का था। पति राघवेंद्र एक सरकारी जॉब करते थे।  

 राघवेन्द्र और दोनो बेटे जितने खुश मिजाज़ थे मैथली उतनी ही उदास, दुखी और चिंतित रहने वाली महिला थी। गुस्सा तो उसकी नाक पर बैठा रहता था।

पल्लव तो छोटी-छोटी बातों पर ही खुश हो जाया करता था।

एक दिन दोनो भाई प्रवाल और पल्लव  ‘स्पेश वार’ विडियो गेम खेल रहे थे! जब भी पल्लव प्रवाल के राकेट को मार गिराता खुशी से उछल पड़ता और कहता,” देखा भैया मैंने आप का राकेट गिरा दिया!” प्रवाल भी हंसते हुए उस की पीठ ठोंक कर कहता,” शाबास मेरे शेर  ऐसे ही लगे रहो!”

जब प्रवाल उसका राकेट गिराता तब भी वो खुश होता अपने भैया के लिये… खुश हो कर भाई के गले में बाहें डालकर कहता मेरे भैया भी बाहदुर हैं!” वो अपनी जीत में भी खुश होता और अपनी हार में दुःखी होने के बजाये भैया की जीत में खुश होता प्रवाल भी ऐसा ही था। दोनों को एक दूसरे की खुशी मे खुश होना अच्छा लगता था।

दिन गुजरते गये दोनों भाई अब बड़े हो गये! प्रवाल हास्टल चला गया और पल्लव इंटर मीडियट में था तो घर पर ही था।

पल्लव अपनी माँ को हमेशा समझाता,”मम्मी जी आप हमेशा खुश रहा करो!” 

“खुश होने की कोई बात हो तो खुश रहूँ!” मैथली उदासी भरी आवाज में कहती!

” मम्मी जी खुशी किसी बात से होती नही है….उन बातों में खुशी तलाशी जाती है,

जैसे अभी भैया का इतने बड़े इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट मे एड्मिशन हुआ आप ने इसमे भी कोई खुशी तलाशी क्या? नही ना…. इस लिए कोई खुशी जाहिर ही नही कर पाई! क्या ये आपके लिए खुश होने वाली बात नही थी? 

पर आपने तो ऐसे दिखाया कि जैसे नार्मल बात है, माना कि बहुतों का एड्मिशन होता है पर हमारे लिये तो खुश होने की बात थी ना!” पल्लव माँ को समझाते हुए बोला!

वह आगे बोला,” मम्मी जी हर समय गुस्सा करने वाले, उदास रहने वाले और फिजूल की चिंता करने वाले लोगों  को डिप्रेशन में जाते देर नही लगती, और पता है मम्मी जी ऐसे लोगों का चेहरा भी खूबसूरत नही रह जाता!

 मम्मी जी आपको मालूम है जब आप मुस्कुराते हैं, तो आपके चेहरे की मांसपेशियाँ सिकुड़ती और ढीली होती हैं, जिससे आपके चेहरे की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिलती है। यह आपके चेहरे में रक्त प्रवाह बढ़ाकर आपके रंग-रूप को निखारने में भी मदद करती हैं!”  

इतना कहकर पल्लव कुछ पल चुप रहकर बस माँ का चेहरा देखता रहा!

मैथली ने पूछा,”ऐसे क्या देख रहा है?”

तब पल्लव बोला,”मम्मी जी आप ने कभी आइने में अपनी सूरत देखी है…समय से पहले बूढ़ी लगने लगी हो, और पहले जैसी सुंदर भी नही लगती एकदम खडूस बुढ़िया लग रही हो!” इतना कहकर माँ के गले मे बाहें डाल कर गाल पर एक पप्पी ले ली!

मैथली भी थोड़ा सा मुस्कुरा दी! 

“मम्मी जी खुशी तलाशने के लिए किसी हिमालय पर नही जाना होता है न किसी जंगल मे जाने की जरूरत है!…ना कोई दूसरा दे सकता!.. खुशी अपने मन में छुपी होती है। उसे अंदर से तलाश कर खुद ही निकालना पड़ता है!

 छोटी-छोटी बातों में भी खुशी तलाश कर सकते है हम…चाहे चिड़ियों की चहचहाट हो, चाहे बगिया मे कोई नया फूल खिला हो, या छोटे बच्चों की उछल कूद करते  देखना, उनका पल मे झगड़ना पल मे दोस्ती करना हो!, 

 दोस्तों के साथ हंसिये गप्पे हांकिये या कोई पसंदीदा काम करिये, गाने सुनिये हमेशा सकारात्मक सोचिये, हमेशा आभारी रहिये,…ईश्वर हो या इन्सान सबका!

और दूसरों की मदद करिये, अपने लिए समय निकालिये और उन बातों में शामिल हों जो आपको खुशी देती हों!

उन चीजों के लिए आभारी रहें जो आपके पास हैं, चाहे वे कितनी भी छोटी क्यों न हों। वो पैसा हो… कोई रिश्ता हो या बच्चे… या स्वास्थ्य हो…कम हो या ज्यादा जितना भी मिला है उसके लिए शुक्रगुजार रहिये!…किसी-किसी को तो इतना भी नही मिलता!  कृतज्ञता आपको सकारात्मक रहने में मदद करती है।

जीवन में छोटी-छोटी खुशियों का आनंद लेना सीखें, जैसे कि स्वादिष्ट भोजन का स्वाद लीजिये… प्यार से खाइये और खिलाईये…किसी सहेली से मिलिये या किसी खूबसूरत चीज की तारीफ करिये… अपनी उम्र और कमियां स्वीकारिये और खुद को वैसे ही स्वीकार करिये जैसे आप हैं।

 भविष्य की चिंता करने जैसी बातों को याद करने के बजाय, वर्तमान क्षण में जीने की कोशिश करिये!… आज में जीना सीखये कल कभी नहीं आता!”

पल्लव बोलता ही जा रहा था कि तभी मैथली ने उसे टोका, “बस कर भाई… बस कर… मैं समझ गई ‘महाराज’… मैंने सीख लिया कि छोटी-छोटी बातों में कैसे खुश रहा जाता है!  

मुझे खुश रहने के लिए किसी हिमालय पर नही जाना भाई!! छोटी-छोटी बातें हमारे आस-पास ही बिखरी पड़ी हैं… बस उन बातों को समेटना है, और खुश रहना है!” 

इतना कहकर मैथली ने हाथ जोड़कर “गुरु महाराज की जय हो!” कहा और खिलखिला कर हंस पड़ी!

 पल्लव को हंसती हुई माँ आज बहुत  ही सुंदर और प्यारी लगी! पल्लव हंसते हुए बोला’  “ये हुई ना पल्लव की मम्मी वाली बात!!”

“इन छोटी-छोटी बातों मे हम खुशी तलाश कर खुश रह सकते हैं!”

किसी ने कहा है…

“जीना है तो हंस के जियो जीवन मे एक पल भी रोना ना!”

और…. ये भी… 

“हंसते-हंसते कट जाए रस्ते जिंदगी यूँ ही चलती रहे!!”

          ( स्वरचित)

     सुनीता मौर्या “सुप्रिया”

 “छोटी-छोटी बातों में खुशियों को तलाश करना सीखो!” पर आधारित

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