इंसानियत अभी जीवित है – गीता वाधवानी

महानगर मुंबई, एक छोटी सी खोली में रहने वाले तीन दोस्त। नवीन, अजय और सुनील। नवीन किसी कंपनी के ऑफिस में पिओन का काम करता था। अजय और सुनील एक जूते बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते थे। तीनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे और मिल बांटकर गुजारा करते थे। तीनों को घर पर भी खर्चा भेजना होता था। 

 अजय थोड़ा शौकीन  इंसान था। कभी कहता आज पार्टी करते हैं, कभी कहता महंगा मोबाइल खरीदना है। कभी नए कपड़े खरीद कर ले आता। दोनों दोस्त उसे समझाते थे कि जब तनख्वाह  बढ़ जाएगी, और तू थोड़े पैसे जमा कर लेगा तब यह काम करना, अभी हम मजबूर हैं क्योंकि हमें घर पर भी खर्चा भेजना होता है और अपना भी गुजारा करना होता है। 

 ऐसे ही उनके दिन बीत रहे थे। तीनों भरपूर कोशिश करते थे कि कुछ पैसे जमा कर सकें और इसी कारण कंजूसी से अपना खर्च करते थे। 

 तीनों ने थोड़ा-थोड़ा पैसा जमा कर लिया था। एक बार जूते काटने वाली मशीन पर काम करते समय सुनील के हाथ में बहुत बड़ी चोट लग गई। उसकी दो उंगलियां तो पूरी तरह कट गई और बाकी हाथ समय रहते बच गया। 

 आनन फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया और साथ ही कटी हुई उंगलियां भी वे लोग अस्पताल ले गए। डॉक्टर को इमरजेंसी में बुलाया गया। डॉक्टर ने देखते ही कहा कि अगर तुरंत ऑपरेशन कर दिया जाए तो उंगलियों को जोड़ा जा सकता है। 

 आप तुरंत ₹100000 जमा कर दीजिए। अभी इसी समय ऑपरेशन होगा। अब ₹100000 कहां से आए। 

 नवीन और अजय तुरंत भाग कर घर पहुंचे और अपनी बचत के पैसे गिनने लगे। उन दोनों के पास केवल 20000 निकले और सुनील के खुद के 10000। टोटल मिलाकर सिर्फ 30000 हुए। बाकी पैसे कहां से आएंगे, दोनों यही सोच रहे थे। 

 आखिरकार अपने दोस्त के खातिर वे लोग फैक्ट्री के मैनेजर के पास बाकी रुपए मांगने के लिए पहुंचे। वे डरते डरते मैनेजर के ऑफिस में गए और उनको पूरी बात बताई। 

 मैनेजर एक बहुत अच्छा इंसान था उसने पूरी बात शांति से सुनी और कहा कि “आप लोग चिंता मत करो मैं अभी मालिक से बात करता हूं। वैसे भी उन्हीं की जिम्मेदारी बनती है क्योंकि उन्ही की फैक्ट्री में यह दुर्घटना हुई है और मालिक एक दयालु इंसान है, वह जरुर मदद करेंगे।” 

 मैनेजर ने तुरंत मालिक को फोन लगाया और पूरी बात बताई। 

 मालिक ने फोन पर मैनेजर से कहा-” आप उन लोगों से कहिए कि जो उनके पास 30000 है, वह लोग उन रूपयों को अपने पास ही रखें, क्योंकि ऑपरेशन के बाद दवाई और फल वगैरा के लिए उन्हें जरूरत पड़ेगी। मैं पूरा ₹100000 अस्पताल के अकाउंट में जमा कर रहा हूं। उनसे कहिए कि वे लोग सीधा अस्पताल अपने दोस्त के पास पहुंच जाएं। मैं डॉक्टर साहब से बात कर लूंगा। ”  

 मैनेजर ने उन्हें मलिक की बात बताई और उन्हें तुरंत जाने के लिए कहा। दोनों दोस्त वहां से निकल कर सीधा अस्पताल पहुंचे। वहां उन्हें डॉक्टर साहब ने बताया कि” ₹100000 जमा हो गया है और हमने ऑपरेशन शुरू कर दिया है आपके दोस्त के हाथ को ठीक करने की हम पूरी कोशिश करेंगे।” 

 दोनों दोस्त वहां बैठकर आपस में बातें कर रहे थे कि ” मैनेजर और मालिक, दोनों कितने अच्छे और दयालु हैं, वरना आजकल गरीबों की कौन सुनता है, इंसानियत अभी भी जीवित है, ऐसे लोगों के कारण ही दुनिया चल रही है, भगवान उनका भला करें। ” 

   2 घंटे बाद डॉक्टर साहब ने आकर बताया कि” ऑपरेशन हो गया है। सुनील को होश आने के बाद आप उससे मिल सकते हैं। ” 

 सुनील के होश में आने पर दोनों दोस्त उससे मिले, तो उसे भी यही चिंता थी कि पैसा कहां से आया। दोस्तों ने उसे पूरी बात बता ई, तो उसनेभी यही कहा कि इस दुनिया में इंसानियत आज भी जीवित है। ” 

 सुनील के ठीक होने पर वह भी कम पर जाने लगा। 

 इस दौरान उसके दोस्तों ने उसका पूरा ध्यान रखा।  

 स्वरचित,अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली 

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