जीने की राह – बीना शर्मा

 कई दिनों से शकुंतला देवी को नींद में बुरे बुरे सपने दिखाई दे रहे थे। जिन्हें देखकर वे बेहद बेचैन हो गई थी। उन्हें सपने में बार-बार अपनी बेटी आत्महत्या करती दिखाई दे रही थी।  जब भी वे कनिका से फोन करके उससे उसकी कुशलता के बारे में पूछती तो कनिका हंसकर यही जवाब देती-‘मम्मी मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं। मुझे कोई गम नहीं है।’

          शकुंतला देवी जानती थी कि बेटियां कभी नहीं चाहती कि वह अपनी मां को अपना दर्द बता कर उन्हें दुखी करें। इसलिए कई बार बेटियां अपना दर्द खुद ही पीती रहती है। उन्हें लगा कहीं उनकी बेटी सच में ही दुखी ना हो यह सोचकर 1 दिन जब वे कनिका से मिलने गई

तो उन्होंने देखा कनिका की आंखें सूजी हुई थी। उसकी आंखें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसने दर्द का समुंदर अपनी आंखों में समा रखा हो। जब शकुंतला देवी ने कनिका का हालचाल पूछा तो कनिका का दर्द उसकी आंखों में सिमट ना सका और आंसू बनकर बह निकला। उसने अपनी मम्मी को बताया-‘मम्मी जी अब मैं जीना नहीं चाहती। जब से मेरी सास ने मुझे बताया

कि वह रवि का दूसरा विवाह करेंगी। तब से मेरा मन टूट गया है। मैंने आपके खिलाफ जाकर रवि से प्रेम विवाह किया था। आपने मुझे समझाया था कि मैं रवि से शादी ना करूं वह भरोसे के लायक नहीं है परंतु मैंने आपका विश्वास तोड़ कर उससे शादी कर ली। अब मैं उसी का खामियाजा भुगत रही हूं।’

     कनिका की बात सुनकर उसकी मम्मी शकुंतला देवी बोली-‘आखिरकार क्या बात है जो रवि की मम्मी उसका दूसरा विवाह करना चाहती हैं?’

 तब दुखी होकर कनिका बोली-‘मम्मी जी मैं जीवन में कभी मां नहीं बन सकती। जब काफी इलाज करवाने के बाद भी मैं मां बनने में असफल रही तब डॉक्टर ने उन्हें बताया कि मेरे शरीर में ऐसी कमी है जिसके कारण मैं मां नहीं बन सकती। तब मेरी सांस ने रवि से कहा-‘तुम दूसरा विवाह कर लो। मैं नहीं चाहती कि तुम निरवंश रहो और मैं तुम्हारी संतान का मुख देखे बगैर इस संसार से विदा लूं।’

तब मैंने अपनी सास को समझाया कि-‘हम एक बच्चा गोद ले लेंगे। तब मेरी सांस ने किसी का बच्चा गोद लेने से साफ इंकार करते हुए कहा-‘मुझे तो अपने बेटे का ही अंश चाहिए।’

       यह सुनकर शकुंतला देवी ने कनिका से पूछा-‘तब तुमने रवि को समझाया नहीं कि ” तुम उससे बेहद प्यार करती हो”। इसलिए वह तुम्हारी बात माने दूसरा विवाह ना करें।’

         यह सुनकर कनिका दुखी होकर बोली-‘मम्मी जी जब मैंने उन्हें समझाया तो वह बोले “मैं तुमसे प्यार तो करता हूं परंतु ,मैं अपनी मम्मी का कहा नहीं टाल सकता”।’

         यह सुनकर शकुंतला देवी बोली-‘जिस इंसान को तुम्हारे प्यार की कदर नहीं तुम उसके लिए जान देने की सोच रही हो। मैं जानती हूं कि संतान के बगैर परिवार अधूरा रहता है परंतु कभी-कभी संतान के होते हुए भी इंसान अकेला रह जाता है। मुझे देखो मेरी चार संतान है फिर भी मैं अकेली रहती हूं। तुमने यहां अपना घर बसा लिया

और तुम्हारे तीनो भाई विदेश में रहते हैं। मैंने भी अपनी संतानों से बेहद प्यार किया था परंतु ,सभी मुझे अकेला छोड़ कर अपनी दुनिया में रम गए जब मैं चार बच्चों की मां होकर अकेली रह कर खुशी से जीवन काट सकती हूं तो तुम क्यों नहीं रवि के बगैर अपना जीवन जी  सकती ?

यदि वह तुमसे सच्चा प्यार करता तो वह तुम्हारे कहने से बच्चा गोद ले लेता लेकिन दूसरी शादी कभी ना करता ऐसे व्यक्ति के लिए मरने से अच्छा है अपने लिए जीने की अलग राह ढूंढ लेना मैंने भी अपने जीने की राह ढूंढ ली मैं गरीब व बेसहारा बच्चों को पढ़ा कर अपना अकेलापन दूर कर देती हूं। तुम भी पढ़ी लिखी हो ऐसे बच्चों को पढ़ा कर अपना अकेलापन दूर कर सकती हो।’

     शकुंतला देवी की बात सुनकर कनिका को अपनी मम्मी का दर्द भी अपने जैसा ही लगा था। आज अपनी मां की बातें सुनकर उसे प्यार में धोखा खाकर मरने से अच्छा जीवित रहने का मार्ग मिल गया था अपनी मम्मी की तरह उसे भी उसे जीने की राह मिल गई थी।

बीना शर्मा 

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