जाहिल – के आर अमित :

 Moral Stories in Hindi

कम उम्र में काम बासना की अंधी एक दसवीं में पढ़ने वाली जाहिल बेटी ने वो काम कर दिया कि हर सुनने वाला कहने लगा कि ऐसी औलाद होने से बेऔलाद होना अच्छा है।

कहानी मध्यप्रदेश के जबलपुर में सिथत रेलवे कॉलोनी में रहने वाले एक परिवार की है। जिसमें परिवार का मुखिया मोहन लाल, उसकी पत्नी चंचला देवी, बेटी आराध्या और बेटा कनिष्क रहते थे। मोहनलाल रेलवे में नौकरी करता था उसका सपना था कि बच्चे पढ़लिखकर एक अच्छी नौकरी पाकर अपने पांव पे खड़े हो जाएं। उसने उनकी हर इच्छा पूरी करने के लिए अपनी हर इच्छा का गला घोंट दिया था।

एक दिन वो परिवार घूमने के लिए कश्मीर जाता है। बहां चंचला की तबियत कुछ खराब हो जाती है। उन्हें तुरंत वहां स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है अभी परिवार प्रार्थनाएं कर ही रह होता है कि खवर आती है नर्स बताती है इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से चंचला की मौत हो गई। ये खवर सुनते ही पूरे परिवार पर मुसीबतों का कहर टूट पड़ा।गाड़ी के चार पहियों से मानो एक पहिया निकल गया हो अब तीन पहियों पे गाड़ी का चलना कैसा होता है वैसा ही उनका परिवार का हाल था।

वो लोग घर बापिस आ जाते हैं हर कोई उदास रहने लगता है तो मोहनलाल सोचता है कि क्यों न कुछ दिन बच्चों को अपने पैतृक घर छोड़ आऊं वहां उनके दादा दादी चाचा चाची उनके बच्चे पूरा परिवार है उनके साथ रहेंगे तो बच्चे माँ को भूल जाएंगे या उन्हें उतमी याद नही आएगी। मोहनलाल बच्चों को लेकर गांव चला जाता है। वहां जाकर सब परिवार में घुल मिलकर एक नई जिंदगी की शुरुयात करने लगते हैं। मोहनलाल बच्चों को छोड़कर जबलपुर आ जाता है। कुछ दिन बाद बेटी आराध्या के दसवीं के एग्जाम थे तो वो बच्चों को बापिस जबलपुर ले आता है। उसका बेटा कनिष्क न जाने की जिद्द करता है मगर मोहनलाल उस ये कहकर ले आता है कि जल्द ही वो बापिस आ जाएंगे बल्कि वो खुद भी उनके साथ आकर यहां रहने लगेगा।

एग्जाम खत्म होते हैं जिस दिन उन्हें बापिस जाना होता है तो उससे एक दिन पहले मोहनलाल की कॉलोनी के एक दोस्त उनके घर आता है दरवाजा खटखटाता है मगर बाहर ताला लगा देखकर वो आसपास पड़ोसियों को पूछता है। तो पता चलता है पिछले कल से उन्हें किसी ने नही देखा न मोहनलाल को ड्यूटी जाते देखा गया। उसको कुछ शक होता है तो वो आफिस में फोन करता है मगर वहां भी मोहनलाल की कोई खवर नही होती है।

फिर उसके ही गांव के एक आदमी जो रेलवे कॉलोनी में रहता था उनसे पूछा जाता है तो वो मोहनलाल के घर का नम्बर देते है घर मे फ़ोन करने पर पता चलता है कि वो वहां भी नही गया। उधर आराध्य की चचेरी बहन के फ़ोन पर आराध्य का एक ऑडियो मैसेज आता है जो आया तो चार घण्टे पहले होता है मगर सौम्या मोबाइल न देखने की बजह से चार घण्टे बाद सुनती है किसमे कहा था ,,,” पापा और कनिष्क को अनूप ने मार डाला मुझे बचा लो” ये मैसेज सुनकर वो भगति हुई अपने पापा दादा दादी को बताते है तो मोहनलाल का भाई अपने उस गांव के आदमी को जो रेल्वे कॉलोनी में रहता था उसे कहता है कि तुम पुलिस को बुलाकर ताला तोड़कर अंदर जाओ हम लोग आ रहे हैं। 

वो आदमी पुलिस को फ़ोन करता है कुछ ही समय मे लोकल पुलिस और रेलवे पुलिस वहां पहुंचकर ताला तोड़ती है और अंदर का मंजर देखकर आंखे फ़टी फेह जाती है सामने मोहनलाल की लाश पड़ी थी पूरे फर्श पर खून के धब्बे थे। पूरे घर की तलाशी के दौरान एक पुलिस वाले को फ्रीज के हैंडल पर खून के धब्बे दिखते हैं जैसे ही वो फ्रिज खोलता है अंदर कनिष्क की खून से लथपथ लाश पड़ी थी जिसमे खून जम चुका था। 

रसोई में खाना खाने के बाद झूठे बर्तन पड़े थे मानो किसी ने मारने के बाद आराम से खाना था। कमरे में जली हुई अगरबत्तियां पड़ी थीं शायद खून की बदबू बाहर न जाए इसलिए वो जलाएं गईं थीं। मोहनलाल की लाश के सर पर कॉटन और कपड़े लपेटे गए थे ताकि खून बहकर बाहर न जाए। पूरा हत्याकांड बहुत ही साजिश और सोच समझकर किआ था।

पुलिस के पास एक नाम था प्राइम सस्पेक्ट अनूप जिसका जिक्र ऑडियो मैसेज में था जब सीसीटीवी की जांच होती है तो दो दिन पहले अनूप को बारह बजे के आसपास मोहनलाल के घर से निकलते देखा जाता है जिसकी पीठ पर बैग में काफी सामान था। जैसे जैसे जांच आगे बढ़ती है आराध्या भी कैमरे में कैद हो जाती है और दिखता है कि वो भी एक घण्टे बाद उसी तरफ जाती है जिधर अनूप गया था।

उस रास्ते के सारे सीसीटीवी चेक होते हैं जांच रेलवे स्टेशन के बाहर तक पहुंचती हैं यहां अनूप अपनी स्कूटी पार्किंग में छोड़कर प्लेटफार्म की तरफ जाता है। थोड़ी देर बाद आराध्या भी उसके पीछे पीछे जाती है। मगर कुछ ही मिनट बाद वे लोग प्लेटफार्म नम्बर एक से घुसकर चार नंबर से एकसाथ बाहर निकलते दिखाई देते हैं। एक बार फिर से उस रास्ते के कैमरे चेक होते हैं तो पता चलता है कि वे लोग बस स्टैंड की तरफ जाते दिखते हैं।

बस स्टैंड के कैमरों से पता चलता है कि वे लोग एक पीले रंग की बस में चढ़ते हैं जिसपर जय बालाजी महाराज लिखा था उस बस के कंडक्टर से पूछताछ होती है तो वो बताता है कि वे लोग उस बस में चढ़े थे उन्होंने कटनी की टिकट कटवाई मगर जैसे ही बस अजरधान पहुंची तो वो लोग ये कहकर उतर गए कि उन्हें दवाई लेनी है। अब पुलिस अजरधान पहुंचती है कैमरे चेक करती है तो वे लोग एक सरकारी बस में चढ़ते दिखते हैं फिर उस बस की तलाश होती है फिर उसके कंडक्टर से बात होती है तो वो कहता है कि ये लोग चढ़े तो थे कटनी की टिकट कटवाकर मगर रास्ते मे ही उतर गए थे। कन्डक्ट की बताई जगह पर पुलिस पहुंचती है वे लोग ऐसी जगह उतरे थे यहां कोई कमर नही था। 

अब पुलिस अनूप के माँ बाप से पूछताछ करती है तो उनके रिश्तेदारों के घर जो कटनी के आसपास थे वहां की पुलिस को चौकन्ना करती है। घटना को साठ दिन हो चुके थे ये लोग एटीएम से पैसे निकालकर वो इलाका ही छोड़ देते इसलिए पुलिस इन्हें पकड़ नही पा रही थी।अंत मे पुलिस ने मोहनलाल का एकाउंट सीज कर दिया अब ये लोग पैसे के लिए तरसने लगे खाना मन्दिर या गुरुद्वारे में खाते सोने के लिए किसी सरकारी हॉस्पिटल का सहारा लेता खुद को मरीज का तमीरदार बताकर। 

एक दिन एक महिला पुलिस कर्मी किसी केस के सिलसिले में हॉस्पिटल गई थी उसने एक लड़के और लड़की को बाहर बेंच पर सोए देखा उसे शक हुआ तो थोड़ा गौर से देखा उसने अपने मोबाइल में आई क्रिमिनल की तस्बीरों को देखा तो पता चला ये बही वांटेड अपराधी हैं। उसने धोरेसे आसपास के सारे लोगो को इकट्ठा करके इन्हें जगाया और लोकल पुलिस को इन्फॉर्म किया। अनूप अपना सामान लाने का बहाना बताकर बहां से भाग निकल मगर आराधना पुलिस के हाथ आ गई। 

आराधना से जब सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने सबकुछ उगल दिया उसने बताया कि वो और अनूप हर रोज रात को उनके घर मे ही मिलते थे एक दिन उसके पापा ने उन्हें रंगेहाथ पकड़ लिया और उपरद्वाब बनांकर पुलिस में बयान दिलवाया की अनूप ने जबरदस्ती की।इससे अनूप को उम्र कैद हो सकती थी क्योंकि वो नाबालिग थी मगर बीस दिन के बाद उसने कोर्ट में बयान देकर अनूप को छुडवा लिया इसी के चलते उसके पिता ने उसे दादा दादी के घर भेज दिया था। और अब दोवारा वो सबको लेकर बहां शिफ्ट होने की तैयारी कर रहा था।इसलिए उसने अनूप से मिलकर अपने बाप  को मरवा दिया मगर जब अनूप ने कुल्हाड़ी से उसके पिता के सिर पर बार किया तो वो चीख़ पड़ी उसकी चीख से उसका भाई भी बहां आ पहुंचा और उसे भी कुल्हाड़ी से मरवा दिया। कुछ ही दिन बाद अनूप भी पकड़ा गया।

जिसने भी ये बारदात सुनी वो यही कहता था कि ऐसी जाहिल औलाद से बेऔलाद होना बेहतर है।

      के आर अमित

  अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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