रात को मिस्टर इंडिया चलचित्र देखकर विनीता के मन में बार-बार ये विचार चल रहे थे, काश मेरे अंदर भी अदृश्य होने की शक्ति होती तो कितना मज़ा आता! मनमर्जी से कुछ भी करो। कोई रोक-टोक नहीं। जब मन करे, अदृश्य होकर कहीं पर भी चले जाओ। न टिकट खरीदने का चक्कर और न ही पतिदेव से मनुहार का। इसी ऊहापोह में सोचते-सोचते कब नींद आ गई, पता नहीं। अचानक किसी की गंभीर आवाज़ सुनाई दी-
“पुत्री। क्या सच में अदृश्य होना चाहती हो।” डरकर विनीता उठ बैठी। देखा, सामने चित्रगुप्त खड़े थे।
विनीता थर-थर काँपने लगी, लगा, अब मेरा अंत आ गया। मुझे काँपते देखकर वे मुसकराते हुए बोले-
“पुत्री डरो नहीं। तुमने इस जिंदगी में अभी तक जो पुण्य किए हैं, उसके एवज में तुम्हें आज रात के लिए अदृश्य होने की शक्ति प्रदान कर सकता हूँ। बस एक शर्त है।”
“क्या शर्त है महाराज।”
“तुम्हें धर्मराज के वाहन भैंसे पर बैठकर ही अदृश्य होने की शक्ति मिलेगी।”
“वो किसलिए।” मैंने हकलाते हुए चित्रगुप्त से पूछा।
“बहुत दिनों से खाली बैठे-बैठे वो मुटियाता जा रहा है। बोलो मंजूर है या नहीं।”
“जी। मंजूर है।”
चित्रगुप्त के हाथ हिलाते ही धर्मराज का वाहन भैंसा हाज़िर हो गया। मुझे देखते ही उसने सिर हिलाकर मना कर दिया।
चित्रगुप्त के पूछने पर उनके कान में भैंसे ने अपना मुँह लगा दिया। सुनते ही चित्रगुप्त ने कहा-
“माफ करना पुत्री। तुम्हारीअदृश्य होने की इच्छा फिलहाल पूरी नहीं हो सकती, क्योंकि यह तुमको ले जाने से मना कर रहा है!”
“मुझसे ऐसी क्या गलती हुई, जो यह मुझे ले जाने से मना कर रहा है, विनीता ने हैरानी से पूछा।”
तुम्हारे दुबले-पतले लकड़ी जैसे शरीर को देखकर इसे लग रहा है, कहीं तुम हवा में ही कहीं उड़कर हमेशा के लिए ही अदृश्य न हो जाओ। उसकी बदनामी इसके सिर लग जाएगी, इसलिए पुत्री पहले अपना वज़न कुछ बढ़ाओ। इसके बाद कुछ करते हैं, कहकर चित्रगुप्त और भैंसा अदृश्य हो गए। विनीता नींद में चिल्लाने लगी, अब मेरी इच्छा का क्या होगा! “
विनीता के ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की आवाज सुनकर उसके पतिदेव उठ बैठे और उसे झिंझोड़ते हुए कहने लगे-
“कौन-सी इच्छा। हर इच्छा तो तुम्हारी पूरी की है। कौन- सी रह गई है, जो नींद में डरा रही हो।”
“कुछ नहीं। शायद सपना था।” कहकर विनीता करवट बदलकर सो गई।
अर्चना कोहली “अर्चि”©️®️
नोएडा (उत्तर प्रदेश)