जाहिल – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 आज मैं थोड़ी जल्दी उठ गई थी क्योंकि सुबह-सुबह की सैर बड़ी अच्छी होती है इसीलिए मेरे कदम खुद ब खुद सैर के लिए निकल पड़े ! गली के नुक्कड़ पर पहुंचते ही मैंने देखा ! कचरे के ढेर में से एक बच्चा रोटी का एक टुकडा जो कि बाकी  जूठन से पूरी तरह लिपटा हुआ पड़ा था। वह उसे अपने हाथों से जैसे तैसे साफ कर के खाने की कोशिश कर रहा था। मैंने गौर किया उस बच्चे की उम्र तकरीबन सात या आठ वर्ष रही होगी। जिस वक्त वह बच्चा उस रोटी को साफ कर के खाने की कोशिश कर रहा था। उसी वक्त गली का एक कुत्ता भी वहां जाकर उस खाने वाले कचरे में से सूंघता हुआ कुछ खाने की कोशिश करने लगा।

 यह देख मेरा मन हाहाकार करने लगा। मैं निराश मन से उन दोनों को देखकर यह सोचने लगी। कहने को हम आज बहुत आगे बढ़ गए हैं मगर क्या हकीकत में हम आगे बढ़ रहे हैं या और ज्यादा कहीं पीछे। 

रात को शर्मा जी के यहां पार्टी थी। लगता है वहीं से  सबकी प्लेटो का बच्चा खुचा खाना यहां फेंक दिया गया । अब जिसके पेट में आग जल रही है।वही जाने  की यह भूख क्या होती है। हम अपनी थाली में उतना ही क्यों नहीं ले लेते जितने कि हमें जरूरत होती है। हम अपने घर तो ऐसा कभी नहीं करते तो फिर जब हम दूसरे के यहां पार्टी में जाते हैं, तो उस वक्त हमारी सोच इतनी जाहिल और छोटी क्यों हो जाती है । क्या अब इंसान और कुत्ते इसी तरह एक साथ खाएंगे ।

 यही सब सोचते सोचते मैं उस बच्चे के करीब पहुंच गई, और उस अनजान बच्चे को बड़े प्यार से पुकारा। बाबू  तुम इस तरह यह झूठा खाना क्यों खा रहे हो?? तुम्हारे घर पर कौन-कौन है?? यह सुनते ही वह बच्चा सहमा हुआ सा मेरे करीब आकर खड़ा हो गया और मुझसे कहने लगा । आंटी मैं अनाथ हूं, मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है, क्योंकि कुछ दिन पहले ही मेरी बीमार मां इस दुनिया से चली गई है, और मुझे बड़े जोरों की भूख लगी हुई है। 

वो फिर रोते हुए वह उस रोटी के टुकड़े को खाने लगा। मैंने उस बच्चे का हाथ पकड़ लिया और कहा। बाबू मैं हूं ना तुम्हारी मां, चलो मैं तुम्हें अपने घर ले चलती हूं और गरमा गरम पराठे और सब्जी तुम्हें खिलाती हूं, मगर इससे पहले तुम्हें मेरे साथ एक जगह और चलना होगा यह कहकर मैंने उस मासूम का हाथ पकड़ा और शर्मा जी के घर की ओर चल पड़ी। 

मैंने जब उनके घर की कॉलिंग बेल बजाई तो सामने से आता हुआ शर्मा जी का बेटा मुझ से बोल उठा। सुहानी आंटी आप इतनी सुबह-सुबह?? क्या बात हो गई?? यह बच्चा कौन है?? 

मैं शर्मा जी के बेटे की बात सुनकर उस से कहने लगी ।

 बेटा क्या तुम जानते हो?? रात को तुम्हारे यहां जो पार्टी थी। उसका बचा खुचा खाना तुम्हारे यहां से उस नुक्कड़ पर फेंक दिया गया था। यह बच्चा उस कचरे से पूरी तरह जूठन से लिपटा हुआ रोटी का टुकड़ा खा रहा था और वहीं पर एक कुत्ता भी। बस यह देख मेरा मन हाहाकार कर उठा।

बेटा मैं तुमसे यह कहने आई हूं,आगे से जब भी तुम्हारे घर कोई पार्टी हो या कोई बच्चा खुचा खाना हो तो सलीके से पॉलिथीन में डालकर नुक्कड़ पर जो ग्रिल बनी हुई है उस पर टांग देना ताकि जिसे भूख होगी। वह सम्मान के साथ अपनी भूख मिटा पाएगा। उसे इस तरह जमीन पर गिरा हुआ या फिर किसी कुत्ते के साथ नहीं खाना पड़ेगा। 

मेरी बात सुनते ही शर्मा जी के बेटे की नजरे झुक गई । वो फिर पलकें उठाकर उस बच्चे की ओर देखकर कहने लगा। हां आंटी आप बिल्कुल सही कह रही हैं। मैंने ही अपनी कामवाली बाई को सब एक जगह इकट्ठा कर के फेंक आने को कहा था। मैं किसी और से क्या कहूं, जब मेरी सोच इतनी जाहिल और छोटी हो गई थी। सच कहूं तो आंटी जिस घर के लोगों का कभी भूख की आग से परिचय नहीं हुआ हो या फिर जो आज आपने देखा। वह कभी ना देखा हो, तो वह इस दर्द को क्या जानेगा। मगर मैंने आज इस बच्चे को देखकर जान लिया है ,समझ भी लिया है । आंटी आपने बहुत अच्छा किया। 

जो इस बच्चे को हमारे यहां लेकर आई। सच कहूं तो आंटी आज इस बच्चे को देखकर ही मैं उस दर्द को महसूस कर पा रहा हूं। आज के बाद मैं आपकी बात का हमेशा ध्यान रखूंगा । आप दोनों घर के अंदर आइए ना आंटी। हमारे यहां हमारे साथ एक कप चाय पी कर जाइए । शर्मा जी के बेटे की बात सुनते ही मैं तुरंत शांत मन से बोल उठी। 

नहीं बेटा,आज नहीं फिर कभी कह कर मैंने उस बच्चे का हाथ थामा और अपने घर की ओर चल पड़ी। मैने चलते-चलते उस मासूम बच्चे की ओर देखा । मुझे उसके चेहरे पर बहुत खुशी नजर आ रही थी। मैं सोचने लगी, शायद इस बच्चे का नन्हा मन आज मेरे घर पहुंच कर जो भर पेट रोटी मिलने वाली थी, ये उसी की खुशी थी । 

मगर उस वक्त उस बच्चे के चेहरे की खुशी मेरे मन को बेहद घायल कर रही थी,की न जाने हमारे समाज में ऐसे कितने लोग होंगे। जिनकी सोच इतनी जाहिल और छोटी होती होगी। जिसकी वजह से ऐसे मासूम बच्चों को कुत्तों के साथ बैठकर अपना भूखा पेट भरना पड़ता होगा।

स्वरचित 

सीमा सिंघी 

गोलाघाट असम

Leave a Comment

error: Content is protected !!