यह भाभी का बेटा भी ना , जब भी हाथ में लो कभी सु- सु कर देता हैं तो कभी पोटी , बड़ा बदतमीज बच्चा हैं बोलकर रीतु अपने कपड़े साफ करने लगी !!
यह तो अपनी मां को जरा भी तंग नहीं करता रीतु , तुझे पता हैं जब तू छोटी थी तो तूने तो हम सबकी नाक में दम कर रखा था !! इसकी मां तो इसे मेरे पास छोड़कर आराम से ऑफिस जा पाती हैं , भगवान का शुक्र हैं तुझ पर नहीं गया , रीतु की मां सुमन जी हंसते हुए बोली !!
रीतु की भाभी नेहा मां – बेटी का सारा वार्तालाप सुनकर बाहर आकर बोली – रीतु जब तुम मां बनोगी तब तुम्हें पता चलेगा कि बच्चे कैसे होते हैं ??
रीतु बोली – भगवान करे मुझे कभी बच्चों की सु- सु , पोटी ना साफ करनी पड़े , मैं तो कभी बच्चे ही पैदा नहीं करूंगी !!
नेहा हंसते हुए बोली – मैं भी यही सोचती थी रीतु पर जो होना होता हैं वह तो होकर रहता हैं ना !!
रीतु के मुंह से अनायास ही निकले वह शब्द मानो सच हो गए थे !! आज रीतु तीन तीन बच्चों को संभाल रही थी हां यह अलग बात हैं कि उसे सच में कभी बच्चों की सु- सु , पोटी साफ नहीं करनी पड़ी थी !! रीतु की शादी एक बहुत अच्छे लड़के राजीव से हुई थी !! रीतु के सास – ससुर इस दुनिया में नही थे, ससुराल में बहन की तरह रखने वाली जेठानी और एक शादी शुदा ननद थी !! सभी मिलकर तीर्थ यात्रा पर निकले थे कि एक भयानक एक्सीडेंट ने सब कुछ बदल कर रख दिया था !!
उस एक्सीडेंट में जेठ- जेठानी , ननद- ननदोई और उसके पति राजीव की मृत्यु हो गई !! जेठ के दो बेटे करण और अर्जुन ,ननद की बेटी रिया और रीतु बस यही उस भयानक एक्सीडेंट में बच गए थे !!
रीतु की सात महिनों की शादी में मानो जैसे सब खत्म सा हो गया हो !! अभी तो रीतु राजीव को ठीक तरह से जान भी नहीं पाई थी !! माता – पिता ने रीतु पर दूसरी शादी का दबाव बनाया मगर तीन छोटे छोटे बच्चों को रीतु कैसे अकेला छोड़ सकती थी यां यू कहिए कैसे अनाथ कर सकती थी ?? उसने अपनी जिंदगी इन्हीं बच्चों के नाम कर दी और उनका पालन पोषण कर उन्हें बड़ा करने लगी !! वक्त के साथ तीनों बच्चे पढ़ लिखकर बड़े हो गए थे और करण की शादी भी हो गई थी !! रीतु को कभी इन सब बच्चों की सु- सु , पोटी साफ नहीं करनी पड़ी थी इसलिए वह सोचती कि कभी कभी भगवान भी मुँह से निकली बात जाने कैसे सच करा देते हैं ??
आज लगभग बीस वर्ष बाद जब रीया और उसकी भाभी सिया को रीतु ने बात करते सुना तो उसे अपना गुजरा जमाना याद आ गया !!
रिया सिया से कह रही थी भाभी बड़ा बदतमीज हैं आपका बेटा ,जब भी मैं इसे गोद में लेती हुं मुँह से दूध निकाल देता हैं और मेरे पुरे कपड़े गंदे कर देता हैं !!
रिया देखती हुं जरा तुम कितना तमीजदार बच्चा पैदा करती हो ?? जब तुम्हारी बारी आएगी तब मैं मजे लूंगी सिया हंसते हुए बोली !!
रिया बोली – भाभी , मैं तो कभी बच्चे पैदा ही नहीं करूंगी और करूंगी भी तो मेड रख दूंगी , महिने का लाखों कमाती हुं , यह सब काम थोड़ी करूंगी !!
पगली , कभी ऐसे नही बोलते , यह सब तो नसीब की बात होती हैं , कौन जाने हमारे मुँह से निकली कौन सी बात कब सच हो जाए , रिया के गाल पर हाथ फिराकर रीतु प्यार से बोली और उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े !!
सिया और रिया नहीं जानते थे कि रीतु के भरे जख्म फिर से कुरेद जाएंगे , उन्हें रीतु के जख्मो का अंदाजा था वे रीतु को हंसाने के लिए एक दूसरे से लड़ पड़ी देखा तुमने मेरी मां को रुला दिया रिया बोली !!
सिया बोली – यह तुम्हारी नहीं मेरी मां हैं , तुम तो थोड़े दिनों में शादी करके यहां से चली जाओगी फिर मेहमान की तरह मां से मिलने आओगी इसलिए यह तुमसे ज्यादा मेरी मां हैं !!
रीतु जानती थी दोनों मिलकर उसका ध्यान बांटना चाहती हैं !! रीतु प्यार से बोली – चुप करो तुम दोनों , मैं तुम दोनों की मां हुं और अब बंद करो अपना यह नाटक !!
जिंदगी ने दुःख तो इतने दिए थे कि जिंदगी पर से भरोसा ही टूट गया था और एक बार टूटा हुआ भरोसा फिर कहां जुड़ता है मगर तुम बच्चों ने मुझे इतना प्यार दिया कि मैं सारे गम भूल गई , बोलते हुए रीतु ने सिया और रिया को गले लगा लिया !!
उतने में पीछे से करण और अर्जुन आकर रीतु के गले लगते हुए बोले – सारा प्यार इन्हीं पर लुटा दोगी क्या मां ?? हम भी तो तुम्हारे बेटे हैं !!
रीतु पीछे मुडकर बोली – अरे तुम दोनों तो मेरे जीवन के चिराग हो , तुम चारो मेरे प्यारे बच्चे हो और मुझे गर्व हैं कि मैं तुम जैसे बच्चों की मां हुं !!
रीतु की भाभी नेहा वहीं दूर खड़ी होकर सारा नजारा अपनी आंखों से देख रही थी , उसकी आंखों से टप टप आंसू बहे जा रहे थे वह सोच रही थी कि आज भले मां यह सब देखने के लिए हमारे बीच नहीं हैं , पर वह जहां भी होगी अपनी बेटी रीतु पर गर्व जरूर कर रही होगी , भले रीतु को पति का सुख नसीब नहीं हुआ मगर औलाद का सुख उसे भरपुर मिला , रीतु की जीवन भर की तपस्या पुरी हुई और रीतु कितनी भाग्यशाली हैं जो यह सब बच्चे बेगाने होकर भी रीतु के त्याग और बलिदान पर इतनी ममता लुटाते हैं और एक मेरे नालायक बेटा बहू हैं जो मेरा अपना खुन होकर भी मुझे हर वक्त बेगाना महसूस करवाते थे !! पति के जाने के बाद बेटा बहू ने जीते – जी नरक दिखा दिया था ऐसे समय में रीतु ही थी जो मुझे हाथ पकड़कर यहां अपने साथ ले आई वर्ना आज मैं किसी वृद्धाश्रम में पड़ी होती !! रीतु के लिए नेहा हर वक्त आभार महसूस करती कि रीतु ना होती तो उसका क्या होता ?? रीतु के घर आकर नेहा भी बहुत खुश थी क्योंकि उसे भी यहां वह प्यार और सम्मान मिला जो उसके खुद के घर में भी नहीं मिला था !! सच खुन के रिश्तों से मन के रिश्ते ज्यादा अच्छे होते है सोचकर नेहा मुस्कुरा दी !!
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन