सुबह का वक्त हवेलियों के शहर बीकानेर में विशाल पुश्तैनी हवेली की छत पर खड़ा एक नौजवान उगते हुए सूरज को देख रहा है।
तभी पीछे से आवाज आई “हुक्म सा”
उसने बिना पीछे मुड़े कोल्ड वायस में कहा,
कहो “फूलचंद”
बड़े सरकार आपको बुला रहे हैं। तुम चलो मैं आता हूं
वो पीछे मुड़ा उसकी शक्ल सूरत पर राणाओं के राजसी खानदान की मोहर थी। ऊंचा कद, मजबूत शरीर, गोरा रंग, तीखे नैन-नक्श, खूबसूरत आंखें,ऐश ब्राऊन कलर के बाल,उसकी चाल में एक गंभीरता थी।
पहली बार देख कर लोग उसे फिरंगी समझ लेते थे।
क्योंकि ये बेहद खूबसूरत लुक्स उसे अपनी मां रोहिणी राणा से मिले थे जो एक शाही खानदान से थी और कद काठी पिता राजसिंह राणा से मिली थी जिससे वह सैकड़ों की भीड़ में भी अलग पहचाना जा सकता था।
उसके लुक्स से इम्प्रेस होकर बेहद फेमस मैंस क्लोदिंग लाइन ने उसे मॉडलिंग का ऑफर दिया था जिसे उसने स्वीकार करके मॉडलिंग में नाम कमा लिया था। परंतु उसे इस फील्ड में कोई इंटरेस्ट नहीं था।
वर्तमान-
वो नीचे आया और कक्ष में प्रवेश करके बुलाने वाले के सामने खड़ा हो गया।
ये कक्ष विशालकाय और आलीशान था जिसमें दीवारों पर हाथ से चित्रकारी की गई थी। रॉयल रोज
कार्व्ड फर्नीचर, पर्शियन कार्पेट, फर्नीचर और दीवारों के शेड्स के कंट्रास्ट में पर्दे , बांई तरफ एक खूबसूरत गोल तिपाई पर रखी एंटीक मूर्ति और सामने कांच के कार्व्ड शो केस में रखी विभिन्न प्रकार की कलात्मक वस्तुएं उस बैठक की शोभा में चार चांद लगा रहे थे। उस कक्ष में एक साथ लगभग सौ लोग बैठ सकते थे।
आगे बढ़ कर वो रायल चेयर पर बैठे हुए इंसान के कदमों में झुक गया।
ये थे राणा खानदान के हेड
मानवेंद्र सिंह राणा
ऊंचा कद, रौबदार चेहरा,सफेद बाल, ऊपर को तराशी हुई सफेद मूंछें उन्होंने सफेद रंग का कुर्ता पायजामा शरीर पर डाला हुआ था।
उन्होंने आगे बढ़ कर उसे सीने से लगा लिया
ये उनका पोता राणा खानदान का इकलौता वारिस राजवीर सिंह राणा था। उसके जानने वालों में वो वीर नाम से जाना जाता था।
वीर! मेरे बच्चे तुम पूरे अठारह साल बाद अपने देश वापस लौटे हो। यहां के कारोबार को तुम्हारी जरूरत है।
अब्राड का बिजनेस अब जयंत के हाथ में सौंप दो। जयंत राजवीर के बचपन का दोस्त था जिसे उसके पिता के मरने के बाद राणा खानदान ने पाला था जयंत और राजवीर दोनों बहुत जिगरी दोस्त थे राजवीर जयंत के अलावा किसी और पर यकीं नहीं करता था। वो उसका दायां हाथ समझा जाता था। राणा खानदान के अहसान और वीर की दोस्ती के बंधन में बंधा हुआ जयंत वक्त पड़ने पर वीर के लिए खुद को दांव पर लगा सकता था।
जयंत ने राजवीर को हमेशा भाई माना था।
वीर का बचपन बहुत दुःख और उतार चढ़ाव से गुजरा था। उसकी वजह थी उसकी मां रोहिणी राणा
उसकी मां रोहिणी राणा ने उसके पिता को चीट किया था। उनकी पीठ पर वार करने वाला कोई और नहीं उनका मौसेरा भाई अजीत था। रोहिणी घर छोड़ कर उसके साथ चली गई कभी वापस न आने के लिए।
ये धोखा वो सह नहीं पाए और उन्होंने खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया था।
सदमे से वीर की दादी ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया और दो साल बाद उनकी भी मौत हो गई
इस घटना ने मानवेंद्र सिंह राणा को तोड़ कर रख दिया था जैसे तैसे उन्होंने खुद को संभाला दस साल का छोटा सा वीर इस घटना से सहम कर खामोश हो गया था।
बुरे माहौल का उस पर असर होते हुए देख कर उन्होंने उसे बाहर पढ़ने के लिए भेज दिया।
पर ये यादें वीर के जेहन में हमेशा के लिए बस गईं जब भी वो इस बारे सोचता तो बहुत अग्रेसिव हो जाता था ।
ऐसे में सिर्फ एक जयंत ही था जो उसे संभाल सकता था।उसका रिश्तों पर से यकीं उठ गया था।
“राणा ग्रुप्स” की विशाल संपत्ति के मालिक मानवेंद्र सिंह राणा “रॉयल रेजीडेंसी” नाम की होटल चेन के मालिक हैं। वेगास में उनका”रॉयल कैसीनो” बहुत फेमस है। जिसकी ओनरशिप फिलहाल राजवीर के पास है।
वो चाहते थे कि उसका काम जयंत को सौंप दिया जाय और राजवीर यहां के बिजनेस पर ध्यान दे।
पर राजवीर अमरीकी कल्चर में रहने का आदी आजाद ख्यालों वाला कैसेनोवा पर्सनालिटी का इंसान था।
वो मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुआ था।
बेशुमार दौलत, अमेरिका में विलासिता से भरपूर बारह बेडरूम वाला घर और भी लाखों डॉलर की प्रोपर्टीज उसके पास थी। उसकी कोई इच्छा नहीं थी स्वदेश लौटने की पर “हेड ऑफ द फैमिली” मानवेन्द्र सिंह राणा ने उसे वापस लौटने पर मजबूर कर दिया।
इसके दो कारण थे एक तो उनकी गिरती हुई सेहत दूसरा उनका बहुत बड़ा बिजनेस जिसके लिए अब उन्हें राजवीर की जरूरत थी।
वो उनके सामने बैठ गया।
बाबा! आप बहुत कमजोर हो गए हैं वो उन्हें ध्यान से देख रहा था।
माई डियर! आई एम गेटिंग ओल्ड आई विल बी सेंवटी नाइन नेक्स्ट ईयर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।
आप मेरे साथ चलिए। मैं आपको अब यहां अकेला नहीं छोड़ूंगा।
इस उम्र में तुम मुझसे बदलाव की उम्मीद कर रहे हो मैं अपना घर और अपना देश छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहता वो मुस्कुरा दिए।
मैं आखिरी सांस इस घर में और अपनी मिट्टी में ही लूंगा ये मेरा प्रण है।
बाबा! आप मुझे छोड़ कर कभी नहीं जाएंगे। मरने की बातें मत कीजिए मुझे डर लगता है उसकी आंखें भर आईं।
बेटा अब ये कारोबार संभालना मेरे बस की बात नहीं है।
मैं थक चुका हूं अब आराम करना चाहता हूं।
अब देखो तबीयत ठीक नहीं है पर कल मुझे इंदौर के लिए निकलना है वहां होटल में कुछ प्राब्लम चल रही है।
आप रहने दीजिए मैं चला जाऊंगा।
तुम्हें मैंने यहां एक खास कारण से बुलाया है।
तुम्हारी शादी की उम्र हो चुकी है मैंने तुम्हारे लिए एक लड़की देखी है। तुम उसे देखने जाओगे।
बाबा! प्लीज मैं इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता।
पापा ने खुद को खत्म कर लिया। दादी दुनिया से चली गई। रिश्ते बहुत दर्द देते हैं पापा ने एक ही गुनाह किया था मोहब्बत करने और उस मोहब्बत ने उन्हें बर्बाद कर दिया।
वो औरत कहने को मेरी मां थी पर उसकी वजह से मुझे सभी रिश्तों से नफ़रत हो गई है।
मैं अब किसी पर विश्वास नहीं करता। आपसे एक रिक्वेस्ट है मेरे साथ इस बारे में अब कोई बात नहीं होगी।
मैं उन्हें जुबान दे चुका हूं। सिर्फ देखने भर की बात है पसंद न आए तो मना कर सकते हो।
मैं आपसे कई बार मना कर चुका हूं बाबा वीर ने शांत लहजे में कहा।
तुम्हें मेरे मान सम्मान की बिल्कुल परवाह नहीं है। ये इज्जत मैंने वर्षों में कमाई है। अब इस मान सम्मान और प्रतिष्ठा को चोट पहुंची तो ये बूढ़ा जीते जी मर जाएगा।
ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी उन्होंने गहरी सांस ली। तुम कल ही वापस लौट जाओ। दोबारा यहां कभी मत आना।
आगे क्या होगा??? वो लड़की कौन है ??? क्या वीर उसे देखने जाएगा????
इस कहानी में बहुत कुछ है। मोहब्बत, नफरत, सौदा जज्बात का देखते हैं जीत किसकी होगी???
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“इश्क ” एक गुनाह (भाग-2) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi
रचना कंडवाल