कलयुगी रावण – संगीता अग्रवाल

” रिया देखो तो कौन आया है ?” बाहर से पापा की आवाज़ सुन बीस साल की रिया जो फोन पर लगी थी बाहर आई। 

” कौन है पापा ?” बाहर आते आते उसने सवाल किया ।

” देखो दादी आई है । आज से ये तुम्हारे कमरे मे ही रहेगी !” माँ दादी के पैर छूते हुए बोली।

” मेरे कमरे मे क्यो …मैं किसी के साथ कमरा नही बाँट सकती मेरी भी निजी जिन्दगी है ।” रिया गुस्से मे बोली।

” रिया ये क्या तरीका है बात करने का दादी है तुम्हारी और वो तुम्हारे कमरे मे ही रहेंगी समझी !” पापा हलके गुस्से मे बोले।

” अरे बेटा क्यो बच्ची पर गुस्सा कर रहा है मैं कही भी रह लूंगी !” दादी बेटे से बोली।

” नही माँ आप रिया के साथ ही रहेंगी , रिया दादी को अपने कमरे मे लेके जाओ वो हाथ मुंह धो लेंगी इतने मैं नाश्ता लगाती हूँ !” माँ बोली । मजबूरी मे रिया को दादी को लेके अपने कमरे मे आना पड़ा । 

रिया यहाँ दिल्ली मे अपने मम्मी पापा के साथ रहती थी इकलौती बेटी थी कोई रोक टोक नही थी । दादी गांव से आई थी क्योकि दादाजी की मृत्यु के बाद वो वहाँ अकेली थी और अब उनका स्वास्थ्य भी कुछ ठीक नही रहता था । यहाँ शहर मे रिया का परिवार एक बैठक और दो कमरों के फ्लैट मे रहता था इसलिए दादी रिया के साथ ही रह सकती थी। 

सब नाश्ता कर रहे थे माँ ने दादी की पसंद की देसी चीजे बनाई थी और उन्हे जबरदस्ती प्यार से खिला रही थी । रिया को ये सब देख दादी से थोड़ी ईर्ष्या सी होने लगी ।” पहले मेरे कमरे मे डेरा डाल लिया अब मेरे माँ पापा को भी अपनी तरफ कर लिया रिया यही सोच रही थी अब मैं रोहान ( प्रेमी ) से देर रात बात कैसे करूंगी !” 

” रिया कहाँ गुम हो बेटा कुछ खा नही रही तुम ?” मां ने उसे सोच मे गुम देख टोका।

” मुझे ये सब पसंद नही मम्मी । मैं अपने कमरे मे जा रही हूँ !” रिया एक दम से उठी चली गई। 

” पता नही क्या हो गया है इसे !” माँ पीछे से बड़बड़ाई जिसे रिया ने अनसुना कर दिया । 

नाश्ते से निमट कर जब दादी कमरे मे आराम करने आई तो देखा रिया किसी से फोन पर बात कर रही है पर दादी को देख बालकनी मे चली गई और धीरे धीरे बातें करने लगी । दादी चुपचाप लेट गई । अगले दिन रिया कॉलेज चली गई , पापा ऑफिस और दादी मां के साथ घर के कामो मे हाथ बटाने लगी हालाँकि माँ ने मना भी किया पर वो ना मानी। रिया को दाद

रात को रिया दादी के सोने के बाद धीरे धीरे बातें करने लगी । रोज यही होता अब दादी को सोता देख रिया रोहान से धीरे धीरे बात करती पर उसके मन मे दादी को ले ईर्ष्या बढ़ती जा रही थी उसे दादी अपने और रोहान के बीच दीवार लग रही थी क्योकि जबसे दादी उसके कमरे मे आई है वो खुल कर रोहान से बात नही कर पा रही है ।

” रिया यार अगले हफ्ते मेरा जन्मदिन है तुम आओगी ना !” एक दिन रोहान रिया से बोला।

” हां हां क्यो नही आउंगी वैसे पार्टी कहाँ है ?” रिया चहक कर बोली ।

” पार्टी की क्या जरूरत है जान , तुम और मैं सेलिब्रेट करेंगे ना … मेरा दोस्त फ्लैट मे रहता है वो अभी गांव गया है फ्लैट की चाभी मेरे पास है वही हम दोनो मिलकर सेलिब्रेट करेंगे !” रोहान बोला। 

” पर रोहान ऐसे अकेले मे !” रिया कुछ सोचते हुए बोली।

” अकेले कहाँ जान हम दोनो होंगे ना वैसे भी जब हम शादी करेंगे तब भी तो दोनो साथ रहेंगे ना !” रोहान बोला।

” मैं सोचकर बताती हूँ अभी दादी जाग जाएंगी कल बात करते है !” ये बोल रिया ने फोन काट दिया । पर उसे नींद नही आ रही थी एक तरफ वो रोहान से अकेले मिलना भी चाहती थी दूसरी तरफ डर भी रही थी । यही सब सोचते सोचते उसे नींद आ गई।

अब तो रोज रोहान उसे मिलने के लिए बोलता और रिया भी मन ही मन तैयार हो चुकी थी रोहान के जन्मदिन पर उससे अकेले मे मिलने को वो उत्साहित हो रोहान के जन्मदिन की तैयारी कर रही थी । दादी चुपचाप उसे कपड़े , मेकअप के सामान मे खोये हुए देख रही थी । 

” रिया बेटा तुम्हारी नानी की तबियत बहुत खराब है तो मुझे और तुम्हारे पापा को उन्हे देखने जाना है तुम पीछे से दादी का ध्यान रखना !” रोहान के जन्मदिन से तीन दिन पहले उसकी मम्मी बोली। 

” जी मम्मी !” रिया बस इतना बोली । मम्मी पापा के साथ चली गई पीछे बस दादी और रिया रह गई। दोनो मे बोलचाल नाम के बराबर ही होती थी इसलिए घर मे चुप्पी सी छाई थी । 

” रिया बेटा मेरे हाथ मे बहुत दर्द हो रहा है जरा मेरी चोटी बांध दो !” टीवी पर रामायण देखती दादी रिया से बोली। अगर मम्मी घर मे होती तो रिया मना कर देती पर आज वो चुपचाप दादी की चोटी बाँधने लगी । चोटी बांधते बांधते उसने देखा टीवी पर रावण सीता का अपहरण करने आया हुआ है इस दृश्य ने बरबस उसका ध्यान खींच लिया । 

” मत जाइये , मत जाइये ये साधु के भेष मे शैतान है ।” सीता माता को रेखा पार करते देख रिया एक दम बोली। सीता माता का अपहरण हो गया और आज का एपिसोड खत्म हो गया ।

” बेटा यही तो गलती करती है नारी वो पहचान नही पाती कौन सही कौन गलत । या यूँ कहो पहचान कर भी नासमझी कर जाती।” दादी टीवी बंद करते हुए बोली। 

” दादी माँ सीता तो भगवान थी ना फिर उन्हे रेखा पार करने को मना किया गया था तो क्यो की उन्होंने । उनकी इस गलती से कितना बड़ा अनर्थ हो गया।” रिया बोली । जाने आज कैसे वो दादी से इतनी बात कर रही थी।

” माँ सीता ने तो अपने कुल की मर्यादा की मर्यादा के नाम पर  गलती की पर आजकल की लड़कियां बिना सोचे समझे ये गलती कर रही है । आज भी हर जगह रावण मौजूद है जो फूल सी बच्चियों की अस्मत रौंदना चाहता है और लड़कियां आसानी से उनके जाल मे फंस जाती है । वो रावण तो आज के रावण से लाख गुना अच्छा था उसने सीता माता का अपहरण तो किया पर उनकी अस्मत को आंच नही आने दी पर आजकल का रावण ना केवल अस्मत से खिलवाड़ करता है बल्कि जिंदगी भी हर लेता है   !” दादी उसे देखते हुए बोली। 

” मैं कुछ समझी नही दादी !” रिया अंजान बनते हुए बोली ।

” बेटा आजकल की कुछ लड़कियों को प्यार के नाम पर ये रावण अपने झांसे मे लेते है , फिर उन्हे अकेले मे मिलने बुलाते है और उनकी इज्जत रोंद देते है और कई बार सुबूत मिटाने को जान भी ले लेते है । जो सही मायने मे प्यार करते है वो कभी अकेले मे बंद कमरे मे मिलने नही बुलाते । पहले अपना भविष्य बनाते है सामने वाले को भी प्रेरित करते है उसके बाद शान से लड़की के घर उसका हाथ मांगने आते है वो भी घर वालों के साथ  । ” दादी उसे गहरी नज़र से देखती हुई बोली। 

” दादी जरूरी तो नही हर कोई गलत ही हो , अच्छे लोग भी तो है ना दुनिया मे !” रिया कुछ सोचते हुए बोली। 

” हाँ अच्छे लोग भी है तभी तो दुनिया टिकी हुई है । लेकिन वो अच्छे लोग कभी बंद कमरे मे नही मिलते बल्कि सबके सामने मिलते है और वक्त आने पर पूरी बारात लेकर आते है और सात फेरों के साथ लड़की को अपना बनाते है !” दादी बोली। रिया दादी की बात सुन चुपचाप अपने कमरे मे चली गई । पीछे से दादी ने आवाज़ भी दी पर उसने सुना ही नही ।

दादी को रिया के बर्ताव से समझ आ गया था वो क्या करने जा रही है उन्होंने उसकी कुछ बाते सुन भी ली थी किन्तु वो अपने बेटे बहू को ना बता रिया को समझाना चाहती थी क्योकि आजकल की युवा पीढ़ी किसी के रोकने से नही रूकती बल्कि उन्हे अपने तरीके से समझाना पड़ता है दादी ने वही किया उन्हे उम्मीद थी रिया समझ जाएगी वरना तो मजबूरी मे उन्हे सख्त कदम भी उठाने पड़ते । 

इधर रिया अपने कमरे मे आ गई वो सोच मे गुम थी । दादी की बातें उसे सही लग रही थी । रोहान ने कभी नही कहा कि वो उसे अपने मम्मी पापा से मिलवाएगा ना ही कभी वो रिया के घर आया । उसे तो बस रिया से अकेले मे मिलने की पड़ी थी । क्या ये रोहान का प्यार नही हवस है । हाँ हवस ही होगी तभी तो उसने अपने दोस्त का कमरा चुना वरना तो वो किसी कैफ़े मे किसी मॉल मे भी तो मिल सकता है हर बार की तरह । रिया यही सब सोच रही थी कि उसका फोन बजने लगा । स्क्रीन पर रोहान का नंबर था । 

” हेलो रिया तुम परसो सही समय पर आ जाना और हाँ कोई सेक्सी सी ड्रेस पहन कर आना !” उधर से रोहान बोला।

” नही रोहान मैं नही आ सकती मम्मी पापा घर पर नही मुझे दादी का ध्यान रखना होता है !” रिया बोली।

” अरे कुछ घंटो की तो बात है जब वो बुढ़िया सो रही हो तब आ जाना !” रोहान झुंझला कर बोला। 

” तमीज से बात करो रोहान वो मेरी दादी है । तुम्हे जन्मदिन मनाना है अपना तो हम मॉल मे मिलते है ना थोड़ी देर के लिए !” रिया बोली। 

” मॉल भी कोई मिलने की जगह है मुझे तो तुम्हारे साथ अकेले मे जन्मदिन मनाना है जहाँ बस मैं और तुम होंगे बड़ा मजा आएगा !” रोहान बोला। 

” नही रोहान मैं तुमसे अकेले मे नही मिल सकती ये सही नही अभी हमें अपना करियर बनाना है तब हम शादी कर लेंगे तभी तो हमें एक साथ रहना ही है !” रिया बोली। 

” इतने दिन से तुम्हे मना रहा था अब तुम नखरे कर रही हो । तुम लड़कियों मे यही कमी है शादी की जल्दी पड़ी होती तुम्हे अरे जिंदगी मस्ती मजे का नाम है शादी और बंधनों का नही !” रोहान चिल्ला कर बोला। 

” रोहान क्या बोल रहे हो ये तुम ?” हैरान रिया बोली।

” देखो या तो तुम परसो सही समय पर आ जाना या आज के बाद मुझे कॉल मत करना क्योकि मैं ऐसी लड़की से कोई मतलब नही रखना चाहता जो इतनी बोर हो !” रोहान झुंझला कर बोला। 

” मतलब तुम …तुम मुझसे प्यार नही करते सिर्फ दिखावा था प्यार का जिससे मुझे बंद कमरे मे मिलने बुला सको और अपनी मर्जी कर सको !” रिया रोते हुए बोली पर उधर से रोहान ने फोन काट दिया । रिया फोन को बेड पर पटक जोर जोर से रोने लगी ।

” ना बेटी ऐसे नही रोते तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि तुम रावण से बच गई । वरना तो क्या अपने मम्मी पापा से नज़र मिला सकती थी !” तभी दादी उसके पास आ चुप करवाते हुए बोली ।

” दादी आपने मुझे रावण से बचा लिया वरना तो जाने क्या अनर्थ हो जाता । पर दादी आपको इन सबका  कैसे पता लगा ?” अचानक रिया ने पूछा।

” बेटा तेरे पापा की भी माँ हूँ मैं सब जानती हूँ !” दादी मुस्कुराते हुए बोली । रिया उनके गले लग गई उसे रोहान का साथ छूटने का दुख तो था पर साथ खुद को शर्मिंदा होने से बचाने की खुशी भी थी । इसके लिए वो दादी का शुक्रिया कर रही थी । 

अगले दिन मम्मी पापा वापिस आये तो रिया और दादी को साथ साथ रामायण देखते और हंसी मजाक करते देख आश्चर्य से भर गये । 

” क्या बात है लगता है दादी पोती की दोस्ती हो गई !” माँ हँसते हुए बोली। 

” मम्मी इतनी अच्छी दादी है तो किसी और दोस्त की तो जरूरत भी नही ! रिया दादी के गले मे बाहें डाल बोली।

” अच्छा चलो अब ये बताओ खाने मे क्या खाओगी मैं बना देती हूँ !” मम्मी रसोई की तरफ जाती हुई बोली। 

” मम्मी दादी और मैं तो बाहर खाना खाने जा रहे है आपको कुछ मंगवाना है तो बोल दो । क्यो दादी चलोगी ना आप !” रिया बोली ।

” ना बेटा मुझे तुम्हारा वो पिज़्ज़ा बर्गर ना भायेगा मैं यही ठीक हूँ!” दादी बोली।

” दादी आज वही खाएंगे जो आपको पसंद होगा । चलो अब जल्दी तैयार हो जाओ मैं स्कूटी निकालती हूँ इतने !” रिया अति उत्साहित थी । उसे देख मम्मी पापा हैरान तो थे पर उन्हे रिया मे आया ये परिवर्तन बहुत सुखद लगा । हालाँकि उन्हे यही लगा कि दो दिन अकेले रहने से उनमे दोस्ती हुई क्योकि उन दोनो की दोस्ती की वजह तो वही दोनो जानती थी । अब रिया को कभी दादी पर ना गुस्सा आया ना मम्मी पापा का उनके प्रति झुकाव देख  उनसे ईर्ष्या हुई बल्कि अब तो रिया भी उनकी पार्टी मे शामिल हो गई थी । 

दोस्तों आज की युवा पीढ़ी खासकर हमारे घर की बच्चियां बहुत जल्दी झूठे प्यार के बहकावे मे आ जाती है तब उन्हे घर के लोग दुश्मन और ऐसे लोग अपने लगने लगते है नतीजा वो अपना सब कुछ गंवा कर होश मे आती है वो नही समझती जिन्हे वो अपना समझ अपना सब कुछ सौंप रही है वो अपनों के भेस मे कलयुगी रावण है । जब तक उन्हे समझ आती है देर हो चुकी होती है क्योकि हर किसी के पास रिया जैसी दादी जो नही होती । हर लड़की को इस बात को समझना होगा जो प्यार करते है वो बंद कमरे मे नही मिलते । 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

#ईर्ष्या

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