कठोर कदम – खुशी :  Moral Stories in Hindi

नंदिता एक पढ़ी लिखी लड़की थी जो नौकरी करना चाहती थीं अपने सपनो को जीना चाहती थी।वो देखने में इतनी सुंदर थी कि जो देखे वो दीवाना हो जाए।नंदिता ने M.A किया और B.ed में एडमिशन ले लिया। B.ED पूरा होते ही वो नोकरी करना चाहती थीं इसलिए अध्यापक पात्रता का फॉर्म भर दिया।सेंटर उसका उसके मामा के घर के पास गुड़गांव पड़ा।तो वो अपने पिता के साथ वहां आई।एग्जाम होने के बाद मामा ने नंदिता को रोक लिया पिताजी वापस करनाल लौट आए।नंदिता मामा के यहां रह

रही थीं तभी उनके एक मिलने वाले के यहां शादी थी।नंदिनी भी वहां उनके साथ गई।उस शादी में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति रमाकांत जी भी अपनी पत्नी के साथ आए थे उन्होंने नंदिता को देखा उन्हें वो अपने बेटे यश के लिए अगले दिन उन्होंने अपने बेटे का रिश्ता नंदिनी के लिए भेजा । मामा ने नंदिता के माता पिता को बुलाया इतने बड़े घर से रिश्ता आया वो बहुत बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट थे।तो इनकार की वजह ही नहीं थी। चट मंगनी और पट शादी हो गई।नंदिता नए घर में आई यश पहली रात को बहुत

देर से कमरे में आया आया तो वो पिए हुए था। नंदिता को बोला ये अपना बनाव श्रृंगार उतार और सो जा।नंदिता को एक तरफ कर वो बिस्तर पर लेट गया।नंदिता धीरे से उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ी चेंज किया बाहर आकर काउच पर लेट गई। रात के किस पहर उसे नींद आई पता नहीं सुबह दरवाजे की आवाज से वो उठी नौकरानी थी बोली बहुजी मालकिन ने ये दिया है नहा कर ये कपड़े

पहन तैयार हो कर नीचे आ जाइए।नंदिता नहाने गई तैयार हुई देखा इतने भारी गहने थे उसने कभी देखे भी नहीं थे।वो नीचे आई।सबने उसकी तारीफ की सास उर्मिला जी बोली बहु आसपड़ोस के लोग आयेंगे तुमसे मिलने।क्या यश उठ गया।नंदिता बोली जी नहीं उर्मिला बोली ठीक है मै देखती हूं।उर्मिला ऊपर आई तो देखा यश पूरे बिस्तर पर फैल कर सो रहा है।काउच पर तकिया और चादर

रखे है।उर्मिला यश को उठा कर नीचे आई।थोड़ी देर बाद यश भी नीचे आया बहुत हैंडसम लग रहा था।शाम को रिसेप्शन था तो दिन का खाना करके।उर्मिला बोली बहु तुम आराम करो 5 बजे पार्लर वाली आएगी तुम्हे रेडी करने।नंदिता ऊपर आई थोड़ी देर में यश भी आया।यश उसके पास आया बोला सुनो तुम इस घर में मेरे माता पिता की पसंद से आई हो मै किसी और से प्यार करता हूं और ये

उसे अपनाना नहीं चाहते इसलिए ये शादी आनन फानन हुई है तो तुम इनकी बहु बनकर रहना पर मेरी पत्नी नहीं। नंदिता आवक होकर उसका मुंह देख रही थी शाम को रिसेप्शन जोरद।र  था।सब नंदिता की किस्मत पर रशक कर रहे थे।नंदिता के माता पिता ने कहा पग फेरे के लिए हम नंदिता को ले जाते है तो उर्मिला बोली भाभीजी इतनी दूर कहा ले जा रहे हो।यही गुड़गांव में फेरा पड़ा लेते हैं।नई नई शादी हुई है फिर परसो ये घूमने भी जा रहे है । वहां से वापस आने पर ये कुछ दिन रहने

आजाएगी। अगले दिन मामा जी के यहां नंदिता आई मां नंदिता से बात करना चाहती थी पर उसे कोई अकेला ही नहीं छोड़ रहा था और दो घंटे में ही नंदिता घर चली आई।मां बेचैन थी मुझे लगता है मेरी बेटी खुश नहीं है। पिताजी बोले तुम्हारा वहम है इतनी लदी थी गहनों से सुंदर सी गुड़िया लग रही थी।अगले दिन मां बाप की जिद से नंदिता और यश मंसूरी रवाना हुए।रस्ते भर यश फोन पर था।होटल  में पहुंच कर यश ने दो रूम बुक कराए एक अपने लिए और दूसरा नंदिता के लिए।नंदिता बोली मै

अकेले कैसे रहूंगी।यश बोला ये मेरा प्रॉब्लम नहीं है ये रहा कार्ड ये रहें पैसे और पासवर्ड जहां मर्जी घूमो जो मर्जी करो 5 दिन बाद घर जाएंगे और फोन पर किसी को कुछ बोला तो देखना।यश चला गया।शाम को यश का एक दोस्त उसके साथ था।नंदिता लेटी लेटी आंसू बहा रही थी पता नहीं किस पल उसे नींद लग गई।सो कर उठी तो सिर भ।री था।उसने रूम में एक चाय और सैंडविच ऑर्डर किया खा कर दरवाजा अच्छे से बंद कर वो लेट गई। वो यही सोच रही थीं क्यों कि 

इन लोगों ने अपने बेटे की शादी जब वो किसी और को चाहता था मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।रात भर नंदिता करवट बदलती रही।रात में अचानक बहुत शोर सुन वो खिड़की के पास आई देखा नीचे होटल वाले चिल्ला रहे हैं जो करना है अपने कमरे में करो क्या घटिया चलन अपना रहे है अपने संस्कारों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। नंदिता ने देखा दो लड़के एक दूसरे से चिपके हुए होटल के अंदर आ रहे

थे।अगले दिन सुबह यश आया बोला मै अपने दोस्त के साथ रिसोर्ट शिफ्ट हो रहा हूं तुम यही रहना पांच दिन बाद तैयार रहना मैं लेने आऊंगा।यश के पीछे पीछे चिल्लाती नंदिता आई पर यश जा चुका था।नंदिता वही गार्डन में बैठ कर रोने लगी।वही पास में होटल का मेनेजर सफाई करवा रहा था वो बोला आप रो क्यों रही है।नंदिता बोली कुछ नहीं तभी एक वेटर आया और बोला सर ये उसी रात वाले

लड़के के साथ आई थी।मैनेजर बोला आप यहां कैसे आई ? नंदिता बोली मै और मेरे हसबैंड यश यहां आए थे अब वो रिसोर्ट में शिफ्ट हो गए हैं मुझे यहां छोड़कर।मैनेजर बोला मैडम सही मौका है यहां से भागने का वो gay है इसलिए तो कल उसे और उसके पुरुष मित्र को अश्लील हरकते करते हुए हमने डाटा था और आज होटल खाली करवा लिया।आपके माता पिता ने कैसे शादी कर दी

आपकी ईश्वर की कृपा से आप बच गई है तो सीधा अपने माता पिता को इनफॉर्म करे और घर चली जाए।नंदिनी बोली आप मेरे लिए करनाल का टिकट करवा देंगे।मैनेजर बोला देहरादून तक आप गाड़ी से जाइए फिर ट्रेन लेकर दिल्ली और फिर करनाल।नंदिता ने कमरे में आकर अपना सामान

समेटा ।सामान ,कार्ड सब मैनेजर को सौंप वो वहां से निकल गई।गाड़ी से देहरादून फिर शाम की ट्रेन से दिल्ली रात स्टेशन पर गुजर अलसुबह की बस ले वो करनाल पहुंच गई।वहां जा कर उसने सारी बात अपने माता पिता को बताई।पिताजी बोले सही किया बेटी मै देखता हूं इन लोगों को।5 दिन बाद यश होटल पहुंच।

सारा सामान और पर्स उसे देकर मैनेजर बोला मैडम तो चली गई।यश बोला कहा गई तुमने जाने कैसे दिया।मैनेजर बोला ये हमारी जिम्मेदारी थोड़ी थी।यश ने नंदिता का सामान गाड़ी में रखा और अपने पिता को फोन लगाया कि नंदिता भाग गई हैं सारा सामान छोड़कर और मुझे सोता छोड़कर वो किसी के साथ चली गई।रमाकांत ने तुरंत नंदिनी के मामा को फोन किया हमें कहा फंसा दिया लड़की तो

भाग गई। नंदिनी के मामा बोले ये आप क्या कह रहे है? रमाकांत बोले मै सच कह रहा हूं। मामा जी ने नंदिता के घर करनाल में फोन किया।उन्होंने बताया कि रमाकांत का फोन आया था कि नंदिता भाग गई।नंदिता के पिता श्यामलाल बोले नंदिता भागी नहीं हैं अपनी जान बचाकर उन झूठे और

सनकी लड़के से अपनी जान बचा कर आई है।वो पैसे वाले है तो क्या सोचते है कि हम जैसे मिडिल क्लास लोगो की लड़कियों को फसा लेगे और हम कुछ नहीं कहेंगे।मेरी बेटी के भविष्य के लिए मैने एक कठोर कदम उठाया है मै उसे तलाक दिलवाऊंगा।काफी जद्दोजहद के बाद नंदिता का तलाक

हुआ और उसकी सरकारी नौकरी भी लग गई अब वो अपने जीवन में आगे बढ़ रही थी।श्यामलाल चाहते थे कि वो विवाह कर ले पर नंदिता विवाह शब्द से इतना डर गई थी कि वो इस चक्कर में पड़ना ही नहीं चाहती थी। पर माता पिता तो बच्चों का भला सोचते है।नंदिता के स्कूल में एक बच्चा पढ़ता था उसके पिता जी थे विवेक हमेशा वो बच्चा रमन गुमसुम रहता बहुत पूछने पर उसने बताया मेरी मां

नहीं है मुझे मां चाहिए जो भगवान के पास है।नंदिता उस बच्चे से जुड़ रही थी और वो बच्चा भी उसके पिता और दादी स्कूल आते पीटी म में उन्हें भी नंदिता से लगाव था।दादी ने नंदिता के माता पिता से बात की नंदिता तो मना ही कर रही थी पर रमन के कारण वो फिर विवाह बंधन में बंधी और अपने कटु अनुभवों को पीछे छोड़ आगे बढ़ गई।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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