नीला एक जिम्मेदार और लाडली बेटी थी पिता आशय और आरजू दोनो की मुराद मांगी बेटी जिस पर दोनों जान छिड़कते थे।नीला का जन्म शादी के 12 साल बाद हुआ।आशय और आरजू दोनो कॉलेज में प्रोफेसर थे।आशय हिंदी पढ़ाते थे और आरजू pshycology ।
आरजू और आशय की लव मैरिज थी दोनो एक ही कॉलेज में थे।शादी के दो साल बीत जाने पर ही सास कमला का शोर शुरू हो गया अरे कब तक जवान होने का ड्रामा करोगी अब तो बच्चे की सोचो।आशय और आरजू दोनो बच्चे की चाह रखते थे।पर कुछ नहीं हुआ। कमला आशय पर जोर डालने लगी
इसे छोड़ दूसरी शादी कर ले मै तो पहले ही चाहती थीं कि तू इससे शादी ना करें ।ज्योति की लड़की का रिश्ता लाई थी तूने इसके लिए उसे मना कर दिया और इस बांझ को घर ले आया।अपने भाई अर्पण को देख तीन बच्चों का बाप है।शादी के 5 साल में तीन बच्चे तू तो दो साल में एक भी नहीं किया इसी की गलती है।
आशय बोला मां ये तो ईश्वर की मर्जी है जब देना होगा दे देगा। पर कमला जी उसका जीना मुश्किल करती रहती इसी कारण आशय ने अपने और आरजू के ट्रांसफर की बात कर ली और दोनों को एक ही शहर में पर अलग अलग कॉलेज में ट्रांसफ़र मिल गया और इस तरह वो दोनों शिमला आ गए
और यहां कॉलेज ज्वाइन कर लिया। कमला बड़े बेटे अर्पण के पास चली गई।आरज़ू और आशय दोनो अपने जीवन में खुश थे और अब इतने सालों में उन्होंने ये इच्छा भी छोड़ दी थी। फिर अचानक एक सुबह आरज़ू की तबियत बहुत खराब थी उल्टियां हो रही थी आशय उसे डॉक्टर के पास ले गया तो डॉक्टर बोली ये तो गुड न्यूज है आपके यहां मेहमान आने वाला है।
दोनो की खुशी का ठिकाना नहीं था।अपने अपने घर दोनो ने बताया कमला बोली कि बेटा मै तो इतनी दूर नहीं आ पाऊंगी तुम आरज़ू की मां को बुला लो। आरजू के परिवार में मां ही थी वो भी लेक्चरर थी जो रिटायर हो चुकी थी वो फौरन बेटी के पास पहुंची और उसका ध्यान रखने लगी नियत समय पर आरज़ू ने नीला को जन्म दिया।नीला की आंखे नीले रंग की थी
बाल सुनहरे इसलिए आशय ने उसका नाम नीला रखा । कमला मिलने भी नहीं आई फोन पर ही बोली 12 साल में भी क्या किया एक बेटी पैदा कर दी आज आशय को बहुत गुस्सा आया बोला मां जब तक बच्चा नहीं था तब तक आप बच्चे के लिए ताने देती थी अब आप बेटी हुई है
तो परेशान है मां ये अच्छी बात नहीं है।नीला मां बाप और नानी के प्यार में बढ़ रही थीं।नीला स्कूल जाने लगी आशय और आरजू उसे छोड़ने जाते नानी लेने जाती। नीला प्यार से बड़ी हो रही थी और सब की दुनिया वही थी उन्हीं दिनों आरज़ू के कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के हारून को और आतिश को लड़कियों को छेड़ने के मामले में आरज़ू ने रेस्टिगेट करवाया था।
दोनो का फाइनल ईयर था ।उन्होंने माफी भी मांगी पर आरज़ू ने प्रिंसिपल को कंप्लेंट कर दी और उनका साल खराब हो गया वो आरज़ू से गुस्से में भरे बैठे थे।उस समय नीला 1 ईयर में उसी के कॉलेज में मेडिकल की स्टूडेंट थी उन लोगों ने आरज़ू का बदला नीला से लिया
उन्होंने नीला को दोपहर में कॉलेज से आते हुए अगवा कर लिया।उस दिन आरज़ू उसके साथ नहीं थी क्योंकि उसकी क्लास थी तो इसलिए उसने नीला को ऑटो करवा दिया।कॉलेज के बाहर सुनसान सड़क पर ऑटो जा रहा था कि अचानक एक गाड़ी आगे आई
और उसमें से दो नकाबपोश उतरे और उन्होंने नीला को गाड़ी में जबरदस्ती बिठाया और ले गए तीन दिन नीला का कुछ पता नहीं था।आशय और आरजू तो अपनी सुध बुध खो बैठे थे उनकी दुनिया लूट चुकी थी हर तरफ ढूंढा गया पुलिस कंपलेंट की गई पर कुछ पता नहीं चला।
4 दिन सुबह चार बजे दरवाजे की घंटी बजी और बाहर गेट पर लाल गाड़ी से कोई नीला को फेंक गया था।आरज़ू और आशय दोनो रोते बिलखते नीला को आगोश में भर कर अंदर लाए उन्होंने पुलिस को फोन कर नीला को हॉस्पिटल में एडमिट करवाया नीला की हालत बहुत खराब थी।
15 दिन बाद नीला थोड़ी बोलने की हालत में हुई तो उसने पुलिस को बताया कि उसके साथ क्या हुआ था।पुलिस ने पूछा तुम किसी को जानती थी वो बोली नहीं सर बस मैने दो लड़कों को बोलते सुना था कि आरज़ू को अब पता चलेगा।कैसे हमारी शिकायत करती है हमे रेस्टिगेट करवाया ना ले मजा।
आरज़ू अपना सिर पकड़ कर बैठ गई।पुलिस ने पूछा क्या मामला है हम उन लड़कों को पकड़ कर लेंगे। आशय बोला साहब आपको जो करना है वो करे अब हम यहां नहीं रहेंगे।आशय और आरजू ने अपने अपने कॉलेज से वॉलंटरी रिटायरमेंट ले ली और वो दिल्ली आ गए।
इन सब में दो महीने लगे तब तक नीला थोड़ा संभल गई थी।सब ने पूछा अचानक वापस कैसे तो आशय बोला बहुत साल अपनो के बिना रह लिए इसलिए अब सब साथ रहेंगे।आरज़ू की मां का घर आरज़ू के नाम था पहले वो लोग वहां गए तब तक आशय ने एक स्टेशनरी की दुकान खोल ली मैन मार्केट में ताकि उनका जीवन यापन हो सके और जो उनका अपना घर था
वो हमेशा की तरह किराए पर था जिसका किराया आता रहता था।भाई और मां ने बोला भी कि अपना घर है फिर ससुराल में क्यों रह रहा हैं।आशय बोला ये घर छोटा है और वो बड़ा और वहां से दुकान और कॉलेज पास ही है।नीला को नॉर्मल होने में 6 महीने लगे फिर उसका कॉलेज में एडमिशन हो गया।वो कॉलेज जाने लगी पर लेने छोड़ने आशय ही जाता वो अकेली
कही नहीं जाती।कोई दोस्त सहेली भी उसने इसी डर से नहीं बनाए। 2 साल बाद उसकी दोस्ती मीनाक्षी से हुई वो दोनों साथ पढ़ती थी।नीला ग़म से उभर गई थी पर कभी कभी रात को वो आज भी डर जाती थी।आशय आरज़ू उसे अकेला बिल्कुल नहीं छोड़ते थे।पर अब वो मीनाक्षी के साथ बाहर जाती उसके घर भी जाती वहां उसे अच्छा लगता था।
एक दिन सुबह नीला मीनाक्षी के घर उसे पिक करने पहुंची दरवाजा एक हैंडसम लड़के ने खोला वो सकपकाई मीनाक्षी है वो बोली ।उसने पूछा आप कौन है? उसने कहा मै नीला उसने कहा अंदर आओ । मीनाक्षी आई बोली ये मेरी प्यारी सहेली नीला है और ये मेरे भैया अमर हैं जो बैंगलोर में होते है। हाय हेलो हुई और थोड़ी देर में नीला और मीनाक्षी कॉलेज आ गई।
अमर को नीला बहुत अच्छी लगी पर अभी मीनाक्षी और नीला की पढ़ाई के कारण वो चुप रहा।वो नीला से बात करने की कोशिश करता पर वो चुप ही रहती।दिवाली खत्म होते ही अमर वापस बैंगलोर जाने वाला था उसकी मां सरिता बोली अमर अब तुम सेटल हो क्यों ना तुम्हारी शादी कर दे।अमर बोला मां मै किसी को पसंद करता हूं प्लीज़ आप अभी रुक जाए
अमर बैंगलोर चला गया इधर उसकी इंजीनियरिंग कंप्लीट हो उसे गुरुग्राम में जॉब मिल गई और उधर नीला का भी डेंटल का स्पेशलाइजेशन चल रहा था।अमर आया और अपने माता पिता के साथ नीला का हाथ मांगने पहुंचा।नीला यह सुन अंदर चली गई और बाहर ना आई सरिता और रूपेश को यह व्यवहार अटपटा लगा इधर उधर की बात कर वो घर आ गए।
सबके जाते ही आरज़ू और आशय नीला के कमरे में आए दरवाजा बजाने लगे ।नीला ने दरवाजा खोला और आरजू के गले लग रोने लगी बोली मां मै ये शादी नहीं करूंगी।आशय बोला बेटा जीवन में आगे बढ़ना होता हैं वो बात बहुत पुरानी हो गई भूल जाओ बेटा आगे बढ़ो।नीला बोली ठीक है पर हमें ये सच्चाई मीनाक्षी और अमर के माता पिता को बता देनी चाहिए।
अगले दिन सुबह नीला और आशय आरज़ू मीनाक्षी के घर पहुंचे।सुबह सुबह उन्हें आया देख सब अचंभित थे।अमर के पिता अरुण बोले आप लोग आशय बोला हम आप से कुछ बात करना चाहते हैं ।अरुण बोले हा बताइए क्या बात है? आशय ने कहा आप कल बच्चों का रिश्ता जोड़ने की बात करने आए थे पर उससे पहले हम आपको एक बात बताना चाहते हैं और पूरे हादसे के बारे में आशय ने उन लोगों को बताया ।अमर बोला हा मै भी इस बात को जनता हूं।
मेरा मामा का बेटा उसी कॉलेज में था । सरिता बोली आप इस झूठन को हमारे गले मढ़ना चाहते है।शर्म आनी चाहिए तुम्हे तो डूब कर मर जाना चाहिए था।आशय और आप ये क्या बोल रहे हैं? इसमें मेरी बच्ची का क्या दोष।वो दोषी नहीं है ये तो ऐसी अनहोनी है जो उसके साथ हो गई सरिता बोली आप लोग यहां से निकालिए ये पाप की गठरी हम नहीं रखेंगे ।
शर्म करो तुम वो नीला के ऊपर चिला कर बोली।नीला बोली आंटी मै शर्म नहीं गर्व हूं।मेरे जीवन में जो हादसा हुआ मुझे शर्म भी आई थी मैंने मौत को गले भी लगाने की कोशिश की थी पर मेरे ये माता पिता जो मेरा गर्व है उन्होंने मुझे संभाला मुझे जीवन की और प्रेरित किया किसी के लिए मै कलंक ,शर्म का कारण हूँ पर मै इनका मान हूँ।आशय और आरजू बोले ये हमारा गर्व है शर्म नहीं आपको रिश्ता नहीं करना मत कीजिए परन्तु हमारा मान हमारी बेटी को कुछ मत कहिए।
अमर आगे आया बोला अंकल मै नीला से ही शादी करूंगा और मां आपने जो भी नीला को बोला उसके लिए आप माफी मांगिए क्यों आप भूल गई कि जब ये केस हुआ था तब मामा जी कितने परेशान थे ।उन दोनों लड़कों के दोस्तो को भी पुलिस ने कितना परेशान किया था।राघव को फाइनल ईयर के लिए मामाजी ने दिल्ली भेज दिया था और कोर्ट में साबित भी हुआ था
कि वो लड़की और ये लड़के दोषी नहीं थे सिर्फ हारून और आतिश उन दोनों का ही दोष था।अरुण बोले मुझे भी इस रिश्ते से कोई इंकार नहीं।मां प्लीज़ मान जाओ। नीला और उसके माता पिता घर आ गए।अगले दिन सरिता के भाई का फोन आया ऐसे ही सरिता ने उस केस के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया
अरे वो लड़के बड़े बदमाश थे शुक्र मनाओ कि हमारी मीनल बच गई थी उनसे जब उन्हें जेल हुई तब मीनल ने बताया कि ये आतिश उसके पीछे पड़ा था और आरजू ने उसे और नीलम जो मीनल की सहेली थी दोनो को बचाया था उसके भाई बोले बहुत अच्छी टीचर थी वो हमारी बच्चियों को अपने जैसा मानती थी पर उस बिचारी की बेटी के साथ ऐसा हुआ।
सरिता ने सारी बात अपने भाई को बताई वो बोले नहीं सरिता तुम्हारी गलती है उस बच्ची का कोई दोष नहीं था तुम चाहो तो उसे अपनाओ या नहीं पर फिर भी मै कहूंगा उसका कोई दोष नहीं है अगर सोच आरज़ू ना होती तो ये मीनल के साथ होता।सरिता सोचती रही और रात के खाने पर जब सब जमा थे
तो सरिता बोली मैने एक फैसला किया है।अमर बोला मां अगर आप मेरी शादी कही और करने की सोच रही होंगी तो मेरी तरफ से ना है।सरिता बोली सुनो तो सही मै तुम्हारी और नीला की शादी के लिए तैयार हूं कल हम उनके घर चलेंगे।अगले दिन शगुन लेकर वो नीला के यहां पहुंचे
और सबसे पहले सरिता ने सबसे माफी मांगी और बोली मुझे मेरी ग़लती का अहसास हो गया है ये मेरी बेटी बन कर रहेगी बहु नहीं मुझे माफ कर दो बेटा ।आशय और आरजू बोले बहनजी जो होना था वो हो गया पुरानी बातों को भूल एक नई शुरुवात करते हैं।
तभी अगर और नीला की सगाई कर दी।सरिता बोली बेटा तू हम सब का गर्व है अभिमान है तेरा हम सब के दिल और घर में दिल से स्वागत है।सब मुस्कुरा दिए और अमर सिर्फ नीला को देख रहा था जिसकी नीली आंखे उसे अपनी तरफ खींच रही थी जिसमें सिर्फ प्यार ही प्यार था और नए जीवन की शुभ कामनाएं थी।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी