Moral Stories in Hindi
“ये क्या है हर्ष जब देखो तब टीवी में लगे रहते हो पढ़ाई कौन करेगा!” साधना अपने चौदह वर्षीय बेटे से बोली।
” मम्मी बस थोड़ी देर में करता हूं थोड़ी देर और टीवी देख लूं!” हर्ष बोला।
” नहीं बिल्कुल नहीं तुम पहले ही दो घंटे से टीवी देख रहे हो !” साधना गुस्से में बोली।
” अरि देखने दे ना पढ़ा लिखा कर कौन सा कलेक्टर बनाएगी इसे संभालना तो बाप का बिजनेस ही है इसे जा तू अपना काम कर !” तभी हर्ष की दादी निर्मला जी वहां आ बोली उनकी शह में हर्ष घंटों टीवी देखता रहता कितनी बार साधना ने अपने पति राघव से भी कहा पर वो अपनी मां से कुछ कहते ही नहीं थे।
साधना और राघव के दो बच्चे बड़ी बेटी मुस्कान छोटा बेटा हर्ष। मुस्कान जहां पढ़ाई में बहुत होशियार थी वहीं हर्ष दादी के लाड़ प्यार में पढ़ाई से दूर होता जा रहा था। साधना ने कितनी बार उसे सुधारने की कोशिश की पर हर बार उसकी दादी बीच में आ जाती।
” ये क्या हर्ष तुम दसवीं में कुल 50% नंबर लाए हो !” हर्ष का बोर्ड का रिजल्ट देख साधना उस पर चिल्लाती हुई बोली।
” अरे मम्मा चिल्ल पास हो गया ना बहुत है !” हर्ष लापरवाही से बोला।
” हर्ष हद है बदतमीजी की अपनी दीदी को देखो बाहरवीं मे 96% लाई है !” साधना गुस्से में बोली।
” अरे तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा आगे मेहनत कर लेगा वो। रही मुस्कान की बात उसे बाद में तो घर गृहस्थी ही संभालनी है।” तभी निर्मला जी वहां आकर बोली और हर्ष को अपने साथ ले गई। साधना गुस्से का घूंट पीकर रह गई।
” राघव तुम हर्ष को कुछ कहते क्यों नहीं मांजी की शह में बिगड़ता जा रहा है वो !” रात को साधना राघव से बोली।
” साधना ये मेरा काम नहीं है मेरा काम व्यापार संभालना और पैसे कमाना है जो मैं बाखूबी कर रहा हूं घर बच्चे देखना तुम्हारा काम है तुम जानो वैसे भी बच्चो पर हद से ज्यादा अंकुश लगाना उन्हें बागी बना देता है इस बात का ध्यान रखना तुम !” राघव ये बोल सो गया।
साधना बहुत चिंतित थी हालाकि वो निर्मला जी की भी अवहेलना नहीं करना चाहती थी पर उनके हद से ज्यादा लाड़ प्यार के कारण अपने बच्चे को बिगड़ता भी नहीं देख सकती थी। ऐसे में वो करे तो क्या करे क्या वो सच में ज्यादा सोच रही थी ? उसे कुछ समझ नहीं आया और वो सिर झटक कर लेट गई।
वक़्त बीतने लगा पर हर्ष पर कोई असर नहीं हुआ वो अभी भी वैसे का वैसा ही था हालाकि साधना ने कितनी बार उसे प्यार से , डांट से समझाने की कोशिश की पर उस पर कोई असर नहीं हुआ।
” मुस्कान , हर्ष तुम दोनों अपने धोने के कपड़े निकाल दो मैं मशीन लगाने जा रही हूं !” एक सुबह साधना ने बच्चों से कहा।
जैसे ही साधना ने हर्ष के कपड़े टटोले उसमे उसे कुछ नजर आया जिसे देख साधना हैरान रह गई। हर्ष लापरवाह है ये उसे पता था पर वो ये सब भी कर सकता है इस बात का उसे अंदाजा भी नहीं था।
” हर्ष …!” साधना ने बैठक में सबके साथ बैठे हर्ष को जोर से थप्पड़ लगा दिया।
” मम्मा….!” हर्ष हैरानी से गाल पर हाथ रखे बोला।
” ये क्या है बहू जवान होते बेटे पर कोई हाथ उठाता है ऐसे देख कितना जोर की मारा है मेरे बच्चे को उंगलियां तक छप गई!” निर्मला जी हर बार की तरह पोते का पक्ष लेती हुई बोली।
” बस मांजी एक लफ्ज़ नहीं बोलेंगी आप आज बात मेरे और मेरे बेटे के बीच होगी और कोई कुछ नहीं बोलेगा बहुत देख सुन ली मैं अभी तक हर्ष पढ़ने में लापरवाह था मेरी बात नहीं सुनता था फिर भी मैं चुप रही आपका लिहाज करके पर अब नहीं !” साधना थोड़े गुस्से में बोली।
” पर मम्मा हुआ क्या मेरी गलती क्या है …?” हर्ष अभी भी हैरान था क्योंकि साधना को इतने क्रोध में उसने आज से पहले नहीं देखा था।
” ये क्या है …?” साधना ने हर्ष के सामने अपना हाथ फैला दिया जिसमे सिगरेट की डिब्बी थी!
” वो…..मम्मा ….ये ….वो !” हर्ष हकलाते हुए नजर चुराने लगा।
” तुम्हारी हकलाहट बता रही है कि तुम गलत हो …लापरवाही बर्दाश्त की जा सकती है पर गलती नहीं उसकी सजा मिलती है और तुम्हारी सजा है कि तुम आगे की पढ़ाई हम सबसे दूर जा हॉस्टल में करोगे !” साधना ने अपना फैसला सुना दिया।
” मम्मा प्लीज़ माफ़ कर दो मुझे मैने दोस्तों के कहने से बस एक बार सिगरेट पी थी प्रोमिस अब कभी नहीं पियूंगा पर मैं हॉस्टल नहीं जाना चाहता मैं आप सबके साथ रहना चाहता हूं!” हर्ष मां के कदमों में गिर बोला।
” मुझे तुम्हारी किसी बात पर विश्वास नहीं अब तुम हॉस्टल जाओगे मतलब जाओगे !” साधना कठोर लहजे में बोली।
” अरे बोल तो रहा है अब नहीं पिएगा हो गई गलती बच्चे से उसकी इतनी बड़ी सजा देगी क्या …कहीं नहीं जाएगा मेरा बच्चा!” निर्मला जी बोली।
” मेरा फैसला अटल है !” साधना ये बोल अपने कमरे में आ गई।
” मम्मा प्लीज़ ना माफ़ कर दो अब ऐसा नहीं होगा !” हर्ष रोते रोते पीछे आ बोला।
” हर्ष मैने बचपन से तुम्हारी हर गलती माफ़ की पर अब नहीं तुम बिना इस घर से दूर जाए नहीं सुधरोगे ये समझ आ गया मुझे !” साधना बेरुखी से बोली।
” मम्मा माना में बुरा हूं बहुत पर एक बार अपने खून पर भरोसा करो अब मैं आपको एक अच्छा बच्चा बनकर दिखाऊंगा ऐसे दोस्तों से दूरी बना लूंगा बस एक मौका दो मुझे !” हर्ष रोते हुए बोला।
” ठीक है मैं तुम्हे कुछ महीनों का समय देती हूं अगर मुझे फिर कुछ भी ऐसा दिखाई दिया या पता लगा तो हॉस्टल जाने की तैयारी कर लेना !” साधना बोली।
” पक्का मम्मा अब कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा !” हर्ष अपने आँसू पोंछता बोला।
साधना ने निर्मला जी और राघव के सामने भी अपनी बात रखी की लाड़ प्यार करना ठीक पर अब वो अपने बेटे को अपने हिसाब से पालेगी उसकी गलती पर उसे शह देना अब वो बर्दाश्त नहीं करेगी।
उम्मीद है हर्ष भविष्य में ऐसी कोई गलती नहीं करेगा।
दोस्तो कई बार घर के बड़ों के लाड़ प्यार में घर के बच्चे बिगड़ जाते है तब एक मां को उन्हें सुधारने को कठोर कदम उठाना पड़ता है। बड़ों का फर्ज है बच्चों को प्यार तो दे पर उनकी गलती पर उन्हें डांट भी लगाएं , समझाएं भी तभी बच्चों का विकास ठीक से हो सकता है वरना उनके भटकने का डर रहता ही है।
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#कठोर कदम
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल