वो इत्तेफाक था या किस्मत का लेख मगर जो भी था बहुत दर्दनाक था। उस काली रात की कभी सुबह न हुई आज भी उसे इंतज़ार है कोई रोशनी उसकी जिंदगी में आए और वो फिर से उस सपने को सच होता देखे जिसका ख्वाव आज भी उसकी आँखों मे जिंदा है जो रोज बहते आंसुओं के साथ धुलता जा रहा है। वो ये कहते कहते रो पड़ता है कि क्या उसे खवर होगी क्या वो कभी याद करती होगी……
तीन महीने से हॉस्पिटल में पड़ा हुआ मेरा दोस्त आज मैं उसकी खवर लेने गया है चाल पूछा उससे जानना चाहा कि आखिर क्या हुआ था उस दिन तो वो फफक फफक कर रोने लगा मजिने असक सिर कंधे पे रखकर उसे होंसले करने को कहा मगर वो भरा पड़ा था एक दर्द से जिसे वो किसी के साथ बांटना चाहता था। उसने कहना शुरू किया तो रुका ही नही।
बात उस समय की है जब स्मार्ट फ़ोन नही थे टेक्स्ट मेसेज का जमाना था वो जिला ऊना में पटवारी के पद पर सरकारी नौकरी करता था। एक दिन उसने किसी को ये बताने के लिए फ़ोन किया कि आज तहसीलदार साहब आने वाले हैं तो अपना जमीन का काम करवा लें मगर उस आदमी ने अपना नम्बर
गलती से एक अक्षर आगे पीछे कर दिया था जिसके चलते उसका फ़ोन कांगड़ा के पालमपुर में लगा सामने से किसी लड़की ने हेलो बोला तो उसने उस आदमी के बारे में पूछा तो पता चला उस नाम का कोई आदमी नही है और वो ऊना से नही पालमपुर से बोल रही है और फोन कट गया।
नई नई नौकरी लगी थी लभी उम्र भी तेईस की थी लड़की की आवाज सुनकर उसे अच्छा लगा तो थोड़ी देर बाद उसने फिर फोन किया मगर इस बार किसी ने फोन नही उठाया। अगर विनय के कानों में वो आवाज घर से कर गई थी उसने एक दो बार फिर फोन किया मगर फ़ोन नही उठा। रात को सोने से पहले उसने हेलो हाय करके एक दो मेसेज किये मेसेज पढ़े तो जरूर गए थे मगर जवाब नही आया। अगली सुबह उठे ही उसने गुड मॉर्निंग का मैसेज किया।
अब सामने से जवाब आया कि आपको एक बार बोला कि आप गलत नम्बर मिला रहे हैं तो आपको समझ नही आ रहा क्या? अब विनय को तो जैसे मनचाही उम्मीद पूरी हो गई थी। उसने दो चार मेसेज और कर दिए सॉरी बगैरह लिखकर की गलती से लग गया था।सामने से ओके अब मत करना का जवाब आया। मगर विनय को कहां चैन था शाम को सोने से पहले फिर गुड नाईट का मैसेज भेज
दिया। अब कोई जवाब नही आया। अगले दिन शाम को विनय ने अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्टी में शराब पी तो घर आकर उसने एक दो बार उसी नम्बर पे फ़ोन किया जब फ़ोन नही उठाया तो टूटी फूटी टूटे दिल वाले आशिकों वाली शायरी के जाने कितने ही मेसेज कर दिए जिनका जवाब सुबह
आया जब विनय ने फ़ोन देख तो खुद पे शर्मिंदा था कि ये क्या हो गया मगर उसने सोचा कि पीने के बाद ही सही शायरी तो अच्छी ही भेजी थी। ख़ैर उस लड़की ने मेसज किया था कि आप पागल हो क्या इतनी रात मेसेज करते रहे फ़ोन करते रहे मुझे फोन बंद करना पड़ा अगर घरवालो को पता चलता तो मैं क्या जवाब देती।
विनय ने फिर माफी बगैरह मांगी एक दो दिन न फ़ोन किया न मेसेज। तीन दिन बाद उस लड़की का मिस कॉल आया तो विनय ने बैक काल किया तो लड़की ने कहा कि गलती से लग गया था आपका लग सकता है तो मेरा क्यों नही ये सुनकर विनय अन्दर ही अंदर खुश था। अब धीरे धीरे उनकी बात हाल चाल खाना पीना गुड नाईट से गुड मॉर्निंग तक होने लगी। उन्हें बात करते करते एक सालभर हो गया मगर हैरानी की बात ये थी कि न कभी उसने नाम पूछा न उसने बताया सिर्फ इधर उधर की बात होती।
कब ऐसा कोई दिन कोई रात नही होती जब उनमे लम्बी लम्बी बातें न हों उनके घर मे कितनी गाय हैं कितनी भैंस कौन कितना दूध देती है घास काटने कब जाती है सिलाई सेंटर से कब आती है घर मे कौन कौन है बहन क्या करती है विनय के पास पूरी लिस्ट थी। उन दोनों को ही एकदूसरे के साथ बातें करना अच्छा लगता था। ऐसा लगता था कोई पिछले जन्म के बिछुड़ी दो आत्माएं फिर से एकदूसरे से मिल गई हों और उनकी पहचान साल की नही बल्कि कई जन्मों की थी।
एक दिन उस लड़की ने विनय से नाम पूछा तो वो थोड़ी नर्बस हो गई और फ़ोन फिर से उठना बन्द हो गया अब विनय को कहां सकूँ था उसने रात भर मेसेज किये मगर कोई जवाब नही आया अगले दिन फिर सुबह से कॉल मेसेज किये मिन्नते की कि एकबार बात सुन लो बस फिर चाहे मत करना कभी।
खैर उस लड़की ने मिस कॉल की विनय ने फोन किया तो वो बोली कि जो भी हुआ उसे भूल जाओ और अब हम कभी बात नही करेंगे विनय ने कहा कम से कम एक बार बजह तो बता दो। काफी पूछने पर लड़की ने बताया कि उसका नाम आयत है और वो मुसलमान है अगर उसके घर मे पता चला तो घरवाले उसे जिंदा नही छोड़ेंगे इसलिए अच्छा होगा हम एकदूसरे को भूल जाएं।
विनय ने काफी कोशिश की मगर बात नही बन पाई अब फोन ज्यादातर बंद आने लगा था विनय मेसेज भेजता मगर कोई जवाब नही आता। दो चार दिन में कभी वो जवाब देती मगर बहुत छोटा सा। ऐसे ही एक दो महीने गुजर गए एक दिन विनय ने उसे झूठा मेसेज किया कि आयत मेरा रिश्ता हो गया है चार महीने बाद शादी है अभी भी बता दो बात में मत कहना कि मैंने बताया नही। थोड़ी देर
बाद उसकी मिसकाल आई विनय ने झट से फोन लगाया और वो उसे बताने लगा कि उसका रिश्ता हो गया है अब आयत थोड़ी उदास हो गई कहने लगी शादी के बाद भूल तो नही जाओगे कभी मेसेज करोगे या नही। पता नही क्यों मगर अब मुझे आपकी आदत सी हो गई है मैंने आजतक किसी से बात नही की मगर पता नही आपकी आवाज में ऐसा क्या था कि अब आपका फोन न आए तो कुछ भी अच्छा नही लगता।
पता नही मैं कैसे रह पाऊंगी मगर किस्मत का लिखा मोड़ा नही जा सकता बस कभी कभी फोन कर लिया करना। उसकी आवाज भारी हो गई थी मानो गला भर आया हो। विनय हेलो हेलो करता रहा मगर सामने से कोई आवाज न आई और फोन कट गया। फिर बही कहानी मेसेज पे मेसेज करता
रहा। दो दिन बाद फिर उसका फोन आया तो उसने बताया कि उसने अपनी बड़ी बहन से सबकुछ बता दिया है वो आपसे बात करना चाहती है उसकी बहन ने विनय से बात की और समझाने की कोशिश की ताकि ये बात खत्म हो जाए क्योंकि ये मुमकिन नही था कि दोनों की शादी हो सके। उसके परिवार के मान भी जाएं तो समाज उन्हें ये करने नही देगा।
अब विनय को पीने की आदत हो गई सोचता था पीने आए उसकी याद भूल जाएगी मगर ऐसा नही हुआ पीने के बाद उसको उसकी याद और ज्यादा आती थी मगर पिने के बाद वो इमोशनल बातें करता जिससे आयत का दिल जीत सके एक दिन शाम को पीने के बाद उसने जिद्द पकड़ ली कि मुझे एक बार आपको देखना है बस फिर चाहे कभी न मिलना मरने से पहले ये गम न रहे कि आपको देखा
ही नही। आयत ने उसे काफी समझाया कि ये संभब नही है वो घर से अकेली आ ही नही सकती मगर विनय के सिर पे भूत सवार था। उसने उसे अपनी कसम दी और रास्ता पूछा। आयत उसकी इमोशनल बातों में आ गई उसने उसे बताया कि वो मिलने नही आएगी पर अगर उसे आना है तो पालमपुर के आगे एक जगह है पाहड़ा यहां बस अड्डे से खड़े होकर देखोगे तो हमारा घर साफ दिखाई देता है आप बस अड्डे पे खड़े हो जाना मैं आंगन में खड़ी हो जाऊंगी बस इससे ज्यादा मैं कुछ नही कर सकती।
अगले दिन दोपहर के समय विनय पालमपुर के लिए निकल गया उसने सोचा कि रात को होटल में रुक जाऊंगा। वो शाम को लगभग छः बजे पाहड़ा पहुंच सर्दियों के दिन थे रात जल्दी होने लगी थी बैसे भी धुंध के कारण पहाड़ों में कुछ भी दिखाई नही देता। वो बस स्टैंड पर पहुंचकर फोन करता है मगर आयत उसे दिखाई नही देती आयत ने उसे कहा कि मैं आंगन की लाइट दो बार ऑन ऑफ
करूंगी समझ जाना यही हमारा घर है। सामने दूर पहाड़ी पर लाइट दो तीन बार जली तो विनय समझ गया घर सामने था मगर घुमावदार रास्ता बहत दूर था। आयत न विनय को बताया कि सात बजे
चंडीगढ़ की आखरी बस जाएगी उसके बाद कोई वस नही है और उस छोटे से स्टेशन पर कोई होटल भी नही यहां रुक सके इसलिए उस बस में बापिस पालमपुर या कांगड़ा चला जाए यहां उसे होटल मिल जाएगा।
थोड़ी देर बात के बाद आखरी बस आ गयी विनय ने उसे कहा कि वो कांगड़ा जाकर फोन करेगा और दोनों की बात बंद हो गई। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। लभी बस चार छः मोड़ ही आगे आई होगी कि धुंध के कारण ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया और बस एक गहरी खाई में जा गिरी जिसमे विनय की दोनों टांगों के साथ साथ आंखों की रोशनी भी चली गई जैसे। उसकी जान बच गई मगर वो
कई दिन तक बेहोशी की हालत में कांगड़ा हॉस्पिटल में रहा। कुछ दिन बाद जब वो खाने पीने लगा तो उसे ऊना हॉस्पिटल में लाकर एडमिट करवा दिया। उसका फोन बहीं गिर गया था। शायद आयत को पता तो चला होगा उस बस के एक्सीडेंट का उसने फ़ोन भी किआ होगा मगर फोन कहां खाई में गिरा कौन उठाता।
विनय कहते कहते फफककर पूछता है कि क्या वो मुझे याद करती होगी? काश मैं उसे एकबार देख पाता उसकी धुंधली सी तस्बीर दिल मे बनती है मगर वो किसी दिखती होगी अब मैं कभी जान नही पाऊंगा। मैंने विनय को अपना फोन दिया और कहा कि बात कर ले। मगर उसने मना कर दिया वो बोला मैं नही चाहता कि वो मुझपर तरस खाकर एक अपाहिज के लिए अपनी जिंदगी बर्बाद कर ले
और बैसे भी अब तीन महीने हो गए हैं वो तो मुझे भूल ही चुकी होगी तो क्यों उसके जख्मो को फिर से कुरेदकर उसे दर्द दूं। बैसे अब मेरी जिंदगी उस काली रात की तरह हैं जिसकी कोई सवेर नही है तो मैं क्यों उसे भी अपने साथ इस अंधकार में खींच लाऊं मैं उसे अपना बनाना चाहता था सिर्फ पाना नही। बस यही दुआ है वो यहां भी रहे खुश रहे।
के आर अमित
अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश