दिल्लीः के प्रगति के पास आर -के हमसे गाड़ियों को बहुत बड़ा शोरूम था इस शोरूम के मालिक राम कपूर की थे बहुत ईमानदार और बहुत मेहनती और अपने साथ काम करने वालों की बहुत ज्यादा इज्जत करते थे
और सब लोग उनकी बहुत सम्मान करते हैं पहले वह भी अपने गांव से आए और उन्होंने अपना धीरे-धीरे बिजनेस बनाया ।उनके पास कई फैक्ट्रियां थी लेकिन एक दिन हार्ट अटैक आने से उनकी मृत्यु हो गई उनका इकलौता बेटा मोहन कपूर अब इस प्रॉपर्टी का मालिक बन गया।
इतनी सारी प्रॉपर्टी को देखकर मोहन के मन में बहुत ज्यादा घमंड हो गया पिता जितने सीधे-साधेती ईमानदार आदमी बेटा उतना ही चालक मक्कार और घमंडी था मैं हर समय अपने साथ काम करने वाले लोगों को डांटता उनकी बेइज्जती करता।
एक बार की बात है उनके ही शोरूम में काम करने वाले एक लड़के आकाश की तबीयत खराब हो गई उसने कहा सर मुझे 2 दिन की छुट्टी दे दीजिए मेरी तबीयत सही नहीं है
यह सुनकर मोहन कपूर जी को बहुत गुस्सा आया और बोले यहां तुम नौकरी करने आते हो तुम लोगों के तो रोज के बहाने हैं अगर काम करना है तो करो नहीं ।तो तुम छोड़ कर जा सकतें हो मेरे पास तुम्हारे जैसे हजार आएंगे तुम जा सकते हो।
आकाश बहुत परेशान था दो दिन नहीं आया मोहन कपूर ने उसे नौकरी से निकाल दिया ।अब आकाश की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई सड़क पर भूख प्यास से भटक रहा नौकरी की तलाश में तभी उसने देखा शहर की एक बहुत धनवान व्यक्ति उनका पर एस को लेकर कुछ लोग भाग गए
जब आकाश ने देखा उनका पीछा किया और वापस उनसे पर्स लेकर उसे सेट को दिया उसे देखने का आकाश तुम्हें कुछ चाहिए आकाश ने कहा सर अगर मुझे देना चाहते हो तो आप मुझे एक नौकरी दे दीजिए मैं पढ़ा लिखा हूं नौकरी की तलाश में हूं सेट निकाह ठीक है उन्होंने मुझे मुझे अपने ऑफिस में अपना का बना लिया।।।
मोहन कपूर की माता जानकी जी हमेशा मोहन कपूर अपने बेटे से कहती बेटा तेरे पिताजी ने हमेशा ईमानदारी से काम किया है तू कभी किसी का दिल मत दुखाना ।
तो मोहन कपूर कहते हैं मां तुम तो हमेशा ऐसी बातें करती हो अब बिजनेस ऐसे नहीं होता बिजनेस करने के लिए थोड़ी चालाकी और सख़्त होना ही पड़ता है अब जानकी ज्यादा नहीं बोलता बेचारी चुप हो जाती ।
लेकिन कहते समय बदलते पता नहीं चलता कुछ सालों बाद मोहन कपूर की माता जानकी का भी निधन हो गया। मां के निधन के बाद जैसे उनके घर से लक्ष्मी रूठ कर चली गई तभी उनकी सारी फैक्ट्रियों में इनकम टैक्स की रेट पड़ी टैक्स और उनकी फैक्ट्री को सील कर दिया गया ।
और साथ में उनके गाड़ियों के शोरूम पर भी इनकम टैक्स की रेट पड़ी उसे भी सील कर दिया गया। मोहन को पुलिस पकड़ ले गई और जेल भेज दिया गया पत्नी बच्चों को लेकर अपने मायके चली गई।
जब मोहन कपूर जेल से छुटकारा है सब कुछ बर्बाद हो चुका था अब उनके पास कुछ नहीं था सड़कों को भटक रहे थे तभी एक दिन चक्कर खाकर गिर गए
एक दिन वह रास्ते में चल रहे थे उन्हें बहुत तेज चक्कर आया उसके बाद में सड़क पर गिर गए थे उनके हाथ में और सर मैं चोट लग गई थी सड़क पर बहुत ज्यादा भीड़ हो कुछ लोगों ने उन्होंने देखा और उन्हें अपने साथ एक सामाजिक संस्था का कैंप लेकर आए
पहले उनके हाथ पट्टी बाधी तभी वहां तभी मोहन कपूर ने देखा कि उनके सामने एक आदमी सूट बूट में आया और बोला आप यह सब कैसे हो गया जाइए आप सब लोग जाइए सर को कब ऑफिस में लेकर चलिए वह मोहन कपूर को पड़कर ऑफिस में ले गए
और एक बैंक कुर्सी पर बैठा दिया उसे फिर उसने कहा आप लोग बाहर जाइए मोहन कपूर बोल आकाश तुम आकाश में कर आप यह सब कैसे क्या हो गया तब मोहन कपूर जी बोले यह सब मेरे कर्मों का फल है जब मेरे पास पैसा था तो मैं घमंड में किसी का कुछ नहीं समझता था
लेकिन समय बदला मेरी सारी फैक्ट्रियां शोरूम सब इनकम टैक्स की रेट पड़ी उसके बाद सब कुछ बर्बाद हो गया मुझे पुलिस पकड़ लेगी और जय हो गई मेरी पत्नी बच्चों के साथ अपनी मायके चली गई खाने के लाले पड़ गए हैं
आकाश ने कहा सर आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए आप बिल्कुल ठीक है और चलिए आप भूखे होंगे पहले खाना खाई फिर उसने आकाश मोहन जी के लिए खाना मंगवाया बोला आप किसी बात की चिंता मत कीजिए मोहन जी बोले कि आकाश तुम या कैसे तब आकाश ने कहा गए
सर जब अपके यहां से मेरे नौकरी चली गई । उसके बाद में नौकरी की तलाश में दर्द भटक रहा था तभी एक दिन शहर के शहर के एक सेठ जी जिनका पर्स चोरी कर कुछ लोग भाग रहे थे मैंने उनकी मदद की उन्होंने मुझसे पूछा कि बेटा बदले में कुछ पैसे ले लो
मैंने कहा सर मुझे पैसे नहीं मुझे कुछ नौकरी चाहिए उन्होंने मुझे अपने पास नौकरी पर रखा और उन्होंने उनकी कोई उनकी एक बेटी थी उसके साथ उन्होंने मेरी शादी कर दी और सारी प्रॉपर्टी में और मेरी पत्नी देखभाल करते हैं लेकिन हम लोग हर महीने उनके नाम का भंडारा लगवाते हैं
जिससे कोई इंसान भूखा प्यासा ना रहे।आकाश की बातें सुनकर मोहन जी को अपने आप पर पछतावा हो रहा था कि मेरे पास इतना पैसा था मैंने कभी किसी की कोई मदद नहीं की हमेशा अपने घमंड में दूसरों को डांटता फटकारता रहता था आज उसकी सजा भुगत रहा हूं आज मेरे पास कुछ नहीं है ना घर परिवार और ना धन दौलत
अपने कर्मों का फल भुगत रहा हूं।
आकाश ने कहा सर आप चिंता मत कीजिए आज मेरे पास करोड़ों का बिजनेस है चलिए आपको जितना पैसा चाहिए मुझे बता दीजिए मैं आपका बिजनेस शुरू करवाने में आपकी मदद करने चाहता हूं। मोहन कपूर जी को अपनी गलती पर बहुत पछतावा हो रहा था।
मोहन जी को पता चल चुका था। कर्मो का चक्र हमेशा चलता ही रहता है।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है।।
हमें किसी बात का घमंड नहीं करना चाहिए धन आज हमारे पास है कल हमारे पास होगा की कोई गारंटी नहीं है इसलिए हमेशा हमें लोगों की मदद करनी चाहिए और लक्ष्मी तो आती है जाती है यह चलाय मान है। कर्मों का चक्र चलता रहता है।
विनीता सिंह बीकानेर राजस्थान