क्या हुआ जी आप इतने उदास क्यों बैठे हैं ,और ये नाश्ता भी नहीं किया अभी तक ठंडा हो रहा है । क्या सोच रहे हैं ।जगदीश जी ने एक बार पत्नी सुषमा की तरफ देखा और फिर नजरें झुका ली । क्या बात है आप कुछ परेशान हैं , कुछ बोलते क्यों नहीं।वो सुषमा ,,,,,,, हां हां बताइए न क्या बात है।
सुषमा हमें ये मकान खाली करना होगा,क्यों भला?अरे मकान किराए पर है तो मकान मालिक कभी भी खाली करवा सकता है जगदीश जी बोले। लेकिन हम किराया तो समय पर देते हैं न। हां वो सब ठीक है लेकिन मकान मालिक मकान बेच रहा है और मकान बेचकर वो बच्चों के पास रहने जा रहा है।
अच्छा सुषमा जी बोली और हमारे पास इतने पैसे हैं नहीं कि हम ये मकान खरीद सकें ।तो अर्जुन से बात करो सुषमा जी बोली । अर्जुन , नहीं उससे तो मैं बिल्कुल भी बात नहीं करूंगा।वो मेरा बेटा नहीं बाप बनकर बात करता है जगदीश जी बोले।
अरे आप भी तो हर वक्त गुस्से में ही उससे बात करते हैं, कभी प्यार से भी बात कर लिया करें।अरे मैं उसका बाप हूं कि वो मेरा बाप है।हर वक्त मेरी बात काटता रहता है, कभी ढंग से बात नहीं करता।मैं तो आप बाप बेटों के झगडे से तंग आ चुकी हूं ,सुलह कराते कराते मेरी तो उम्र निकली जा रही है।
बुढ़ापे में सारे मां-बाप अपने बच्चों के पास रहते हैं ,और आप है कि इस बुढ़ापे में आकर भी बेटे से झगड़ा ही खत्म नहीं होता।हर समय बेटे से नाराज़ ही बने रहते हैं।और अब ऐसी मुश्किल आ गई है तो किससे कहें अपने बच्चे ही तो सहारा देंगे न ।करें एक बार उसको फोन सुषमा जी बोली ।
अरे वो मेरा फ़ोन नहीं उठाएगा,करें तो एक बार फोन , नहीं उठाएगा मैं कह रहा हूं न ।तुम जिद करती हो तो कर लेता हूं फोन ।और जगदीश जी ने बेटे अर्जुन को फोन लगाया एक बार ,दो बार ,और तीसरी बार भी लेकिन अर्जुन ने फोन नहीं उठाया।
देखा मैं कह रहा था न कि वो मेरा फ़ोन नहीं उठाएगा।लाइये अच्छा मुझे दिजिए फोन और सुषमा जी ने फोन लगाया पहली बार में नहीं उठा , दूसरी बार लगाया तो अर्जुन ने फोन उठा लिया।हेलो क्या बात है मां , पापा ने फोन लगाया था तो तुमने नहीं उठाया अरे मां वो मैं जरूरी मिटिगं में था, क्या बात है
कोई ज़रूरी बात है क्या अभी मैं बहुत व्यस्त हूं। बेटा जरा बात करनी थी वो मकान मालिक अच्छा अच्छा मैं समझ गया आप क्या बात करना चाहतीं हैं मैं मकान मालिक से बात कर लेता हूं लेकिन अभी जरूरी काम कर रहा हूं बाद में बात करूंगा। कहकर अर्जुन ने फोन रख दिया।
जगदीश और सुषमा जी का खुशहाल परिवार था।एक बेटा और एक बेटी थे । बेटी बड़ी थी तो उसकी शादी पहले हो गई थी और वो अपने पति के साथ अमेरिका में सैटिल थी। बेटा अर्जुन बैंक में क्लर्क था ।वो अपनी पसंद की लड़की से शादी करना चाहता था। लेकिन जगदीश जी बिल्कुल तैयार नहीं थे।
लेकिन अर्जुन सीमा को पसंद करता था और उससे ही शादी करना चाहता था।इस बात को लेकर बाप बेटे में काफी तकरार हुई। जगदीश जी और अर्जुन की आपस में बिल्कुल भी नहीं पटती थी हर बात में तकरार होती थी। जगदीश जी अपनी हर बात बेटे पर थोपते थे ,
अपनी ही बात को सही बताते और बेटे की हर बात को ग़लत । अर्जुन देर से सोकर उठता तो लेक्चर पिला देते। कुछ बाहर का खा लिया तो उनको परेशानी, दोस्तों के संग कभी कभी पार्टी वगैरह में चला गया तो परेशानी जब तब डांटने लगते । अर्जुन की हर बात से जगदीश जी को परेशानी थी ।
सुषमा जी मना भी करती पति को कि हर वक्त न टोका टोकी किया करें बेटे पर ,अब बड़ा हो गया है अर्जुन । आजकल के बच्चों को हर समय की टोका टोकी पसंद नहीं आती ।अब समय बदल गया है पहले का जमाना नहीं रहा गया है लेकिन जगदीश जी अपनी आदतों से बाज नहीं आते थे।हर वक्त अपनी हिटलर बाजी दिखाते रहते थे।और अपनी ही बात मानने को मजबूर करते थे। उनकी इस आदत से अर्जुन परेशान हो गया था।
घर में हर वक्त टकराव की स्थिति बनी रहती थी। अर्जुन अब पिता के सामने आने से और उनसे बात करने से कतराने लगा था। कभी कोई बात हो तो मां को बीच में डालकर बात की जाती थी।
जगदीश जी पेशे से वकील थे शायद यही वजह थी उनके बहस करने की। अर्जुन भी बैंक में नौकरी करता था और अपनी पसंद से शादी करना चाहता था तो पिता पुत्र में काफी टकराव हुआ।और अर्जुन नहीं माना आखिर में मजबूरी में पिता को शादी करनी पड़ी। लेकिन घर के माहौल को देखते हुए अर्जुन ने दूसरे शहर में अपनी पोस्टिंग की अर्जी लगा दी थी।
सीमा को पिताजी पसंद नहीं करते थे तो ऐसे में घर में कैसे रहा जा सकता था । कुछ दिन बाद अर्जुन को एक नई जगह पर भेज दिया गया।अब वो पिता से दूर रहने लगा शांति से। सीमा को लेकर घर में रोज ही तनावपूर्ण माहौल बना रहेगा इसलिए थोड़ी दूरी बना लेना ज्यादा अच्छा है।
चिड़चिड़े स्वभाव के जगदीश जी बेटे के चले जाने से और भी चिड़चिड़े हो गए । क्योंकि अब घर का हर काम जगदीश जी को ही करना पड़ता।और अभी तक वो किराए के मकान में रहते थे । पिता के इस स्वभाव से अर्जुन फोन पर भी बात नहीं करता था। जगदीश जी सुषमा को ताने मारते कि तुम्हारा बेटा कभी फोन पर भी हाल चाल नहीं पूछता। कभी ये भी नहीं पूछता कि तबियत ठीक है कि नहीं। कोई मतलब नहीं है। सुषमा जी कहती आप भी तो कभी फोन नहीं करते।अरे आजकल के बच्चे हैं अब जमाना बदल गया है ।आप तो हमेशा उससे चिल्ला कर ही बात करते हैं, कभी प्यार से भी बात किया है। कभी फोन मैंने किया भी तो उसने फोन उठाया क्या। अभी किया तो उठाया क्या ,अरे इस समय हो सकता है वो काम में व्यस्त हो । हां तुम तो उसी का पक्ष लोगी हर समय । कभी उसकी गलती कहां दीखती है तुम्हें ।हर वक्त मैं ही ग़लत होता हूं।
वकालत की प्रैक्टिस में ज्यादा कुछ कर न पाए थे जगदीश जी ।बस बच्चों की पढ़ाई लिखाई और शादी ब्याह ही हो पाया था। मकान अपना नहीं बनवा पाए थे। किराए के मकान में रहते थे।उसका आज नोटिस मिल गया खाली करने को तो परेशान हो गए।इधर अर्जुन ने मकान मालिक से बात करके सारी स्थिति का जायजा लिया , पता चला कि मकान बेच रहे हैं तो अर्जुन ने कहा अंकल मकान बेच रहे हैं तो मैं ही खरीद लेता हूं ।असल में काफी समय से मम्मी पापा वहां रह रहे हैं तो उनको वहीं अच्छा लगता है । मकान मालिक भी मान गया । उसको तो मकान बेचना है खरीददार कोई भी हो।
अर्जुन ने बैंक से लोन लेकर मकान खरीदने की सारी लिखा पढ़ी कर ली और मकान पापा के नाम पर ले लिया ।अब करीब एक महीने बाद अर्जुन सारे पेपर लेकर मां के घर गया और पिताजी को पेपर देकर बोला लिजिए मकान के पेपर अब ये आपके नाम पर है बस इस पेपर पर साइन कर दिजिए और घर आपका हो गया।अब आप इसके मालिक है।
पेपर हाथ में लेकर जगदीश जी अपने को रोक न पाए और अर्जुन को गले लगा लिया। रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी थी। कहां से पेसै का इंतजाम किया केसे घर खरीदा,ये सब जानकर आपको क्या फायदा।बस कर लिया आप लोगों का आशीर्वाद चाहिए और क्या चाहिए होता है बच्चों को।बस आप प्यार से एक बार कुछ कहकर देखिए सब हो जाएगा।आप तो मुझे किसी लायक समझते ही न थे बस हर वक्त डांटते ही रहते थे।
नहीं बेटा मैं ही ग़लत था , मैंने हमेशा तुम्हें अपनी ही नज़र से देखा । तुम्हारा नजरिया क्या है जानने की कोशिश ही नहीं की। मैंने तुमपर कभी भरोसा ही न किया। मकान खरीद कर बहुत बड़ा काम किया है ।इतने बरसों से यहां रह रहा था अब यहां से कहीं और जाने का मन ही नहीं था। खुश रहो बेटा फूलों फलों मेरा सदा ही आशीर्वाद रहेगा तुम दोनों पर ।आज चलो सब एक साथ खाना खातै है।
अब मकान तो अपना हो गया है लेकिन अब कभी आप लोग हमारे पास रहिए कुछ दिन आकर और बेटा तुम लोग भी यहां घर पर आते रहा करो।जो दूरियां बढ़ गई थी हम दोनों के बीच अब उसको अब खुबसूरत सा मोड देते हैं और पिता पुत्र की बढ़ती खाई आज पट रही थी । बच्चे हो चाहे बूढ़े सबको प्यार की जरूरत होती है । बुराई को प्यार से ही जीता जा सकता है ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
21 नवंबर