विश्वनाथ राजस्थान में माने हुए व्यापारी थे कपड़ों की कई दुकानें थीं। और बहुत प्रसिद्ध थीं वह ठाकुर खानदान के इकलौते बारिस थे और बहुत बड़े “इज्जतदार” घराने के थे। विश्वनाथ को बस एक ही दुख था—– कि उनके कोई औलाद नहीं थी पर वह—– अपनी पत्नी प्रेरणा को बहुत चाहते थे समय बीतता जा रहा था शादी हुए 5 साल हो गए थे लेकिन——-
डॉक्टर के इलाज के बाद भी कोई फायदा नहीं हो रहा था उनकी पत्नी निराश हो जाती है इधर सास शांति देवी के ताने सुनकर प्रेरणा का मन दुखी हो जाता है और डर से कांपने लगता क्योंकि— राजस्थान मैं रहने वाली उसकी सास बहुत कट्टर स्वभाव की थीं!
प्रेरणा की सास राजस्थान के कट्टर नियमों—- का पालन करती थीं! वह प्रेरणा और विश्वनाथ पर बहुत ज्यादा रोव जमातीं और अपने बेटे बहू पर सारे— नियम कानून लाद देती थीं कि घर में कोई औलाद नहीं होगी तो वंश का नाम कैसे चलेगा इतना बड़ा बिजनेस है इससे तो विश्वनाथ तुम दूसरी शादी करो लेकिन—–
विश्वनाथ मना कर देता और अपनी मां से कहता मां——– मेरे में कोई कमी होती तो क्या प्रेरणा दूसरी शादी कर लेती मैं——- उसे नहीं छोड़ सकता! प्रेरणा के ससुर रणवीर सिंह चौहान—— बहुत समझदार थे, वह कभी ताना नहीं मारते थे, और बोलते थे ईश्वर की जो इच्छा होगी वही होगा बहु को भी बहुत-बहुत चाहते थे।
एक दिन शांति देवी के ताने सुनते-सुनते प्रेरणा बहुत दुखी हो गई, और अपने पति से शाम को—— रो- रो के सास के ताने और सास के द्वारा उसे परेशान करने वाली बात बताई यह सुनकर—— विश्वनाथ को बहुत गुस्सा आया और उसने मां से कहा मैंने फैसला कर लिया में बच्चे को गोद लूंगा यह सुनकर—–
सास ने रोना पीटना मचा दिया नहीं- नहीं यह नहीं हो सकता!—- अपन “इज्जतदार” खानदान के हैं! और बच्चे को अनाथ आश्रम से गोद लेंगे तो सारी इज्जत धूल में मिल जाएगी— यह सुनकर शांति देवी के पति रणवीर सिंह भी शांति देवी पर चिल्ला पड़े तुम्हें अपने बच्चों की खुशी नहीं दिखाई दे रही—–
अगर बच्चा गोद ले लेंगे तो उससे क्या इज्जत घटेगी—– बल्की अपनी इज्जत और ज्यादा बड़ जाएगी! अनाथ आश्रम के बच्चे को घर और माता-पिता का प्यार मिलेगा और हमें अपने खानदान का बारिस——इससे अपनी समाज में और ज्यादा इज्जत भी वड़ेगी। तुम खुद ही सोचो अगर मैं अपने बच्चे की——
दूसरी शादी करूंगा तो मेरी बहू का क्या होगा? वह भी तो किसी की बेटी है कल को तुम्हारे बेटे में कोई कमी होती तो तुम क्या करतीं आज के बाद बहू को कभी भी ताने मत मारना मैं खुद अपने बहू बेटे का साथ दूंगा तुम्हें देना हो तो दो तुम खुद एक औरत हो और ऐसी बातें करती हो।
दूसरे दिन ही रणवीर सिंह ने पक्का फैसला—- कर लिया और अपने बेटे विश्वनाथ से और बहू से बोले चलो बेटा मैं तुम्हारे साथ अनाथ आश्रम चलूंगा और में खुद अपने पोते को गोद लेकर आऊंगा और—- ऐसा ही हुआ जब अनाथ आश्रम से बच्चे को गोद लेकर आए तो रणवीर सिंह जी ने बहू से बोला पहले बच्चे की आरती उतारो—–
और गृह प्रवेश करवाओ क्योंकि—- शांति देवी तो मानने वाली नहीं थीं लेकिन—- बच्चे को देखकर अचानक जाने क्या हुआ शांति देवी उठीं और आरती की थाली खुद ही सजा लाईं और उन्होंने बहू बेटे और बच्चे की—- आरती उतारी और घर के अंदर उन्हें ले आईं पहले तो वह बच्चे को देखती नहीं थीं, खिलाती भी नहीं थीं, मुंह बनाये बैठी रहती थीं
थोड़े दिन तो घर का वातावरण अशांत सा रहा पर धीरे-धीरे उनका मोह बच्चे के प्रति बढ़ने लगा और बाद में उन्होंने शांति से बैठकर सोचा कि मेरा बेटा और मेरे पति सही कह रहे हैं अगर घर में कोई बच्चा आ गया तो खुशी आ जाएगी और एक दिन——-
उन्होंने भी उस बच्चे को अपना लिया और बच्चे को हंसता खेलता हुआ देखकर—- उनका मन प्रसन्न रहने लगा उन्हें लगा जैसे— घर में कोई खिलौना आ गया हो बस धीरे-धीरे वह उसके ऊपर ध्यान देने लगीं
घर के सबको एक साथ बिठाकर— शांति देवी बोलीं चलो पंडित जी को बुलाकर और अच्छा मुहूर्त निकलवा कर इस बच्चे का नामकरण करें—- और सारे समाज को बुलाकर बड़ा फंक्शन करते हैं वह बच्चे को—— गोद में उठाकर प्यार करने लगीं मां का ऐसा व्यवहार देखकर पूरे घर में खुशी की लहर दौड़ गई सब खुशी से झूम उठे बस फिर क्या था——– पंडित जी को बुलाकर अच्छा मुहूर्त निकलवा कर फंक्शन की तैयारियां हो गईं।
आज बहुत खुशी का दिन था रणवीर सिंह जी के पोते का नामकरण संस्कार हो रहा था———- शहर के बड़े-बड़े व्यापारी और जाने-माने लोग रिश्तेदार सभी सम्मिलित हुए थे! रणवीर सिंह जी की कोठी फूलों से, लाइटों से, सजी हुई थी संगीतमय वातावरण था बैंड बाजे बज रहे थे सभी लोग——- डांस गाने में मस्त थे पंडित जी ने हवन पूजा करवाई और बेटे का नाम–
– “स”— से निकला था विश्वनाथ और प्रेरणा के मुंह से निकला यह तो अपने घर का सूर्य है बस उसका नाम सूर्य प्रताप सिंह चौहान रख दिया गया उनके घर आए सभी लोग रणवीर सिंह जी के परिवार की बहुत तारीफ कर रहे थे— यह देखकर शांति देवी गर्व से फूली नहीं समा रही थीं आज शांति देवी को यह सब माहौल देखकर लगा कि——–
इस बच्चे ने तो हमारे घर की इज्जत को और बढ़ा दिया घर में खुशियों की लहर छा गई सभी आने जाने वालों ने बच्चे और बच्चे के माता-पिता को खूब आशीर्वाद दिए—— और बच्चे को खूब तोहफे दिए। सब एक साथ बोले इसे कहते हैं “इज्जतदार” परिवार! हर परेशानी का रास्ता होता है।
तो दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी अभी भी राजस्थान में ही क्या हर जगह ऐसे परिवार हैं जो बच्चा ना होने पर बहु को ताने दिए जाते हैं और बेटे की दूसरी शादी करने की कोशिश की जाती है पर अगर बेटा समझदार है और घर के लोग समझदार हैं तो उसका रास्ता निकाला जा सकता है।
सुनीता माथुर
मौलिक, अप्रकाशित रचना
पुणे महाराष्ट्र