सभी यात्रियों से अनुरोध है सुरक्षा पेटी बांध लें।हमारा वायुयान उड़ान भरने वाला है… एयरहोस्टेस की मीठी आवाज सुन सुधा ने जल्दी से अपनी सीट की बेल्ट ढूंढी और लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन बढ़ती घबराहट से उसे बेल्ट कसने में दिक्कत आने लगी…सहसा उसे वह दिन याद आ गया…!
गांव की प्राथमिक पाठशाला में ए फॉर एरोप्लेन…..ए फॉर एरोप्लेन का रट्टा लगाते नन्हे मुन्नों बच्चों के साथ नन्हीं सुधा भी हवाईजहाज की आवाज सुन शाला से बाहर दौड़ पड़ी थी और खुशी से ताली बजा उछल उछल कर हवाईजहाज को उड़ता देखती रही फिर अचानक पिता की धोती पकड़ मचल उठी बापू मुझे भी हवाईजहाज में उड़ना है चलो मुझे ले चलो।
बेतरह परेशान करने और मचलने पर पिता ने अरे इत्ती सी बात आ जा मेरी रानी गुड़िया तुझे मैं अभी हवाई जहाज की सैर करा देता हूं कहते हुए गोदी में उठा अपने कंधों पर बिठा लिया था।
बापू मै गिर जाऊंगी गिर जाऊंगी डरती खिलखिलाती सुधा को पिता ने दोनों हाथों से पकड़ हंसते हंसते पूरे गांव का चक्कर लगा दिया था।बिना किसी सीट बेल्ट और बिना कोई पैसा खर्च किए उस दिन सुधा हवाई यात्रा करती # आसमान पर उड़ रही थी।
पिता ने कंधों से उतारते हुए बहुत दुलार से कहा था बिटिया तेरे पिता की सामर्थ्य के हवाजहाज और आसमान यही तक थे।लेकिन देखना एक दिन तुझे असली वाले हवाईजहाज से उड़ान भर विदेश जाने का निमंत्रण खुद आएगा एक पैसा भी नहीं लगेगा
तेरा ये इस पिता की आशीष है सिर पर दुलार से हाथ फेरते पिता की आंखों में इस कल्पना मात्र से स्नेह और हर्ष के आंसू बह निकले थे और नन्हीं सुधा “सच्ची में बापू !!”कहती पिता से लिपट गई थी और तभी से ख्वाबों के आसमान में हवाईजहाज में उड़ान भरती रहती थी।
पिता ने सच कहा था।विदेश से निमंत्रण आया था सुधा के पास सेमिनार के लिए ।एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ था उसका इस उड़ान के लिए।
क्या आपकी यह पहली हवाई यात्रा है पूछती एयरहोस्टेस उसके पास आ कर सुरक्षा पेटी बांधने लगी थी और सुधा ” नहीं पहली नहीं दूसरी है “कहती पिता के दोनों हाथों की सुरक्षित पकड़ महसूस करती घबराहट से मुक्त हो हवाईजहाज के साथ आसमान पर उड़ान भरने को तैयार हो चुकी थी।
लघुकथा# आसमान पर उड़ना#मुहावरा आधारित लघुकथा
लतिका श्रीवास्तव