झूंठा दिखावा – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

मीनल जब भी अपनी सहेली राखी के घर जाती राखी मीनल को नया- नया सामान बड़े चाव से दिखती देखा आज—– मैंने नया बेड खरीदा, पुराना टीवी वेंच दिया, नया टीवी बड़ा वाला खरीद लिया! कई बार तो राखी मीनल से कहती है—-अरे तुम्हारे पास तो साड़ी भी नहीं है—- देखो मैं 5000 की

10,000 की कितनी सुन्दर- सुन्दर साड़ी लाई हूं अगर तुम्हें चाहिए तो मैं तुम्हें किश्तों में दुकान से दिलवा दुंगी यह सुनकर मीनल का एक बार मन में तो आ गया पर वह अपने पति से पूछे बिना काम

नहीं करती थी यही उसकी अच्छी बात थी। राखी की साड़ियां राखी का सारा सामान  देखकर जब मीनल घर आती तो उसे अपना—- सब सामान पुराना लगता और अपनी साड़ियां, कपड़े, सब सस्ते से दिखाई देते! वह सोचती कि मेरे घर में तो ज्यादा सामान भी नहीं है, और मेरे पास राखी के जैसे कपड़े भी नहीं हैं सादा सिंपल कपड़े हैं।  

मीनल का पति थका हारा ऑफिस से आता तो देखता मीनल खुश होने की जगह मुंह बनाए रहती और हमेशा यही कहती—— देखा मेरी सहेली राखी के घर कितना नया-नया सामान आ रहा है अपन भी अपना टी.वी. बदल कर नया टीवी ले लेते हैं, नया सोफा ले लेते हैं मेरी सहेली राखी तो किश्तों पर——– बहुत सामान खरीद लेती है! कभी-कभी अपने पति के क्रेडिट कार्ड से भी

खरीदती है! साड़ियां भी उधार ले आती है—– यह सब देखकर और सुनकर मीनल का पति उदास हो जाता और बोलता मेरा अभी प्रमोशन नहीं हुआ! और इतने पैसे भी नहीं हैं! जो मैं सब नया-नया सामान खरीद दूं तुम्हें इतनी 5000 की साड़ियां दिलवाऊं———- यह मेरे बस की नहीं है! जो अपने

पास है उसी में खुश रहो, वह सब कितना अच्छा है! और अपने पास कोई कर्जा भी नहीं है। कर्ज करने से क्या फायदा है————- जो है उसी में गुजारा करो? “झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती”वैसे मीनल अपने पति आदित्य को बहुत चाहती थी, क्योंकि आदित्य ने अपनी जिंदगी में बहुत

मेहनत की और वह एक ईमानदार इंजीनियर था पर—– बेफिजूल के खर्चे नहीं करता था! सिंपल सादा खाना सादा पहनना ही उसे अच्छा लगता था और कभी रिश्वत नहीं ली बल्कि दूसरों की मदद किया करता था पर मीनल को यह सब अखरता था वह हमेशा उससे यही लड़ती की देखो सब लोग कितना कमा रहे हैं और अपने घर को आधुनिक सामान से सजा कर रखते हैं।

एक दिन आदित्य ने मीनल से बोला अपना बेटा यश अब 6 साल का हो गया है!—– उसे अच्छे स्कूल में पढ़ाना है, जिससे उसे अच्छे संस्कार मिलें और पढ़ाई का लाभ मिले तुम अपने बेटे की पढ़ाई पर

ध्यान दो ताकि अपन उसे उचित शिक्षा दे सकें उचित संस्कार दे सकें दिखावे में कुछ नहीं रखा। दिन बीतते गये मीनल ने भी राखी के घर जाना थोड़ा कम कर दिया और अपने बच्चे पर ध्यान देने लगी उसे अपने पति आदित्य की बात थोड़ी सही लगने लगी 2 महीने बाद! 

अचानक मीनल की सहेली राखी का फोन आया मीनल तुम मुझे कुछ पैसे उधार दे सकती हो क्या? अरे ऐसी क्या बात हो गई—— तुम तो बहुत पैसे खर्च करती थीं तुम्हें पैसों की कैसे जरूरत पड़ गई! तुम्हारा पति विश्वनाथ तो बहुत कमाता है अरे क्या बताऊं—– यही तो भूल थी मेरे पति ने मुझे

समझाया भी था लेकिन मैं आधुनिकता में खो गई थी और अपने पति की ना सुनकर सारी दुकानों से कर्जा कर लिया!—– इतनी महंगी- महंगी साड़ियां लाई और पति से लड़ाई करके फर्नीचर, घर का सामान उधार में उठा लिया—— आज उस सामान का पैसा नहीं चुका पा रहे हैं, और कर्जदार सब हमारे सिर पर चढ़कर खड़े हो गए रोज कर्ज वाले आते रहते हैं। 

मीनल ने कहा मैं तुम्हारी सहायता तो करूंगी लेकिन—– इतनी ज्यादा नहीं कर सकती मैं तो सोचती थी कि तुम्हारे पति विश्वनाथ बहुत पैसा कमाते हैं और तुम खर्च करती हो पर यह तो “झूठा दिखावा” हुआ मीनल बोली मेरे पति सही कहते थे “झूंठे दिखावे में कुछ नहीं रखा”आज तुम उसके कारण कर्ज़

में फंस गईं चलो—- जो मुझसे बनेगा मैं तुम्हारी सहायता करूंगी, और यह भी सीख दूंगी कि जो सामान तुमसे बिक जाए वह वेंचकर कर्ज़ चुकाना।  अपने घर को सादा फर्नीचर से सुंदर बनाओ यह

मेरे पति की सीख है जो आज मैं सुखी हूं?——– अगर मैं भी “झूंठे दिखावे” में पड़ जाती तो मेरा भी यही हाल होता मीनल ने चैन की सांस ली और मन-ही-मन अपने पति को धन्यवाद दिया समय पर सबक सिखाने के लिए। 

#  बेटियां वाक्य कहानी प्रतियोगिता 

वाक्य- # झूंठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती 

 कहानी झूंठा दिखावा    

सुनीता माथुर 

मौलिक ,अप्रकाशित रचना 

पुणे महाराष्ट्र

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