विनीत उठो बेटा चार बज गए हैं …… मैं देख रहा हूँ ….. इस बार परीक्षा में तुम्हारे बहुत कम नंबर आए हैं….. मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि तुम अच्छे से पढ़ो , अच्छे नंबर लेकर आओ ताकि तुम आगे की पढ़ाई अमेरिका जाकर कर सको …..रामकृष्ण ने विनीत से कहा …..।
रामकृष्ण जी के दो बेटे हैं विनीत और विनोद ….. । विनोद इंजीनियरिंग कॉलेज के दूसरे साल में पढ़ रहा है । विनीत दसवीं की परीक्षा में स्कूल टॉपर है अभी ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रहा है …. रामकृष्ण ने उसे आई आई टी कोचिंग में एडमिशन कराया है उसी की कोचिंग क्लासेस सुबह पाँच बजे शुरू होती हैं और वे विनीत को उठा रहे हैं ।
रामकृष्ण और पत्नी नीरजा दोनों ही बैंक में कार्यरत हैं। उन्हें लगता है कि दोनों को पढ़ा लिखा कर अमेरिका भेज दें…..ताकि वे वहाँ एम एस करके अच्छी नौकरी पा सकें और खूबसारे डॉलर कमा सकें बस उन दोनों की यही सबसे बड़ी ख्वाहिश थी ।
अपने लक्ष्य को पाने के लिए बच्चों के साथ-साथ वे भी कोशिश कर रहे थे ।
खुद सुबह उठकर बच्चों को उठाना उन्हें कोचिंग क्लासेज में छोड़कर आना फिर वापस लाना यहाँ माता-पिता की भी मेहनत थी।
विनोद अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करते ही एम एस करने के लिए अमेरिका चला गया ….. जिस दिन वह अमेरिका जा रहा था रामकृष्ण और नीरजा के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे । उन्होंने अपने पूरे बिरादरी में दोस्तों को सबको बता दिया था कि विनोद अमेरिका जा रहा है ।
विनीत को आई आई टी कानपुर कॉलेज में एडमिशन मिल गया और दूसरे साल में पढ़ रहा है परंतु बचपन से ही वह अमेरिका नहीं जाना चाहता था लेकिन पिता के आगे उसकी एक नहीं चल रही थी ।
उसके दोस्त उससे कहते थे कि यार तू कितना लकी है तेरे माता-पिता तुम्हें अमेरिका भेज कर पढ़ाना चाह रहे हैं और तू है कि मुँह फुलाए बैठा है । वह उन्हें क्या बताता कि उसे माँ पापा को यहाँ अकेले छोड़कर जाना नहीं चाहता है ।
खैर समय किसी के लिए नहीं रुकता है…….. विनीत ने इंजीनियरिंग में भी टॉप किया और अमेरिका में एम एस करने के लिए बुझे हुए दिल से जाने लगा परंतु रामकृष्ण के सारे दोस्त ……… रिश्तेदार सब उन दोनों के क़िस्मत पर बधाई देने लगे कि दोनों बेटे अमेरिका में सेटल हो गए हैं आप बहुत ही खुशनसीब हैं।
उनकी बातों को सुनकर रामकृष्ण का सर गर्व से ऊँचा हो गया था …… नीरजा माँ थी …… उसे पति की खुशी के लिए कठोर कदम उठाना पड़ रहा था परंतु वह दिल से खुश नहीं थी ।विनीत भी कई बार उसके सामने रो पड़ा था माँ आप लोगों को इस उम्र में छोड़कर मैं अपने रास्ते नहीं जाना चाहता हूँ लेकिन!
विनीत भी भाई के साथ रहते हुए उनके ही कॉलेज में पढ़ने लगा । कालांतर में दोनों का एम एस हुआ और अच्छी कंपनियों में नौकरी मिल गई ।
रामकृष्ण और नीरजा भी रिटायर हो गए और बच्चों के साथ वीडियो कॉल में उन्हें देखते हुए अपना समय बिताने लगे ।
इस बीच विनोद ने अपने प्यार के बारे में माता-पिता को बताया और यह भी बताया कि माँ पापा अब हम छोटे बच्चे नहीं रहे बल्कि नौकरी करते हुए स्वतंत्र हो गए हैं…… हमें अपने फ़ैसले लेने का हक है ।
रामकृष्ण और नीरजा वहाँ विनोद की शादी कराने के लिए पहुँचे …… दोनों ने उसकी शादी खूब धूमधाम से कराई ।
विनीत ने माँ से कहा …….. माँ मेरे लिए आप ही लड़की ढूँढना और हो सके तो ……. पापा को मनाकर मुझे वापस इंडिया बुला लो ना ।
आज पहली बार नीरजा की आँखें नम हो गईं थीं । रामकृष्ण ने विनीत से हँसकर पूछा विनीत तुमने भी अपने भाई की तरह किसी को चुन लिया है क्या ?
अरे नहीं पापा मेरी पसंद माँ को अच्छे से पसंद है इसलिए माँ ही मेरे लिए लड़की ढूँढ लेगी ।
जब तक वे दोनों वहाँ रहे तब तक विनीत ने ही उन्हें घुमाया फिराया और दोनों को इंडिया की फ़्लाइट में बिठाकर वापस लौट आया ।
विनोद की शादी हो चुकी थी इसलिए विनीत अलग से घर लेकर चला गया ।
इंडिया वापस आने के बाद …… उन्होंने विनीत के लिए भी रिश्ते देखना शुरू कर दिया था। उसी समय रामकृष्ण के गाँव से ही ….. एक रिश्ता आया विनीत को दिखाकर उन दोनों को एक दूसरे से मिलवाया और उन दोनों की रज़ामंदी से उनकी शादी करा दिया ।
विनीत अपनी पत्नी सुहानी को लेकर अमेरिका चला गया ।
अब रामकृष्ण को लगा कि उसके सारे सपने पूरे हो चुके हैं ……. अब रिटायरमेंट लाइफ आराम से गुज़ारेंगे लेकिन यह क्या हो गया है …… उस रात खाना खाने के बाद थोड़ी देर रात तक दोनों आपस में बच्चों के बारे में ही बातचीत करते रहे…… रामकृष्ण ने कहा नीरजा मुझे नहीं लगता है कि हम फिर अमेरिका जा पायेंगे …. नीरजा ने कहा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं ……. मैं मानती हूँ कि सफर बहुत लंबा है …… लेकिन बच्चे तो हमारा इतना ख़याल रखते हैं कि हमेशा हमारे लिए बिज़नेस क्लास की टिकट बुक करा देते हैं …..
ऐसी कोई बात नहीं है ….. नीरजा आजकल मेरी सेहत अच्छी नहीं लग रही है !
नीरजा घबराकर क्या हो गया है आपको!!!! आपने मुझे पहले से ही बता दिया होता तो …… हम डॉक्टर के पास चले जाते थे …..अब तो रात हो गई है…….कल सुबह नाश्ता करके हम चले जाते हैं ।
रामकृष्ण ने नीरजा को सुबह तक का समय भी नहीं दिया और आधी रात को उनके सीने में दर्द होने की वजह से नीरजा उन्हें अस्पताल लेकर जाती है ।
डॉक्टर ने उनके सारे टेस्ट किए और बताया कि दिल में ब्लॉक्स हैं उनका एन्जोग्राम करना पड़ेगा ।
उसने विनोद को फोन किया तो उसने कहा कि माँ आप पैसों की फिक्र मत करो मैं अभी ट्रॉन्सफर कर देता हूँ पापा का अच्छा इलाज करा लो । हाँ मैं अभी नहीं आ सकता हूँ विनीत से पूछ लीजिए वह फ्री है तो आ जाएगा।
नीरजा को पहली बार अपने द्वारा उठाए हुए कठोर कदम पर पश्चाताप हुआ । जैसे तैसे अपने आपको सँभालते हुए उसने विनीत को फोन किया ।
यह सुनते ही वह भड़क उठा मैंने कितनी बार कहा था माँ कि मैं अमेरिका नहीं जाऊँगा देखो …… जब आपको हमारी जरूरत है …… तब हम वहाँ नहीं हैं ।
उसने फिर माँ को हिम्मत देते हुए कहा कि माँ आप वहाँ के हालात को सँभाल लो …… मैं यहाँ से निकलने की कोशिश करूँगा ।
दो दिन में ही रामकृष्ण डिस्चार्ज हो कर घर वापस आ गए ।
विनीत फोन पर बात करता रहा …… उसे आने का मौका नहीं मिला इस बात का उसे मलाल था । नीरजा ने भी सोचा हमने भी तो नौकरी की है वहाँ की तकलीफ़ों से हम भी वाक़िफ़ हैं । माँ हमेशा कहती थी कि बिटिया “जो करे नौकरी , उसकी क्या हेकड़ी “।
नीरजा चाय बनाकर दो कप में डालकर लेकर आती है । वे दोनों चाय पीते हुए बातें करते रहे …… अचानक रामकृष्ण ने कहा कि मैं सोच रहा हूँ कि ……. हमारे गाँव का घर खाली है क्यों ना हम उसे रेनोवेट करा लेते हैं और …… वहाँ रहने के लिए चले जाते हैं …… जो कुछ …… थोड़ी बहुत खेतीबाड़ी है उसकी देखभाल करते हुए एकदम स्वच्छ वातावरण में रहते हैं क्या ख़याल है तुम्हारा ?
रामकृष्ण की बात नीरजा को भी अच्छी लगी …… उसने कहा आप सही कह रहे हैं मैं बिलकुल तैयार हूँ ।
उसी समय विनीत ने फोन किया ….. पापा का हालचाल पूछा तब नीरजा ने उन दोनों के फ़ैसले के बारे में विनीत को बताया ।
वह बहुत खुश हो गया और उसने कहा कि आप दोनों निश्चिंत रहिए मैं वहाँ किसी से बात करके घर का रेनोवेट करवा दूँगा …… आप पंद्रह दिनों के बाद वहाँ पहुँच जाइए ।
पंद्रह दिनों बाद रामकृष्ण और नीरजा दोनों ही अपने गाँव की ओर निकल पड़े …. जैसे ही उनकी गाड़ी गाँव में पहुँची आते जाते लोग उनके बारे में पूछने लगे कि कब तक रहोगे बहुत दिनों बाद गाँव की याद आई है आदि ।
एक ने कहा कि आपका बेटा आपके घर की मरम्मत करा रहा है । रामकृष्ण ने हँसकर कहा वो मेरा बेटा नहीं है मेरे दोनों बेटे अमेरिका में रहते हैं जैसे ही उनकी कार घर के सामने रुकी विनीत सुहासिनी झट से बाहर आए। उन्हें वहाँ देखकर रामकृष्ण और नीरजा आश्चर्य चकित हो गए।
विनीत उनका हाथ पकड़कर उन्हें घर के अंदर ले गया यह क्या घर का काया पलट हो गया है पूरी सुख सुविधाएँ ऊपर भी कमरे बनवा लिए थे नीचे मास्टर बेडरूम डायनिंग हाल , लिविंग रूम सोफा टीवी माड्युलार रसोई बहुत सुंदर घर बना।
रामकृष्ण ने जब विनीत से पूछा कि तुम लोग कब आए तो उसने बताया पापा अब आप मुझे अमेरिका जाने के लिए कहोगे तो भी मैं नहीं जाऊँगा सुहासिनी को भी यहाँ रहना ही पसंद है। जब आप अस्पताल में थे तब मेरी जॉब चली गई थी मैंने सोचा यह अच्छा मौका है यहीं इंडिया में ही मैंने नौकरी ढूँढ लिया है खूब रिसर्च किया तो थोडी ही दूर में बच्चों के लिए अच्छे स्कूल भी हैं सबसे जरूरी और अच्छी बात यह है कि हम साथ रहेंगे। उस दिन के दिल के दौरे के बाद रामकृष्ण को भी लगने लगा कि अगर बच्चे यहीं इंडिया में साथ रहना चाहते हैं तो अपने आपको खुशनसीब समझकर उन्हें अपने साथ रख लेना चाहिए। चलो रामकृष्ण की आँखें तो खुलीं।
के कामेश्वरी
के कामेश्वरी