नंदिनी और आनंद दोनो पति पत्नी थे।आनंद जब बहुत छोटे थे तभी उनके माता पिता का एक दुर्घटना में निधन हो गया तो उनकी परवरिश उनके मामा राजेंद्र जी के घर हुई।मामा आनंद को बहुत प्यार करते थे और जब तक नानी थी तो कोई कमी महसूस ना हुई।मामी दिल की अच्छी थी पर कड़क स्वभाव की थी।
आनंद को उन्होंने ही पढ़ाई और दुनियादारी में पारंगत बनाया। आनंद जब ग्रेजुएट हो पोस्ट ऑफिस में बड़े बाबू के पद पर लगे तो मामी मामा के लिए मिठाई और कपड़े ले गए।मामा मामी खुश थे।और आनंद ने अपनी इस नौकरी का पूरा श्रेय मामी की सख्त ई को दिया।मामा का बेटा दीपक भी आनंद के साथ का ही था दोनो में अच्छी दोस्ती थी।
एक बार आनंद और दीपक पिक्चर देखने गए वहां से बाहर आते हुए आनंद एक लड़की से टकराए वो लड़की नंदिनी थी।आनद को नंदिनी पहली बार में ही पसंद आ गई। मामा मामी चाहते थे कि अब आनंद का घर बस जाए और वो लड़कियां देखने लगे।आनंद कभी मामा मामी की बात के बाहर नहीं गया था पर वो नंदिनी की भी भूल नहीं पा रहा था।
एक शाम राजेंद्र घर आए और बोले इतवार को हमे लड़की देखने जाना है सब तैयार रहना ।आनंद बुझे मन से इतवार को लड़की देखने गया।लड़की के पिता का देहांत बचपन में हो गया था।मां और उसे चाचा चाची ने ही संभाला था।लड़की बीएड कर रही थीं।लड़की को बुलाया गया पर आनंद ने ऊपर नहीं देखा।सबने कहा बेटा आप दोनो एक दूसरे से बात कर लो।चाचा की बेटी मेघा दोनो को छत पर ले गई।वहां आदर्श ने देखा ये तो वही लड़की है
और नंदिनी भी उसे देख मुस्कुरा दी।बिना दान दहेज के शादी के साधारण समारोह में हो गई।इसी बीच आनंद का ट्रांसफर वाराणसी हो गया और नंदिनी और आनंद वाराणसी आ गए।मामा मामी ने खूब आशीष दिए ।मामी नई गृहस्थी जमाव।ने भी आई।अब नंदिनी और आनंद का संसार शुरू हुआ।नंदिनी बीएड कर चुकी थी
और वो घर में ही बच्चों को कोचिंग देने लगी।कुछ समय बाद आनंद और नंदिनी एक प्यारे से बेटे के माता पिता बन गए। बेटे का नाम आदित्य था बहुत प्यार से आनंद और नंदिनी पाल रहे थे।दोनों ने मेहनत से मिल कर अपना एक घर बना लिया।दोनो पति पत्नी की अथाह मेहनत और प्यार था कि उनकl बच्चlभी बहुत काबिल निकल।।
आदित्य मां बाप पर जान छिड़कत। था ।अब आदित्य की अच्छी नौकरी लग गई तो नंदिनी ने कहा कि अब आदित्य का।विवाह कर दिया जाए।लड़कियां देखी जाने लगीं उन सभी को रितु पसंद आई हिस्ट्री में MA किया था।जब रिश्ता पक्का हुआ तो रितु के पिता श्यामलाल ने कहा आपके परिवार में कौन कौन है आनंद बोले मेरे माता पिता बचपन में ही गुजर गए थे।मामा मामी ने पाला उनका भी स्वर्गवास हो गया है तो एक भाई दीपक है।
और नंदिनी के पिता बचपन में चल बसे तो इसका पालन पोषण भी इसके चाचा जी ने किया है।तो हमारी तरफ से कम ही लोग होंगे।सब बात तय कर आनंद घर आ गए। रितु की मां सरला एक चालाक और तेज औरत थी वो अपनी बेटी को पट्टी पढ़ा रही थीं तेरे सास ससुर अनाथ है कोई आगा ना पीछा इन्हें घर से भगा कर घर हथिया लेना और अपने पति को काबू में रखना।
शादी हुई और रितु घर आ गई। और एक साल सब बिल्कुल ठीक चला क्योंकि उस समय घर की बड़गोर आनंद और नंदिनी के हाथ में ही थी।फिर आनंद रिटायर हो गए और वो नंदिनी को कोचिंग सेंटर में मदद भी करते।पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था एक दिन सुबह आनंद मॉर्निंग वॉक से आ रहे थे उन्हें वही चक्कर आया ।
हॉस्पिटल ले जाते हुए आनंद चल बसे।नंदिनी की तो दुनिया ही उजड़ गई।उसे संभलने में बहुत वक्त लगा।घर की सता रितु के हाथ आ गई।अब वो नंदिनी को किसी काम में हाथ ना लगाने देती।आदित्य के सामने दिखाती उसे कितनी परवाह है
और पीछे से वो नंदिनी को अपमानित करने का कोई मौका ना छोड़ती। तभी खबर आई रितु को मां बनने वाली है। नंदिनी ने कहा मै तुम्हारा पूरा ध्यान रखूंगी बेटी पर रितु ने अपनी मां को बुला लिया कि आप का साया पड़ा तो मेरा बच्चा भी कही अनाथ ना हो जाए।
नंदिनी देखती रह गई यह क्या कह रही वो।रितु ने आदित्य के कान भर दिए वो भी अपनी मां से बात नहीं करता था।रसोई में और घर में रितु और उसकी मां का अधिकार था। एक दिन आदित्य आया बोला मां खर्च बहुत बढ़ गया है तो पापा की पेंशन के पैसे तुम मुझे दे दोगी। नंदिनी ने कहा क्यों नहीं बेटा
अब नंदिनी पैसे की भी मोहताज हो गई। क्लासेज पहले ही नंदिनी लेना छोड़ चुकी थी तो आय का वो रास्ता भी बंद था। इसी बीच आदित्य को दफ्तर के काम से 3 महीने के लिए अमेरिका जाना पड़ा। अब घर पर रितु और उसकी मां का राज था। नंदिनी सारे घर का काम करती ।
पर उसे रसोई में जाने की इजाजत न थी रितु की मां रात का बचा खुचा खाना खाने के लिए दे देते। ना पहनने को ढंग का कपड़ा ऐसा लगता जैसे नंदिनी की हालत नौकरानी से भी बत्तर थी । एक सुबह रितु रोते हुए नंदिनी के पास आई। आदित्य को छुड़वाना है इन पेपर्स पर साइन कर दो। नंदिनी ने पूछा किस चीज के पेपर रितु बोली
आदित्य की जमानत के नंदिनी ने घबराकर जल्दी से बिना पढ़े ही साइन कर दिए। नंदिनी आदित्य के बारे में पूछती जा रही थी। पर रितु कुछ ना बोली और बाहर चली गई। शाम को आकर बोली इस घर से अपना सामान उठाओ यह घर अब मेरा है।
नंदिनी पूरी पहले बताओ आदित्य कैसा है उसे जमानत मिल गई। रितु हसने लगी आदित्य बिल्कुल ठीक अमेरिका में बैठा है यह तो आपसे घर के कागज साइन कर।ने के लिए बहाना था। नंदिनी बोली बहु बहु तुम्हें शर्म आनी चहिए।
अपने मतलबके लिए तुमने मेरे बेटे के बारे में झूठ बोला बहु ये मत भूलो कि भगवान सब देख रहा है वही तुम्हारा न्याय करेगा ।रितु बोली ज्यादा जुबान चलाने की जरूर जरूरत नहीं है दफा हो जाओ यहां से अपना गंदा साया हमारी ज़िन्दगी से हटा दो।निकलो नंदिनी आनंद की तस्वीर ले निकल पड़ी।गांव दीपक के घर पहुंची।
दीपक और उसकी पत्नी राधा नंदिनी की ह।लत देख हैरान हो गए। कोई बहू अपने सास के साथ ऐसा कर सकती हैं। दीपक बोल भाभी अब आप यही रहोगई।।नंदिनी ने आस पास के बच्चो को पढ़ना शुरू कर दिया।वो पहले भी अकाउंट और १० वी तक बच्चो को मैथ्स पढ़ाती थी। यहां भी उसके पास बहुत बच्चे थे सामने का घर किराए पर ले वही पढ़ाती और रहती ।
उसकी अच्छी गुजर बसर हो रही थी।बैंक में एप्लिकेशन देने से आनंद की पेंशन भी वही गांव के बैंक में आने लगी।नंदिनी उन पैसों के कुछ हिस्से से गरीब बच्चों की फीस भर देती थी। नंदिनी को ढूंढता आदित्य आया बोला मां अपने घर चलो मैं रितु को छोड़ दूंगा आप चलो मुझे नहीं पता था उसने इतना बड़ा फरेब किया और आपको नौकरानी बना दिया वो तो भला हो चौकीदार काका का जिन्होंने मुझे
सब सच बताया।नंदिनी बोली बेटा रितु नादान है मां बनेगी तो समझ आएगा मै यहां बहुत खुश हूं तू मेरी चिंता मत कर और घर के कागज तो तेरे नाम पर मै और आनंद पहले ही कर चुके हैं और वो कोचिंग सेंटर वाला घर भी अब सब कुछ तुम लोग संभालो हा एक बार अपने नाती को देखने आऊंगी।आदित्य बोला परसो ही बेटा हुआ है जिसे मैंने भी नहीं देखा।नंदिनी बोली चल मेरे साथ
दीपक नंदिनी और आदित्य घर पहुंचे।घर में रितु की मां थी बोली बेटा तुम अपने बेटे और पत्नी से मिले बिना ही चले गए।आदित्य बोला अपनी बेटी का बहुत दुख है आपको मेरी मां को घर से निकालते नौकरानी बनाते आपको दर्द नहीं हुआ।आज मै आपको और आपकी बेटी को घर से निकल दूं तो अ।पने हमारी शराफत का नाजायज फायदा उठाया है।रितु अंदर से रोती हुई आई बोली नहीं आदित्य
मुझे मत छोड़ना मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं मां की बातों में आ गई थी मुझे माफ करदो प्लीज और ये घर के कागज में फाड़ कर फेक दूंगी।मां जी आप आदित्य को समझाइए।नंदिनी को रितु को कमरे में लिटाया और बोली आदित्य तुम्हारा है तुम्हारा ही रहेगा और ये घर और प्रॉपर्टी हम पहले ही विल में आदित्य के नाम कर चुके थे। फिर सरला से बोली जो ज्ञान आपने अपनी बेटी को दिया अगर आपकी
बहु की मां उसको दे तो बर्दाश्त कर लेगी आप कृपया आप हमारे घर से जाए। दो महीने रितु का सब कर नंदिनी ने अपना सामान उठाया और जाने लगी आदित्य और रितु बोले मां ये आपका घर है मत जाओ।नंदिनी बोली नहीं बेटा ये तुम्हारा घर है मेरा घर तो गांव में है जहां वो बच्चे मुझसे आशा लगाए
बैठे हैं।मुझे कुछ बच्चों को समाज में काबिल बनाना है उन्हें नाम देना है ताकि कोई उन्हें अनाथ ना कहे चलती हूँ और नंदिनी गाड़ी में बैठ रवाना हो गई।रितु दूर तक उड़ती धूल को देखती रही और सोचती रही काश मन पर ये धूल ना होती तो रिश्ते यू बिखर नहीं जाते।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी
#बहू यह मत भूलो कि भगवान सब देखता है