आकाश के ऑफिस जाते ही रिया सारे काम निपटा कर फ्री हुई ही थी कि सुमन का कॉल आ गया–हाय रिया क्या कर रही हो? कुछ नहीं यार अभी आकाश के जाने के बाद सारे काम करके फ्री हुई हूं. बस चाय बनाने ही जा रही थी .
तो यही आ जाओ ना, साथ मिलकर चाय पियेंगे– सुमन ने कहा .
अच्छा ठीक है आती हूं 10 मिनट में–कह रिया तैयार होने लगी.
सुमन रिया के पड़ोस में रहने वाली उसकी सहेली है. दोनों में बहुत दोस्ती है पर जहां सुमन के पति ऊंचे पद पर हैं वही आकाश एक कंपनी में एंप्लॉई है.
जैसे ही रिया सुमन के घर पहुंची सुमन खुश हो गई.उसने रिया को बैठने को कह किचन में चाय बनाने चली गई.
अगले महीने सुमन के भाई की शादी थी इसलिए
कल शाम में सुमन लाजपत नगर मार्केट से अपने लिए लहंगा और ज्वेलरी खरीद कर लाई थी. तब से वह परेशान थी की इन चीजों को रिया को दिखाए वह जानती थी कि रिया इतनी महंगी चीजें अफोर्ड नहीं कर सकती इसलिए वह जानबूझकर रिया को बुला बुलाकर अपनी कीमती चीजें दिखाती और उसकी मनोस्थिति को देख मजे लेती.
शाम में आकाश के आते ही रिया ज़िद कर बैठी कि मुझे भी वैसी ही ज्वेलरी और लहंगा लेना है.
जैसे ही उसने आकाश के सामने अपनी बात कही आकाश उसे समझाते हुए बोला– रिया तुम तो जानती हो कि जितने का वह लहंगा है उतनी तो मेरी आमदनी है. तुम दूसरा कुछ ले लो. वैसे भी तुम इतनी सुंदर हो कि बाहरी साज सजावट की तुम्हें जरूरत ही नहीं.
हर बार तुम ऐसा ही कहते हो. कभी भी मेरे लिए मेरी इच्छा अनुसार कुछ नहीं दिलवाया .रहने दो… मुझे कुछ नहीं लेना– कहती हुई गुस्से से पैर पटकती रिया अंदर कमरे में चली गई.
आकाश उसे जाते हुए देखता रहा और सोचा कि थोड़ी नाराज है पर तुरंत ही मान जाएगी. वह जानता था कि रिया दिल की बहुत अच्छी है लेकिन अपनी सहेलियों के पास महंगी चीजें देख जिद कर बैठती है.
अगले ही महीने उन दोनों की शादी की सालगिरह थी.
आकाश ने कहा– अगले महीने एनिवर्सरी के दिन हम लोग मंदिर जाकर पूजा करेंगे और बाहर ही लंच करेंगे.
आकाश! क्यों ना हम लोग एक बैंक्विट हॉल में छोटी सी पार्टी रख लें. हमलोग अपने दोस्तों को इनवाइट कर लेंगे, मजा आ जाएगा. पिछली बार जब हम लोग सुमन की एनिवर्सरी पर गए थे तो कितना मजा आया था. कितनी सारे आइटम थे खाने के. सब लोग कितना मस्ती किए.
पर मुझे तो यह फिजूल खर्ची बिल्कुल अच्छी नहीं लगी. कितना खाना बर्बाद हुआ होगा, और इतने लोगों को बुला लेना… कितना भारी पड़ा होगा सुमन के हस्बैंड की जेब पर.
और हां रिया …हम लोग मिडिल क्लास फैमिली से हैं. सब कुछ सोच समझ कर खर्च करना होगा .
आप तो हमेशा यही कहते हैं.. हर समय पैसे का रोना .मम्मी जी के जड़ाऊ कंगन, नेकलेस और जो कर्णफूल रखे हैं उसमें से कुछ बेचकर क्यों नहीं खर्च करते.
पागल हो गई हो क्या यह जेवर अभी बेचने की चीज नहीं है. मैं इसे कभी नहीं बेचूंगा. जब जरूरत पड़ेगी तब देखी जाएगी.
तो क्या अभी जरूरत नहीं है… रिया ने गुस्से से तमक कर कहा.
देखो रिया, जिस चीज को हम लोग लिमिट में रहकर कर सकते हैं उसे उसी तरह करने में भलाई है.
कुछ दिन के बाद रिया ने फिर से जिद पकड़ ली कि मेरी सहेलियां अपने-अपने परिवार के साथ मनाली घूमने जा रही है, मुझे भी जाना है.
रिया.. तुम समझती क्यों नहीं बार-बार एक जिद पकड़ कर बैठ जाती हो .अभी हमारे सामने तमाम खर्चे आएंगे.
क्यों ..मम्मी जी की तो इतनी ज्वेलरी है हमारे पास. उसे बेचकर हम अपने सारे शौक पूरे कर सकते हैं पर आप हैं कि उसे बेच नहीं रहे.
तुम समझती नहीं जब जरूरत पड़ेगी तब हम लोग उसे खर्च करेंगे जब तक मेरी सैलरी से जिंदगी आराम से जी जा सकती है तो रहने दो उसे.
कैसी आराम की जिंदगी? हर छोटी से छोटी चीज के लिए मुझे अपना मन मारना पड़ता है. आपको कहां समझ आएगा यह सब.
आकाश मुस्कुरा कर रह गया.
2 दिन बाद वह ऑफिस जा रहा था कि उसकी स्कूटी को एक बाइक वाले ने टक्कर मार दी. वह उछाल कर दूर जा गिरा .उसके पैर में फ्रैक्चर आ गया था. कुछ पैसे थे उसके पास इलाज के लिए.
दिक्कत तो थी,पर उसने तब भी मैनेज किया. रिया उस समय भी कहती रह गई कि मम्मी के जेवर बेचने से कुछ पैसे मिल जाएंगे पर आकाश ने उसकी एक न सुनी .
ठीक होने के बाद उसने फिर से ऑफिस जाना शुरू कर दिया.
कभी-कभी रिया मजाक में या गुस्से से कहती– हम इतने खींचतान कर जिंदगी गुजार रहे हैं पर तुम हो कि जेवरों से तुम्हारा प्रेम अटूट है..कभी बेचने का नाम नहीं लेते.
उसे उसे रात काफी सर्दी थी आकाश और रिया जल्दी ही सोने चले गए अचानक रात को खटर-पटर से आकाश की नींद खुल गई उसने देखा कि छत के रास्ते से दो लोग दूसरे कमरे में घुसे हुए हैं उसने तुरंत शोर मचाया कौन है वहां तभी दोनों में से एक ने उसकी कनपटी पर रिवाल्वर लगा दिया और कहा जो भी कीमती सामान है मेरे हवाले कर दो नहीं तो मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं देखो हमारे पास कुछ नहीं है हम एक साधारण लोग हैं
तब तक शोर सुनकर रिया की भी नींद खुल गई और आवाज सुनकर वह भी बाहर आ गई.
ऐसा कैसे हो सकता है . दूसरा बोला –यह ऐसे नहीं मानेगा. इसकी पत्नी को ले चलो.
तभी आकाश ने उनके सामने हाथ जोड़कर कहा मेरी पत्नी को कुछ मत कहो मेरे पास जो भी है मैं उससे अभी लेकर आता हूं कह कर वह अंदर गया और मम्मी जी के जेवर वाला डब्बा लेकर बाहर आया डब्बा उन चोरों के हाथ में देते हुए उसने कहा यह जेवर लो और मेरी पत्नी को छोड़ कर जल्दी से मेरे घर से निकल जाओ
उन चोरों के जाते ही रिया आकाश के गले लग रोने लगी.मुझे माफ कर दो आकाश. तुम्हारे प्यार को मैं कभी समझ ही नहीं पाई. मेरी खातिर तुमने मम्मी जी की निशानी उनके जेवर उन चोरों को दे दिए.
पगली ..रोती क्यों है, तुमसे ज्यादा कीमती थोड़े ही थे वे जेवर. मैं तुम्हें प्यार करता हूं .
ऐसे कितने जेवर मैं तुम पर कुर्बान कर सकता हूं, बस हमदोनो का साथ बना रहे..कह आकाश ने उसके माथे को चूम लिया.
वीणा राज