स्वधा और वरुण दोनों ही एक ही कम्पनी मे काम करते थे। एक साथ काम करते करते उनमे पहले दोस्ती हुई फिर उनकी दोस्ती प्यार मे बदल गई। दोनों की जाति, धर्म और भाषा एक ही थी तो उन्होंने कभी सोचा ही नहीं कि हमारे विवाह मे कुछ बाधा आएगी।
पहले से पता होता व्यवधान आएगी तो वे शायद पहले ही इस विषय पर आगे नहीं बढ़ते, क्योंकि दोनों का प्यार कोई सोलह वर्ष वाला प्यार तो था नहीं। दोनों एक दूसरे को पहले अच्छे से जान लिए, फिर वरुण नें यह भी समझ लिया कि स्वधा उसके घर के लोगो से निभा पाएगी कि नहीं,
स्वधा नें भी पहले से ही वरुण के माता पिता,भाई भाई और बहन के बारे मे जानकारी ले लिया,ताकि वह भी अपना आंकलन कर सके कि वह अपने ससुराल वालो से निभा पाएगी कि नहीं।इतना सब सोचने के बाद भी उनदोनो के विवाह मे बाधा आ गई। हुआ यह कि वरुण के माता पिता इस विवाह के लिए तैयार नहीं हो रहे थे।
वरुण को समझ नहीं आया कि माँ पापा विवाह के लिए तैयार क्यों नहीं हो रहे है। उसने माँ से पूछा माँ आपलोगो को हमारे विवाह से क्या परेशानी है।आपने तो स्वधा के बारे मे न जाना ना पूछा बस एक लाइन मे जबाब दे दिया कि हमें यह विवाह मंजूर नहीं है।
बेटा,हो सकता है कि स्वधा अच्छी लड़की हो। तुम उसे जानते हो, पर हम उसे नहीं जानते है। विवाह सिर्फ दो लोगो का बंधन नहीं है बल्कि यह दोपरिवारों का बंधन है। ना मै और ना तुम, दोनों मे से कोई भी लड़की के परिवार के बारे मे नहीं जानता है। फिर हम इस शादी के लिए कैसे तैयार हो जाए।
उसकी माँ नें अपना पक्ष रखते हुए कहा।माँ आप समझती क्यों नहीं है हम एक दूसरे को जानते है,मैंने आपके, पापा,भैया,भाभी, दीदी सभी के बारे मे स्वधा को बता दिया है।और यह भी बता दिया है कि हमें परिवार मे ही रहना होगा।तुम परिवार के लोगो के साथ कैसेतालमेल बिठाकर चलोगी यह तुम्हे सोचना होगा।
जब इन सारी बातो के बाद भी स्वधा विवाह के लिए तैयार है तब आपको क्या दिक्कत है?बेटे नें अपना तर्क देकर माँ को समझाना चाहा। दुनिया बड़ी खराब हो रखी है बेटा। पहले लोग बेटियों के विवाह के वक़्त बहुत चिंतित रहते थे और लडके वालो के बारे मे अच्छे से पूछताछ करते थे।
पूरी तसल्ली होने के बाद कि लड़की सही से रहेगी,तब जाकर उन्हेंअपनी लड़की देते थे पर आजकल लडके वालो की चिंता बन गई है कि लड़की घर मे आकर सही से रहेगी या कलह करके और घर तोड़कर अपने पति को लेकर अलग रहने चली जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है
कि इसमें लड़की से ज्यादा उसके परिवार वाले दोषी होते है। इसलिए परिवार के बारे मे सही जानकारी नहीं होने के कारण तुम्हारे पापा इस विवाह के लिए तैयार नहीं है। माँ नें फिर से बेटे को समझाने की कोशिश की।घर वालो के बारे मे जानने मे भला कितना वक़्त लगेगा?
यह कोई जरूरी नहीं कि विवाह आज कल मे करनी है। सब जानकर बूझकर तस्सली से पांच छह-माह बाद करेंगे। बेटे नें फिर कहा। माँ बेटे की बातो को पिता जी पुरे धैर्य से सुन रहे थे. जब उन्हें लगा कि शायद बेटा अपनी माँ को अपनी बातो मे फँसाकर हाँ कहवा लेगा तब उन्होंने बीच मे पड़ते हुए कहा बेटा सही बात यह है
कि मैंने गुप्ता जी की बेटी से तुम्हारा विवाह पक्का कर दिया है। गुप्ता जी हमारे जान पहचान के है। उनकी बेटी भी हमारी देखी भाली है तो हम क्यों किसी दूसरे को समझने बुझने मे अपना वक़्त गवाएं?अब बेटे को सही बात समझ आ गई। बात लड़की या उसके घरवालों की नहीं बल्कि मोटा दहेज की थी।
वरुण की भाभी नें अपने साथ अच्छा खाशा दहेज लाया था और अब उसके पिताजी उसके विवाह मे भी वैसा ही दहेज चाहते थे। पर लव मैरेज होने के कारण स्वधा के माता पिता से दहेज नहीं माँग सकते थे तो उन्होंने सोचा कि यह विवाह ही नहीं होने देंगे।
वरुण समझ गया कि इन्हे समझाना संम्भव नहीं है तो वह वहाँ से चला गया। अब उसे सोचना था कि इस परिस्थिति मे उसे क्या करना है। कुछ भी करने से पहले उसने स्वधा से बात करके एक निर्णय पर पहुंचने के लिए स्वधा को फोन लगाया और थोड़ी देर बात करने के बाद वह मोबाईल रखकर सो गया। सुबह उठते ही नहा धोकर बाहर जाने के लिए उसने गाड़ी की चाभी उठाई और माँ से कहा माँ मै बाहर जा रहा हूँ।
आप दरवाजा बंद कर लीजिए।माँ नें पूछा इतनी सुबह सुबह कहाँ जा रहे हो?कोर्ट वरुण नें कहा। कोर्ट किसलिए? आप अच्छे से जानती है, पापा स्वधा से मेरी शादी के लिए तैयार नहीं होंगे और मै उसे छोड़ नहीं सकता। मैंने उससे शादी का वादा किया है,इसलिए हमने सोचा है कि कोर्ट मैरेज ही कर लेते है।
विवाह करने के पहले हमने सोचा पहले मंदिर जाकर भगवान से आशीर्वाद ले लेंगे। इसलिए मै थोड़ा जल्दी निकल रहा हूँ। हमदोनो पहले मंदिर जाएंगे फिर कोर्ट जाकर विवाह का रजिस्ट्रेशन करवा लेने। उसके बाद दोनों ऑफिस चले जाएंगे।पंद्रह दिन बाद विवाह कर लेंगे। आज अपनी ख़ुशी सेलिब्रेट करने के लिए ऑफिस के बाद दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट मे जाएंगे
इसलिए थोड़ी देर हो जाएगी।मै रात तक आऊंगा।यह सब कहकर वरुण बाहर निकल गया उसने माँ के कुछ और पूछने का इंतजार नहीं किया। उसके जाते ही माँ तुरंत कमरा मे जाकर उसके पिता जी को जगाते हुए बोली उठिए, देखिए वरुण क्या करने जा रहा है।
क्या करने जा रहा है जो इतना बेचैन होकर सुबह सुबह मुझे उठा रही हो?कोर्ट मैरेज करने जा रहा है। यह सुनते ही पापा तुरंत उठे और वरुण को फोन लगाया पर उसने फोन नहीं उठाया। दिनभर दोनों बेचैन होकर फोन करते रहे पर उसने फोन नहीं उठाया। रात के ग्यारह बजे के करीब वरुण स्वधा के साथ आया और बोला मैंने विवाह का रजिस्ट्रेशन करवा लिया है । मुझे पता है
पापा गुस्सा होंगे, इसलिए मैंने घर छोड़ने का फैसला लिया है। विवाह के बाद तो आप स्वधा को स्वीकार नहीं करेंगे। यह सोचकर मै अपने साथ स्वधा को भी लाया हूँ ताकि आपका भी आशीर्वाद वह ले सके। पापा हमें आपकी आज्ञा नहीं चाहिए। हमें बस आपका आशीर्वाद चाहिए कहकर दोनों नें प्रणाम किया और वहाँ से चले गए। उनके जाने के बाद वरुण की भाभी नें कहा पापा जी दहेज के चक्कर मे आपका बेटा भी चला गया। वे दोनों बालिग़ है।
कोर्ट मैरेज कर सकते है। आप रोक नहीं पाएंगे। पापा नें कुछ नहीं कहा और वहाँ से चले गए पर भाभी नें हार नहीं मानी। वे हरेक बात पर वरुण का जिक्र छेड़ देती थी।धीरे धीरे उन्होंने माँ पापा को यह अहसास करा दिया कि बेटा सबसे महत्वपूर्ण है और समाज मे अपनी इज्जत बनाए
रखने के लिए पंद्रह दिन बाद हमे स्वयं ही उनदोनो का विवाह धूमधाम से कर देनी चाहिए। इसतरह वरुण और स्वधा का विवाह का दिन आ गया।बारात निकल रही थी। दूल्हे की गाड़ी पर वरुण वेड्स स्वधा लिखा हुआ था जिसे देखकर वरुण नें अपनी भाभी से कहा थैंक्यू भाभी यदि आप हमारा साथ नहीं देती तो आज हमारा विवाह नहीं हो रहा होता।
स्वधा नें तो साफ कह दिया था।मै माँ पापा के मर्जी के विरुद्ध तुमसे विवाह नहीं करूंगी पर आपने स्वधा कि बात मानकर हमारा साथ दियाऔर आपदोनो के इस आइडिया से आज हमारा विवाह होने जा रहा है।धन्यवाद किस बात का देवर जी धन्यवाद तो मुझे आपको देना चाहिए, स्वधा जैसी सुंदर,संस्कारी और प्यारी देवरानी देने के लिए।
वाक्य —-हमें बस आपका आशीर्वाद चाहिए।
लतिका पल्लवी