कठपुतली – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

अरे , बड़ी बहु तुम क्या करोगी यह पर्स खरीद कर , तुम कौन सा नौकरी पर जाती हो ?? तुम्हें तो वैसे भी दो वक्त का खाना ही तो बनाना होता हैं ,

सास सुशीला जी ने उसकी बहू राखी के हाथ से पर्स खींचते हुए बोला और पर्स बेचने वाले भैया से बोली – कितना दाम है इसका ?? इसे पैक करके दे दो , इसको मैं अपनी छोटी बहू को दूंगी , इसे लटकाकर वह ऑफिस जाएगी तो कम से कम मुझे याद तो करेगी कि सासू मां लाई हैं मेरे लिए !!

राखी को यह सब सुनकर बहुत दुःख हुआ क्योंकि उसे कब से इच्छा थी कि वह भी एक लटकाने वाला पर्स खरीदे , जब भी अपनी देवरानी गीता को कंधे पर पर्स टांगकर ऑफिस या शापिंग करने जाते देखती तो उसकी भी इच्छा होती कि वह भी जब कभी बाहर सब्जी लेने या शापिंग करने जाएगी तो ऐसे ही पर्स लटकाएगी !!

आज राखी खाना बना ही रही थी कि खिड़की से देखा कि बाहर एक भैया यह लटकाने वाले पर्स का ढेर लगाए बैठे हैं और चिल्ला रहे हैं सेल में पर्स ले लो पर्स !!

उसे देखकर मोहल्ले की कुछ औरते बाहर आकर पर्स खरीदने लगी थी इसलिए राखी ने भी सोचा कि आज तो वह भी ऐसा एक पर्स ले लेगी मगर उसके फूटे कर्म कि उसके पीछे पीछे उसकी सासू मां सुशीला जी भी आ गई और उसके हाथो से पर्स छिनकर वहीं पर्स अपनी छोटी बहू गीता के लिए खरीद लिया !!

खैर यह भेदभाव पहली बार तो नहीं हुआ था राखी के साथ , यह तो तब से होता आ रहा था जब से सुशीला जी को कमाने वाली बहू गीता मिल गई थी ओर तो ओर दोनों बहुओं के बच्चो में भी जमकर भेदभाव होता !! सुशीला जी अपने दोनों बेटों में भी भेदभाव करती क्योंकि बड़ा बेटा रोहित छोटे बेटे राकेश से कम कमाता था !!

राखी की एक बेटी थी जो बारह वर्ष की हो चुकी थी और गीता को एक बेटा था जो दस वर्ष का था !!

गीता तो सुबह बेफिक्र होकर ऑफिस चली जाती , पीछे से घर का सारा काम राखी संभालती और गीता के बेटे तरूण को सास सुशीला जी बड़े प्यार से संभालती क्योंकि गीता हर महिने की उसकी सैलेरी में से कुछ रुपए सासू मां को दे देती जिससे वे अपने लिए जी भरके शापिंग करती !! गीता भी ससुराल में खुब रौब से रहती !!

कुल मिलाकर राखी अपने ससुराल वालों के लिए एक कठपुतली समान हो गई थी , जिसकी डोर उसकी सास और देवरानी के हाथ में थी !!

वे लोग जैसे नचाते उसे नाचना पड़ता !!

 भाभी , प्लीस आप अपनी बेटी को संभाल कर रखिए , बार- बार तरुण को खेलने बुलाती रहती हैं जिससे तरूण की पढ़ाई डिस्टर्ब होती हैं , खुद तो पढ़ाई करती नहीं मेरे बेटे को भी ढंग से पढ़ाई नहीं करने देती गीता अपनी जेठानी राखी से गुस्से में बोली !!

राखी बोली- गीता तरूण ही मेरी बेटी आयशा को बार बार खेलने बुलाने आता हैं , फिर आयशा भी तो छोटी ही हैं अभी , मेरे मना करने के बाद भी तरूण आयशा को अपने साथ जबरदस्ती खेलने ले जाता है !!

गीता बोली – देखिए भाभी , आपकी बेटी को तो ज्यादा पढ़ने लिखने का शौक नहीं हैं मगर मेरा बेटा तो हमेशा पढ़ाई में  अव्वल आता हैं , यह बात आप जानती हैं इसलिए आयशा को तरूण से दूर ही रखें इसी में हमारी भलाई हैं !!

उतने में सुशीला जी भी वहां आ गई और बोली – इसकी बेटी को तो अभी से रसोई में खाना बनाने का शौक हैं , लगता हैं बड़ी होकर यह भी सिर्फ खाना ही बनाएगी

इसकी मां की तरह और हमारा तरूण तो अफसर बनेगा पढ़ लिखकर !!

यह टीका- टिप्पणी भी सुनना कोई नई बात नहीं थी राखी के लिए !!

गीता का बेटा पढने में बहुत होशियार था बचपन से और राखी की बेटी को ज्यादा शौक नही था पढ़ने का , हां उसे रसोई में खाना बनाना बहुत पसंद था इसलिए वह भी कईं बार रसोई में आ जाती और अपनी मां को रसोई में छोटी मोटी मदद करके देती !!

बारह वर्ष की उम्र में ही उसे सब्जी काटना और सब्जी बनाना आ गया था , आटा भी गूंथ देती इसलिए घर में सब कहते यह तो कुछ नहीं करेगी बड़ी होकर , इसकी पढ़ाई में पैसे खर्च करना व्यर्थ हैं , इसको तो सिर्फ रसोई में खाना बनाने का शौक हैं !!

आज फिर तरुण पांचवी कक्षा में अव्वल आया था और गीता अपनी जेठानी राखी को जलाने के लिए पेडे बांटने आई थी !!

गीता की आदत थी वह हर साल रिजल्ट वाले दिन राखी को पेडे जरूर देती और यह अहसास भी करवा कर जाती कि उनकी बेटी के सामने उसका बेटा कितना होशियार हैं और सास सुशीला जी भी गीता का भरपुर साथ देती !!

राखी का भी दिल करता कि उसकी बेटी भी कक्षा में अच्छे नम्बर से पास हो मगर आयशा नाम मात्र सिर्फ पास होने के लिए पढ़ती , उसका पढ़ाई से बस इतना ही वास्ता था बाकि वह पढ़ाई में इतना ध्यान नहीं दे पाती थी कि वह अच्छे नम्बरो से पास हो !!

आज तो हद ही हो गई जब फिर से तरूण और आयशा साथ खेल रहे थे , गीता गुस्से में आई और तपाक से एक थप्पड़ तरूण के गाल पर जड़ते हुए बोली – तुझे , कितनी बार समझाया हैं इस आयशा के साथ मत खेला कर , वर्ना इसके साथ खेल कर तुम भी इसी की तरह नालायक बन जाओगे !! थप्पड़ की आवाज इतनी भारी थी की कमरे से सुशीला जी और रसोई से राखी भी बाहर आ चुकी थी !!

सुशीला जी बोली छोटी बहु तरुण को क्यों मार रही हो ?? इसमें तरुण की क्या गलती हैं , गलती तो बड़ी बहु की हैं !! बड़ी बहु बहुत हो गया अब , तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा कि तुम अपनी गृहस्थी अलग कर दो वर्ना बच्चो के कारण घर में बड़ा झगड़ा हो जाएगा !!

आज तो सुशीला जी गृहस्थी अलग ही करवाने पर तुल गई थी इसके पीछे एक बड़ा कारण गीता और उसके पति राकेश की मोटी कमाई भी थी और राखी के पति रोहित एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे , जिसमें सिर्फ घर का महिने का राशन – पानी आ जाता था और दूसरी सारी जरूरते राकेश के पैसों से पूरी होती थी !!

सुशीला जी भी छोटे बेटे – बहू की बोली बोलने लग गई थी !! राखी बोली – मम्मी जी , कोई बात नहीं आज आपने इतनी बड़ी बात कह दी हैं तो मैं खुशी खुशी अपने परिवार के साथ अलग रहने चली जाती हुं , आज तक आपने घर के बेटो में , घर की बहुओं में यहां तक कि घर के पोते – पोती में भी खुब भेदभाव किया मगर मैंने पलटकर जवाब नहीं दिया क्योंकि पलटकर जवाब देना मेरे संस्कारों में ना था !!

आज मैं यहां से जाना नही जानती थी मगर मुझे और मेरे परिवार को निकाला जा रहा हैं , आज के बाद मैं और मेरा परिवार तब तक यहां कदम नहीं रखेंगे जब तक आप हमें खुद ना बुलाए !!

सुशीला जी और गीता ने तो राखी के सामने देखना तक जरूरी नहीं समझा !!

राकेश के ऑफिस से आने के बाद वे तीनों यह घर छोड़कर हमेशा के लिए चले गए !!

राखी ने इस घर को इतने साल दिए थे मगर आज इस तरह से गीता और सुशीला जी दवारा बवाल मचाया जाएगा और उसे अपनी गृहस्थी अलग करनी पड़ेगी यह उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था !!

रोहित और राखी ने मिलकर जैसे तैसे एक घर किराए पर लिया और धीरे धीरे अपनी गाड़ी पटरी पर लाने का प्रयास करते रहे !!

रोहित की आमदनी भी ज्यादा नही थी और सुशीला जी ने भी बेटे को अब तक उसका हिस्सा नहीं दिया था इसलिए राखी को घर बहुत सोच समझ कर चलाना पड़ता था !!

इसी तरह साल बीत रहे थे , गीता का बेटा तरुण पढ़ाई में अव्वल आ रहा था और आयशा का कुकिंग में शौक बढ़ता जा रहा था !!

आयशा का खाना बनाने को लेकर इतना लगाव देखकर राखी ने जो अब तक पैसे जोड़े थे उन पैसों से आयशा को कुकिंग क्लासेस में डाल दिया !!

अब आयशा कुकिंग क्लासेस जाने लगी थी और तरह तरह की चीजें बनाने लगी थी !!

साल गुजरते गए और तरूण पढ़ लिखकर एक नौकरी पर लग चुका था और यहां आयशा ने यू ट्यूब पर अपना कुकिंग क्लासेस का एक चैनल खोल दिया था !!

आयशा सोशल मीडिया पर छाई हुई थी , फेसबुक , यू ट्यूब , इन्सटाग्राम पर आयशा की कुकिंग फेमस हो चुकी थी और वह घर बैठे बैठे लाखों रुपए कमा रही थी !!

जिस आयशा के बारे में राखी के ससुराल वालों को लगता कि यह बड़ी होकर क्या करेगी ?? वहीं आयशा आज फेमस तो हो ही चुकी थी साथ में तरूण से भी ज्यादा कमा रही थी !!

कभी कभी उसकी चाची गीता भी आयशा के विडियोज देख लेती और कुछ नया खाना बनाना सीख लेती !!

सुशीला जी का गीता के राज में घर का काम कर करके बहुत बुरा हाल हो चुका था क्योंकि बड़ी बहु राखी के घर से चले जाने के बाद गीता ने घर का सारा काम सुशीला जी पर थोप दिया था जिस वजह से सुशीला जी को राखी की कमी बहुत खलती थी और यह अहसास भी होता कि उन्होंने बड़ी बहु , बेटे और पोते के साथ कितना गलत व्यवहार किया था !!

अब वे बूढ़ी हो चुकी थी और गीता ने भी तरूण की नौकरी लगते ही खुद नौकरी छोड़ दी थी इसलिए वह खाना बनाने लगी थी मगर सास सुशीला जी का सम्मान बिल्कुल नहीं करती थी !!

सुशीला जी ने दो तीन बार बड़ी बहु से बात करने की कोशिश करनी चाही पर गीता ने उन्हें यह कहकर चुप करवा दिया था कि अगर वे बड़ी बहु को वापस बुलाकर यहां रखेंगी तो वह यह घर छोड़कर चली जाएगी !!

सुशीला जी यही सब सोच रही थी कि उनका मोबाईल बजा , दूसरी ओर उनकी सहेली चंपा थी वह बोली बधाई हो सुशीला , तेरी पोती तो इतनी बड़ी कुकिंग स्टार बन गई हैं , मैं और मेरी बहु तो उसी के विडियोज देखकर खाना बनाने लगे हैं , इतना  अच्छे तरीके से सब बताती हैं कि अब हर छोटी चीज बनाने के लिए भी आयशा के ही विडियोज देख लेते हैं !!

यह सुनकर सुशीला जी की आंखों में आंसू आ गए , यह पहली बार तो हुआ नहीं था कि कोई आयशा की तारीफ कर रहा था !!

सुशीला जी के आस पडोस के लोग , रिश्तेदार सभी लोग आयशा की तारीफ करते थे !!

बेटे , बहु और आयशा को देखे एक अरसा हो गया था इसलिए अब सुशीला जी की अपने परिवार को मिलने की बेकरारी भी बढ़ने लगी थी !!

उनको अपने किए पर बहुत पश्च्चाताप था इसलिए अब उन्होंने ना आव देखा ना ताव , चाहे गीता रिश्ता तोड़े तो तोड़े , राखी के घर का पता निकालकर वे बड़ी बहु राखी के घर पहुंच गई !!

राखी ने उनको देखते ही उनके पांव छुए , सुशीला जी ने उसे तुरंत गले से लगा लिया और बोली – मुझे माफ कर दो राखी !!

मैंने तुम लोगो को घर से निकालकर बहुत बड़ी गलती की थी जिसका खामियाजा मैं अब तक भुगत रही हुं !!

उतने में दूसरे कमरे से आयशा आई !!

सुशीला जी आयशा को देखते ही उसे गले लगाकर बोली – बेटी , मैं तेरी सबसे बड़ी गुनहगार हूं , मैं नहीं जानती थी कि इंसान

बिना पढ़ाई लिखाई कर भी अपने हुनर के दम पर भी आगे बढ़ सकता हैं !!

मैंने तुम्हें हमेशा कमतर आंका , मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई हैं !!

बहु मैंने तुम्हारी गृहस्थी तो अलग करवा दी मगर उसके बाद मुझे छोटी बहु से कभी वह सम्मान नहीं मिला जो तुमने हमेशा दिया था जबकि मैंने तुम्हें भी हमेशा छोटी बहु से कम आंका !!

मैंने तुम लोगो के साथ बहुत गलत किया हैं , मैं माफी की हकदार भी नहीं मगर दिल में इतना सारा बोझ लेकर शायद जी नहीं पाऊंगी इसलिए एक आस लेकर चली आई तुम लोगो के दरवाजे पर !!

राखी और आयशा के मन में तो बहुत सारे गिले शिकवे थे मगर सुशीला जी जैसी भी थी , थी तो घर की सदस्य और अब इतनी बुढ़ी हो चली थी कि उनसे बदले की भावना क्या रखना ?? यही सोचकर राखी और आयशा ने उन्हें माफ कर दिया !!

दोस्तों , कभी कभी हम हीरे की चमक में जिसे कोयला समझ कर फेंक देते है , वह आगे चलकर असली हीरा साबित होता हैं !!

इसलिए कभी भी जरूरी नहीं कि घर में जो व्यक्ति ज्यादा कमा रहा हैं या जो व्यक्ति ज्यादा अच्छा कर रहा हैं वही हीरा हैं !!

कभी कभी लोगो के दूर जाने के बाद हमें यह एहसास होता हैं कि हमने शायद असली हीरा खो दिया !!

यह कहानी आपको कैसी लगी कृपया कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं तथा ऐसे ही अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

#कठपुतली !!

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