जाहिल – खुशी :  Moral Stories in Hindi

जाहिल गवार औरत तुम कुछ नहीं कर सकती।पता नहीं क्या सोचकर तुमसे मेरी शादी करवा दी ये भी नहीं सोचा कहा मैं और कहा ये जाहिल औरत ले जा ये नाश्ता तू ही खा और खाने की प्लेट सीधा फर्श पर।ये रोज का ही था दीपक ऐसा ही व्यवहार नीला के साथ करता था रोज नीला को अपमानित करता।नीला का दोष सिर्फ इतना था कि वो किसी को जवाब नहीं दे पाती थी जो जैसा कहता वो सुन लेती।नीला का यही चक्र था पहले सुबह बाप की डाट सुनो फिर बेटे विवेक की जो अपनी मां को

अपने बाप के समान ही जलील करता।नीला थक चुकी थी सब सुनते सुनते।और  बुरा भी लगता पर पति के बर्ताव से ज्यादा बेटे के जिसे उसने नौ महीने जिसे अपने गर्भ में रखा वो ही उसकी इज्जत नहीं करता।एक शाम नीला बाहर आंगन में बैठी थी।तभी उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी।नीला बाहर की तरफ आई तो देखा गेट के बाहर पेड़ के पास एक बच्चा पड़ा है और कुछ कुत्ते उसके पास खड़े हैं।नीला ने उन कुत्तों को भगाया और बच्चे को उठा लिया।नीला बच्चे को अंदर लाई।वो नौकरानी

मालती को कुछ कह पाती इससे पहले ही दीपक आ गया बोला ये क्या है? नीला कुछ बोल पाती वो शुरू हो गया तू आवारा है जाहिल है मैं हमेशा ही कहता था किसका पाप है ये और उसने नीला को एक थप्पड़ लगा दिया।नीला बोली ये मुझे बाहर पड़ा मिला था तू इतनी अच्छी है दुनिया में जो इसे उठा लाई तेरा ही पाप है ये निकल मेरे घर से नीला बोलती रही पर उसने एक ना सुनी बोली वरुण मेरे बिना

कैसे रहेगा 8 साल का बच्चा है वो।दीपक बोला तू जा मै देख लूंगा।उसे वैसे भी तेरी जरूरत नहीं।उसने नीला को निकाल दरवाजा बंद कर लिया।नीला दरवाजा बजाती रही पर दरवाजा नहीं खुला।सारी रात वो सड़क पर बैठी रही।अगली सुबह जब मालती दूध लेने बाहर आई तो बोली जीजी आप यही बैठी हो पत्थर दिल है ये लोग आप अपने मां पिता के पास लौट जाओ।नीला बोली कैसे जाऊं पैसा भी नहीं है मेरे पास और मां बाबूजी अलग परेशान होंगे।मालती बोली यहां बैठ अपने अस्तित्व का

तमाशा मत बनाओ तब तक दूध वाला भी आगया उसे भी सब बात पता चली बोला भाभी चलो मैं आपका टिकट करवा देता हूं आप गांव पहुंच जाना मेरा आशु बीमार था तब आपने कितनी मदद की थी। चलो यहां से।नीला ने मालती को कहा मेरे वरुण का ध्यान रखना। मालती उस नन्ही सी जान को ले ट्रेन में बैठ गई।उधर अगले दिन दीपक ने अपने माता पिता को फोन कर बताया कि नीला का 

किसी  से चक्कर था उसका पाप मेरे सिर मढ़ने चली थी।मैने उसे घर से निकाल दिया मैने आपको कहा था कि उस जाहिल को मेरे पल्ले मत बांधिए पर आप सुनते कहा है।अब मै अपनी मर्जी से शादी करूंगा।इधर एक दो दिन बाद सबको पता चल गया कि मोहल्ले में एक बच्चा मिला था गार्ड ने बताया कि एक आदमी औरत बच्चा लाए थे।फुटेज में ये भी दिखाई दिया कि वो बच्चा दीपक के घर के बाहर

छोड़ गए और बच्चा रो रहा था इसलिए नीला ने उसे उठाया।पर दीपक ने कोई बात नहीं मानी वो नीला से छुटकारा चाहता था और वो मिल गया।अब दीपक ने अपने साथ काम करने वाली नंदिनी से शादी कर ली और नीला को तलाक़ का नोटिस भेज दिया।वरुण अब दीपक और नंदिनी पर चिल्लाता तो दोनों उसे मारते।वरुण को समझ आ गया था कि मां उसका कितना ध्यान रखती थी।दीपक ने

वरुण को बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया ।वरुण का मन पहले ही दीपक से हट चुका था अब बोर्डिंग जाने के बाद तो सब खत्म ।दीपक वरुण को छुट्टियों में घर ना लाता उससे मिलने नहीं जाता।वरुण अवसाद का शिकार हो रहा था।उधर दूसरी तरफ नंदिनी घर आ गई माता पिता को सब बताया उधर से दीपक और सास ससुर ने जो सुनाया वो अलग मां भी बोलने लगी किसका पाप है ये जो तू उठा कर लाई और

अपने संसार में आग लगा ली।तभी नीला के चाचाजी ब्रजेश वहां आए बोले क्या बात है बेटी को क्यों डॉट रहे हो।नीला के पिता ने सारी बात बताई। ब्रिजेश बोले भैया पहले आपने नीला से पूछा कि क्या बात है आप उसे शुरू से जानते है कितनी डरी सहमी रहती हैं वो ये कुछ गलत नहीं कर सकती।चाचाजी का प्यार पाकर नीला ने सब सच बताया उसने ये भी कहा वो कभी इस शादी से खुश नहीं थे।

मुझे हर समय प्रताड़ित करते मेरे बेटे को भी मेरे खिलाफ कर दिया। ब्रिजेश बोले तुम घबराओ नहीं तुम्हें तुम्हारा बेटा भी मिलेगा और इस लांछन से मुक्ति भी।बृजेश नीला को अपने साथ ले आए चाची निर्मला के कोई संतान नहीं थी वो नीला को बहुत प्यार करती थीं।उन्होंने नीला का  b.ed में एडमिशन करा दिया और उस नन्ही सी बच्ची जिसका नाम परी रखा गया उसकी जिम्मेदारी उठा ली।चाचा चाची

ने नीला को पर्सनेलिटी डेवलपमेंट का  कोर्स भी करवाया और आज नीला अपने पहले साक्षात्कार में सफल हो सरकारी नौकरी प्राप्त कर चुकी थी।परी भी स्कूल जाने लगी थी।चाचाजी ने दीपक के ऑफिस से मालूमात ली और वरुण के स्कूल जा पहुंचे।वहां जा कर पता चला कि इस बच्चे सिलने कोई नहीं आता ये यही अकेला रहता है। नीला के चाचाजी ने वरुण की कस्टडी के लिए केस किया।

अदालत में माता पिता और १२, साल का वरुण खड़े थे।जज ने पूछा बेटा तुम किस के साथ रहना है।वरुण बोला मुझे मां के पास जाना है और वरुण की कस्टडी नीला को मिल गई।वरुण मां मां कहता नीला से लिपट गया।नीला दोनो बच्चों की जिम्मेदारी अच्छे से निभा रही थी।वरुण परी को बहुत प्यार करता था।चाचा चाची के सानिध्य से बच्चे संस्कारी और व्यवहार शील बने।वरुण का ips में चयन हो

गया।अखबार में फोटो आया दीपक और दादा दादी आए।दीपक बोला मेरा बेटा है नाम तो ऊंचा करेगा ही।वरुण बोला मै नीला शर्मा प्रिंसिपल ऑफ गोवर्टमैन मॉडल स्कूल का बेटा हूं जो आपके सो कॉल्ड जाहिल हैं,गवार है।वो एक ऐसी महिला है जिन्होंने अपने दम पर हम बच्चों को पाला और परी जो मेरी बहन है उसे उसके मां बाप सड़क पर फेक गए थे उसे एक नया जीवन दिया।मै सिर्फ अपनी

मां का बेटा हूं आप तो अपनी पत्नी और बच्चे से मुंह मोड़ अपनी जिंदगी में मस्त हो गए।मै अकेला उस बोर्डिंग में सड़ता था सबके माता पिता आते और मुझे मिलने कोई नहीं तब एहसास हुआ कि मां कैसे मेरे आने से पहले दरवाजे पर खड़ी होती थी गरम खाना बनाती और मैं आपकी देखा देखी उन्हें दुत्कारता।ईश्वर ने ये शिक्षा मुझे इसलिए ही दी थी कि कोई बच्चा अपनी मां को जाहिल समझने की 

गलती ना करे।मां ममता की मूरत है और उसे सिर्फ प्रेम की भाषा समझ आती हैं अब यहां क्यों खड़े हैं आपकी धर्म पत्नी कहा है। दीपक सिर झुका कर बोला वो मुझे छोड़ कर चली गई। शायद मेरे पाप की सजा मुझे मिली मैने कभी नीला को सम्मान नहीं दिया,प्रेम नहीं दिया अगर हो सके तो मुझे माफ

कर देना नीला ।दीपक हाथ जोड़ बाहर निकल गया और वरुण अपनी मां का हाथ थाम प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए निकल पड़ा। नीला सोच रही थीं चलो मेरे बेटे ने तो मेरे माथे से जाहिल का तमगा हटा दिया।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी 

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