खानदान की इज्जत – अर्पणा कुमारी   : Moral Stories in Hindi

मेरा नाम माहिर है, अपने घर में सबसे छोटा | अपने मां-बाबा एवं दीदी का लाडला

और दादी!!! दादी के तो आंखों का तारा हूं मैं  | उनके अनुसार मैं ही हूं जो उन्हें सोने की सीढ़ी लगाकर स्वर्ग तक पहुचायेगा | पर उनका राजकुमार आज उनकी आंचल की छांव में नहीं ,बल्कि नशा मुक्ति केंद्र में अपने दिन बिता रहा है| मैं कैसे यहां पहुंच गया यह मुझे पता भी नहीं चला यह तो मैं नहीं कह सकता क्योंकि सिर्फ और सिर्फ मेरे कर्म ही है जो मुझे यहां तक लेकर आए हैं|

मेरे बाबा बैंक कर्मचारी है और मेरी दीदी देश के जाने-माने मेडिकल कॉलेज की छात्रा है| बात तब की है जब पूरा देश कोरोना नामक भयानक महामारी के  बाद धीरे-धीरे संभलने लगा था ,लोग अपनी दिनचर्या में वापस लौटने लगे थे और इस समय हमारे स्कूल में भी पहले की तरह पढ़ाई शुरू हो गई थी| कोरोना के बाद जब हमारा स्कूल खुला मैं 11वीं कक्षा में आ चुका था| इतने दिनों तक ऑनलाइन क्लासेस करने के बाद मेरा मन पढ़ाई से उचट चुका था | पढ़ाई तो मैं क्या करता, बस मोबाइल या लैपटॉप पर गेम खेलता था

या वीडियो देखता था| 11th में मेरी क्लास में बहुत नए बच्चे दूसरे शहर से भी पढ़ने आए थे ,बहुत जल्दी ही मेरी उनसे दोस्ती हो गई| अमीर घरानों  के बच्चे जिनके पास पैसों की कोई कमी नहीं होती थी| एक दिन मेरे मित्र राज ने अपने बर्थडे में मुझे बुलाया | मैं मम्मी से पूछे बिना कहीं नहीं आता- जाता ,ऐसा सुनते ही वह जोर-जोर से हंसने लगा |मुझे समझ में नहीं आया इसमें हंसने की क्या बात थी| फिर भी उसने मम्मी को फोन करके मुझे बर्थडे में ले जाने की इजाजत ले ली| पार्टी एक बहुत बड़े होटल में थी| वहां  सिर्फ हम बच्चे ही थे|

  केक कटा और फिर हम सब ने खूब मस्ती की| खाने के साथ-साथ वहां मादक सामग्रियां भी थी | इससे पहले मैंने इन सब चीजों को हाथ भी नहीं लगाया था| राज मुझे भी जिद करने लगा ,मैंने उससे कहा, भाई हमारे घर में यह सब नहीं चलता|

अरे  तो कौन सा हम अपने घर में बैठे हैं और वैसे भी आज मेरा जन्मदिन है ,इतना तो बनता है कह कर, उसने अपनी ग्लास मेरे मुंह में लगा दी |

मैंने  भी सोचा ,चलो एक बार से क्या हो जाएगा पर मुझे तब नहीं पता था कि यह मेरे  पतन की शुरुआत थी| घर लौट कर कपड़े बदलकर मैं जल्दी से जाकर सो गया| किसी को कुछ पता नहीं चला पर अब मुझे उन बच्चों के साथ रहना, टाइम बिताना बहुत अच्छा लगने लगा| मैं घर से निकलता तो था ट्यूशन का कह कर पर कहीं सुनसान जगह पर उन लोगों के साथ पीने बैठ जाता था| धीरे-धीरे मैं नशा करने लग गया| कहतें है- एक बुरी आदत अपने साथ 100 बुरी आदतें लाती है | मैं घर से पैसे चुराने लग गया |किताबों के पैसे लेता,

ट्यूशन फीस के पैसे लेता और उन पैसों को नशे में उड़ा देता| पर कहते हैं ना झूठ के पांव नहीं होते, एक न एक दिन झूठ पकड़ा ही जाता है और मेरा भी पकड़ा गया| मेरे इंस्टीट्यूट से बाबा के पास फोन आया कि आपका बच्चा काफी दिनों से ट्यूशन नहीं आ रहा और ना ही फीस के पैसे जमा हुए हैं| उस रात बाबा ने मुझे अपने पास बुलाया और बहुत प्यार से पूछा पढ़ाई कैसी चल रही है? बहुत अच्छी मैंने पूरे आत्मविश्वास से कहा|

ट्यूशन गए थे? जी गया था, मैं तो रोज जाता हूं|

 ठीक है जाओ सो जाओ |मैं सुबह उठकर स्कूल गया और फिर हमेशा की तरह शाम में ट्यूशन का कह कर उन बच्चों के साथ सुनसान जगह में बैठकर पीने लगा

 तभी मुझे अपना नाम सुनाई दिया -माहिर

 मैंने पलट कर देखा, बाबा खड़े थे| उन्हें देखते ही मेरे तथा कथित दोस्त मुझे वहां अकेला छोड़कर भाग खड़े हुए| बाबा को देखकर मेरी सिट्टी पिट्टी गुम थी ,तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और बस इतना ही कहा- घर चलो बेटा| बाबा यहां कैसे आ गए मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था | घर आकर उन्होंने दादी एवं मां को मेरे पास बिठाया और कहने लगे, बेटा तुम्हारे स्कूल से फोन आया था कि आपके बच्चे का मार्क्स अच्छा नहीं आ रहा है, उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लग रहा| मैं तुमसे बात करने ही वाला था कि तुम्हारे ट्यूशन से फोन आया कि तुम कितने ही दिनों से ट्यूशन नहीं आ रहे हो , फीस भी नहीं दे रहे , तब मुझे लगा कहीं तो कुछ गड़बड़ है|

आज जैसे ही तुम घर से ट्यूशन के लिए निकले, मैं तुम्हारा पीछा करते हुए उस जगह पहुंच गया | फिर उन्होंने दादी एवं मां को भी सारी बातें बताई | वह दोनों तो विश्वास ही नहीं कर पा रही थी| फिर बाबा ने मेरा बैग चेक किया तो उन्हें उसमें वह सारी चीजें मिल गई -जो मुझ जैसे विद्यार्थी तो क्या किसी के लिए भी अच्छी नहीं होती| |उन्होंने मुझे बहुत प्यार से समझाया, मुझे गले लगा कर कहा, बेटा बनने की भी यही उम्र होती है और बिगड़ने की भी अपनी जिंदगी बनाओ और याद रखो आज से मेरी नजर हमेशा तुम पर रहेगी|

कहां तो मैं डर रहा था कि मुझे भयंकर मार पड़ेगी और यहां तो उन्होंने मुझे डांटा भी नहीं बस प्यार से समझाया| उस दिन के बाद मैं और ज्यादा सतर्क हो गया| जहां मुझे अपना ध्यान पढ़ाई पर लगाना चाहिए था वही मैं इस कोशिश में लगा रहता की कैसे घर वालों से छुपकर मैं नशा कर सकूंऔर फिर वह काली रात आई जो मैंने सपने में भी नहीं सोची थी| मेरे बाबा बैंक ट्रेनिंग के लिए शहर से बाहर गए हुए थे |

अच्छा मौका था मैं फिर अपने उन्हीं दोस्तों के साथ पीने बैठ गया| बाबा तो मेरे पीछे आएंगे नहीं और फिर काफी दिनों बाद मुझे ऐसा मौका मिला था तो मैं पीता ही चला गया कब मैंने इतनी पी ली कि मैं बेहोश हो गया| मेरे साथ के लड़के एक-एक करके वहां से चले गए |रात काफी हो गई थी| मां बार-बार मुझे फोन कर रही थी पर मैं फोन उठाने की हालत में था कहां| तभी फोन की आवाज सुनकर किसी ने मां का फोन रिसीव कर लिया|

भैया आप कौन बोल रहे हैं यह तो मेरे बेटे का फोन है वह कहां है मां हद से ज्यादा घबराई हुई थी| बाबा भी शहर से बाहर थे| यहां एक लड़का बेहोश पड़ा है| भैया आप प्लीज जगह बताइए और वही रहिए मैं अभी पहुंचती हूं| मेरी मां बिचारी ,जो पापा के बिना मार्केट तक नहीं जाती उन्होंने नीचे रहने वाले अस्थाना अंकल को फोन कर सारी बात बताई|

अंकल आंटी और मां उनकी गाड़ी से मुझे लेने आए वहां बिखरी पड़ी बोतले और सिगरेट के टुकड़े सारी कहानी बता रहे थे| उस अनजान सख्श और अंकल ने मुझे गाड़ी में लिटाया मेरे पूरे कपड़े उल्टी से गंदे हो चुके थे |जब तक वह लोग मुझे लेकर घर पहुंचे तब तक और भी पड़ोसी बाहर निकल चुके थे| सब ने मिलकर गाड़ी से मुझे उतारा, गार्डन में लगे पाइप से मेरे कपड़े साफ किये |

जब मैं सुबह उठा तो कमरे में अकेला था| मैं रूम से बाहर निकला, दादी से नजर मिली मैं उनकी तरह बढ़ा पर उन्होंने मुख फेर लिया|

 मां चुपचाप बैठी थी, मैंने कहा सॉरी मां तब उन्होंने अपना मोबाइल मेरी तरफ बढ़ाया कल रात जिस हालत में मैं था उसकी तस्वीरें थी| मां और दादी, जिनकी आंखों में मेरे लिए प्यार और ममता होती थी आज मुझे उसमें दुख एवं हताशा दिख रही थी|

देख रहा है  इन तस्वीरों को?  यह मैंने नहीं ली बेटा यह तो हमारे पड़ोसियों ने लेकर मुझे भेजी है| हमें नहीं पता था हमारे खानदान का चिराग ही हमारे खानदान की इज्जत मिट्टी में मिला देगा ऐसा तूने क्यों किया बाबू?

मैं चुप था ,इस क्यों का क्या जवाब देता?  दो दिन बाद बाबा ट्रेनिंग से वापस आ गए| इन दो दिनों में मां ने मुझे घर से बाहर भी नहीं जाने दिया| बाबा को मां ने सारी बातें बताई और वह फोटो भी दिखाएं जो उनके मोबाइल में थे| बाबा ने मुझे अपने पास बुलाया और पूछा मेरे इतना समझाने के बाद भी तुमने यह क्यों किया?

बाबा गलती हो गई|

गलती एक बार होती है बेटा बार-बार नहीं||

बाबा दोस्तों को देखकर मेरा भी मन कर गया|

इसका मतलब अब तुम्हें इसकी आदत हो गई है ठीक है तुम जाओ और इसके बाद बाबा ने जो निर्णय लिया उसके फल स्वरूप में आज यहां नशा मुक्ति केंद्र में हूं |मुझे यहां आए काफी दिन हो गए मैंने अपनी बुरी आदतें पूरी तरह छोड़ दी है| अब तो कुछ दिनों में मैं वापस घर जाने वाला हूं| मैंने अपने आप से वादा किया है अब मैं कभी इन बुरी चीजों को हाथ भी नहीं लगाऊंगा|

मैं अपने घर का चिराग हूं, मुझे वह चिराग बनना है जो अपने घर को रोशन करता है ना कि अपने ही घर को जला देता है| मुझे अपनी मां, दादी की आंखों में अपने लिए फिर से वही प्यार देखना है| अपने खानदान की इज्जत को मिट्टी में नहीं मिलाना उसे बुलंदियों पर ले जाना है और मुझे पूरा विश्वास है मैं यह जरूर करूंगा|

 अर्पणा कुमारी

बोकारो स्टील सिटी , झारखण्ड !!

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