गीता का घर के किसी भी काम मे मन नहीं लगता था.। माँ के कहने पर वह बिना मन के जैसे तैसे कर के काम निबटा देती थी। देखने मे भी वह साधारण ही थी। उसके रवैये से उसकी माँ परेशान रहती थी तथा चिंता करती थी कि पता नहीं इसकी शादी कैसे होंगी, इसे कौन पसंद करेगा। गीता को इन बातो से कुछ फर्क नहीं पड़ता था और नहीं तो यदि दूसरे की तारीफ़ उसके सामने कोई कर दें तो वह उसके जैसा बनने की कोशिश करने के जगह उस व्यक्ति से ईर्ष्या करने लगती थी।
किसी तरह से उसके माता पिता ने उसकी शादी ऐसे घर मे कर दी जहाँ लड़का के पिता नहीं थे बस माँ और एक कुँवारी बहन थी। घर मे काम ज्यादा नहीं था उसपर सास ननद भी काम मे हाथ बटाते थे। गीता को तो पहले से ही काम करना पसंद नहीं था और यहाँ सभी उसकी ननद के काम की तारीफ़ करते थे तो वह और जलभून कर काम नहीं करती थी और कहती थी कि शीला इतना अच्छा काम करती है तो वही काम करे। सास और ननद घर मे क्लेश नहीं हो यह सोचकर उससे कुछ नहीं कहते और घर का सारा काम कर देते।
इसपर भी गीता को चैन नहीं था वह हर समय यह सोचती थी कि शीला को कैसे नीचा दिखाऊ।सास ननद के प्यार भरे व्यवहार का उसके उपर कोई असर नहीं होता था। उसके मन मे ननद के प्रति ईर्ष्या दिनोदिन बढ़ रही थी। उसकी ननद शीला सर्वगुण सम्पन्न लड़की थी रूप मे, गुण मे, स्वभाव मे , व्यवहार मे, सभी मे वह उत्तम थी रिश्तेदार हो या मुहल्लावाले सभी उसकी प्रसंसा किया करते थे.। इन्ही बातो से वह शीला से और ज्यादा ईर्ष्या करती थी और उससे सीधे मुँह बात नहीं करती थी।
शीला के पिता की असमय मृत्यु होने के कारण शीला बारहवीं तक ही पढ पाई थी। उसकी माँ ने रिश्तेदारों की मदद से किसी तरह भाई की पढ़ाई पूरी करवा दी थी जिससे कि वह घर का खर्च संभाल सके।गीता को यह सोचकर बहुत ख़ुशी होती थी कि शीला कम पढ़ी लिखी है उसके पास प्रोफेशनल डिग्री नहीं है। कुछ दिनों बाद गीता की बहन ने इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की तो उस ख़ुशी मे उसने अपने माता पिता और बहन को डिनर पर बुलाया,साथ ही उसने शीला की बेइज्जती करने का प्लान बनाकर सारा खाना होटल से मंगवाया।
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रात मे जब सभी खाना खा रहे थे तो उसने अपनी बहन से पूछा – खाना कैसा है? अच्छा है न? इस होटल का खाना बड़ा ही स्वादिस्ट होता है, मैंने इसीलिए वहाँ से खाना मंगवाया है.। अब जब आदमी कमा रहा है तो घर पर खाना बनाने का झंझट क्या करना। पैसे हो तो आदमी ऑडर करने भी खाना मंगवा सकता है। खाना बनाना सीखने की क्या जरूरत है। मेरे हिसाब से तो पढना लिखना जरूरी है ताकि आदमी पैसे कमा सके और उसे जैसे चाहे खर्च कर सके। उसने यह कहकर कुटिल मुस्कान के साथ अपनी ननद की तरफ देखा,
परन्तु शीला के मुख पर ज़रा सी भी परेशानी नहीं दिखी। तब शीला ने कहा – भाभी आप बिल्कुल सही कह रही है, पढना लिखना बहुत जरूरी है पर पैसे कमाने के लिए नहीं ज्ञान के लिए। वैसे होटल मे जो खाना बना रहा होता है,वह भी पैसे ही कमा रहा होता है।यदि कोई चाहे तो खाना बनाने को भी अपना प्रोफेशन बना सकता है। सभी ने कहा शीला एकदम सही कह रही है। अब तो जैसे गीता के सारे बदन मे आग ही लग गईं, लेकिन वह सभी के सामने कुछ बोल नहीं पाई। कुछ दिनों बाद शीला को देखने लडके वाले आए।
लड़का इंजिनियर था। घर परिवार भी अच्छा था लड़का के पिता भी सरकारी सर्विस मे थे।यह देखकर गीता जलभून गईं। उसने सोचा इस घर मे जाकर तो शीला राज करेगी। शीला की ख़ुशी तो उससे बर्दास्त ही नहीं होती थी। उसने सोचा कि ऐसा कुछ करती हूँ जिससे उस घर मे मेरी बहन की शादी हो जाय। गीता की सास जब लड़के वालों के लिए उपहार लेने अंदर गईं तो उसने लड़का की माँ से कहा – आंटी जी मुझे आपसे कुछ बात करनी है बाहर जाने पर मै बोलूंगी। लड़का की माँ ने कहा ठीक है। जब वे लोग जाने लगे
तो गीता ने अपनी सास से कहा माँ जी मै इन्हे गाड़ी तक छोड़ के आती हूँ। लड़का के पिता और गीता के पति जब थोड़ा आगे बढ़ गए तो गीता ने कहा – सुनिए आंटी जी। हाँ बोलो तुम कुछ कहने वाली थी लड़का की माँ ने कहा.। तब गीता ने कहा मेरी सास और ननद बहुत ही चतुर है सारा काम मुझसे करवाती है
और सबसे कहती है कि शीला ने किया है। मेरे पति की नौकरी लगे हुए भी ज्यादा दिन नहीं हुआ है। अतः ये लोग दहेज भी ज्यादा नहीं दें पाएगे। इसलिए मै कहती हूँ कि आप एकबार मेरी बहन से मिल ले। मेरी बहन इंजिनियर है। मेरे पापा खूब सारा दहेज भी देंगे। यह सुनकर लड़का की माँ ने कहा बहु हमें नौकरी करने वाली बहु की कोई आवश्यकता नहीं है, हम तो ऐसी बहु चाहते है जो घर परिवार को बाँधकर रखे। हमारे खानदान मे लेने देने की जगह रिश्तो मे प्यार हो, अपनापन हो, इसबात पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
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तुम्हारी ननद के बारे मे सब कुछ पता करके ही हम यहाँ आए है। इसलिय शादी नहीं करने का सवाल ही नहीं उठता। जहाँ तक तुम्हारी बहन की बात है तुम्हारे इस व्यवहार के बाद कोई उससे शादी के बारे मे नहीं सोच सकता। बहु एक बात याद रखना जो लड़की अपने ससुराल की शिकायत दुसरो से करती है वह अपना ही चरित्र गिराती है और अपने माता पिता के संस्कार का भी मजाक बनाती है। अगर अपनी बहन की भलाई चाहती हो तो आइंदा किसी से अपने घर वालों की झूठी शिकायत मत करना
गीता ने सोचा यह आंटी सही ही कह रही है। शीला को नीचा दिखाने के चक्कर मे मै खुद इतना नीचे गिर गईं कि अपनी ननद की शादी तोड़ने लगी। अब मै अपने व्यवहार मे सुधार लाऊंगी और जब तक शीला है तबतक उससे उसके सारे गुणों को सीखने की कोशिश करूंगी।
लेखिका : लतिका पल्लवी
#हमारे खानदान लेन देंन की जगह रिश्तो मे प्यार हो,अपनापन हो, इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।