इंसानियत – खुशी

गीता जी एक सीधी साधी महिला थी उनके पति थे गोपाल।गीता जी बीटेक थी और उन्हें कंप्यूटर की बहुत अच्छी नॉलेज थी ।शादी से पहले वो नौकरी करती थी परंतु शादी के बाद गोपाल को घर में रहने वाली बीवी चाहिए थी जो घर का मां पिताजी का ध्यान रखें सब काम टाइम पर हो बच्चों का भी ध्यान रखें इसलिए गोपाल ने उसे नौकरी की इजाज़त नहीं दी।गीता सुबह से रात तक चक्रगिणी की तरह घूमती उसका दिन शुरू होता 5 बजे और रात 10 बजे खत्म होता।उसकी सहेली आराधना उसे बोलती भी तू इतनी जहीन है कहा फंस गई है।गीता कहती तो कहती गोपाल को बाहर काम करना पसंद नहीं मा पापा की वजह से। गीता की शादी को 6 साल हो गए थे दो बार मिस कार्रिज हुआ ।फिर वो गर्भवती ना रह सकी।गोपाल कहते तुम्हारे लिए मै और मेरे लिए तुम काफी है पर गीता  की सास बड़बड़ करती रहती थी कि दूसरी शादी कर लो ।

पर गोपाल चुप ही रहते ।गीता ने गोपाल  से कह कर घर में सफाई और बर्तन वाली लगवा ली । कांता नाम था उसका अपनी छोटी सी बेटी को लेकर आती थी वो कभी कभी।पतली दुबली सी लड़की जिसका नाम नेहा था।गीता को नेहा बड़ी अच्छी लगती वो उसे खाने के लिए देती और उसको पढ़ा भी देती।गीता ने कांता से कहा कि इसे स्कूल भेजे ।कांता बोली दीदी इसका बाप शराबी है सारा पैसा ले लेता है।घर में इसके तीन बड़े भाई भी है जो सरकारी स्कूल में जाते है उन्हें ही जैसे तैसे पढ़ा रही हूं।फीस नहीं जाती इसलिए गीता बोली ठीक है तू सुबह नेहा को यहां छोड़ दिया कर मैं इसका दाखिला करवा दूंगी और शाम को जब घर जाए तो ले जाना।

शाम को गीता ने गोपाल से पूछा क्या मैं नेहा का एडमिशन करवा दूं गरीब बच्ची पढ़ जाएगी।गीता की सास बोली अपने तो हुए ना दूसरों के पाल लो।बीवी अपने बच्चे का सोचो वरना मैं मेरे बेटे की दूसरी शादी कर दूंगी।गोपाल बोला मां आप क्या कह रही है।गोपाल के कहने पर नेहा का एडमिशन करवा दिया गया।गीता उसे लेने छोड़ने जाती वहां कंप्यूटर टीचर्स की वेकेंसी निकली तो गीता ने भी फॉर्म भर दिया और उसे कॉल भी आ गया गीता ने गोपाल से कहा मै सारा दिन बोर हो जाती हूं।मां पिताजी का खाने का काम इतना नहीं है और मैं 12 बजे तक आ जाऊंगी मैने पहले ही स्कूल में बता दिया था।

गोपाल बोला देखो मां पिताजी के खाने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।नेहा सुबह उठती मां पिताजी का चाय नाश्ता गोपाल का चाय नाश्ता लंच सब बना देती।दोपहर की दाल सब्जी चावल बना आटा गूंध जाती।सास चिक चिक करती ।पर ससुर गजेन्द्र बोले जाने दो ना उसे थोड़ा मन बहल जाएगा उस बिचारी का भी 6 साल से घर की चार दिवारी में कैद है। गीता जाने लगी पढ़ाती तो वो अच्छा थी ही बच्चों में भी प्रसिद्ध हो गई थी।पर स्कूल में कुछ टीचर्स थी जो कभी कभी उसका दिल दुखा ही देती थी।एक दिन नेहा बेहोश हो कर गिर गई स्कूल की नर्स ने कहा इसकी मां को बुलाओ ।

गीता आई और बोली बताइए क्या हुआ इसकी मां यहां नहीं आ सकती मैने ही इसका एडमिशन करवाया था क्या हुआ ।प्रिंसिपल बोली यू नो द रियलिटी।गीता बोली रियलिटी व्हाट रियलिटी। शी इस ट्रांसजेंडर नाउ शी कांट studied in our school। हम इसे निकाल रहे हैं।प्लीज़ मैडम ऐसा नहीं करे मै इसकी मां से बात करती हूं इसे पढ़ने दे जहीन बच्ची है शायद कुछ बन जाए जीवन में तो इसका भला होगा ये बात बाहर आई तो इसे इसकी बिरादरी वाले ले जाएंगे इसका जीवन बिखर जाएगा।प्लीज़ mam I beg you. आप एक बार इंसानियत के नए सोच कर देखे ।

गरीब बच्ची है समाज इसे स्वीकारे गा नहीं। प्रिंसिपल बोली मुझे थोड़ा टाइम दो मैनेजमेंट से बात करती हूं।गीता घर आई नेहा को उसने सुला दिया।उसके सास ससुर खाना खा कर  सो गए।शाम की चाय पी वो मंदिर में चले गए।कांता आई तो गीता उसे अंदर लाई और कुंडी लगा ली और उससे पूछा तुम इस सच्चाई को जानती थी।कांता रो पड़ी जी दीदी नेहा मेरी नहीं मेरी बहन की बेटी है वो जब हुई तो  मेरी बहन तो काटो तो खून नहीं तब मै गांव में थी और मेरा पति शहर में मजदूरी कर रहा था। मैं मेरी बहन के पास थी मेरा गांव दूसरा था ।

मेरे तीनों लड़के सास के पास थे और मैं भी अपनी डिलीवरी करवाने ही वहां गई थी मुझे चौथा भी बेटा हुआ था।जब हमारी डिलीवरी हुई तो खुश किस्मती से कोई वहां नहीं था हम एक ही वार्ड में थे।नर्स और डॉक्टर के हाथ पैर जोड़ हमने ये सच्चाई छुपाई।मैने अपना बेटा बहन को दे दिया और नेहा को ले मै अपने गांव आ गई पर मुझे पता था सच्चाई छुपाना मुश्किल होगा।क्योंकि तीन बेटों पर बेटी सब खुश थे हर कोई उसे खिलाना चाहता उठाना चाहता सास लिए बैठी रहती ससुर भी खिलाते पर मै आस पास ही रहती पर एक दिन मै नहाने गई और वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था।नेहा ने शू कर दी गीले पन के कारण वो रोने लगी सास आकर उसके कपड़े बदलने लगी और सब समझ गई।मुझे बोली कर्मजली ये क्या जना है तूने ।

तेरे खासम को पता है मैने सास के पैर पकड़ लिए मैने कहा मां किसी को ना बताना इसका आसरा छीन जाएगा मै हाथ पैर जोड़ती हूं सास चुप रही पर आगे से नेहा को गोद में लेना प्यार करना बंद कर दिया और ससुर को भी नहीं छू ने देती थी।फिर मेरा पति राम घर आया मैने जिद पकड़ ली मुझे ले चल चार बच्चों का बोझ हम मिलकर उठाएंगे।सास मुझे घूरती रही और मैं वहां से निकल यहां आ गई।नेहा पहले दिन से मेरे यहां सब जगह काम पर जाती हैं।दीदी मुझे माफ कर दो।गीता बोली आज ये बात स्कूल मैनेजमेंट को भी पता चल गई है पता नहीं इसे रखेंगे कि नहीं तु घबरा मत मैं देखती हूं।

गीता इंटरनेट पर सर्च कर रही थी वहां उसे हैदराबाद में ट्रांसजेंडर स्कूल कॉलेज दिखा।स्कूल मैनेजमेंट ने मना कर दिया नेहा को स्कूल में रखने से।गीता ने गोपाल से बात की उसने साफ मना कर दिया बोला मै तुम्हारे साथ खड़ा हूं अपने बच्चे के लिए ना की इस हिजड़े के लिए कल ही मै सोसायटी में कंप्लेंट करता हूं कि इसको ले जाए।गीता ने एक फैसला किया और स्कूल प्रिंसिपल से हेल्प मांगी उन्होंने हैदराबाद में बात की गीता की नौकरी और नेहा के एडमिशन की।गोपाल को गीता ने अपनी कसम दी कि ये बात किसी को नहीं बताए।उधर गीता ने पूरी तैयारी के साथ घर छोड़ने का फैसला कर लिया और गोपाल को एक पत्र लिखा गोपाल मैने तुम्हे आजाद किया तुम विवाह कर नई दुनिया बसा लो उसी के साथ जिसके साथ कॉफी शॉप में वक्त बिता कर आते हो मै जा रही हूं।कांता को सब समझा गीता हैदराबाद आ गई।नेहा स्कूल जाने लगी गीता वही पढ़ाने लगी।

आज इस बात को 20वर्ष हो गए।नेहा आज गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर बन गई आज उसे डिग्री मिलनी थी कांता को भी गीता ने बुलाया था।जब नेहा स्टेज पर आई तो कांता उसे देख हैरान थी इतनी सुंदर लग रही थी नेहा। नेहा बोली ईश्वर ने मुझे अधूरा बना कर भेजा इसलिए मेरी सगी मां ने मेरा परित्याग किया मेरी मौसी समान मां ने मुझे जीवन दान दिया एक अनपढ़ महिला ने समाज से मुझे बचाया ये मेरे जीवन की पहली इंसानियत की।मिसाल बनी फिर देवी स्वरूप गीता मां जिन्होंने अपने पति और घर को मेरे लिए छोड़ा और समाज से मुझे बचाया मुझे नया जीवन दिया आज मै जो हूं इन दोनों माओ और इनकी इंसानियत की वजह से हूं मैं ये मेडल और डिग्री इन्हीं के हाथ से लेना चाहूंगी।

पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था।सब नेहा की सराहना कर रहे थे और साथ ही साथ गीता की भी।आज गीता गायनी थी उसे रात को कॉल आया हॉस्पिटल से अफरा तफरी में वो गई ।बच्चे और मां की जान खतरे में थी।उसने दोनो को बचा लिया उस बूढ़े आदमी को देख वो याद कर रही थी कि ये कौन है।घर आई तो सुबह हो गई थी लॉन में गीता और कांता काफी पी रहे थे।नेहा बोली मां आज पता है मैने किसकी जान बचाई ।किसकी गीता बोली आपकी बहु और पोते की मेरी बहु और पोता जी मां ये गोपाल अंकल है ना।हा गोपाल ही है पर वो यहां कैसे पता नहीं चलो जाओ तुम आराम करो। गीता सोच रही थी चलो मैने गोपाल को सही बंधन मुक्त किया उसने शादी कर ली।

शाम को डोर बेल बजी दरवाजे पर दो आदमी थे।वो फूल और मिठाई लाए थे।कांता को देख गोपाल पहचान गया तुम कांता हो ना यहां कैसे? गीता नीचे आते हुए बोली ये उसकी बेटी का घर है वहीं बेटी जिसने आज आपकी बहु और पोते को भी जीवन दान दिया।जिसका जीवन आप छीन लेना चाहते थे।गीता तुम । गोपाल का बेटा बोला पापा ये कौन है? बेटा मै इनका पास्ट हूं जिसका कोई अस्तित्व नहीं है।तब तक नेहा नीचे आ गई।विवेक आगे आ कर बोला थैंक्यू डॉक्टर आपने मेरे परिवार को बचा लिया मेरी अभी २ महीने पहले ही यहां ट्रांसफर हुई थी तो मुझे कुछ पता नहीं था थैंक्यू आप सुबह मिली नहीं इसलिए हम यहां आए।नेहा बोली ये तो इंसानियत है प्रत्येक जीव को जीने का अधिकार है वो कोई नहीं छीन सकता मैने अपना फर्ज निभाया।गोपाल सोच रहा था इनमें इंसानियत जिंदा है और शायद मेरी मर गई थी।वो दोनों चुप चाप चले गए और गीता ने कांता से कह दरवाजा बंद करवा दिया।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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