जेठानी – देवरानी का नाटक ससुराल वालों पर पड़ा भारी – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

भाभी , यह क्या आप दिन भर काम करती हैं फिर भी कोई भी आपको कुछ भी बोलकर चला जाता हैं , घरवाले आपकी बिल्कुल भी इज्जत नहीं करते , आपको इन सबकी बातों का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता क्या ?? मेघा अपनी जेठानी सुलोचना से बोली !!

सुलोचना बोली – मेघा , ना तो मैं तुम्हारी तरह संपन्न परिवार से हुं और ना ही तुम्हारी तरह नौकरी पेशा , मेरे पति और ससुराल वालों को पता हैं कि मेरी ओर से कोई बोलने वाला भी नहीं हैं !! घर की शांती के लिए चुप रह जाती हुं !!

मेघा बोली – यह लोग आपकी जरा सी कमी पर घर में कलह मचा देते हैं वह आपको नहीं दिखता क्या और घर की शांती का ठेका आपने अकेले लेकर रखा हैं क्या ?? भाभी अपने लिए खुद ही खड़ा होना पड़ता हैं !! भाभी आपके चुप रहने से ही इन लोगों की हिम्मत बढ़ गई हैं !! भाभी आप अपने आप को अकेला मत समझिए , मैं आपके साथ हुं , रही पैसा कमाने की बात तो आपमें इतना हुनर है कि मैं आपको पैसे कमाने का कोई ना कोई माध्यम बता ही दूंगी लेकिन पहले आपको मेरी बात माननी होगी , आपको अपना यह अपमान करवाना बंद करना होगा !!

सुलोचना बोली – मैं कर ही क्या सकती हुं मेघा ?? यह लोग तो मुझे मेरे मायके तक जाने नहीं देते , कहते हैं तुम चली गई तो घर का काम कौन करेगा ??

सुलोचना बहुत स्नेही और अच्छे व्यक्तित्व की औरत थी जो घर की सारी जिम्मेदारी बखुबी निभाती थी , उसने अपनी देवरानी मेघा को भी बहन जैसा प्यार दिया था मगर उसे अपनी सास , अपने देवर और यहां तक कि अपने पति से भी हमेशा उपेक्षा ही मिली !!

 मेघा सुलोचना के कान में कुछ बोली !! सभी लोग सुबह की दिनचर्या में बहुत व्यस्त थे कि तभी धड़ाम से रसोई में कुछ गिरने की आवाज आई और सुलोचना की बड़ी चीख निकल गई !! सभी लोग रसोई में भागकर आए तो देखा सुलोचना नीचे जमीन पर गिरी पड़ी हैं और आसपास सारे बर्तन बिखरे पड़े हैं !!

उठो जल्दी से , देखकर काम नहीं कर सकती क्या ?? सुबह का समय हैं कितना सारा काम पड़ा हैं , अभी तक तो चाय भी नहीं बनी हैं सास पार्वती जी की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थी !!

अरे मम्मी जी !! भाभी जमीन पर गिरी पड़ी हैं और आपको घर के कामों की चिंता हो रही हैं , मेघा ने सुलोचना को उठाने का प्रयास करते हुए कहा तो सुलोचना दर्द से फिर से चीख उठी !! भैया ,आप भाभी को गोद में उठाकर कमरे तक ले जाईए , भाभी से उठा भी नहीं जा रहा मेघा फिर बोली !!

यह सुनकर सुलोचना का पति सचिन अपनी मां के सामने देखने लगा !!

पार्वती जी आक्रोश से बोली अब यहां कितनी देर तक पड़ी रहेगी वैसे भी महारानी , सचिन इसे अपने कमरे में उठाकर ले जाओ !!

 मेघा ने सभी को कमरे से बाहर खड़े रहने कहा और बोली मैं अंदर भाभी को दवाई लगा देती हुं फिर आप सब अंदर आना !!

मेघा सुलोचना से अंदर जाकर बोली – भाभी हमारा नाटक शुरू हो चुका हैं अब इसे अंत तक निभाना है , इन लोगों की अक्ल ठिकाने लगाना जरूरी हैं !!

थोड़ी देर बाद सभी कमरे में आ गए और सभी यह चिंता में लग गए कि अब घर का काम कैसे होगा ??

मेघा बोली मम्मी जी आप लोग चिंता मत कीजिए , मैं आज ऑफिस की छुट्टी ले लेती हुं और भाभी को हॉस्पिटल दिखा लाऊंगी , इससे घर के मर्दो को ऑफिस की छुट्टी नहीं करनी पड़ेगी  और अभी चाय नाश्ता मैं बना देती हुं !!

पार्वती जी खुश होकर बोली – अच्छा हुआ मेघा , तुम हो यहां वर्ना तो आज इस सुलोचना ने तो सुबह सुबह सबका दिन खराब कर दिया था !!

आज सभी ने नाश्ते में सिर्फ ब्रेड – बटर और चाय पी !! घर के मर्दो को ऑफिस के लिए टिफिन भी नहीं मिला !! थोड़ी देर बाद मेघा बोली – मम्मी जी मैं भाभी को डॉक्टर के पास लेकर जा रही हुं , पता नहीं वहां कितनी देर हो जाए इसलिए आप खाना बनाकर रखना और आप जरा यहां आईए , भाभी को बाहर टैक्सी तक ले जाने में मेरी मदद कीजिए !!

पार्वती जी बिना मन के मेघा की मदद करने चली गई और बाद में मन ही मन में सुलोचना को गालियां देते हुए रसोई में खाना बनाने चली गई !!

टैक्सी में बैठते ही मेघा और सुलोचना की हंसी छूट गई !! करीबन तीन घंटे बाद मेघा और सुलोचना घर आई , सुलोचना के एक हाथ और एक पांव पर प्लास्तर चढ़ा था !!

मेघा बोली – मम्मी जी , भाभी को दवाई देनी हैं , घर में जो भी खाना बना हो, ले आओ !!

पार्वती जी बोली – मेघा , सुलोचना के आने के बाद मैं रसोई में गई ही नहीं इसलिए मुझे क्या सामान कहां पड़ा हैं यह पता ही नहीं इसलिए मैंने खाना नहीं बनाया !!

मेघा बोली – वैसे तो आपकी नजर में भाभी को कुछ नहीं आता और आज एक दिन आपसे खाना बनाने कहा वह भी ना हुआ आपसे !! मेघा ने जल्दी से खाना बाहर से ऑर्डर किया , सास को खाना दिया और अपना और सुलोचना का खाना लेकर सुलोचना के कमरे में चली गई !!

 शाम को जब दोनों बेटे घर आए , पार्वती जी ने बताया कि सुलोचना को दो महिने का प्लास्तर चढ़ा हैं !! दोनो बेटे सुनकर हैरान रह गए , समस्या यह थी कि अब घर का सारा काम कौन करेगा ??

 मेघा बोली – कल से तो मुझे भी ऑफिस जाना पड़ेगा !! मम्मी जी सुबह के थोड़े काम में तो मैं आपकी मदद कर सकती हुं फिर बाद में तो आपको ही खाना बनाना पड़ेगा और वैसे भी मुझे मैगी और पास्ता बनाने के अलावा कुछ नहीं आता और भाभी की देखभाल भी तो करनी पड़ेगी !!

मम्मी जी , आपको सब मैनेज करना होगा !! यह सब सुनकर पार्वती जी पर तो मानो पहाड़ ही टूट पड़ा वे बोली – मेरी तो काम करने की आदत ही छूट गई हैं , मुझसे तो यह सब नहीं होगा , एक काम करते हैं सुलोचना को उसके मायके भेज देते हैं और यहां खाना बनाने वाली और झाडू – पौछा, बर्तन वाली लगा देते हैं !!

मेघा बोली – मम्मी जी !! यह भला क्या बात हुई ?? भाभी ने आप लोगों की इतनी सेवा की हैं उसके बदले अब जब उन्हें सेवा की जरूरत पड़ी हैं तो उन्हें मायके भेज दिया जाए वैसे तो आप उन्हें कभी मायके नहीं जाने देती थी !!

ससुराल वालो की बातों की आवाजे सुलोचना को कमरे तक सुनाई दे रही थी !! सुलोचना अंत में बोली – मुझे मायके जाने दो क्योंकि भले यहां मुझे शारिरिक आराम मिल जाएगा मगर मानसिक आराम नहीं !!

दूसरे दिन सचिन सुलोचना को मायके छोड़ आया !! सुलोचना के मायके जाने के बाद सचिन और जीतू दोनों भाईयों को अपने कपड़े भी खुद प्रेस करने पड़ते थे !!

एक दिन सचिन झुंझलाकर मां से बोला – मम्मी सुलोचना थी तो कभी हाथ से कपड़े प्रेस नही करने पड़ते थे !!

पार्वती जी बोली – हां ,हम सबने उसीको नौकरानी समझ रखा था !! सुलोचना को गए एक महिना हो गया है , वह थी तो सच में बहुत आराम था !!

सचिन को भी अब बीवी की किमत समझ आ रही थी !!

वहां जीतू को भी रोज ऑफिस में डांट मिल रही थी क्योंकि वह रोज देरी से ऑफिस पहुंचता था !! कपड़े, नाश्ता,टिफिन यह सब करने में समय लग जाता था उसे भी अपनी भाभी की अहमियत समझ आ रही थी !!

पार्वती जी जो कि कल तक घर की महारानी बनी फिरती थी , आज उनके चेहरे पर थकावट और जिम्मेदरियों की लकीरे साफ झलक रही थी !!

पार्वती जी ने एक झलक अपने घर को निहारा , बिखरा और फैला हुआ घर उनको सुलोचना की याद दिला गया !! उनको यह एहसास हो गया कि सुलोचना के बिना उनका यह घर मानो बिना आत्मा के शरीर बन गया था !! घर में दो दो मेड लगी थी मगर सास की सेवा करने वाला कोई नहीं था !!

पार्वती जी को यह समझ आ गया था कि जिस बहू को उन्होंने हर पल कोसा , ताने दिए , नीचा दिखाया वह बहू उनके घर की साक्षात लक्ष्मी थी !! अब वह सुलोचना के ठीक होकर आने के दिन गिनने लगी !!

आज मेघा सभी के साथ डिनर करती हुई बोली – शायद आप सबको इन दो महिनों में भाभी की अहमियत समझ आ चुकी होगी , अब भाभी के ठीक होकर आ जाने के बाद भी यह दोनों मेड लगी रहेंगी और इनका वेतन हम तीनों मिलकर निकालेंगे !!

छोटी बहू , सुलोचना बहू जैसा स्वादिष्ट खाना ओर कोई नहीं बना पाता !! जब से वह गई हैं किसी ने भरपेट खाना नहीं खाया !! हां अब उसके आने के बाद भी हम सब अपना अपना काम खुद ही करेंगे और उसे पुरा मान सम्मान देंगे जो एक बहू का हक होता हैं , हम लोगों ने उसकी कोई कद्र नहीं की इसलिए शायद उसे यह चोट हमे आईना दिखाने के लिए ही लगी थी , खाना सुलोचना बनाएगी और हम उसे महिने के जेबखर्च के लिए पैसे भी देंगे और बाकी कामो के लिए मेड लगी रहेगी पार्वती जी बोली !!

आखिर सुलोचना के ससुराल वापस आने का दिन आ ही गया !! पुरा ससुराल का परिवार सुलोचना को उसके मायके लेने गया !! अंदर कमरे में जाकर मेघा सुलोचना के गले लगी और फिर उसे सारी बातें बताई कि कैसे पुरे परिवार को अब उनकी कद्र होने लगी हैं !!

सुलोचना बोली – यह सब तुम्हारी वजह से हुआ हैं मेघा ,वर्ना मैं तो ऐसे लोगों के बीच घुट घुटकर मर जाती !! देवरानी जेठानी के लड़ाई के किससे तो सब जगह मशहूर हैं मगर देवरानी जेठानी का ऐसा प्यार कम ही जगह देखा जाता हैं !!

 मेघा बोली – भाभी हमारा यह नाटक गुप्त ही रहना चाहिए इसलिए आप थोड़े दिन लंगड़ाकर चलने का नाटक करना वर्ना हमारी पोल खुल जाएगी और दोनों हंस पड़ी !!

दोस्तों , यह नाटक नहीं बल्कि एक सामाजिक संदेश था जो घर के हर व्यक्ति को यह दिखा गया कि औरत की खामोशी उसकी सहनशीलता होती हैं पर जब उसकी खामोशी को आवाज मिलती हैं तो बदलाव होना निश्चित हैं !!

आपको यह कहानी कैसी लगी जरूर बताए !!

आपकी सहेली 

स्वाती जैंन

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