जाहिल – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

जाहिल हो तुम प्रीति? तुम्हें किसके सामने कैसे पेश आना चाहिए ये कब समझ में आएगा।माना की तुम्हारे मायके का कोई स्टैंडर्ड नहीं था पर शादी के इतने सालों बाद भी कुछ नहीं सीखा तुमने? प्रकाश को बहुत मज़ा आता था प्रीति को जलील करने में और प्रीति भी अब तक आदी हो गई थी उसकी बकवास सुन – सुन कर।

प्रीति की ग़लती सिर्फ इतनी थी की वो एक छोटे शहर की और साधारण परिवार में पली-बढ़ी लड़की थी और प्रकाश

ऊंचे घराने का बिगड़ैल नवाबजादा।

मीरा जी जो प्रकाश की मां थीं एक शादी में प्रीति को देखा था। उसके तौर-तरीके और बड़े – छोटे के प्रति व्यवहार ने उनको प्रीति की तरफ खींच लिया था। लोगों से पूछताछ में पता चला की बहुत ही संस्कार वाली और पढ़ी लिखी लड़की है। देखने – सुनने में भी सुंदर और सौम्य रूप ने आकर्षित कर लिया था। तभी उन्होंने अपनी इच्छा जताई थी कि उनके बेटे प्रकाश के लिए सही लड़की है।

प्रीति के घर वाले जहां एक तरफ आए इस रिश्ते से खुश थे वहीं फ़िक्रमंद भी थे कि क्या प्रीति इतने बड़े घर में सम्मान से जिंदगी जी पाएगी।उसको अमीरी – गरीबी के बीच में कहीं अपमानित तो नहीं होना पड़ेगा।

मीरा जी से मिल कर प्रीति के माता-पिता निश्चिंत हो गए थे कि उनको इंसानों की अहमियत पता थी। कितना धन दौलत होने के बावजूद अहम का नामोनिशान नहीं था उनके बात व्यवहार में ना ही चेहरे में।

शादी तय कर दी गई थी। प्रकाश बहुत नाखुश था की उसके स्टेटस की लड़की नहीं है।चार दोस्तों यारों के बीच तो इसको बिल्कुल नहीं ले जा सकता।ये क्या जाने बड़ी – बड़ी पार्टियां और बड़े लोगों के बीच उठना – बैठना। मां के आगे एक नहीं चली थी।

मां – बाप अपने बच्चों की कमजोरियां बेहतर तरीके से जानते हैं और उन्हें पता होता है कि बच्चों के लिए क्या सही है क्या गलत। शादी बड़े धूम-धाम से कर दी गई थी। दुल्हन का खूब अच्छी तरह से स्वागत किया था मीरा जी ने लेकिन प्रकाश गृह प्रवेश के बाद निकल गया था अपने दोस्तों के साथ नई नवेली दुल्हन को छोड़कर।

आज घर में एक पार्टी थी और प्रीति सब कुछ अच्छी तरह से किया था लेकिन प्रकाश की तो आदत पड़ गई थी कि कमियां निकालने की और सभी के सामने प्रीति को अपमानित करने की। प्रकाश के दोस्तों को भी ये बात बुरी लगने लगी थी कि प्रकाश ग़लत व्यवहार करता है प्रीति के साथ। अगर कोई समझाने की कोशिश करता तो प्रकाश भड़क जाता कि तुम क्या जानो मेरा दर्द। अगर तुम्हारी शादी ऐसी लड़की से हुई होती तो पता चलता तुम्हें। सभी को समझ में आ गया था की प्रकाश को समझना नामुमकिन है।

समय बीतता गया और मीरा जी भी नहीं रहीं।जो बचाखुचा डर था मां का अब वो भी नहीं रहा। प्रीति को कई बार लगता कि वो प्रकाश को अच्छी तरह जबाब दे लेकिन बात बढ़े ना इसलिए चुप हो जाती।

उसे सबसे ज्यादा बुरा तब लगा जो दोस्तों के सामने प्रकाश ने कहा कि ” कचरे से आई है तो क्या ही अच्छा करेगी?”

प्रीति के बर्दाश्त के बाहर आज बात हो गई थी और उसने पहली बार पलट कर जवाब दिया कि,” तभी तो डस्टबिन में हूं।”

प्रकाश को इतना बड़ा झटका लगा था क्योंकि उसने उम्मीद नहीं किया था कि प्रीति ने आज सिर्फ पलट कर जबाब ही नहीं दिया था बल्कि उसे आइना दिखाया था। एकदम बौखला सा गया था। चेहरा लाल पड़ गया था पर कुछ समझ ही नहीं पा रहा था कि वो क्या जबाब दे। उसके इगो पर जोरदार हमला हुआ था और वो भी दोस्तों के सामने।

प्रीति की बांह पकड़ कर अंदर ले गया।” तुम्हें पता भी है कि तुम मुझे क्या कह रही हो? प्रकाश तमतमाया था।

हां जी,” बहुत पहले ही आपको मुझे जबाब देना चाहिए था। मेरी चुप्पी को आपने हमेशा मेरी कमजोरी समझी। मेरे संस्कार थे कि मैंने आपको कभी अपमानित नहीं किया लेकिन आपकी तो आदत बन गई थी मुझे जलील करने की। आज आपने मुझे ही नहीं मेरे परवरिश और मेरे माता-पिता को गाली दी थी।”

प्रकाश को समझ में आने लगा था कि अगर आगे कुछ बोला तो पता नहीं प्रीति कैसे जबाब देगी और अगर उसने सब के सामने मेरा अपमान कर दिया तो सोसायटी में तो मेरी नाक ही कट जाएगी।

प्रकाश अब अपनी जुबान पर लगाम लगाने लगा था क्योंकि अब चोट उसके सम्मान पर लगी थी।

बात सौ प्रतिशत सही है कि आप सामने वाले से उसी बात की उम्मीद रखो जो आप दोगे वही आपको भी मिलेगा आज नहीं तो कल। सम्मान के बदले में सम्मान और अपमान के बदले में अपमान।

प्रकाश को अहसास होने लगा था कि अगर वो प्रीति को सम्मान नहीं दे पा रहा है तो अपमान करने का भी हक नहीं है। चींटी भी पलट कर हांथी जैसे विशाल जानवर को काट सकती है। प्रीति तो एक इंसान थी कब तक उसकी बदतमीजी बर्दाश्त करती। अपने स्वाभिमान के लिए कभी तो उसे खड़ा होना था और आज वो खड़ी हो गई थी।

सम्मान तो कितना मिलेगा ये तो वक्त पर छोड़ते हैं पर अपमान करने की हिम्मत अब नहीं थी प्रकाश में, इतना काफी था परिवर्तन के शुरुआत की।

समय के साथ – साथ रिश्तों की अहमियत भी प्रकाश को समझ में आने लगी थी और उनके रिश्ते ने एक नया मोड़ लेना शुरू कर दिया था। जहां दोनों के बीच अब कोई भी दूरी नहीं थी अब था तो थोड़ा – थोड़ा प्यार।

                                प्रतिमा श्रीवास्तव

                                 नोएडा यूपी

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