मीनल और सोनल देवरानी जेठानी दोनों ऐसे रहती थी की सगी बहन है।
शॉपिंग करने जाना है तो साथ में जाती थी घर का काम है तो दोनों साथ करती हैं।
सास को ज्यादा असर नहीं पड़ता था ससुर रिटायर्ड हो गए थे उनका भी कहना था कि घर में यदि सब मिलजुल कर रहेंगे तो समझदारी उसी में दिखेगी।
दोनों बहू को भी उन्होंने समझा के रखा था कि जो जरूरत हो उससे हमेशा कह देना तो मीनल और सोनम अपने साथ और ससुर से बहुत फ्रेंक थी।
धीरे-धीरे बच्चे भी बड़े हो गए थे स्कूल जाने लगे थे काम का बोझ बढ़ता ही जा रहा था।
एक दिन गांव से ससुर के बहुत पुराने दोस्त की बेटी कुछ दिनों के लिए रहने के लिए आ गई ।
सोनल और मीनल की खुशी मैं चार चांद लग गए रूबी नाम था।
वह बहुत ही प्यारी छोटी सी बच्ची दिखने में छोटी थी।
लेकिन उम्र में बड़ी थी ससुर के दोस्त गांव के पक्के दोस्त हैं।
और रूबी की मम्मी का देहांत लगभग 6 महीने पहले हो गया था।
गांव में उसे अकेला नहीं छोड़ सकते थे इसलिए वह शहर में अपने दोस्त के पास छोड़ने आ गए थे ।
उन्हें 2 महीने के लिए बाहर बिजनेस करने जाना था ।
रूबी ने इतना बड़ा घर पहली बार देखा था उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था।
रहने में कुछ दिनों में ही मीनल और सोनल से अच्छी दोस्ती हो गई थी।
रूबी साधारण सी बच्ची हर किसी का काम बहुत अच्छे से सुन लेती थी ।
कभी कोई बोलता था चाय बना कर ले आओ तो तुरंत ही लेकर आ जाती थी।
कभी कोई बोलता था थाली लगा दो तो वह थाली भी लगा देती थी ।
बच्चों के साथ खेलना उनका ध्यान रखना उसकी आदत में आ गया था।
घर में हर कोई रूबी से ही काम करवाता था रूबी को भी काम करना बहुत अच्छा लगता था ।
अब तो रूबी कठपुतली की तरह काम करती थी हर कमरे से आवाज आती थी।
रूबी जरा पानी लेकर आ जाना रूबी घर गंदा दिख रहा है झाड़ू लगा लेना ।
रूबी जाकर गिलास किचन में रखकर आ जाओ छोटे-छोटे से काम भी रूबी सी करवाने लगे थे।
कठपुतली की तरह नाचती रहती थी कभी किसी को ना नहीं करती थी ।
एक दिन रूबी की तबीयत खराब हो गई और उसने किसी को नहीं बताया ।
और धीरे-धीरे चल रही थी फिर काम कर रही थी मीनल को थोड़ा गुस्सा आ गया।
और उसने कहा कि रूबी तुम्हें तो अब जरा भी काम में मन नहीं लग रहा है ।
रूबी को रोना आ गया और वह एक कोने में जाकर बैठ गई ।
सोनल में आकर उसकी माथे कुछ छुआ तो एकदम तप रही थी ।
उसे बहुत तेज बुखार आ गया था तभी सोनल ने गाड़ी उठाई हो तुरंत उसको डॉक्टर के यहां ले गए ।
घर में सभी लोग घबरा गए कि रूबी को अचानक क्या हो गया।
और सभी उसकी देखरेख में लग गए हैं जब वह ठीक हुई तब सब की जान में जान आई ।
ठीक होने के बाद रूबी फिर से अपने काम में लग गई लेकिन इस बार सब ने कहा कि नहीं रूबी के आने से सब ढीले पड़ गए हैं।
और अपना-अपना काम नहीं कर रहे हैं रूबी अब तुम सिर्फ कुछ काम किया करो।
नहीं तो तुम एक दिन चली गई तो हम लोगों का छोटे-मोटे काम कौन करेगा।
रूबी ने कहा नहीं मैं कर सकती हूं मेरी अब तबीयत ठीक हो गई है ।
लेकिन मीनल सोनल ने उसके काम बांट दिए एक दिन फिर से रूबी रोआंसी सी बैठी हुई थी ।
तब उससे सास मीना ने पूछा कि आज तुम्हें क्या हो गया।
तब उसने अपनी मां की पूरी कहानी सुनाई और आज मेरी मां का जन्मदिन रहता है।
और मुझे उनकी बहुत याद आती है मुझे तो कुछ दिनों तक उनके बिना नींद भी नहीं आती थी ।
लेकिन अब मेरी आदत पड़ गई है और आप लोग मुझे मिल गए हो तो मुझे ऐसा लग रहा है।
फिर से मुझे मेरी मां मिल गई हो मेरी मां को मेरी दादी बहुत परेशान करती थी।
और वह इसी टेंशन में ना अच्छे से खा पाती थी ना सो पाती थी।
उनसे इतना काम कराती थी कि उनकी हालत खराब हो गई थी।
गेहूं को कूटना दाल कूटना और उनके शरीर में बिल्कुल भी दम नहीं बची थी।
डॉक्टर ने तो उन्हें बेड रेस्ट कहा था लेकिन कोई मानता ही नहीं था।
और कोई भी उनके इलाज में खर्च करने भी के लिए भी तैयार नहीं था।
और वह हम सबको एक दिन छोड़कर चली गई वह भी एक कठपुतली की तरह ही काम करती रहती थी ।
आज उनकी मुझे बहुत याद आ रही है यह सब बातें मीनल और सोनल ने भी सुन ली।
उन्होंने कहा कि रूबी हम लोगों को माफ कर दो तुम्हारे व्यवहार के कारण हम लोग सब तुम्हें काम के लिए बोल देते थे ।
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा हम सब मिलकर काम करेंगे।
और अपना-अपना काम खुद करेंगे तुम इस घर की कठपुतली थोड़ी ना हो चलो आज हम सब मिलकर शॉपिंग के लिए चलते हैं।
रूबी को हंसी आ गई और रूबी को लेकर शॉपिंग करने के लिए गए।
उसके लिए सुंदर-सुंदर कपड़े खरीदे रूबी ने सबको धन्यवाद कहा और फिर से घर में रौनक हो गई।
जीवन में इसलिए हम किसी के ऊपर काम का बोझ नहीं डालना चाहिए हमें अपने काम खुद स्वयं करने चाहिए।
विधि जैन