रूही दीदी देखो सोनी ने आपकी बेग से नई पेन निकाल ली और दूसरी पुरानी पेन रख दी। यह सुनते ही सोनी तुरंत लगभग चीखते हुए आई और कहने लगी।
सोनी तुमने मेरी पेन क्यों ली?? तुम जानती हो मुझे यह सब पसंद नहीं है । मैं तो कभी भी तुम्हारी बेग से कुछ नहीं लेती। यह सुनते ही सोनी रूही दीदी से बोल पड़ी।
अरे रूही दीदी मैंने आपकी कोई पेन नहीं ली है। आप चाहो तो अपनी बैक चेक कर लो । जब रूही ने अपनी बैग चेक की तो उसकी नई पेन अपनी बैग में रखी हुई थी । इतने में ही सुलेखा कमरे में आ गई और अपनी बड़ी बेटी रूही को समझाते हुए बोल पड़ी । देखो रूही बिटिया किसी के कहे में आकर बेवजह किसी से कुछ कहना नहीं चाहिए ।
तुम्हारा भाई खेल खेल में तुम्हारी अपनी ही बहन सोनी के खिलाफ तुम्हारे कान भरता है और तुम इसकी बात मान लेती हो। एक बात हमेशा याद रखना बिटिया ।
इंसान को कभी भी कान का इतना कच्चा नहीं होना चाहिए वर्ना मनमुटाव होते देर नहीं लगती। आज तो चलो ये छोटी सी बात है मगर यही आगे चलकर अगर परिवार में कोई एक सदस्य दूसरे सदस्य के कान भरे और उस पर यकीन कर लिया जाए तो रिश्ते बिखरते देर नहीं लगती या फिर कोई बाहरी इंसान परिवार के खिलाफ कान भरे और उस पर यकीन कर लिया जाए तो परिवार को भी बिखरते देर नहीं लगती।
देख रूही वो तेरी अपनी छोटी बहन है! उसे तु कैसे छोड़ सकती है। जैसे उस दिन जो तेरी माला टुट गयी थी ! मैंने फिर सारे मोतीयों को एक धागे में पिरोकर उसे जोड़ दिया था!
ठीक उसी तरह कभी कोई अपनों के खिलाफ कोई भी घर का या बाहरी सदस्य कान भरे तो उस पर यकीन नहीं करना चाहिए और ना ही दूसरे की बातों में आकर उसे छोड़ देना चाहिए!
आखिर उसकी जिंदगी की डोर तुमसे बंधी है !
तुम उसकी बड़ी बहन हो! अपने तो अपने ही होते हैं ! पता है रूही बिटिआ !जब भी हमारे हिस्से में कोई खुशी या तकलीफें आती है ! हम सबसे पहले उस वक्त अपनों को ही ढूंढते हैं !
शायद अभी यह सब बातें तेरी समझ में ना आए मगर जब तुम बड़ी हो जाओगी तो मेरी बातों की गहराई को जान पाओगी !
रूही को मेरी बातें शायद थोड़ी- बहुत उम्र के हिसाब से समझ आ गई थी !
वो मुस्कराकर मुझसे बोल उठी! हां माँ मैं समझ गई हूं ! मैं अपनी छोटी बहन सोनी के साथ खूब प्यार से खेलूंगी और मेरे इस नटखट भाई को भी आप थोड़ा आप समझा दीजिए!
वह मेरे इस तरह कान ना भरे क्योंकि आगे से मैं इसकी बातों पर यकीन करने वाली नहीं हूं कहकर वो भाई राज की और देखकर मुस्कुराने लगी। तब राज भी क्षमा मांगते हुए बोल उठा। सॉरी रूही दीदी और सोनी आगे से मैं ऐसी गलती नहीं करूंगा। शाबाश मेरे बच्चों यह हुई ना बात कहकर सुलेखा मुस्कुराने लगी।
कान के कच्चे ना होना सीख देती यही कहानी
वर्ना “अपने”कहां होंगे कौन पूछेगा आंखों का पानी!
स्वरचित
सीमा सिंघी
गोलाघाट असम