अनय की आँखें नम हो रहीं थीं आज।सुबह सुबह ही उसे एक रजिस्टर्ड पत्र मिला जिसमें उसका प्रोजेक्ट कैंसिल कर दिया गया था।वह प्रोजेक्ट था गरीब बस्ती में संगीत स्कूल खोलने का लेकिन इसकी जगह प्रोजेक्ट अप्रूव हुआ था सलिल का जिसने शहर में जिम खोलने का प्रस्ताव लगाया था।
अनय को संगीत से बेहद लगाव था ।उसने संगीत साधना भी बहुत की थी ।संगीत में उसके प्राण थे।जब उसकी कम्पनी ने समाज के लिए उपयोगी प्रोजेक्ट के लिए इन्वेस्टमेंट जारी करने की वार्षिक योजना बनाई और भारी बजेट अनुमोदन की घोषणा की तो अनय को ऐसा प्रतीत हुआ मानो अपने दिल की साध पूरी करने का सही समय आ गया है।उसको मुंह मांगी मुराद जैसी मिल गई।
कंपनी आते जाते रास्ते में वह एक गरीब झुग्गी देखता था।एक बार मेड ढूंढने वहां गया था तब देखा था उसने कुछ लड़के लड़ाई झगड़ा करते भद्दी असंयत भाषा प्रयोग कर रहे थे।दो छोटे लड़के पत्थर रगड़ कर बजा रहे थे और कोई फिल्मी गाना जोर जोर से आँखें बंद करके गा रहे थे।
इतनी लय थी उनके वादन और गायन में कि अनय मंत्रमुग्ध सुनता खड़ा रह गया था।बाद में उसने जब उन्हें इनाम के रूप में दस रूपये दिए तो एक बच्चे ने हंसकर कहा था कहीं ये भीख तो नहीं दे रहे हैं आप हम लोगों को तब तक दूसरे बच्चे ने डपटते हुए लपक कर दस का नोट ले लिया था कि नहीं ये हमारा इनाम है।
लेकिन तभी यकायक अनय को अपना दस रूपये देना अनुचित प्रतीत हुआ था।उसे झटका सा लगा था कि ये प्रतिभाशाली बच्चे भीख मांगते हैं।
तुम लोगों ने इस तरह बजाना कहां से सीखा अनय ने बहुत प्रभावित होते हुए प्रश्न किया था।जिसके जवाब में दोनों फिक्क से हंस दिए थे।
ऐसे ही बजा बजा कर सीख लिया लोग सुन कर जब कुछ देने लगे तो सीखना भी बढ़ता गया हंसी भरा जवाब सुन वह चकित हो गया था।
क्या तुम्हारे स्कूल में सिखाते हैं वह अब भी राज जानने को उत्सुक था।
स्कूल कौन जाता है।स्कूल हम लोगों के लिए नहीं है एक लड़के ने बहुत व्यंग्य से और भद्दी भाषा में कहा था।
अनय समझ गया था।वह घर वापिस तो आ गया लेकिन उसके दिमाग में तभी से उस बस्ती के लिए और उन संभावित बिगड़ने वाले लड़कों के लिए कुछ करने की भावना प्रबल होने लगी थी।अगर इनकी इसी तरह भीख मांगकर जिंदगी गुजर करने की आदत पड़ गई तो इन्हें उस बुरे रास्ते से कोई वापिस नहीं ला पाएगा।
सर मै सोचता हूं संगीत ही वह माध्यम हो सकता है जिससे उन बच्चों में पढ़ने के प्रति भी ललक पैदा की जा सकती है।गाने बजाने में उन्हें मजा आता है तो वही सिखाया जाए।धीरे धीरे दूसरी बातों की तरफ उनके दिमाग को मोड़ा जा सकता है।दिन के समय जब वे आवारागर्दी करते हैं या ऐसे ही बजा गाकर भीख मांगते हैं या फिर शाम के समय उन्हें गीत गाना और वाद्ययंत्र जिसमें उन्हें रुचि हो सिखाया जाए अनय के तर्कों को सलिल ने ठहाके में उड़ा दिया था।
अनय और सलिल दोनों ही नौकरी में समकक्ष थे लेकिन सलिल राजनीतिक पृष्ठभूमि का था।शहर में जिम खोलने का उसका आइडिया आधुनिकता की मांग थी।
देखो अनय ये गरीब झुग्गी में संगीत स्कूल खोलना मूर्खता पूर्ण विचार है।संगीत का उन बच्चों से क्या लेना देना।उन्हें गरीबी और भीख मांग कर जीवन यापन करने की आदत पड़ चुकी हैं कमेटी ने तर्क दिया।
बड़े स्तर का भिखारी बनवाने की ट्रेनिंग देना चाहते हैं अनय जी सलिल ने ठहाका लगा तंज कसा था।
सर आप मेरी बात समझिए।उन बच्चों को आज तक तरीके का जीवन जीना किसी ने बताया ही नहीं रास्ता ही नहीं दिखाया।उनके पास कोई विकल्प ही नहीं है इसलिए वे इसी तरह जीवन यापन करने को विवश हैं।मै मानता हूं सर मुश्किल प्रोजेक्ट है लेकिन समाज के लिए यही उपयोगी रहेगा अनुकरणीय भी।जिम तो धनी मानी लोगों के लिए है।इसमें भारी बजेट कंपनी को लगाना पड़ेगा अनय ने फिर कोशिश की थी।
आप तो यूं कह रहे हैं मानो ये बजेट आपकी जेब से जाएगा सलिल ने ताना मारा।
समाज उपयोगी सिर्फ नारा है। कम्पनी को लाभ भी होना चाहिए।आप ठीक कह रहे हैं जिम धनी वर्ग के लिए है।तभी तो धन आएगा और इसीलिए कंपनी ये भारी बजेट का बोझ उठा लेगी सलिल के तर्कों ने अनय का मुंह बंद करा दिया था और हमेशा अनय की बातों पर मुहर लगाने वाले कम्पनी के चेयरमैन और कमेटी ने भी आज अनय को दरकिनार करते हुए सलिल के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।#समय समय की बात है कभी जिस कम्पनी को मुझ पर अंधविश्वास था आज सलिल पर हो रहा है अनय सोचता भी जा रहा था और अपने सोचे हुए प्रोजेक्ट को सही साबित करने की युक्तियां भी उसके दिमाग में उथल पुथल कर रहीं थीं।
आज रजिस्टर्ड पत्र ने उसका मन खिन्न कर दिया था।वह कम्पनी नहीं जा सका।
कुछ सोच उसने अपने पुराने वाद्य यंत्र निकाले।हारमोनियम और छोटा पियानो था उसके पास कभी कभी बजा लिया करता था सुकून मिलता था उसे।वह उन्हें लेकर उस बस्ती में फिर से गया।कुछ लड़के कंची खेल रहे थे।उसने सभी को उसी मेड के घर पर बुलवाया और पियानो बजाकर बताया।
शुरुआत में अनिच्छा दिखाते वे सब धीरे से पास आ गए और खुद हाथ में लेकर बजाने को उत्सुक होने लगे।
अनय ने पत्थर बजाने वाले लड़के के हाथ में पियानो पकड़ाते हुए सिखाया ।थोड़ी ही देर में वह कुछ बजाने लायक हो गया।हारमोनियम की तरफ वे आकृष्ट नहीं हो पाए थे।
एक सप्ताह में अनय ने उस लड़के को जिसका नाम सुनील था पियानो बजाना काफी कुछ सीखा दिया।सुनील को इतना अच्छा लगता था कि वह अनय के जाने के बाद भी घंटों अभ्यास करता रहता था।उसको देख अन्य लड़के भी और महिला पुरुष भी उत्सुक होने लगे। अनय ने धीरे से एक पियानो और खरीद कर दे दिया और सुनील को ही सिखाने की जिम्मेदारी दे दी।
एक दिन सुनील की मां ने बहुत सकुचाते हुए हारमोनियम सीखने की इच्छा जाहिर की तो अनय चकित रह गया और बहुत खुश हुआ लेकिन उसके पास इतना समय नहीं था ।फिर भी किसी तरह समय निकाल कर वह धीरे धीरे थोड़ा ही सही लेकिन सिखाने में जुट गया।
एक दिन सुनील के पिता रामजी एक ढोलक लेकर आ गए वे किसी वाद्ययंत्र बेचने की दुकान में काम करते थे वहीं से मांग लाए थे।ढोलक बजाना कई लोगों को आता था एक दो ढोलकें और आ गईं।अब तो माहौल सा बन गया।
धीरे धीरे ये सब अभ्यास चलता रहा।अनय पर तो जैसे जिद सवार हो चुकी थी अपनी बात सिद्ध करने की।किसी भी तरह समय निकाल कर वह प्रतिदिन घंटे दो घंटे वहां जाता सिखाता समझाता सबको प्रेरित करता और घर आ जाता।ऑफिस में क्या हो रहा है वह ध्यान ही नहीं देता था।सलिल बीच बीच में उससे टकरा जाता था एक उपहास पूर्ण हंसी के साथ।
साल भर के भीतर ही एक दल तैयार हो गया था जो गाने और बजाने दोनों में ही निपुण था।उस दल में लड़के लड़कियों के साथ बड़ी उम्र की महिलाएं और पुरुष भी शामिल थे।
नित्य शाम को जिसको जो गीत आता सब मिलकर गाते बजाते आनंद लेते।बस्ती का वातावरण ही बदल गया था।अब वहां गाली गलौच की या अनर्गल बातें या हरकतें करने का समय ही नहीं था किसी के पास।सबको जीवन की एक धुन मिल गई थी।किसी को बजाना था तो किसी को गाना था।बुजुर्ग पुरुष महिलाएं पुराने रीति रिवाजों से जुड़े गीत बताते और सब मिलकर वाद्ययंत्रों में अनय के साथ धुन निकालते ढोलक पर थाप पड़ती और पूरा माहौल गूंज उठता।
अनय कहां व्यस्त रहते हो आज कल तुम्हे कुछ पता भी है अपनी कंपनी में क्या क्या हो रहा है एक दिन सुबह ऑफिस आते ही सहकर्मी संतोष ने उसे पकड़ लिया।
क्यों क्या हो गया सब वैसा ही तो है अनय ने कौतूहल से पूछा।
वैसा नहीं है मेरे भाई ।वो जो सलिल है ना उसका जिम….संतोष कह रहा था
हां क्या हुआ उसके जिम को कितने लाख की कमाई करवा दी उसने कम्पनी की चिढ़ कर अनय ने पूछा तो संतोष मुंह फाड़े उसे देखने लगा।
मेरे भाई तुझे वास्तव में कुछ नहीं पता।जानता भी है सलिल ने जो जिम खुलवाया इतना बजेट लगवा कर वहां पिछले महीने भारी मारपीट हो गई।दो बिगड़ैल धनी साहबजादों की आपसी दुश्मनी जिम को बर्बाद कर गई।कई लड़कियां जो वहां आतीं थीं उन्होंने अय्याशी के लिए उस जगह का उपयोग करना शुरू कर दिया ।पुलिस का छापा पड़ा है कल जिसमें इन सबका खुलासा हुआ है संतोष की बातें अनय मुंह फाड़े सुन रहा था।
ये सब होता था जिम में।सलिल को पता नहीं था और हमारी कंपनी क्या देख रही थी गुस्से से वह बोला।
सलिल को तो जिम के लिए फीस की मोटी रकम मिल जाती थी बस उसे तो यही चाहिए था और हमारी कंपनी को भी।सलिल पर अंधा भरोसा जो था।बाकी वहां क्या हो रहा है कौन क्या कर रहा है इससे किसी को कोई लेना देना नहीं था।अब हमारी कंपनी के गले पर तलवार लटक गई है अगले महीने इंस्पेक्शन टीम आ रही है गई भैंस पानी में संतोष ने मुंह बनाते हुए राज खोला।
और शायद इसीलिए तुम्हें सर ने बुलाया है अभी मैं यही बताने आया था संतोष ने कहा तो वह तत्काल बॉस के चैंबर की तरफ बढ़ गया।
अनय हमने बहुत बड़ी गलती की थी सलिल पर भरोसा करके।उसने समाजोपयोगी प्रोजेक्ट के नाम पर जिम खोल कर कम्पनी का पैसा भी डुबोया और रेपुटेशन भी।अब इस साख को कैसे बचाया जाए तुम्हीं बताओ तुम्हीं कुछ कर सकते हो बहुत ही विगलित पछताता स्वर था बॉस का।अगले महीने वरिष्ठ अधिकारी निरीक्षण करने आ रहे हैं सबकी नौकरी खत्म समझो हम प्रोजेक्ट के नाम पर उन्हें क्या दिखाएंगे।
अनय एकदम शांत हो गया था मानो दिल दिमाग की बहकती उत्ताल तरंगों को किनारा मिल गया हो।
सर सलिल का प्रोजेक्ट भले डूब गया या उसने डुबो दिया लेकिन मेरा प्रोजेक्ट एकदम तैयार है अनय का दृढ़ स्वर सुन बॉस चकित हो गए।
कौन सा प्रोजेक्ट तुम्हारा अनय कम्पनी ने तो कोई बजट नहीं दिया इसके लिए तुम्हें।
वही गरीब बस्ती में संगीत क्लास खोलने का अनय ने कहा तो सभी चकित हो उसकी ओर देखने लगे।
आज शाम को मेरे साथ चलिए आप सभी।
शाम को सभी लोग अनय के साथ उसी गरीब झुग्गी में पहुंच गए थे।
सुनील और रमेश का पियानो सुनील की मां का हारमोनियम राम जी और श्याम जी की ढोलक चमेली और सुनैना का गांव का गीत और साथ में कई बुजुर्ग महिलाओं की घंटी और झांझर की झुनझुन ने ऐसा समा बांधा कि किसी को समय का होश ही नहीं रहा।
अद्भुत अनय कमाल कर दिया तुमने कैसे कर लिया तुमने इतना सब।ये तो अच्छी खासी ग्रामीण संगीत मंडली तैयार कर दी है तुमने बॉस अवाक थे कमेटी गदगद थी।
आप लोगों ने कमाल कर दिया।हमारी कम्पनी आज से अभी से इस संगीत मंडली को रजिस्टर्ड करती है। लायसेंस दिलवाएगी।नाम बता दीजिए इसका बॉस एकदम खुश थे।
“जीवन धुन “यही नाम लिख लीजिए साहब राम जी ने हाथ जोड़ कर कहा तो सबने जोर से तालियां बजा कर स्वागत कर दिया।
पूरी बस्ती में खुशी की लहर दौड़ गई थी।आज उन्हें रोजगार मिल गया था।
दूसरे ही दिन कम्पनी की तरफ से उस बस्ती में एक नवीन ऑफिस का निर्माण शुरू हो गया।जिसमें विभिन्न प्रकार के कई वाद्ययंत्र और शिक्षकों की व्यवस्था की गई।जीवन धुन का बड़ा सा बैनर बना कर लगा दिया गया।विज्ञापन विभाग ने हर मीडिया स्तर पर इसका प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया।शीघ्र ही इस मंडली को अनेकों निमंत्रण मिलने शुरू हो गए। अनय ने उसी बस्ती के कई पढ़े लिखे लोगों को चुन कर समिति बना दी जो मंडली की फीस तय करना हिसाब रखना और कहां जाना है यह सुनिश्चित करती।
तय समय पर जब वरिष्ठ अधिकारियों की निरीक्षण टीम आई तो जीवन धुन की धुन सुनकर सारी सुव्यवस्था देख कर झुग्गी का परिवर्तित माहौल देख कर अचंभित और प्रभावित हो गई।सबसे ज्यादा रैंकिंग उसे ही मिली।साथ ही वहां एक सर्वसुविधायुक्त स्कूल भी खोलने की मंजूरी और बजट देकर गई।
आज अनय की आँखें फिर से नम थीं।लेकिन खुशी के कारण। उसकी मुंह मांगी मुराद पूरी हो चुकी थी। उसके जीवन की साध आज पूरी हो गई थी।
लतिका श्रीवास्तव
#समय-समय की बात है/