ठंडी हवाएं चल रहीं थीं पर बारिश थम चुकी थी।रोहन जिद पर अड़ा हुआ था कि मॉल जाना है।रिया बोली -“ऐसा क्या जरूरी काम है?जो बारिश के मौसम में मॉल जाना है,तो मुस्कुराते हुए रोहन बोला-“क्या बताऊँ यार,मैंने दो दिन पहले मूवी के टिकिट बुक कराए थे ये सोचकर कि
इस संडे शाम को मॉल जाकर मूवी देखेंगे और फिर वहाँ डिनर भी कर लेंगे।तुम्हें भी थोड़ा चेंज मिलेगा।ये मौसम भी कब बदल जाए पता ही नहीं चलता।
दो दिन पहले सोचा भी नहीं था कि आज बारिश होगी।खैर छोड़ो..तुम जल्दी से तैयार हो जाओ वैसे भी गाड़ी में ही तो जाना है कौनसा पैदल जाना है।” टिकिट की बात होती तो एक बार को जाने देती पर यहाँ बात पति की भावनाओं की थी सो रीना चलने के लिए तैयार हो गई।
जैसे ही रीना और रोहन घर से निकले हल्की हल्की बूंदा बांदी शुरू हो गई।जैसे तैसे मॉल पहुँच गए।मूवी शुरू होने में समय था तो रीना ने थोड़ी सी शॉपिंग कर ली।मूवी खत्म होने के बाद मॉल के ही एक रेस्टोरेंट में डिनर किया फिर घर के लिए रवाना हो गए।अंदर बैठे थे तो मालूम नहीं पड़ा
पर बारिश बहुत तेज हो रही थी।रोहन तेज गाड़ी चला रहा था ताकि जल्दी घर पहुँच जाएं।रीना बीच बीच में उसे टोक रही थी कि गाड़ी धीरे चलाओ क्योंकि स्ट्रीट लाइट नहीं थी।तभी अचानक से गाड़ी एक पेड़ से टकरा गई।शुक्र है कि ज्यादा कुछ नुकसान नहीं हुआ
बस रोहन को हल्की सी चोट आई थी।लेकिन रीना बहुत घबरा गई और बोली-“अब हम बारिश में कहीं भी गाड़ी से नहीं जाएंगे।अगर आज तुम्हें कुछ हो जाता तो मेरा क्या होता?”कहकर रीना रोने लगी।रीना का मूड चेंज करने के लिए रोहन मुस्कुराते हुए बोला-“ऐसे कैसे मुझे कुछ हो जाता?जीवन भर का साथ निभाने का वादा किया है तुमसे।”
जिस बात का रीना को डर था वही हुआ।घर में घुसते ही रीना का सासु मां सरोज रोहन को देखकर बोली -“ये तेरे माथे पे चोट कैसे लग गई?”
“माँ,वो स्ट्रीट लाइट नहीं थी तो अंधेरे में गाड़ी पेड़ से टकरा गई।आप चिंता मत करो..ज्यादा कुछ नहीं हुआ बस माथे पे हल्की सी चोट लगी है।दवाई लगाऊंगा तो दो तीन दिन में ठीक हो जाएगी।”
“बहु ने ही जिद करी होगी ना इतनी बारिश में घूमने की।एक संडे भी चैन से घर नहीं बैठ सकती।मैम साब को शॉपिंग भी करना है और बाहर का खाना भी खाना है।अगर तुझे कुछ हो जाता तो?मैंने तो पहले ही कहा था इस लड़की के ग्रह तेरे लिए ठीक नहीं है पर तूने मेरी बात नहीं सुनी।”
सरोज की कड़वी बातें सुनकर रीना की आंखों में आंसू आ गए।जबकि बेचारी का कोई दोष नहीं था पति के कहने पर ही वो जाने के लिए तैयार हुई थी।
रीना की आंखों में आंसू देख रोहन को गुस्सा आ गया वो चिल्लाते हुए सरोज से बोला -“माँ,मैंने कहा था रीना से पिक्चर देखने जाने के लिए वो बेचारी तो मना कर रही थी।हर बात में बहु को दोष देना जरूरी है ?आप भूल गईं क्या?जब पापा का एक्सीडेंट हुआ था तो आपको दादी ने मनहूस बोला था
तब आपको कितना बुरा लगा था? आप किसी की बेटी के लिए अपशब्द कैसे कह सकती हो?जबकि आप खुद एक बेटी हो।आप जो ग्रह की बातें कर रही हो क्या पता इसके ग्रह
की वजह से ही मेरे साथ आज कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।और आप कैसी माँ हो?इतनी देर से फालतू की बातें कर रही हो अगर मेरी इतनी ही परवाह होती तो अभी तक जल्दी से दवाई लाकर मेरी चोट पर लगा देती।पर आपको तो बस नमक मिर्ची लगाने की आदत है ना।”
बेटे की बात सुनकर सरोज की नजरें शर्म से झुक गईं।वो चुपचाप वहां से उठकर चली गई और मन ही मन सोचने लगी,सही तो कह रहा है रोहन..मैं भी तो एक बेटी हूं फिर मैंने क्यों किसी बेटी को बुरा भला कहा।उसकी भावनाएं भी तो आहत हुई होंगी?
रीना फर्स्ट एड बॉक्स लेकर आई और रोहन की चोट पर दवा लगा दी।तभी सरोज गरमा गर्म चाय ट्रे में लेकर आई और बोली -“तुम दोनों जल्दी से ये अदरक इलायची वाली चाय पी लो सारी थकावट दूर हो जाएगी।”
“अरे माँ,आप क्यों परेशान हुईं?मैं बना लेती ना।”
“बहु,अपने बच्चों के लिए कैसी परेशानी?”सरोज अपनी झेंप मिटाते हुए बोली।
चाय का घूंट भरते हुए रीना और रोहन एक साथ बोले -“माँ मजा आ गया आपके हाथ की अदरक इलायची वाली चाय पीकर।बस आप ऐसे ही अपना प्यार हम पर लुटाती रहो।”
सरोज ने बहु बेटे को गले से लगा लिया।सारी कड़वाहट चाय की मिठास से दूर हो गई।
सच कभी भी बिना सोचो समझे किसी पे दोषारोपण नहीं करना चाहिए।इससे ना सिर्फ सामने वाले की भावनाएं आहत होती हैं अपितु रिश्तों में भी कड़वाहट आ जाती हैं।
कमलेश आहूजा
#मैं भी तो एक बेटी हूं